काईट फेस्टिवल 2024 या पतंगों का त्योहार का इतिहास क्या है, क्यों मनाया जाता है, निबंध, वैज्ञानिक महत्व, मकर संक्रांति कब है, लोहड़ी, पोंगल, कहानी (Kite festival India date, history in hindi) (Makar Sankranti, Lohari, Pongal, Story)
भारत देश में हर साल कई तरह के त्योहार मनाए जाते हैं और इन्हीं त्योहारों में से एक त्योहार है, पतंगों का त्योहार. जी हां, पतंगों के त्योहार को काफी उत्साह से पूरे भारत में मनाया जाता है. इस दिन काफी अलग-अलग किस्म की पतंगे आसमान में देखने को मिलती है. इतना ही नहीं भारत में प्रत्येक वर्ष अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव को मनाया जाता है. आखिर क्या अहमियत है इस त्योहार की और किस तरह से मनाया जाता है ये त्योहार. इसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं.
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कब मनाया जाता है पतंगों का त्योहार (when is Kite Festival in 2024)
नए साल की शुरुआत होते ही हमारे त्योहार मनाने का भी आगाज हो जाता है. जनवरी के महीने में 13 तारीख को जहां उत्तर भारत में लोहड़ी मनाने में लग जाते है. वहीं उसके अगले दिन यानी 14 तारीख को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है. मकर संक्रांति के दिन ही भारत में पतंग उड़ाने का रिवाज है. इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और बाद में खिचड़ी का सेवन करते हैं. खिचड़ी खाने के अलावा लोग कई तरह के दान भी किया करते हैं. इस दिन दान करना काफी अच्छा माना जाता है. दान करने के बाद लोग पतंग उड़ाकर इस दिन का जश्न मनाते हैं. इतना ही नहीं इस दिन तिल और गुड़ को भी खाने का रिवाज है. गुड के गुण फायदे के भी अपने फायदे होते है.
भारत में मकर संक्रांति त्योहार कब है (Makar Sankranti and Kite Festival in India)
इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी के दिन हैं. मकर संक्रांति को भारत में अनेक नामों से जाना जाता है. इस त्योहार को कोलकता में पौष सांगक्रान्ति कहकर पुकारते है. वहीं तमिलनाडु में इस त्योहार को पोंगल कहा जाता है और गुजरात में इस त्योहार को उत्तरायण के नाम से जाना जाता है. इस त्योहार को बेशक कई नाम हैं मगर इस दिन हर कोई पतंग जरूर उड़ाता है और पवित्र नदियों में स्नान करता है. इतना ही नहीं पावन त्यौहार को गुजरात राज्य में पतंगबाजी का मुकाबला भी रखा जाता है और लोग कई तरह की पतंगें उड़ाने का आनंद लेते हैं.
मकर संक्रांति क्यों मनाते है (why celebrate Makar Sankranti festival)
हिन्दू धर्म के अनुसार इस दिन सूर्य भगवान मकर राशि के अंदर दाखिल होते है. वहीं इस दिन के बाद से मौसम में भी बदलाव आता है और ठण्ड थोड़ी कम हो जाती है. किसानों के लिए इस दिन का खास महत्व हैं. इस दिन के बाद से किसान अपनी फसलों की कटाई करना शुरू कर देते हैं. पूरे साल में कुल बारह संक्रांति आती हैं, लेकिन जनवरी के महीने में आने वाली इस संक्रांति को काफी शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन सूरज की उत्तरायण गति प्रारम्भ करते हैं. उत्तरायण का मतलब सूरज पूर्व से उत्तर की ओर गमन करते है और इस गमन के दौरान सूरज की किरणों को अच्छा माना जाता है. वहीं जब सूरज पूर्व से दक्षिण की ओर गमन करता है, तब उनकी किरणों को खराब माना जाता है. सूरज की इसी उत्तरायण गमन के चलते गुजरात में इस त्योहार को उत्तरायण कहा जाता है.
गुजरात का अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव ( उत्तरायण) (International kite Festival In Gujrat)
गुजरात राज्य हर साल उत्तरायण या मकर संक्रांति के दिन अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव का बड़े स्तर पर आयोजन करता है. इस आयोजन में हिस्सा लेने के लिए भारत के दूसरे राज्यों सहित कई देशों के लोग आते हैं. इतना ही नहीं इस दिन पतंग बाजी का भी मुकाबला रखा जाता है. जिसमें लोग बढ़ चढकर हिस्सा लेते हैं. इस त्योहार को मनाने के लिए हर साल लाखों की संख्या में लोग गुजरात राज्य जाते हैं. वहीं गुजरात राज्य में इस दिन को लेकर खासा कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है और कई दिन पहले ही राज्य में कई तरह के कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं. यहां की दुकानों में आपको कई तरह की पतंगे देखने को मिलती हैं. इस महोत्सव के दिन आसमान पूरी तरह से रंगीन हो जाता है.
अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव 2024 में कब है (Kite festival or Uttarayan dates in hindi)
इस साल भी गुजरात राज्य के अहमदाबाद शहर में अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव का आयोजन आरम्भ हो गया है. ये महोत्सव 6 जनवरी से शुरू होकर 15 जनवरी तक ही देखा जा सकता है. पतंगों के अलावा कई तरह के कार्यक्रमों का उदघाटन भी इस दौरान किया जाएगा. अहमदाबाद के अलावा गुजरात के अन्य शहरों जैसे सूरत, गांधीनगर और राजकोट में भी इस त्योहार को लेकर कई आयोजन किए जाते हैं. गुजरात के अलावा राजस्थान, दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाड़ु राज्य में भी इस त्योहार को मनाया जाता है. दिल्ली में कई जगहों पर इस दिन के लिए विशेष आयोजन किए जाते हैं, जहां पर कई तरह की पतंगे देखने को मिलती है. इस दिन को लेकर राज्य सरकार द्वारा खासे इंतजाम किए जाते हैं.
पतंगो का इतिहास (Facts about kites in Ancient China)
जिस तरह हर चीज के पीछे कोई ना कोई इतिहास जुड़ा होता है उसी तरह पतंगों को लेकर भी एक इतिहास है. कहा जाता है कि करीब 2,800 साल पहले पतंग उड़ाने की शुरुआत चीन देश ने शुरू की थी. चीन में पतंग का आविष्कार मोजी और लू बैन नाम के दो व्यक्तियों ने किया था. उस वक्त पतंग का इस्तेमाल बचाव अभियान के लिए एक संदेश के रूप में, हवा की तीव्रता और संचार के लिए किया जाता था. लेकिन 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व जिन उद्देश्यों से पतंग का आविष्कार किया गया था, वो उद्देश्य इस वक्त बदल से गए हैं और अब पतंग को केवल मनोरजन के रुप में इस्तेमाल किया जाता है.
दुनिया भर में उड़ाई जाती हैं पतंग (History of Kites facts)
चीन से शुरू हुआ पतंग उड़ाने का ये चलन धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैल गया और इस समय दुनिया के कई देशों में पतंग उड़ाई जाती है. इन देशों की सूची में भारत, अमेरिका, मलेशिया और जर्मनी जैसे देशों के नाम शामिल हैं. वहीं हर देश में अलग-अलग कारणों के चलते पतंग उत्सव मनाया जाता है. जैसी चिली देश में स्वतंत्रता दिवस के दौरान वहां के निवासी पतंग उड़ाकर अपना स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं. वहीं जापान में भी पतंग बाजी उनके देवता को खुश करने के लिए हर साल मई के महीने में की जाती है. इसके अलावा अमेरिका में जून के महीने में पतंग से जुड़े कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. जिनमें वहां के लोग और बच्चे बढ़ चढकर हिस्सा लेते हैं. भारत में भी स्वतंत्रता दिवस के दिन और मकर संक्रांति के दिन पतंगें आसमान में उड़ती हुई देखी जाती हैं.
पतंग के त्यौहार पर कविता (Kites Festival Kavita)
आई रे, आई याद चली आई ,
वो खेलना कूदना, वो छुपम छुपाई|
वो छुट्टी के दिन, वो आलस भरी अंगड़ाई,
रंग बिरंगी पतंगे हमने खूब उड़ाई |
गिल्ली डंडे की आवाज भी लगाई,
कागज की कश्ती पानी में चलाई |
बारिश के गड्ढो में छलांग भी लगाई,
वो किताबों की दुनियां, वो परीक्षा की घड़ियाँ |
वो पढना पढाना, वो आंसू बहाना,
वो दोस्तों से लड़ना, वो रूठना मनाना|
मुझे याद आता है, वो बचपन सुहाना,
यादों से भरा ,मेरा बचपन सुहाना ||
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FAQ
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Ans : 6 जनवरी
Ans : 15 जनवरी तक
Ans : 15 जनवरी
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