what is UCC and CAA in Hindi , Full Form, Meaning, kya hai, Law, Latest News (UCC और CAA क्या है ?)
उत्तराखंड के सीएम धामी और केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर के बयानो के कारण देश में समान नागरिक संहिता (UCC) और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के लागू होने की चर्चा फिर से शुरू हो गई है, और इन दोनों कानूनों के लागू होने पर क्या-क्या बदल सकता है, यह एक महत्वपूर्ण विषय बन गया है। UCC का मतलब है सामान नागरिक संहिता, जो धर्म के बावजूद सभी नागरिकों के लिए एक सामान कानून प्रदान करेगा, और CAA नागरिकता से जुड़ा कानून है, जिसके लागू होने से अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिलेगी। इस लेख में, हम इन दोनों कानूनों के महत्वपूर्ण पहलुओं को जानेंगे।
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UCC और CAA क्या हैं?
UCC का मतलब है यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी सामान नागरिक संहिता. इसका मतलब है कि भारत में सभी नागरिकों के लिए एक सामान कानून होगा, चाहे वो हिन्दू हों या मुस्लिम. इससे शादी, बच्चा गोद लेना, तलाक और उत्तराधिकार से जुड़े कानून सभी धर्मों के लिए एकसामान हो जाएंगे.
यूसीसी लागू होने पर भारत दुनिया का एकमात्र देश नहीं होगा जहां इसे लागू करने की तैयारी है. इससे पहले अमेरिका, इंडोनेशिया, आयरलैंड, मिस्र, मलेशिया, पाकिस्तान और बांग्लादेश समेत कई ऐसे देश हैं जहां यह पहले से ही लागू है. इन देशों में धर्म कोई भी हो, सभी को एक ही कानून का पालन करना पड़ता है.
अब CAA की ओर बढ़ते हैं. CAA यानी सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट और यह नागरिकता से जुड़ा कानून है. इसके लागू होने पर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए उन लोगों को नागरिकता मिल जाएगी जो दिसम्बर 2014 से पहले किसी न किसी तरह की प्रताड़ता से तंग होकर भारत आए थे. इसमें गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों जैसे- हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शामिल है.
क्या लोकसभा चुनाव से पहले लागू होगा यूनिफ़ोर्म सिविल कोड और इसके लागू होने पर क्या परिवर्तन आएंगे –
CAA और UCC अब तक लागू क्यों नहीं हुए ?
पहली बार, यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) के लागू होने का प्रयास 2016 में लोकसभा में किया गया था, इसके बाद इसे राज्यसभा में भेज दिया गया, लेकिन वहां पर इस पर रोक लग गई। इसके पश्चात्, 2019 के चुनावों में फिर से मोदी सरकार बनी, जिसके तुरंत बाद यह कोड दोबारा लोकसभा में पास कर दिया गया, और इसके बाद राज्यसभा में भी इस पर मुहर लग गई। दोनों सदनों में पास होने के बाद, 10 जनवरी 2020 को इसकी राष्ट्रपति की मंजूरी मिली, लेकिन यह कोड अब तक लागू नहीं हुआ है।
CAA और UCC को लेकर विवाद और प्रदर्शन होने के कारण इन्हें अब तक लागू नहीं किया जा सका है. सरकार का कहना है कि तब तक लैंगिक समानता नहीं लागू हो सकती जब तक देश में समान नागरिक संहिता नहीं होती. हालांकि, विरोधकों का मानना है कि इससे समानता नहीं आ सकती.
कुछ लोगो का यह कहना बंता है कि यूसीसी को लेकर कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब अभी तक नहीं मिले हैं. इससे जुड़े शादी, तलाक, उत्तराधिकार और बच्चा गोद लेने जैसे मामलों में कौनसा नियम लागू होगा, यह तय नहीं हुआ है.
इस कानून का सबसे ज्यादा विरोध पूर्वोत्तर में हुआ है. यहां के लोगों कि अपनी विशेष पहचान है और वे चाहते हैं कि उनके राज्य में आने वाले लोगों को नागरिकता न मिले, क्योंकि इससे उनके हक का बंटावारा हो सकता है. उनका मानना है कि उनके संसाधनों पर उनका अधिकार है और उनका यह मानना है कि ऐसे होने पर वे अन्य राज्यों से पीछे रह जाएंगे।
FAQ –
ans, यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का प्रयास पहली बार 2016 में किया गया था।
ans, नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) का मतलब है “सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट”।
ans, CAA के लागू होने से वो लोग नागरिकता प्राप्त करेंगे जो दिसम्बर 2014 से पहले किसी न किसी तरह की प्रताड़ना से तंग होकर भारत आए थे, जैसे- हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, और ईसाई।
ans, यूसीसी के लागू होने से सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा, जिससे शादी, तलाक, उत्तराधिकार, और बच्चा गोद लेने जैसे कानून समान होंगे। CAA के लागू होने से अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिलेगी जो दिसम्बर 2014 से पहले भारत आए थे, जिसमें हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, और ईसाई शामिल हैं।
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