पंबन ब्रिज के बारे में भला कौन नहीं जनता हैं क्योंकि यह भारत का सबसे बड़ा और प्राचीन समुद्री मार्ग हैं जो एक रेलवे पुल के नाम से जाना जाता हैं, जो तमिलनाडु से रामेश्वरम के बीच में मन्नार की खाड़ी में हैं. यह लगभग 100 से 110 साल पुराना हों गया हैं. वर्तमान मे यह चर्चा का विषय क्यों बना हुआ हैं? चलिए इसके बारे मे जानने की कोशिस करते हैं.
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पंबन ब्रिज न्यूज़
अभी हाल ही में भारत की राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान में एक मेले का आयोजन किया गया हैं जिसका नाम भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला कहा जाता हैं. यहाँ पर बहुत सी प्रदर्शनी लगी हुई हैं जिसमें रेलवे ने अपनी भी प्रदर्शनी लगाई हैं और वही पर इस ब्रिज की चर्चा की गयी हैं और साथ ही साथ यह बताया गया हैं की यह जो ब्रिज बनेगा, वो किस प्रकार से कार्य करेगा उसे रेलवे ने मॉडल के माध्यम से समझाया हैं कि यह किस प्रकार से समुद्र रेल मार्ग मे कार्य करेगा और समुद्री जहाज भी बड़ी आसानी से निकल जायेगा यह सब मॉडल के द्वारा समझाया गया हैं.
पंबन ब्रिज कहां बन रहा है
यह देश का सबसे पहला हाइड्रोलिक रेल ब्रिज हैं जो 2024 से निर्माण कार्य सम्पन्न होने के बाद यह ब्रिज शुरू हो सकता हैं.यह जो पुल का निर्माण कार्य किया जा रहा हैं वह तमिलनाडु से रामेश्वरम के बीच में मन्नार की खाड़ी में सम्पन्न किया जायेगा.
नया आकर का बना ब्रिज (हाइड्रोलिक रेल ब्रिज) कैसे कार्य करेगा
दिल्ली के प्रगति मैदान में अंतर्राष्ट्रीय मेले में इस ब्रिज के बारे में मॉडल के जरिए समझाया गया हैं कि यह ब्रिज किस प्रकार से कार्य करेगा. जिससे ना तो रेलवे में किसी भी प्रकार की बाधा आएगी और ना समुद्री जहाज के आने जाने में बाधा आएगी. तो हम आपको यहाँ पर यह बता देते हैं की यह ब्रिज कैसे कार्य करेगा क्योंकि आप ने एक नया नाम सुना होगा हाइड्रोलिक रेल ब्रिज हैं जो अपने आप ऊपर-नीचे हों जायेगा. जब रेल आएगी तब वह ब्रिज नीचे हो जायेगा और जब कोई समुद्री जहाज आएगा तो वह ब्रिज अपने आप ऊपर उठ जायेगा और दोनों के यातायात में किसी भी प्रकार की रुकावट नहीं आएगी. यह रेलवे की तरफ से दी गई एक नयी सौगात हैं क्योंकि जो हमारा पंबन ब्रिज हैं वह काफी पुराना हो गया हैं उसको एक योजना और भारत का पहला हाइड्रोलिक ब्रिज का निर्माण कार्य करना एक सराहनीय कार्य हैं. जिससे भारत देश एक नयी उपलब्धि की ओर आगे बढ़ेगा.
पंबन ब्रिज का इतिहास क्या हैं
पंबन ब्रिज वर्तमान समय में चर्चा का विषय बना हुआ हैं मगर यह वर्तमान का विषय नहीं हैं इसके पीछे बहुत बड़ा इतिहास हैं क्योंकि यह जो हमारा पंबन ब्रिज हैं वह आज का ब्रिज नहीं हैं वह कम से कम 100 से 110 साल पुराना ब्रिज हैं जब ब्रिटिश का शासन था तब इसका निर्माण कार्य हुआ था, क्युकी व्यापार करने में आसानी हों सके इसलिए इस ब्रिज को बनाया गया था आज इस ब्रिज की कायाकल्प बदली जा रही हैं. इस ब्रिज का निर्माण सन् 24 फरवरी 1914 को खोला गया यह भारत का सबसे पहला समुद्री पुल था यह पारंपरिक पुल कंक्रीट पर टिका हुआ हैं. यह पुल भारत के मुख्य भुमि (तमिलनाडु) से रामेश्वरम् को जोड़ने के लिए बनाया गया था. अधिकारियों के द्वारा बताया गया हैं कि यह ब्रिज 2.06 किलो मीटर लंबा हैं.
पंबन ब्रिज का कार्य कब तक पूरा हो जायेगा
पंबन ब्रिज एक प्रकार का समुद्री रेलवे ब्रिज हैं जो हमें एक द्वीप से हमारे भारतीय भू क्षेत्र से जोड़ता हैं अधिकारियों के द्वारा यह बताया गया हैं की इस ब्रिज का कार्य 2024 तक पुरा हो सकता हैं अगर देखा जाए तो यह कार्य 2019 से चल रहा हैं और यह कयास लगाए जा रहे हैं की 2024 के फरवरी तक निर्माण कार्य पूरा होकर सभी ट्रेनें सुचारु रुप से चलने लगेगी और आने जाने वालों के लिए दिक्कतें कम हों जायेगी. इसके निर्माण कार्य में समय इसलिए लग रहा हैं क्योंकि इसका निर्माण कार्य नई टेक्नोलॉजी से किया जा रहा हैं.
यह ब्रिज यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं
भारत देश का यह पहला समुद्री रेलवे ब्रिज अपनी खूबियों के कारण यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करने में कमी नहीं छोड़ता हैं क्योंकि इस ब्रिज के चारों तरफ समुद्र हैं और इसकी बनावट की खासियत के कारण इसे लोग दूर-दूर से देखने के लिए आते हैं क्योंकि यह 2 किमी से लंबा रास्ता हैं और यहाँ पर बहुत से समुद्री जहाज, मछुहारे और समुद्र की नायाब चीजें देखने को मिलती हैं और यह ब्रिज अपने आप में एक नायाब बनाया हुआ अजूबा हैं जिसे देखने के लिए दूर-दूर से यात्री यहाँ पर आते हैं.
नए पंबन ब्रिज की खासियत
यह नई टेक्नोलॉजी से, इस नये पंबन ब्रिज में 18.3 मीटर के 99 स्पैन और 72.5 मीटर के क्लीयर स्पेन का एक ऊर्ध्वाधर लिफ़्ट स्पेन शामिल किया गया हैं. इस नए रेलवे पुल पर दो रेलवे लाइन का निर्माण किया गया हैं जिसके कारण अवागमं में किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होंगी. रेलवे पुल के एक से दूसरी तरफ जहाजों की आवाजाही के लिए इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सिस्टम से नविगेशन स्पैन को 17 मीटर तक ऊपर उठाया जा सकता हैं जिससे जहाज आसानी से निकल सके.
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