त्योहारों के समय रेलवे स्टेशन यात्रियों के खचाखच भरा रहता है. इतनी भीड़ होने से लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी होती हैं कंफ़र्म टिकेट न होने की. लेकिन यात्रियों की इस परेशानी को देखते हुए रेलवे द्वारा एक स्कीम बनाई जा रही है. जिसके तहत यात्रियों को कंफ़र्म टिकेट न होने की परेशानी से छुटकारा मिल जायेगा. आइये जानते हैं क्या है वह योजना.
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इंडियन रेलवे की नई स्कीम
भारतीय रेलवे द्वारा यात्रियों की परेशानी को देखते हुए एक अहम फैसला लिया गया है, कि अब वे ऐसी स्कीम लेकर आएंगे जिससे हर एक यात्री को कंफ़र्म टिकेट मिलेगा. क्योकि अब रेलवे बड़ी विस्तार योजनाओं को लेकर आ रहा है, जिसके तहत हर दिन नई ट्रेनें जोड़ी जाएगी.
इंडियन रेलवे की नई योजना से क्या है फायदा
हालही में दिवाली और छठ पूजा के चलते रेलवे स्टेशनों में काफी भीड़ देखी गई, और भीड़ इतनी कि कहा जा रहा है कि बिहार के एक रेलवे स्टेशन में भीड़ के चलते ट्रेन में चढने की कोशिश करने की वजह से एक 40 साल के व्यक्ति की मौत भी हो गई. इसी घटना को देखते हुए रेलवे द्वारा यह डिसिशन लिया गया है.
कैसे मिलेगा हर यात्री को कंफ़र्म टिकेट
रेलवे की नई योजना के मुताबिक हर साल नए ट्रैक बिछाएं जायेंगे, और हर साल 4 से 5 हजार किलोमीटर ट्रैक का नेटवर्क बिछाया जायेगा. वर्तमान में प्रतिदिन 10,748 ट्रेनें चल रही हैं, लेकिन अब इसकी संख्या को बढ़ाकर 13,000 प्रतिदिन करने का लक्ष्य तय किया जा रहा है. इससे 3-4 वर्षों में 3000 नई ट्रेनें ट्रैक पर उतर सकेंगी. हर साल करीब 800 करोड़ यात्री ट्रेन से यात्रा करते हैं, लेकिन अब इसकी संख्या आने वाले समय में 1,000 करोड़ तक बढ़ा सकेगी. रेलवे यात्रा में लगने वाले समय को कम करने के लिए भी काम कर रहा है, जिसमें ज्यादा पटरियां बिछाना, स्पीड बढ़ाना शामिल है.
कैसे बढ़ेगी ट्रेनों की स्पीड
स्पीड बढ़ाने के लिए एक्सेलरेशन और डिस्लेरेशन को बढ़ाना आवश्यक है ताकि ट्रेन को रुकने और गति प्राप्त करने में कम समय लगे। रेलवे के एक अध्ययन के अनुसार, यदि एक्सेलरेशन और डिस्लेरेशन में वृद्धि की जाए, तो दिल्ली से कोलकाता की यात्रा में दो घंटे बीस मिनट बचा सकता है। उसी तरह, पुश और पुल तकनीक एक्सेलरेशन और डिस्लेरेशन में सहायक होगी। वर्तमान में, लगभग 225 ऐसी ट्रेनें प्रति वर्ष निर्मित की जा रही हैं, जिनमें पुश पुल तकनीक का उपयोग हो रहा है। वंदे भारत जैसी मुख्य ट्रेन की एक्सेलरेशन और डिस्लेरेशन क्षमता, वर्तमान ट्रेनों की तुलना में चार गुना अधिक है।
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