Satyanarayan katha Mahtva Puja Vidhi in hindi (सत्य नारायण की पूजा एवं कथा महत्व ) सत्य नारायण की पूजा एवं कथा आज के समय में पूजा पाठ के नियम सभी को पता नहीं होते ऐसे में यह कार्य अधूरे से लगते हैं | ऐसी ही परेशानी को ध्यान में रखते हुए कथा का विस्तार लिखा गया हैं |
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सत्य नारायण कथा महत्व :Satyanarayan Mahtva
सत्य नारायण भगवान् की पूजा का हिन्दू धर्म में बहुत अधिक महत्व होता हैं | किसी भी विशेष कार्य जैसे गृह प्रवेश, संतान उत्पत्ति, मुंडन, शादी के वक्त, जन्मदिन आदि शुभ कार्यो में यह पूजा एवम कथा करायी अथवा स्वयं की जाती हैं | मनोकामना पूरी करने हेतु SatyaNarayan की कथा को कई लोग साल में कई बार विधि विधान से करवाते हैं | गरीबों एवं ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देते हैं | कई लोग मानता के स्वरूप में भी इनकी पूजा एवं कथा करते हैं और कई भगवान को धन्यवाद देने के लिए भी यह करते हैं |
Satyanarayan की पूजा एवं कथा दोनों का ही बहुत महत्व हैं कहते हैं सुनने मात्र से पूण्य की प्राप्ति होती हैं | सत्य को मनुष्य में जगाये रखने के लिए इस पूजा का महत्व आध्यात्म में निकलता हैं | भगवान की भक्ति के कई रास्ते हैं | धार्मिक कर्म कांड अथवा मानव सेवा | पूजा पाठ में मन को लगा देने से चित्त शांत होता हैं | मन पर नियत्रण होता हैं |
आज के समय में पूजा पाठ के नियम सभी को पता नहीं होते ऐसे में यह कार्य अधूरे से लगते हैं | ऐसी ही परेशानी को ध्यान में रखते हुए कथा का विस्तार एवं पूजा विधि लिखी गयी हैं |
satyanarayan Puja Samgri
सत्य नारायण पूजन सामग्री
क्र | सामग्री |
1 | केले का तना |
2 | आम पत्ता |
3 | कलश |
4 | धूप |
5 | कपूर |
6 | दीपक |
7 | श्री फल |
8 | पुष्प, पुष्पहार |
9 | पंच रत्न |
10 | पंचामृत- दूध, दही, घी, शक्कर, शहद |
11 | भोग |
12 | जनेऊ |
13 | चौकी |
14 | अंग वस्त्र |
15 | दीप बत्ती |
16 | कपूर |
Satyanarayan Puja Vidhi
सत्य नारायण पूजा विधि
सर्वप्रथम एक स्वच्छ जगह पर रंगोली डालते हैं | उस पर पटा रखते हैं | उस पर सतियां बनाते हैं उस सतिये पर केले के पत्ता रखते हैं | उस पत्ते पर सत्य नारायण भगवान की तस्वीर, गणेश जी की प्रतिमा एवम कलश रखते हैं | सबसे पहले कलश की पूजा करते हैं फिर गणेश जी की उसके बाद सत्य नारायण देव की पूजा कर कथा पढ़ते हैं और सभी बंधू जनों को प्रसाद बाँटते हैं |
Satyanarayan katha
सत्य नारायण कथा
सूत जी ऋषि मुनियों को कहानी सुनाते हैं |
एक राजा था जो भगवान भक्ति को सर्वोपरी रखता था | बहुत ही सत्यवादी था वो और उसकी पत्नी हमेशा सत्य नारायण की पूजा करते थे जिस कारण उनके राज कोष भरे हुए थे और प्रजा भी खुशहाल थी | एक बार वो अपनी पत्नी के साथ वन गये और उन्होने भगवान की पूजा की एवम गरीबो और ब्राह्मणों को दान दिया | वही एक नदी बहती थी | उस दिन उस नदी पर एक नाव आकर रुकी जो धन से भरी हुई थी | वो एक व्यापारी की नाव थी जो नगर से धन कमा कर अपने घर लौट रहा था | उसने राजा से भेंट की और पूछा आप किस देव की पूजा कर रहे हैं और क्यूँ ? तब राजा ने बताया Satyanarayan भगवान की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं | रोगी का रोग दूर होता हैं | निःसंतान को संतान मिलती हैं और निर्धन को धन की प्राप्ति होती हैं | व्यापारी ने भी भगवान के हाथ जोड़े और प्रसाद ग्रहण कर अपने घर गया | घर जाकर व्यापारी ने अपनी पत्नी से पूजा का महत्व बताया और कहा जब भी हमें संतान सुख मिलेगा | हम सत्य यह कथा अवश्य करेंगे |
कुछ समय बाद व्यापारी की पत्नी गर्भवती हुई | उसने एक सुंदर कन्या को जन्म दिया | तब उसने कथा करवाने कहा तब व्यापारी ने कहा जल्दी क्या हैं इसके विवाह पर अवश्य करेंगे | समय बिताता गया | कन्या 18 वर्ष की हो गई | एक सुयोग्य वर से उसका विवाह किया गया | तब फिर से व्यापारी की पत्नी ने उसे कथा करवाने कहा | फिर व्यापारी ने व्यस्तता के चलते टाल दिया | विवाह के बाद फिर से पत्नी ने याद दिलाया लेकिन उसने फिर टाल दिया कहा अभी उसे अपने दामाद के साथ व्यापार के लिए नगर जाना हैं | ऐसा कहकर वो अपने दामाद के साथ नगर चला गया | उसके इस व्यवहार के कारण भगवान् क्रोधित हो गये और उन्होंने व्यापारी को सबक सिखाने की सोची |
एक दिन व्यापारी और उसका दामाद धन भरकर नदी के रास्ते अपने नगर को आ रहे थे | तभी कुछ चौर राज धन चुराकर भाग रहे थे | उन चौरो ने वो राज धन नौका में छिपा दिया | राज्य के सैनिको ने जब नाव की तलाशी ली तो उन्हें उसमें राज्य की मुहरे मिली | दोनों को पकड़ कर कारावास में डाल दिया गया | दूसरी तरफ व्यापारी की बेटी के घर भी चौरी हो गई| घर में फूटी कौड़ी ना थी | पतियों के ना आने से दोनों चिंता में थी | उसी दौरान व्यापारी की बेटी एक ब्राहमण के घर गई| वहाँ Satyanarayan Ki Katha चल रही थी | उसने कथा सुनी और प्रशाद ग्रहण किया| साथ ही पूजा का विस्तार पूछा | घर आकर उसने और उसकी माँ ने पूरी विधि के साथ भगवान की पूजा की और पतियों के वापस आने की कमाना की | जिससे प्रसन्न होकर भगवान ने राजा को स्वपन में दर्शन दिया और कहा उसके कारावास में जो दोनों कैद हैं | उन्हें तुरंत छोड़ दे क्यूंकि वो दोनों निर्दोष हैं | राजा ने सुबह होते ही दोनों ससुर दामाद को छोड़ा और उनका धन वापस किया | दोनों घर आये तब पत्नी ने पूजा के बारे में बताया | तब व्यापारी को अपनी भूल का पछतावा हुआ और उन्होंने पुन: भगवान की पूजा करवाई एवम प्रशाद ग्रहण किया |
हिंदी धर्म में पूजा का बहुत महत्व हैं | सभी विशेष कार्यों में पूजा की जाती हैं इससे मन शांत रहता हैं |
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FAQ
Ans : ब्राह्मण
Ans : एकादशी या पूर्णिमा को
Ans : सुबह जल्दी उठकर स्नान करके धुले हुए कपड़े पहन कर पूजा की जाती है. और फिर पूजा समाप्त होने के बाद ही सदा खाना खा कर व्रत खोला जाता है.
Ans : वास्तविक सुख समृद्धि प्राप्त होती है.
Ans : स्कन्दपुराण के रेवाखंड से संकलित
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