ओणम त्यौहार कहानी एवं पूजा विधि 2024| Onam Festival Kerala History Date In Hindi

ओणम त्यौहार कहानी एवं पूजा विधि 2024 (Onam Festival In Kerala History, Date In Hindi)

भारत में तरह तरह के धर्म के लोग रहते है, ये हम सभी जानते है. यहाँ सभी धर्मों के अपने अपने त्यौहार है, कुछ त्यौहार तो देश के हर कोने में मनाते है, तो कुछ किसी विशेष क्षेत्र या राज्य में मनाये जाते है. भारत के मुख्य त्योहारों की बात करे, तो दीवाली, होली, ईद, बैसाखी, क्रिसमस, दुर्गा पूजा आदि है. दीवाली की बात की जाये तो ये देश का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है, मुख्यरूप से उत्तरी भारत का तो ये बहुत बड़ा त्यौहार है, इसी तरह कलकत्ता में दुर्गा पूजा, पंजाब में बैसाखी मुख्य है. किसी राज्य विशेष के त्योहारों की बात करें, तो दक्षिण भारत के केरल में ओणम त्यौहार उत्तरी भारत के दीवाली जितना ही महत्वपूर्ण है. ओणम को मुख्य रूप से केरल राज्य में मनाया जाता है, जहाँ इसे बड़ी ही धूमधाम से हिन्दू धर्म के द्वारा मनाया जाता है. 

ओणम एक मलयाली त्यौहार है, जो किसानों का फेस्टिवल है, लेकिन सभी लोग ही वहां इसे मनाते है. जिसमें केरल राज्य में लोकल हॉलिडे भी होता है. यहाँ इस दौरान 4 दिन की छुट्टी रहती है.  इस त्यौहार की प्रसिद्धता को देखते हुए, 1961 में इसे केरल का नेशनल फेस्टिवल घोषित कर दिया गया. ओणम का त्यौहार समस्त केरल में 10 दिनों तक मनाया जाता है. भारत सरकार इस रंगबिरंगे त्यौहार को अन्तराष्ट्रीय तौर पर बढ़ावा दे रही है, जिससे ओणम त्यौहार के समय अधिक से अधिक पर्यटक केरल आ सकें. इसका असर देखा भी जा सकता है, भगवान् का देश कहा जाने केरल को देखने के लिए, ओणम के दौरान सबसे अधिक लोग जाते है.

कब मनाया जाता है ओणम पर्व (Onam Festival 2024 Date)

ओणम का त्यौहार मलयालम सोलर कैलेंडर के अनुसार चिंगम महीने में मनाया जाता है. यह मलयालम कैलेंडर का पहला महिना होता है, जो ज्यादातर अगस्त-सितम्बर महीने के समय में ही आता है. दुसरे सोलर कैलेंडर के अनुसार इसे महीने को सिम्हा महिना भी कहते है, जबकि तमिल कैलेंडर के अनुसार इसे अवनी माह कहा जाता है. जब थिरुवोनम नक्षत्र चिंगम महीने में आता है, उस दिन ओणम का त्यौहार मनाया जाता है. थिरुवोनम नक्षत्र को हिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्रवना कहते है.

इस बार सन 2024 में ओणम 15 सितंबर से शुरू होकर 17 सितंबर तक चलेगा. ओणम त्यौहार में थिरुवोनम दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है.

थिरुवोनम नक्षत्र तिथि शुरू14 सितंबर को दोपहर 20:33 से, 
थिरुवोनम नक्षत्र तिथि ख़त्म15 सितंबर को रात्रि 18:50 तक

ओणम त्यौहार का महत्व और क्यों मनाया जाता है (Significance of Onam festival in Kerala)

ओणम एक प्राचीन त्योहार है, जो अभी भी आधुनिक समय में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. ओणम के साथ साथ चिंगम महीने में केरल में चावल की फसल का त्योहार और वर्षा के फूल का त्योहार मनाया जाता है. ओणम त्यौहार की कहानी असुर राजा महाबली एवं भगवान् विष्णु से जुड़ी हुई है. लोगों का मानना है कि ओणम त्यौहार के दौरान राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने, उनके हाल चाल, खुशहाली जानने के लिए हर साल केरल राज्य में आते है. राजा महाबली के सम्मान में यह त्यौहार यहाँ मनाया जाता है.

ओणम त्यौहार के 10 दिन (Onam Ten Days)

दिनमहत्व
अथंपहला दिन होता है, जब राजा महाबली पाताल से केरल जाने की तैयारी करते है.
चिथिराफूलों का कालीन जिसे पूक्क्लम कहते है, बनाना शुरू करते है.
चोधीपूक्क्लम में 4-5 तरह के फूलों से अगली लेयर बनाते है.
विशाकमइस दिन से तरह तरह की प्रतियोगितायें शुरू हो जाती है.
अनिज्हमनाव की रेस की तैयारी होती है.
थ्रिकेताछुट्टियाँ शुरू हो जाती है.
मूलममंदिरों में स्पेशल पूजा शुरू हो जाती है.
पूरादममहाबली और वामन की प्रतिमा घर में स्थापित की जाती है.
उठ्रादोमइस दिन महाबली केरल में प्रवेश करते है.
थिरुवोनममुख्य त्यौहार

ओणम पर्व से जुड़ी कथा (Onam Festival Story in Hindi)

महाबली, पहलाद के पोते थे. पहलाद जो असुर हिरनकश्यप के बेटे थे, लेकिन फिर भी वे विष्णु के भक्त थे. अपने दादा की तरह महाबली भी बचपन से ही विष्णु भक्त थे. समय के साथ महाबली बड़े होते गए और उनका साम्राज्य विशाल होते चला गया. वे एक बहुत अच्छे, पराक्रमी, न्यायप्रिय, दानी, प्रजा का भला सोचने वाले रजा थे. महाबली असुर होने के बाद भी धरती एवं स्वर्ग पर राज्य किया करते थे. धरती पर उनकी प्रजा उनसे अत्याधिक प्रसन्न रहती थी, वे अपने राजा को भगवान् के बराबर दर्जा दिया करते थे. इसके साथ ही महाबली में घमंड भी कहीं न कहीं आने लगा था. ब्रह्मांड में बढ़ती असुरी शक्ति को देख बाकि देवी देवता घबरा गए, उन्होंने इसके लिए विष्णु जी की मदद मांगी. विष्णु जी इसके लिए मान जाते है. हिरनकश्यप और पहलाद की पूरी कहानी को यहाँ पढ़ें.

Onam Festival Essay History

विष्णु जी महाबली को सबक सिखाने के लिए, सभी देवी देवताओं की मदद के लिए माता अदिति के बेटे के रूप में ‘वामन’ बन कर जन्म लेते है. ये विष्णु जी का पांचवां अवतार होते है. एक बार महाबली इंद्र से अपने सबसे ताकतवर शस्त्र को बचाने के लिए, नर्मदा नदी के किनारे अश्व्मेव यज्ञ करते है. इस यज्ञ की सफलता के बाद तीनों लोकों में असुर शक्ति और अधिक ताकतवर हो जाती. महाबली बोलते है, इस यज्ञ के दौरान उनसे जो कोई जो कुछ मांगेगा उसे दे दिया जायेगा. इस बात को सुन वामन इस यज्ञ शाला में आते है. ब्राह्मण के बेटे होने के कारण महाबली उन्हें पूरे सम्मान के साथ अंदर लाता है. महाबली वामन से बोलता है कि वो उनकी किस प्रकार सेवा कर सकता है, उन्हें उपहार में क्या दे सकता है. वामन मुस्कराते हुए कहते है, मुझे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए, बस मुझे तो 3 डग जमीन दे दो.

ये बात सुन महाबली के गुरु समझ जाते है कि ये कोई साधारण बालक नहीं है, वे महाबली को उनकी इच्छा पूरी न करने को कहते है. लेकिन महाबली एक अच्छे राजा थे, वे अपने वचनों के पक्के थे, उन्होंने वामन को हाँ कर दिया. महाबली वामन को अपनी इच्छा अनुसार भूमि लेने के लिए बोलते है. ये बात सुन वामन अपने विशाल रूप में आ जाते है. उनके पहले कदम में सारी धरती समां जाती है, उनके दुसरे कदम में स्वर्गलोक आ जाता है. अब उनके तीसरे कदम के लिए राजा के पास कुछ नहीं होता है, तो अपने वचन को पूरा करने के लिए, राजा अपना सर वामन के पैर के नीचे रख देते है. ऐसा करते ही, राजा धरती में पाताललोक में समां जाते है. पाताललोक में जाने से पहले महाबली से एक इच्छा पूछी जाती है. महाबली विष्णु जी से मांगते है कि हर साल धरती में ओणम का त्यौहार उनकी याद में मनाया जाए, और उन्हें इस दिन धरती में आने की अनुमति दी जाये, ताकि वे यहाँ आकर अपनी प्रजा से मिलकर, उनके सुख दुःख को जान सकें.

ओणम मनाने का तरीका (Onam Festival Celebrations Kerala)

  • ओणम त्यौहार की मुख्य धूम कोच्ची के थ्रिक्कारा मंदिर में रहती है. इस मंदिर में ओणम के पर्व पर विशेष आयोजन होता है, जिसे देखने देश विदेश से वहां लोग पहुँचते है. इस मंदिर में पुरे दस दिन एक भव्य आयोजन होता है, नाच गाना, पूजा आरती, मेला, शोपिंग यहाँ की विशेषताएं है. इस जगह पर तरह तरह की प्रतियोगिताएं भी होती है, जिसमें लोग बढचढ कर हिस्सा लेते है.
  • ओणम के दस दिन के त्यौहार में पहले दिन अन्थं होता है, जिस दिन से ओणम की तैयारियां चारों ओर शुरू हो जाती है. ओणम के लिए घर की साफ सफाई चालू हो जाती है, बाजार मुख्य रूप से सज जाते है. चारों तरफ त्यौहार का मौहोल बन जाता है.
  • पूक्कालम फूलों का कालीन विशेष रूप से ओणम में तैयार किया जाता है. इसे कई तरह के फूलों से तैयार किया जाता है. अन्थं से थिरुवोनम दिन तक इसे बनाया जाता है. ओणम के दौरान पूक्कालम बनाने की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती है.
  • मार्किट में किसानों के लिए विशेष सेल लगाई जाती है, इसके साथ ही कपड़ो, गहनों के भी मार्किट लगाये जाते है.
  • नाव की रेस (Snake boat race) जिसे वल्लाम्काली कहते है, उसकी तैयारी जोरों शोरों से होती है. इस रेस का आयोजन ओणम के बाद होता है. इस नाव की रेस का आयोजन भारत के सिर्फ इस हिस्से में होता है, जो पुरे विश्व में प्रसिध्य है.
  • ओणम त्यौहार के समय छुट्टी भी होती है, जिससे लोग अपने अपने होमटाउन, अपने लोगों के साथ इस त्यौहार को मनाने के लिए जाते है.
  • आठवें दिन, जिसे पूरादम कहते है, महाबली एवं वामन की प्रतिमा को साफ़ करके, अच्छे से सजाकर घर एवं मंदिर में प्रतिष्ठित किया जाता है.
  • आखिरी दसवें थिरुवोनम के दिन चावल के घोल से घर के बाहर सजाया जाता है, जल्दी लोग नहाधोकर तैयार हो जाते है. घर को अच्छे से लाइट के द्वारा सजाया जाता है.
  • ओणम त्यौहार में नए कपड़े खरीदने एवं उसे पहनने का विशेष महत्व होता है. इसे ओनाक्कोदी कहते है.
  • जैसे महाबली दानवीर थे, इसलिए इस त्यौहार में दान का विशेष महत्व होता है. लोग तरह तरह की वस्तुएं गरीबों एवं दानवीरों को दान करते है.
  • ओणम के आखिरी दिन बनाये जाये वाले पकवानों को ओणम सद्या कहते है. इसमें 26 तरह के पकवान बनाये जाती है, जिसे केले के पत्ते पर परोसा जाता है.
  • ओणम के दौरान केरल के लोक नृत्य को भी वहां देखा जा सकता है, इसका आयोजन भी वहां मुख्य होता है. थिरुवातिराकाली, कुम्मात्तिकाली, कत्थककली, पुलिकाली आदि का विशेष आयोजन होता है.
  • वैसे तो ओणम का त्यौहार दसवें दिन ख़त्म हो जाता है, लेकिन कुछ लोग इसे आगे दो दिन और मनाते है. जिसे तीसरा एवं चौथा ओणम कहते है. इस दौरान वामन एवं महाबली की प्रतिमा को पवित्र नदी में विसर्जित किया जाता है. पूक्कालम को भी इस दिन हटाकर, साफ कर देते है.

10-12 दिन का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ ख़त्म होता है, जिसे केरल का हर इन्सान बहुत मन से मनाता है.  इस रंगबिरंगे अनौखे त्यौहार में पूरा केरल चमक उठता है. 

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FAQ

Q : ओणम का त्यौहार 2024 में कब है ?

Ans : 15 सितंबर

Q : ओणम का त्यौहार कब तक है ?

Ans : 17 सितंबर तक

Q : ओणम का त्यौहार कितने दिन का होता है ?

Ans : 10 दिन का

Q : ओणम 2024 का शुभ मुहूर्त कब से कब तक का है ?

Ans : 14 सितंबर की 20:33 से 15 सितंबर को 18:50 तक

Q : ओणम में विशेष दिन को किस नाम से जानते हैं ?

Ans : थिरुवोनम

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Anubhuti
यह मध्यप्रदेश के छोटे से शहर से है. ये पोस्ट ग्रेजुएट है, जिनको डांस, कुकिंग, घुमने एवम लिखने का शौक है. लिखने की कला को इन्होने अपना प्रोफेशन बनाया और घर बैठे काम करना शुरू किया. ये ज्यादातर कुकिंग, मोटिवेशनल कहानी, करंट अफेयर्स, फेमस लोगों के बारे में लिखती है.

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