रक्षाबंधन पर निबंध, हिंदी शायरी, कविता (Raksha Bandhan Par Nibandh Shayari, History in Hindi)
रक्षाबंधन भाई बहन का फेस्टिवल है, इसके महत्व को जानिए, इसके पीछे के इतिहास को जानिए और समझे की आज यह अपनी वास्तविकता से कितना परे होता दिखाई दे रहा हैं. यह पूरा आर्टिकल आपको पौराणिक युग , इतिहास से लेकर आज के आधुनिकरण तक रक्षाबंधन से परिचय करायेगा.
त्यौहार का नाम | रक्षाबंधन |
अन्य नाम | राखी, श्रावणी |
प्रकार | हिन्दू धार्मिक त्यौहार |
तिथी | श्रावण पूर्णिमा यह सावन के महीने का अंतिम दिन होता हैं |
विशेष | भाई बहन का त्यौहार |
Table of Contents
रक्षाबंधन पर निबंध
रक्षाबंधन का महत्व
यह श्रावण मास की पूर्णिमा पर मनाया जाता हैं. भारत के मुख्य त्यौहारों में रक्षाबंधन का त्यौहार आता हैं. बहन अपने भाई को रक्षा सूत्र बांध कर उसकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं. भाई उसकी रक्षा का वचन देता हैं.यह परम्परा बरसो से निभाई जा रही हैं.
रक्षाबंधन का इतिहास (Raksha Bandhan History)
इतिहास में ऐसी कई कहानियाँ हैं, जिसमे बड़े-बड़े युद्ध को इस रक्षा सूत्र ने बचाया हैं. पहले वादे की कीमत जान से बढ़कर हुआ करती थी. अगर भाई से बहन को उसके पति की रक्षा का वचन दिया हैं तो आन बान शान परे रख उस वचन का मान रखा जाता था.राजपुताना इतिहास में महारानी कर्णावती ने अपने राज्य की रक्षा हेतु मुग़ल बादशाह हुमायु को रक्षा सूत्र बांधा था और इसके बदले में हुमायु ने बहादुर शाह जफ्फर से चित्तोड़ की रक्षा की थी. इस तरह इस त्यौहार का मान इतिहास में रखा जाता था.
रक्षाबंधन का सही मायना
धार्मिक त्यौहार एवम रीतिरिवाज कई अच्छी बातों को ध्यान में रखकर मनाये जाते हैं. नारी शारीरिक बल में पुरुषों से कमजोर होती हैं. इस कारण सुरक्षा की दृष्टी से इस सुंदर त्यौहार को बनाया गया पर कलयुग के दौर में परिपाठी बदलती ही जा रही हैं.
रक्षाबंधन का आधुनिकरण
आज के समय में यह एक त्यौहार की जगह लेन देन का व्यापार हो चूका हैं.बहने अपने भाई से गिफ्ट रूपये ऐसी चीजों की मांग करती हैं. शादी हो जाने पर मायके से ससुराल गिफ्ट्स एवं मिठाइयाँ भेजी जाती हैं. मान परम्परा का नहीं अब लेन देन का होता हैं. पिछले वर्ष इतना दिया इस वर्ष कम क्यूँ दिया. आज यह त्यौहार हिसाब किताब का रक्षाबंधन हो चूका हैं. ऐसी महंगाई में कहीं ना कहीं यह त्यौहार भाइयों पर बोझ बनते जा रहे हैं. रक्षा और कामना से परे हट यह एक व्यापार का रूप बनते जा रहे हैं.
अगर आज रक्षाबंधन की श्रद्धा सभी के भीतर उतनी ही प्रबल होती जितनी की वास्तव में इतिहास में हुआ करती थी तो आये दिन औरतों पर होने वाले अत्याचार इस तरह दिन दोगुनी रात चौगुनी रफ्तार से ना बढ़ते. यह त्यौहार बस एक दिखावे का रूप हो गया हैं.
रक्षाबंधन की कहानी (Raksha Bandhan Story)
धार्मिक त्यौहारों के पीछे सदैव कुछ कहानियाँ होती हैं जिनके कारण त्यौहार मनाये जाते हैं. यह कहानियाँ ही मानव जीवन में इन त्यौहारों के प्रति आस्था बनाये रखती हैं. उसी प्रकार राखी के इस उत्सव के पीछे भी एक पौराणिक कथा प्रचलित हैं.देवताओं और दानवो के बीच युद्ध चल रहा था जिसमे दानवो की ताकत देवताओं से कई गुना अधिक थी. देवता हर बाजी हारते दिखाई पड़ रहे थे. देवराज इंद्र के चेहरे पर भी संकट के बादल उमड़ पड़े थे. उनकी ऐसी स्थिती देख उनकी पत्नी इन्द्राणी भयभीत एवं चिंतित थी. इन्द्राणी धर्मपरायण नारी थी उन्होंने अपने पति की रक्षा हेतु घनघोर तप किया और उस तप से एक रक्षासूत्र उत्पन्न किया जिसे इन्द्राणी ने इंद्र की दाहिनी कलाई पर बांधा. वह दिन श्रावण की पूर्णिमा का दिन था. और उस दिन देवताओं की जीत हुई और इंद्र सही सलामत स्वर्गलोक आये. तब एक रक्षासूत्र पत्नी ने अपने पति को बांधा था लेकिन आगे जाकर यह प्रथा भाई बहन के रिश्ते के बीच निभाई जाने लगी जो आज रक्षाबंधन के रूप में मनाई जाती हैं.
रक्षाबंधन क्यूँ मनाया जाता है यह एक रोचक कथा हैं जरुर पढ़े आपको अच्छा लगेगा
रक्षाबंधन पर हिंदी शायरी (Raksha Bandhan Par Hindi Shayari)
बधाई हो बधाई राखी हैं आई,
मेरी प्यारी बहना ढेर सारी मिठाई लाई.
सबसे सुंदर राखी उसने मेरी कलाई पर सजाई,
आई रे आई खुशियों की बेला आई.
सावन की बौछारों के बीच सुंदर पुष्प हैं खिला,
भाई बहन के रिश्ते की हैं यह पावन बेला.
घर में हैं ऐसी चहल पहल जैसे कोई मेला,
बहनों के लिए गीता गा रहा हैं भाई अलबेला
रंग बिरंगी दुनियाँ में यह त्यौहारों की चमक,
भाई बहन के जीवन में रक्षाबंधन का महत्व.
कर्तव्य का हैं भान कराता यह बंधन का त्यौहार,
खुशियों से मनाते हैं हम मिलाकर रक्षाबंधन हर बार.|
बैठे हैं हम इंतजार में,
चाहिये तौहफे हमे हजार में.
तू भले देर से आना भैया,
पर ATM साथ लाना भैया.
छोड़ आना बीवी को भाई के घर,
वरना खाएगी हमारा सिर.
रिश्तों की धूम में हैं यह सबसे सुंदर संबंध
भाई बहन के रिश्ते को जो बनाये अनूठा बंधन
हैं वो निराला त्यौहार रक्षाबंधन
आईये मनाये और करे सभी का अभिनन्दन
लड़ना झगड़ना हैं इस रिश्ते की शान
रूठ कर मनवाना ही तो हैं इस रिश्ते का मान
भाई बहनों में बसती हैं एक दूजे की जान
करता हैं भाई पुरे बहन के अरमान
कितना भी रूठे, रूठकर माने
पर प्यार ना होता इसमें कम
बिन बोले समझत जाती बहना, भाई का गम
दुनियाँ से लड़ जायेगी पर ना होने देगी आँखे नम
यूँ तो हमेशा ही लड़ते हैं ये भाई-बहन के रिश्ते
पर बहना की बिदाई में भाई भी हैं सिसकते
कितना भी लड़ जाए ये दोनों
लेकिन जुदाई का गम ना सह पाते ये रिश्ते
हर बहना करती हैं ईश्वर से दुआ
भाई को मिले जिंदगी खुशनुमा
कभी ना हो उसके माथे पर लकीरे
जीवन की हो सदा सुंदर तस्वीरे
बिन भाई बहन के हैं अधुरा परिवार
ये रिश्ता हैं घर की सबसे सुंदर शान
त्यौहारों में हैं राखी का अपना मान
जी जान से मनायेंगे राखी का त्यौहार
FAQ
Ans : भाई बहन
Ans : हिन्दू
Ans : श्रावणी/ राखी
Ans : यह युगों युगांतर से चला आ रहा पर्व हैं, माना जाता हैं जब शिशुपाल का वध करने हेतु कृष्ण ने चक्र धारण किया था तब उनकी अंगुली से रक्त बहने लगा था तब द्रोपदी ने अपने पल्लू की चीर से उनकी अंगुली बांधी थी उस दिन श्रावण पूर्णिमा थी और इन्ही कृष्ण ने द्रोपदी के वस्त्रहरण के समय उस चीर का आभार करते हुये उसकी रक्षा की थी और इसी कारण उस दिन को रक्षाबंधन के रूप में मनाया जात हैं .
Ans : पौराणिक काल से लगभग 5 हजार वर्षो पूर्व से
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