क्या है डिटेंशन सेंटर और भारत देश में क्यों बनाए जा रहे हैं? [Detention Centre in Hindi, Assam, Camp]
यह बात तो सब कहते हैं कि यह भारत देश में दिन-प्रतिदिन जनसंख्या का घनत्व बढ़ता जा रहा है परंतु इसके पीछे छुपे कारणों को कोई भी पहचानने की कोशिश नहीं करता है। परंतु ऐसी पहल मोदी सरकार ने की है जिन्होंने भारत में डिटेंशन सेंटर बनाने की बात कही है। जब से नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा डिटेंशन सेंटर के बारे में घोषणा की गई है तभी से सबके मन में उत्सुकता है यह बात जानने के लिए आखिरकार डिटेंशन सेंटर है क्या तो चलिए हम आपको बताते हैं विस्तार से…
क्या होता है डिटेंशन सेंटर?
सरल शब्दों में बात की जाए तो डिटेंशन सेंटर कुछ ऐसे सेंटर है जहां पर देश में पाए गए बाहर देश के घुसपैठियों को रखा जाता है, जिनके पास भारत में रहने के लिए किसी भी प्रकार की अनुमति जैसे वीजा नहीं है। ऐसे सैंटरों को नजरबन्द केंद्र तो कहा जा सकता है परंतु जेल नहीं। जिसमें भारत के दी फॉरेनर्स एक्ट के सेक्शन 3(2) (सी) के तहत उन नागरिकों को रखा जाता है जिन से संबंधित कोई भी जानकारी सरकार के पास मौजूद ना हो और वे किसी और देश से आकर भारत में रह रहे हो। उन व्यक्तियों पर कार्यवाही की जाती है और उनकी पूरी तरह से जांच पड़ताल करके उन्हें उनके देश वापस भेजने की पूरी प्रक्रिया इन डिटेंशन सेंटर के द्वारा ही की जाती है।
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सबसे पहले कब बनाए गए थे डिटेंशन सेंटर
सबसे पहले डिटेंशन सेंटर की स्थापना साल 2009 में कांग्रेस सरकार के राज में की गई थी। उस समय मनमोहन सिंह की सरकार सत्ता में थी और पी चिदंबरम गृह मंत्री के पद पर आसीन थे। भारत देश में सरकार द्वारा घुसपैठियों की लिस्ट को लेकर कोर्ट में हलफनामा दायर किया गया था जिसके बाद उस लिस्ट में दर्ज किए हुए सभी घुसपैठियों का पूरा ध्यान रखा गया और उनके बारे में सभी जानकारियों को इकट्ठा किया गया ताकि पाए गए घुसपैठिए कहीं इधर-उधर ना गायब हो जाए। इसलिए उनको एक साथ रखने के लिए इन डिटेंशन सेंटर का निर्माण किया गया था।
भारत देश में विदेशियों का आंकड़ा
सरकार के कुछ अनुमानित आंकड़ों के अनुसार सन 1985 ले से लेकर आज के दिन तक लगभग 29 हजार लोगों को विदेशी घोषित किया जा चुका है। इस आंकड़े के अतिरिक्त 72 हजार लोग ऐसे भी हैं जिनके पास भारत में रहने की कोई वजह नहीं है और उनके पास ऐसा कोई सबूत मौजूद नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि वे भारत के नागरिक हैं। भारत के कई राज्यों में ऐसे लोग मौजूद हैं जिनका कोई पता ठिकाना नहीं है और ना ही उनके पास अपनी कोई पहचान है ऐसे ही लोगों को भारत में घुसपैठियों का नाम दिया जाता है और इनकी लिस्ट को इकट्ठा करके इन्हें डिटेंशन सेंटर में रखने की योजना बनाई जाती है।
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पूरी दुनिया में डिटेंशन सेंटर
पूरी दुनिया का सबसे पहला इमीग्रेशन डिटेंशन सेंटर 22 अप्रैल 1370 में फ्रांस में बनवाया गया था, जिसका निर्माण करने का आदेश फ्रांस के राजा चार्ल्स ने दिया था। राजा चार्ल्स ने उस डिटेंशन सेंटर में पड़ोसी देश से आए प्रवासियों और युद्ध के दौरान बंदी बनाए गए लोगों को रखने के लिए इसका निर्माण कराया था जिसे बेसिले सेंट एंटोनी के नाम से जाना जाता था।
इसके बाद यूएस के न्यूजर्सी में सन 1892 में एलिस आईलैंड इमीग्रेशन स्टेशन नाम का डिटेंशन सेंटर बनाया गया था। पूरी दुनिया भर में डिटेंशन सेंटर बनाए जा चुके हैं अमेरिका के बाद भारत ही ऐसा दूसरा देश है जहां पर एक बड़े पैमाने पर डिटेंशन सेंटर का निर्माण किया जा रहा है जिसमें डिटेंशन सेंटर में रहने वाले नागरिकों के लिए एक हॉस्पिटल उनके साथ रहने वाले बच्चों के लिए प्राइमरी स्कूल और महिलाओं के लिए अलग से विशेष सुविधाएं प्रदान की जाने वाली हैं।
भारत सरकार की भविष्य योजना यही है कि वह पूरे देश के प्रत्येक राज्य में 1 से अधिक डिटेंशन सेंटर बनाना चाहते हैं. फिलहाल अभी यह योजना असम में कार्यान्वित की जा चुकी है जहां पर एक बहुत बड़े पैमाने पर असम राज्य के लिए एक डिटेंशन सेंटर बनाया जा रहा है। भारत के प्रत्येक राज्य से घुसपैठियों को निकाल कर एक जगह पर इकट्ठा करके उनकी जांच पड़ताल करने के बाद उनके देश की एंबेसी से बात कर के उन्हें वापस उनके देश में भेजने की संपूर्ण प्रक्रिया इन डिटेंशन सेंटर द्वारा ही की जाएगी।
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डिटेंशन सेंटर में दी जाएंगी आधार भूत सुविधाएँ
डिटेंशन सेंटर में रखने वाले सभी विदेशी नागरिकों को उनकी प्रत्येक आधार भूत सुविधाएँ दी जाएंगी जैसे महिलाओं व बच्चों को विशेष सुविधाएँ उनको पढ़ाने लिखाने के लिए प्राइमरी आदि। डिटेंशन सेंटर में बनाए गए सभी कमरे रोशनी वह हवा से भरपूर है वहां पर रहने वाले लोग के लिए साफ-सफाई बिजली-पानी संचार संबंधी प्रत्येक सुविधा का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। ऐसा नहीं है कि डिटेंशन सेंटर में विदेशी नागरिकों को रख कर उन्हें जेल में दी जाने वाली प्रताड़ना या सजाएं दी जाएंगी। बल्कि उनको वहां पर रखकर पूरी तरह से सभी प्रकार की सहूलियत दी जाएंगी जिसमें से पुरुषों और महिलाओं के लिंग को ध्यान में रखते हुए उन्हें अलग-अलग कमरे दिए जाएंगे। वहीं यदि कोई विदेशी परिवार वहां दाखिल होता है तो परिवार के लिए अलग से कमरों का निर्माण किया गया है।
डिटेंशन सेंटर की सुरक्षा
सरकार द्वारा यह डिटेंशन सेंटर पूरी तरह से सुरक्षित बनाए गए हैं जिसमें सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और साथ ही संपूर्ण सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मियों की तैनाती भी की गई है। अतिरिक्त सुरक्षा के लिए इन डिटेंशन सेंटर के चारों तरफ 10 फीट की दीवार बनाई गई है और उन पर कटीले तार भी लगाए गए हैं ताकि वहां से कोई भाग ना सके और अंदर जाकर कोई उपद्रव ना मचाए। प्रत्येक दिन समय समय पर वहां पर रहने वाले प्रवासियों की गिनती की जाती है और उन पर पूरी निगरानी रखी जाती है। सुरक्षा नियमों को ध्यान में रखते हुए उन पर किसी भी प्रकार की शक्ति नहीं बरती जाती है और उनको उनके परिवार के सदस्यों से मिलने से भी नहीं रोका जाता है।
डिटेंशन सेंटर कोई जेल नहीं है! [Detention Centre vs Jail]
सरकार की घोषणा के बाद कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि डिटेंशन सेंटर एक जेल है लेकिन यह किसी भी प्रकार की जेल नहीं है। डिटेंशन सेंटर में ऐसे अवैध विदेशी नागरिकों को रखने की सुविधाएं की गई है जिनका भारत देश से कोई लेना-देना नहीं है इसके अतिरिक्त उन सेंटरों में ही नहीं रखा जाएगा और संपूर्ण व्यवस्थाएं उन्हें प्रदान की जाएंगी। साथ ही उन पर पूरी तरह से निगरानी रखी जाएगी ताकि वह कोई भी गलत गतिविधि के इरादे से भारत में घुसपैठ करके भारत में उपद्रव ना मचा सकें। भारत में बनाए जाने वाले डिटेंशन सेंटर किसी भी भारतीय नागरिक के लिए नहीं बनाए जा रहे हैं बल्कि इनमें ऐसे नागरिकों को रखा जाएगा जो भारत में आकर रहते हैं, और उनके पास भारत से जुड़े कोई भी कानूनी दस्तावेज मौजूद नहीं है, जो उनकी पहचान सरकार को बता सके इसलिए भारत के नागरिकों को इन डिटेंशन सेंटर के नाम से भी घबराने की आवश्यकता नहीं है।
यदि भारत देश में कोई ऐसा विदेशी व्यक्ति है जो किसी कारणवश जेल में सजा काट रहा है और उसकी सजा पूरी हो जाती है तो उसे जेल से निकालकर इस डिटेंशन सेंटर में लाकर रखा जाएगा. बाद में उसके इंटरव्यू और दस्तावेज संबंधित सभी कार्यवाही पूरी होने के बाद उसके देश की एंबेसी से बात करके वापस उसे उसके देश भेज दिया जाएगा।
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