चौमासा या चातुर्मास 2024 क्या है, व्रत, महत्त्व, नियम, अर्थ, मतलब, समास विग्रह, व्रत के नियम, मराठी, दिनांक, वर्जित कार्य (Chaumasa or Chaturmas Dates in Hindi) (Chomasa kab Lagega 2024, Samas Vigrah, Meaning, Month)
हमारे भारत देश में त्यौहारों की नदियाँ बहती हैं इसलिए हमारा देश भावनाओं का देश हैं. इस नदी में चौमासा का बहुत महत्व हैं. चौमासा आषाढ़ की एकादशी यानि देव शयनी एकादशी – शुक्ल पक्ष से शुरू होकर कार्तिक की एकादशी यानि देव उठनी एकादशी – शुक्लपक्ष तक चलता हैं. यह काल चौमासा कहलाता हैं. इस बीच बहुत से त्यौहार आते हैं. चौमासा / चातुर मास का महत्त्व आपके लिए विस्तार से लिखा गया है. जाने कई चौमासा / चातुर मास के नियम एवं मान्यतायें.
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चौमासा या चातुर्मास क्या है, अर्थ, मतलब (Chaumasa Meaning)
हिंदी कैलंडर में आये यह चार महीने अर्ध आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन एवं अर्ध कार्तिक चातुर मास कहलाते हैं. इन दिनों कोई शुभ कार्य नहीं होते, जैसे विवाह संबंधी कार्य, मुंडन विधि, नाम करण आदि, लेकिन इन दिनों धार्मिक अनुष्ठान बहुत अधिक किये जाते हैं, जैसे भागवत कथा, रामायण, सुंदरकांड पाठ, भजन संध्या एवं सत्य नारायण की पूजा आदि. इसके अलावा इस समय कई तरह के दानों का भी महत्व हैं, जिसे व्यक्ति अपनी श्रद्धा एवं हेसियत के हिसाब से करता हैं.
चौमासा या चतुर्मास का अलग-अलग धर्मों में महत्व (Chaturmas or Chaumasa Importance)
चौमासा का अलग अलग धर्म में अलग महत्व है. यहाँ कुछ धर्म के अनुसार इसका महत्व दर्शाया जा रहा है:
जैन धर्म में चौमासा का महत्व :
जैन धर्म में चौमासे का बहुत अधिक महत्व होता हैं. वे सभी पुरे महीने मंदिर जाकर धार्मिक अनुष्ठान करते हैं एवं सत्संग में भाग लेते हैं. घर के छोटे बड़े लोग जैन मंदिर परिसर में एकत्र होकर ना ना प्रकार के धार्मिक कार्य करते हैं. गुरुवरों एवं आचार्यों द्वारा सत्संग किये जाते हैं एवं मनुष्यों को सद्मार्ग दिखाया जाता हैं. इस तरह इसका जैन धर्म में बहुत महत्व है.
बौद्ध धर्म में चौमासा का महत्व :
गौतम बुद्ध राजगीर के राजा बिम्बिसार के शाही उद्यान में रहे, उस समय चौमासा की अवधि थी. कहा जाता है साधुओं का बरसात के मौसम में इस स्थान पर रहने का एक कारण यह भी था कि उष्णकटिबंधीय जलवायु में बड़ी संख्या में कीट उत्पन्न होते हैं जो यात्रा करने वाले भिक्षुकों द्वारा कुचल जाते हैं. इस तरह से इसका बौद्ध धर्म में भी महत्व अधिक है.
हिन्दू धर्म में चौमासा का महत्व :
हिन्दू धर्म के सभी बड़े त्यौहार इन्ही चौमासा के भीतर आते हैं. सभी अपनी मान्यतानुसार इन त्यौहारों को मनाते हैं एवं धार्मिक अनुष्ठान भी करते हैं.
चौमासा या चातुर्मास के माह एवं त्यौहार (Month and Festivals)
चौमासा या चतुर्मास के अंतर्गत निम्न माह शामिल हैं :
आषाढ़ :
सबसे पहला महीना आषाढ़ का होता है, जो शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी से शुरू होता हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन से भगवान् विष्णु सोने जाते हैं. आषाढ़ के 15 दिन चौमास के अंतर्गत आते हैं. इसलिए ऐसा भी कहा जाता है कि चौमास अर्ध आषाढ़ माह से शुरू होता है. इस माह में गुरु एवं व्यास पूर्णिमा का त्यौहार भी मनाया जाता है, जिसमें गुरुओं के स्थान पर धार्मिक अनुष्ठान किये जाते हैं. कई जगहों पर मेला सजता हैं. गुरु पूर्णिमा खासतौर पर शिरडी वाले साईं बाबा, सत्य साईं बाबा, गजानन महाराज, सिंगाजी, धुनी वाले दादा एवं वे सभी स्थान जो गुरु के माने जाते हैं वहां बहुत बड़े रूप में गुरु पूर्णिमा मनाई जाती हैं.
श्रावण :
दूसरा महीना श्रावण का होता है, यह महीना बहुत ही पावन महीना होता है, इसमें भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती हैं. इस माह में कई बड़े त्यौहार मनाये जाते हैं जिनमें रक्षाबंधन, नाग पंचमी, हरियाली तीज एवं अमावस्या, श्रावण सोमवार आदि विशेष रूप से शामिल हैं. रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहनों का त्यौहार होता है. बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती हैं. वहीं नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है. हरियाली तीज में सुहागन औरतें भगवान् शिव एवं देवी पार्वती की पूजा करती है एवं व्रत भी रखती है. इस माह में श्रावण सोमवार का महत्व बहुत अधिक है. इस माह में वातावरण बहुत ही हराभरा रहता है.
भाद्रपद :
तीसरा महीना भादों अर्थात भाद्रपद का होता हैं. इसमें भी कई बड़े एवं महत्वपूर्ण त्यौहार मनायें जाते हैं जिनमें कजरी तीज, हर छठ, जन्माष्टमी, गोगा नवमी, जाया अजया एकदशी, हरतालिका तीज, गणेश चतुर्थी, ऋषि पंचमी, डोल ग्यारस, अन्नत चतुर्दशी, पितृ श्राद्ध आदि शामिल हैं. हर त्यौहार का हिन्दू धर्म में अपना एक अलग महत्व होता है, और लोग इसे बड़े चौ से मनाते हैं. इस तरह यह माह भी हिन्दू रीती रिवाजों से भरा पूरा रहता हैं.
आश्विन माह :
चौथा महीना आश्विन का होता हैं. अश्विन माह में पितृ मोक्ष अमावस्या, नव दुर्गा व्रत, दशहरा एवं शरद पूर्णिमा जैसे महत्वपूर्ण एवं बड़े त्यौहार आते हैं. इस माह को कुंवार का महीना भी कहा जाता हैं. नव दुर्गा में लोग 9 दिनों का व्रत रखते हैं इसके बाद दसवें दिन दशहरा का त्यौहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं.
कार्तिक माह :
यह चातुर्मास का अंतिम महीना होता है, जिसके 15 दिन चौमास में शामिल होते हैं. इस महीने में दीपावली के पांच दिन, गोपा अष्टमी, आंवला नवमी, ग्यारस खोपड़ी/ प्रमोदिनी ग्यारस अथवा देव उठनी ग्यारस जैसे त्यौहार आते हैं. इस माह में लोग अपने घर में साफ सफाई करते हैं, क्योकि इस माह में आने वाले दीपावली के त्यौहार का हमारे भारत देश में बहुत अधिक महत्व है. इसे लोग बहुत ही धूम धाम से मनाते हैं. कार्तिक माह महत्व व्रत कथा एवम पूजा विधि जानने के लिए पढ़े.
पुरुषोत्तम मास / अधिक मास :
इस चौमास के अलावा अधिकमास का भी बहुत महत्व हैं इसे पुरुषोतम मास कहा जाता हैं.
यह मास तीन साल में एक बार आता हैं, एवं गणना में अनुसार वह किसी भी महीने में आ जाता हैं. इस अधिक मास का भी उतना ही महत्व होता हैं जितना की चौमास का. जब यह अधिक मास भाद्रपद में आता है, जो कि कई वर्षों में होता हैं तब उसका महत्व और अधिक बढ़ जाता हैं. अधिक मास एवम कोकिला व्रत का महत्व विधि एवम कहानी जानने के लिए पढ़े.
इस तरह चौमासा के ये सभी माह त्योहारों से भरे होते हैं. चौमासा के समाप्त होते ही धार्मिक कार्य जैसे शादी, मुंडन इत्यादि का कार्य शुरू हो जाता हैं. देव उठनी ग्यारस से ही विवाह कार्य प्रारंभ हो जाते हैं. कहा जाता है कि इस दिन देवी तुलसी का विवाह होता है. कुछ लोग इसे छोटी दीवाली भी कहते हैं.
चौमासा कौन सा समास है
चौमासा समास मतलब दिगु समास होता है अगर हम विस्तार से इसके बारे में बताएं तो जिस समास का पूर्व पद संख्या और उत्तरपद संज्ञा पाई जाती है तो उसे समास की भाषा में द्विगु समास कहते हैं। उदाहरण के रुप में- महादेव, विष्णु आदि भगवान इस समास में समीलित होते हैं। तभी इसका भी एक अलग मास आता है जिसमें इनको पूजा जाता है।
चौमासा में क्या नहीं करना चाहिए (वर्जित कार्य)
चौमासा में आपको कोई भी शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। कहा जाता है कि, इस मास मे करने वाले शुभ कार्य का फल आपको प्राप्त नहीं होता है। क्योंकि इससे जुड़े हिंदू समाज में कुछ नियम भी होते हैं। जिसके कारण आप इसमें कोई शुभ कार्य नहीं कर सकते हैं। इसमें किसी प्रकार के कोई भी मुहूर्त नहीं निकाले जाते है। हमारे समाज के पंडित भी इस माह में कोई भी शुभ कार्य करने से मना कर देते हैं। साथ ही नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
चौमासा या चातुर्मास व्रत के नियम (Chaumasa Chaturmas Rule)
चौमासा के कई नियम होते हैं जो सभी अपनी मान्यतानुसार निभाते हैं. सबकी अपनी श्रद्धा होती हैं. आगे कुछ नियम आपके सामने लिखे गये हैं.
स्नान
चौमास के दिनों में महिलायें सूर्योदय के पूर्व उठकर स्नान करती हैं साथ ही पूजा कर मंदिर जाती हैं .खासतौर पर श्रावण एवं कार्तिक का महिना. कार्तिक में कृष्ण जी एवं तुलसी जी की पूजा की जाती हैं.
उपवास/व्रत
कई लोग पुरे चार महीने एक वक्त भोजन करते हैं. एवं रात्रि में फलहार किया जाता हैं.
प्याज, लहसन, बैंगन, मसूर जैसे भोज्य पदार्थ से परहेज
पुरे चार महीने कई लोग ये सभी पदार्थ अपने भोजन में उपयोग नहीं करते. खासतौर पर श्रावण एवं कार्तिक माह में.
पैर में चप्पल नहीं पहनते
कई लोग नव दुर्गा के समय चप्पल नहीं पहनते हैं.
बाल एवं दाड़ी नहीं कटवाते
श्रावण एवं नव दुर्गा में कई पुरुष अपने बाल एवं दाड़ी नहीं कटवाते.
धार्मिक कर्म कांड
पुरे चौमासा गीता पाठ, सुंदर कांड, भजन एवं रामायण पाठ सभी अपनी श्रद्धानुसार करते हैं. इसके अलावा इस समय कई दान पूण्य एवं तीर्थयात्रा भी की जाती हैं.
चातुर्मास व्रत मराठी
चातुर्मास व्रत मराठी में आपको कई चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए जैसे- बैंगन, दूध, शकर, तेल, मांस और मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि कहा जाता है कि, इसमें सात्विक भोजन करना चाहिए इससे आपके शरीर में अलग उर्जा रहती है। साथ ही इस व्रत को करने वाले लोग जमीन पर सोते हैं। इसलिए इसके सारे नियमों का पालन अच्छे से करना चाहिए। ताकि आपको इस व्रत का फल मिले और आपके सारे कार्य शुभ हो क्योंकि इस व्रत को करने वाले पर हमेशा विष्णु भगवान की कृपा बनी रहती है।
चातुर्मास 2024 कब से लग रहा है
चातुर्मास की शुरूआत देवशयनी एकादशी से होती है। जो कि इस बार 17 जुलाई को पड़ रही है, और ये 12 नवंबर को कार्तिक मास की एकादशी पर खत्म होगी। इस बीच सभी शुभ कार्य जैसे शादी समारोह आदि कार्य नहीं किये जाते हैं। क्योंकि कहा जाता है कि, उस समय विष्णु भगवान अपनी निंद्र में होते हैं। इसलिए जब चातुर्मास शुरू होता है तो हिंदू धर्म में इनकी पूजा भी की जाती है, और जब ये निद्रा से उठते हैं तभी ये शादी कैसे कार्य शुरू हो जाते हैं।
FAQ
Ans : चौमासा शब्द का अर्थ द्विगु समास है।
Ans : चातुर्मास का अर्थ है व्रत, शुभ कर्म, भक्ति के वो चार महीने जिन्हें हिंदू धर्म में चातुर्मास कहते हैं।
Ans : कहा जाता है जब भगवान विष्णु शयन में चले जाते हैं, और उसके बाद जब शयन से जागते हैं, उसकी अवधि करीब 4 महीने की होती है। तो ये 4 महीने का होता है।
Ans : इस बार चातुर्मास 17 जुलाई से शुरू होकर 12 नवंबर को खत्म होगा।
Ans : जी हां कई लोग चातुर्मास का व्रत भी करते हैं।
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