दिवाली पर निबंध (पूजा विधि एवम शायरी 2024) (Diwali Festival Puja Vidhi, story, Shayari In Hindi)
भारत में त्यौहारो का अत्यधिक महत्व हैं. इन में चौमासा या चातुर्मास में आने वाले ये त्यौहार अधिक पूजा पाठ एवम मान्यताओं से भरे पुरे होते हैं. सभी त्यौहार की अपनी अलग विशेष बात एवम धार्मिक मान्यता होती हैं जिसके अनुसार हर धर्म जाति का व्यक्ति इसे मनाता हैं. इन्ही त्यौहारों में विशेष त्यौहार हैं दिवाली.
सभी अपनी मान्यतानुसार दिवाली का यह त्यौहार मनाते हैं. देश की आर्थिक स्थिती में इन त्यौहारों का विशेष महत्व होता हैं. इन दिनों बाजारी का माहौल बढ़ जाता हैं जिससे धन की आवाजाही होती हैं जिससे आर्थिक विकास होता हैं. धन तिजौरी से बाहर निकल कर व्यक्तिगत एवम सार्वजनिक विकास में लगता हैं. इस प्रकार केवल हँसी ख़ुशी की दृष्टि से नहीं बल्कि आर्थिक विकास की दृष्टि से भी त्यौहारों का महत्व होता हैं.
दीपावली शब्द में ही इसका अर्थ हैं दीपो की आवली अर्थात जगमग दीपो की माला. प्रकाश का त्यौहार जो हमें अन्धकार से दूर प्रकाश की तरफ जाने का संकेत देता हैं.इस दिन धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती हैं. यह पर्व व्यापारियों के लिए नए वर्ष का दिन होता हैं. इस दिन सभी व्यापारी वर्ग अपने लेखा जोखा को बदलते हैं.
यह भारत के प्रमुख त्यौहारों में से एक हैं. इस त्यौहार में जितनी रौनक होती हैं उतना ही व्यापार बढ़ता हैं. त्यौहारों का मुख्य उद्देश खुशियाँ लाना तो हैं ही लेकिन व्यापार की दृष्टि से भी त्यौहार अहम् होते हैं. इन दिनों बाजारी में जोश आता हैं जिससे हर एक छोटे बड़े व्यापारी को व्यापार का मौका मिलता हैं. छोटा व्यापारी तो केवल इन्ही दिनों की आजीविका पर पूरा वर्ष निर्भर करता हैं.यही कारण हैं कि देश के नागरिको से गुजारिश की जाती हैं कि त्यौहार में स्वदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल करें. इससे व्यापार बढ़ता हैं. देश का पैसा देश में ही रहता हैं और कुटीर उद्योगों को मुनाफा होता हैं इससे देश की आर्थिक व्यवस्था मजबूत होती हैं.
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दिवाली पर निबंध
दिवाली का महत्व ( Diwali Ka Mahtva)
दीपावली प्रकाश का त्यौहार हैं जो यह सीख देता हैं कि व्यक्ति के जीवन में सुख दुःख सदैव आता हैं लेकिन टिकता नहीं हैं इसलिए मनुष्य को वक्त की दिशा में आगे बढ़ते रहना चाहिए. न दुःख से टूटना चाहिए और ना ही सुख का घमंड करना चाहिए. दिवाली का महत्व ही यही हैं जो उसकी पौराणिक कथाओं में छिपा हुआ हैं कैसे भगवान का स्वरूप होते हुए भी राम, लक्ष्मण एवम सीता को जीवन में कष्ट सहना पड़ा क्यूंकि इसका अहम् उद्देश्य था जन कल्याण को जीवन के कर्मो का सन्देश देना साथ ही रावन जैसे ज्ञानी परन्तु अहंकारी का उद्धार करना. इस त्यौहार के पीछे जिस राम के चरित्र का वर्णन हैं वो मनुष्य जीवन का आधार हैं और रावण का चरित्र भी मनुष्य को यही सीख देता हैं कि कोई कितना भी ज्ञानवान क्यूँ न हो अगर घमंड के बिछौने पर सोयेगा तो उसका अंत निश्चित हैं. इस प्रकार यह प्रकाश पर्व मनुष्य को अन्धकार से प्रकाश की तरफ जाने का संकेत देता हैं.
दिवाली की कथा या कहानी (Diwali Story )
क्यूँ की जाती हैं दिवाली पर देवी लक्ष्मी की पूजा
पौराणिक कथाओ के अनुसार राक्षस राज बलि ने अपने शौर्य के बल पर देवी लक्ष्मी एवम अन्य कई देवी देताओ को बंधक बना लिया था. कई दिनों तक वे सभी राजा बलि के बंधक थे, जिसके बाद इसी कार्तिक माह की अमावस्या को भगवान विष्णु ने सभी देवी देवताओं एवम लक्ष्मी जी को स्वतंत्र करवाया. वहाँ से निकल कर सभी देवी देवता एवम लक्ष्मी जी क्षीरसागर पहुँचे एवम गहरी निद्रा में सो गए. इसलिए पुराणों में यह कहा गया हैं कि दिवाली उत्सव में घरों में साफ़ सफाई होना चाहिये, ताकि देवी लक्ष्मी उस दिन क्षीरसागर ना जाकर भक्तो के घरो में ही सो जाये. जहाँ भगवान का वास होता हैं वहाँ दरिद्रता नहीं होती हैं और वही धन का आगमन होता हैं और आज के समय में खुशियों का दूसरा नाम धन प्राप्ति ही हैं.
इस सन्दर्भ में एक और कथा कही जाती हैं
राजा बलि ने तीनो लोको में अपना अधिपत्य करने के लिए अश्वमेघ यज्ञ करने का निर्णय लिया जिससे परेशान होकर सभी देवता भगवान विष्णु से सहायता मांगने गये. तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि के पास भिक्षा की इच्छा से पहुँचे. राजा बलि ने बोला आपको जो चाहिये मैं देने का वचन देता हूँ. वामन देव ने कहा मुझे तीन पग भूमि चाहिये. राजा बलि ने दान दे दिया. वामन देवता ने अपना विशाल रूप धर कर एक पग में पृथ्वी, दुसरे में स्वर्ग को माप लिया एवम तीसरा पग कहा रखु ऐसा प्रश्न किया. तब बलि ने कहा आप अपना तीसरा पग मेरे मस्तक पर रखे. राजा बलि की दान प्रियता को देख भगवान प्रसन्न हुए और उन्होंने वरदान माँगने को कहा. तब राजा बलि ने कहा कि वे अगले तीन दिनों तक तीनो लोको में अपना अधिपत्य चाहते हैं और इन तीन दिनों में सभी जगह जश्न हो एवम माता लक्ष्मी की पूजा की जाये और इन तीनो दिन तक माता लक्ष्मी अपने भक्तो के घर में निवास करें.
इस प्रकार उस दिन से प्रति वर्ष दीपावली का यह त्यौहार मनाते हैं इसलिए माता लक्ष्मी की पूजा का महत्व पुराणों में मिलता हैं.
दीपावली को प्रकाश का त्यौहार क्यूँ कहते हैं ?
माता कैकई के हठ के कारण भगवान राम, देवी सीता एवम भाई लक्ष्मण को चौदह वर्षो के वनवास के लिए जाना पड़ा. उस दौरान लंका पति रावण ने देवी सीता का अपहरण कर लिया. अपनी अशोक वाटिका में बंधी बना लिया. भगवान राम ने रावण से युद्ध किया. देवी सीता को सह सम्मान वापस अपने साथ अयोध्या लेकर गए. इस तरह वनवास जीवन में कई कठिनाईयों का सामना करने के चौदह वर्ष बाद जब वे अपनी नगरी अयोध्या पहुँचे. उस दिन अमावस्या की काली रात थी. उस अन्धकार को मिटाने के लिए सभी प्रजा जनों ने दीप प्रज्ज्वलित कर अपने राजा राम, रानी सीता एवम लक्ष्मण का स्वागत किया.
इस प्रकार इसे प्रकाश का पर्व कहा जाता हैं.
मनुष्य जीवन में कई कठिनाइयाँ एवम दुःख आते हैं जिनसे बाहर निकल उसे कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ना होता हैं. दीपावली का यह पर्व इसी बात का सन्देश देता हैं कि जीवन सुख दुःख से घिरा हुआ हैं लेकिन यह दोनों ही जीवन भर नहीं होते बल्कि आते जाते रहते हैं इसलिए मनुष्य को अडिगता से इसका स्वीकार करना चाहिये और आगे बढ़ते रहना चाहिये.
दीपावली कब मनाई जाती हैं
दिवाली आश्विन माह की अमावस्या के दिन मनाई जाती हैं. यह पांच दिनों का पर्व होता हैं. हिन्दू पर्व में सबसे महत्व दिवाली का होता हैं.
2024 में कब है दिवाली
2024 में दिवाली 31 अक्टूबर को है, अगर बात की जाए पूजन समय की तो प्रदोषकाल में पूजा की जानी चाहिए. कहते है की दिवाली के दिन जो सही से माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करता है उसके घर में धन और अन्न की कमी कभी नहीं आती है. अगर आप भी अपना आने वाला समय अच्छा करना चाहते हैं तो 2024 की दिवाली को अपने घर पर माँ लक्ष्मी की पूजा सही विधि के साथ जरुर करें. विधि हमने इस आर्टिकल में बता दी है.
दिवाली पूजन विधि ( Diwali puja vidhi)
दिवाली में देवी लक्ष्मी की पूजा का महत्व निकलता हैं. लक्ष्मी जी स्वच्छ स्थानों पर ही वास करती हैं इसलिए दिवाली का उत्सव घर की सफाई से ही शुरू हो जाना चाहिये :
अगर आप घर में परिवारजनों के साथ बिना पंडित के पूजा कर रहे हैं तो केवल इस लक्ष्मी मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं :
ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम: ॥
लक्ष्मी पूजा विधि
- स्वच्छ पूजा योग्य स्थान अथवा घर का मंदिर स्थान, अगर इशान कोण में हो तो अति उत्तम स्थान माना जाता हैं का चयन करे.
- स्थान को पवित्र करे एवम पवित्र आसान बिछाये.
- सबसे पहले लक्ष्मी जी की प्रतिमा अथवा नवीनतम चित्र को पूजा स्थान पर रखे.
- पूजा के लिए सभी सामग्री एकत्र करे जैसे कमल फुल, अबीर, गुलाल, कुमकुम, सिंदूर, कलश, नारियल, अक्षत, नैवेद्य, दीपक, पंचामृत, जल , गंगा जल आदि.
- सबसे पहले गणपति जी एवम कलश की पूजा करें.
- माता लक्ष्मी को कमल पुष्प पर आसीत करें.
- माता लक्ष्मी का आव्हान करे.
- जल से शुद्ध करें. माता लक्ष्मी के चरणों को जल से धोयें.
- पंचामृत से शुद्ध करें. गुलाबजल एवम गंगा जल से स्नान करें.स्वच्छ जल से शुद्ध करें.
- वस्त्र चढायें.
- आभूषण चढायें.
- चन्दन, सिंदूर, कुमकुम , अबीर, गुलाल, इत्र, अक्षत/ चावल एवम पुष्प जिसमे, कमल एवम गुलाब के पुष्प हो तो ज्यादा अच्छा अर्पित करें.
- माता लक्ष्मी की पूजा के बाद घर की तिजौरी, दुकान के गल्ले एवम भोजन कक्ष आदि की पूजा भी करें.
- पूजा के बाद दीप प्रज्ज्वलित करें.
- नेवेद्य अर्पित करें.
- दीपक एवम नैवेद्य को आचमनी में जल लेकर तीन बार उसके चारो तरफ घुमाये इस प्रकार जल अर्पित करें.
- इसके बाद सभी परिवार जनों के साथ आरती करें.
- भगवान के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद ले. अपनी गलतियों की क्षमा मांगे. अपनी मनोकामना कहे.
- पूजा एवम आरती के बाद घर के सभी बड़ो का आशीर्वाद ले.
- सभी को प्रशाद दे.
इस प्रकार अपने परिवार जनों के साथ दिवाली की पूजा करें.दिवाली के दिन कई लोग अपने घरो में सत्यनारायण की कथा भी करवाते हैं.
वर्तमान समय में सभी त्यौहारों का रूप बदलता जा रहा हैं. समय की व्यस्तता एवम आधुनिकता के कारण त्यौहार का रूप बदल रहा हैं. इस प्रकार कई हर त्यौहार के लाभ एवम हानि के बिंदु भी सामने आने लगे हैं.
दिवाली के शुभ लाभ ( Diwali Shubh Labh):
- दीपावली एक बड़ा त्यौहार माना जाता हैं. हिन्दू परिवारों में इसका बहुत अधिक महत्व होता हैं इस कारण पुरे परिवार जन इस त्यौहार को मिलकर मनाते हैं. इस कारण नौकरी अथवा पढाई के कारण दूर गए घर के सदस्य त्यौहार के लिए घर आते हैं. इससे बढ़ती दूरियाँ कम होती हैं.
- नौकरी पढाई एवम कई निजी समस्याओं के कारण लोगो में मानसिक तनाव बढ़ रहा हैं ऐसे में दिवाली जैसे त्यौहार हमेशा सकारात्मक प्रभाव छोड़ते हैं.
- व्यापार में तेजी आती हैं बड़े- बड़े व्यापारियों के साथ- साथ छोटे-छोटे व्यापार भी तेजी से चलते हैं और ये छोटे- छोटे व्यापारी इन त्यौहारों के दिनों में ही साल भर की कमाई कर पाते हैं. इसलिए कहा जाता हैं दीपावली में चाइनिस माल लेने की बजाय इन छोटे व्यापारियों से स्वदेशी माल लेना चाहिये. इससे देश का पैसा देश में रहता हैं और गरीब परिवारों की आजीविका बढ़ती हैं. मिट्टी के दीपक लेना चाहिये.
- सबसे अच्छी परंपरा सफाई की हैं. दिवाली के समय सफाई का बहुत महत्व होता हैं. इससे घरो का साल भर का कचरा घर से बाहर निकलता हैं. घरो की सफाई के साथ- साथ रिसाइकिलिंग के लिए रद्दी एवम अन्य सामान घरो से बाहर आता हैं.इससे बीमारी भी दूर होती हैं.
- दीपावली के कारण आपसी मेल मिलाप बढ़ता हैं इससे समाज में एकता आती हैं.
दीपावली की हानियाँ :
- दीपावली में लंबी छुट्टी दी जाती हैं इसका गलत प्रभाव पड़ता हैं.
- आज के समय में पूजा पाठ एवम आस्था का स्थान दिखावे ने ले लिया हैं जिस कारण अनावश्यक खर्च होते हैं, बिजली एवम पानी जैसे मूल्यवान चीजो का दुरपयोग बढ़ गया हैं.
- फ़िज़ूल खर्ची के कारण परिवारों के बीच मतभेद उत्पन्न होता हैं क्यूंकि सभी की सोच अलग-अलग होती हैं.
- फटाखो को जलाने की परंपरा बढ़ती जा रही हैं जिसके कारण व्यय, दिखावा हो बढ़ ही रहा हैं लेकिन सबसे ज्यादा प्रदुषण एवम हादसे बढ़ गए हैं.
- हर घरों में दीपो के अलावा लाइटिंग से प्रकाश करने का फैशन बढ़ता जा रहा हैं. दीपक भी आवश्यक्ता से अधिक जलाकर तेल का एवम लाइटिंग के कारण बिजली का नुकसान हो रहा हैं.
- अधिक पकवान बनने के कारण स्वास्थ्य ख़राब होता जा रहा हैं.
इस प्रकार हर त्यौहार के कई लाभ हैं तो हानियाँ भी हैं. किसी भी चीज में अगर अधिकता होने लगती हैं तो वह हानि ही पहुँचाती हैं. आज के वक्त में हम सभी पढ़े लिखे हैं हमें हर त्यौहार सादगी से मनाना चाहिये इसका मतलब यह नहीं कि हम त्यौहार मनाना ही बंद कर दे क्यूंकि त्यौहार प्रेम के साथ- साथ देश के आर्थिक स्तर को बढ़ाने में मदद करते हैं. समान्यतः एकता एवम आर्थिक विकास इन दोनों बिन्दुओं को ध्यान में रखकर ही हर धर्म में त्यौहारों की रचना की गई हैं. दीपावली के महत्व, लाभ एवं नुकसान को विस्तार से यहाँ पढ़ें.
इस प्रकार हम सभी को दिवाली का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ एक सीमा में रहकर मनाना चाहिये.
दिवाली पर शायरी ( Diwali Shayari )
जगमग दीपो की माला
चारो और हैं निर्मल उजाला
देहलीज पर सजी हैं सुंदर रंगौली
मीठे पकवानों सी हैं सबकी बोली
चलो भूले मत भेद दिल के
दीपावली मनाये आज फिर मिल के
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दोस्तों की मची हैं धूम
कर रहे हैं बूमाबुम
मस्त सजेगी ये दिवाली
साथ में हैं नयी नवेली घरवाली
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मंगल बेला आई
करो देवी का सत्कार
धन धान मिलेगा अपार
निर्मल मन से करो नमस्कार
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आया हैं दीपो का त्यौहार
तैयारी करी हैं बेशुमार
बस अब हैं यारों का इन्तजार
आयेंगे अपने तब ही सजेगी बहार
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दीपक की ज्वाला सा तेज हो
घर में सुख समृद्धि का समावेश हो
करते हैं भगवान से दुआ
हर कष्ट जीवन के दूर हो
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FAQ
Ans : कार्तिक माह की अमावस्या को
Ans : माता लक्ष्मी की
Ans : 31 अक्टूबर
Ans : 31 अक्टूबर को दोपहर 03:52 से 1 नवंबर को शाम 06:16 मिनिट तक
Ans : तिथि 31 अक्टूबर से शुरु हैं और 1 नवंबर तक है तो कई जगह 1 नवंबर को भी पूजा की जा सकती है.
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