राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर ) क्या होता है? (Full Form, दस्तावेज़, फार्म, परिवार अनुसूची) (National Population Register in hindi) (How to Register, Form, Certificate)
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर उपद्रव के बीच, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के लिए 8,500 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि को मंजूरी दे दी है। एनपीआर अगले साल अप्रैल से शुरू हो जाएगी। एनपीआर के लिए 2015 में ही सर्वे किया का चूका था और इससे देश के “सामान्य निवासियों” की एक सूची बनाई गई थी और इस का डिजिटलीकरण पूरा हो चुका है।
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) क्या है?
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर सामान्य निवासियों का एक रजिस्टर है जो कि नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों के तहत स्थानीय उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर देश के नागरिकों का पूरा डाटा इकठ्ठा किया जाना है। भारत के प्रत्येक निवासी को एनपीआर में पंजीकरण कराना अनिवार्य है। एनपीआर के तहत एक निवासी वह व्यक्ति है जो पिछले छह महीने या उससे अधिक समय से उस स्थानीय क्षेत्र में रहता है या फिर जो अगले छह महीने या उससे अधिक समय तक उस क्षेत्र में रहना चाहता है।
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सामान्य निवासियों का उद्देश्य क्या है?
एनपीआर का मुख्य उद्देश्य देश में हर निवासी का एक डेटाबेस तैयार करना है। इस इकट्ठे किए गए डाटाबेस में निवासियों की जनसांख्यिकीय सूचना और उनका बायोमेट्रिक विवरण शामिल होगा। इसके लिए निवासियों से उनके आधार कार्ड, मोबाइल नंबर, पैन, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी विवरण और भारतीय पासपोर्ट नंबर इत्यादि जानकारी इकठ्ठा की जाएगी।
राष्ट्रीय जनसंख्या के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन कैसे किया जा सकता है
- एनपीआर के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन करने के लिए सरकार द्वारा एक ऑनलाइन वेबसाइट जारी की गई है जिस पर जाकर आप अपनी सभी निजी जानकारियां भर कर अपना रजिस्ट्रेशन संपन्न करा सकते हैं।
- इसमें रजिस्ट्रेशन की कोई भी एक लंबी चौड़ी प्रक्रिया नहीं होगी. इसके तहत आपको एक मोबाइल एप्लीकेशन अपने मोबाइल में डाउनलोड करना होगा जिसके अंतर्गत आपके किसी भी निजी दस्तावेज की आवश्यकता या किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
- इस एप्लीकेशन के जरिए रजिस्ट्रेशन भरते समय आपको किसी भी प्रकार की बायोमेट्रिक की भी आवश्यकता नहीं होगी। यह सिर्फ उन्हीं राज्यों के लिए मान्य होगा जिसमे सरकार द्वारा स्वीकृति दी जा चुकी है।
जनसांख्यिकीय विवरण में समिलित किये जाने वाले दस्तावेज़
इसमें व्यक्ति का नाम, घर के मुखिया का नाम, पिता का नाम, माता का नाम, पति का नाम, लिंग, जन्म तिथि, वैवाहिक स्थिति, जन्म स्थान, राष्ट्रीयता, सामान्य निवास का वर्तमान पता, स्थायी आवासीय पता, व्यवसाय, शैक्षिक योग्यता इत्यादि जानकारियां शामिल होंगी।
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वर्तमान स्थिति
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के लिए जानकारी 2010 में 2011 की जनसंख्या गणना के दौरान लेनी शुरू कर दी गई तभी और इसे 2015 में सर्वेक्षण के माध्यम से अपडेट कर किया गया था और अब इस जानकारी का डिजिटलीकरण पूरा हो चुका है। इस जानकारी को 2021 कि जनसंख्या गणना के दौरान अपडेट के दिया जाएगा।
किन राज्यों ने एनपीआर का विरोध किया है?
पश्चिम बंगाल सरकार ने एनपीआर की सभी तैयारियों और उससे जुड़ी से जुड़ी सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी है और इसी बीच राज्य के कुछ हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए थे और उसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने फैसले को दोहराया गया कि राज्य में एनआरसी को लागू नहीं किया जाएगा। ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर की सभी तैयारियां और अपडेशन के संबंध में सभी गतिविधियाँ रोक दी गई हैं और पश्चिम बंगाल सरकार की मंजूरी के बिना इसे लागू नहीं की जा सकता है। केरल और राजस्थान में भी इसे लागू करने से मना किया गया है। केरल के मुख्यमंत्री पिनयानी विजयन ने कहा, “नागरिकता अधिनियम में 2019 के संशोधन की इस प्रक्रिया में इसका सहयोग नहीं करने का फैसला किया है।
असम को बाहर क्यों रखा गया है?
इस योजना में अभी तक असम में एनपीआर का अभ्यास नहीं किया जा रहा है क्योंकि अभी तक असम में अवैध प्रवासियों की पहचान नहीं की हुई है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य भारत में रहने अनाधिकारिक रूप से रहने वाले लोगों का पता लगाना और उन्हें बेदखल करना है। परंतु चिंता इस बात की है कि यह योजना वास्तविक भारतीय नागरिकों को मनमाने ढंग से बाहर कर सकता है।
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NPR डेटा को कैसे एक्सेस किया जा सकता है?
एनपीआर डेटा को सवर्जनिक नहीं रखा जाएगा परंतु यह प्रत्येक पासवर्ड के माध्यम से सुरक्षित किया जाएगा और सिर्फ संबंधित उपयोगकर्ता ही उस डाटा को संचालित कर सकता है। सरकार का कहना है कि इस डाटा का उपयोग लोगों के लिए योजनाओं को बनाने में किया जाएगा।
एनआरसी और एनपीआर के बीच क्या अंतर है?
एनपीआर और एनआरसी के प्रक्रिया में मात्र एक छोटा सा अंतर है। 10 दिसंबर साल 2003 के आदि सूची नागरिकता नियमों के अनुसार एनपीआर रजिस्टर के अंतर्गत आमतौर पर एक गांव ग्रामीण क्षेत्र या कस्बे या वार्ड या सीमांकित क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों का संपूर्ण विवरण सम्मिलित किया जाता है, जो एक शहर जा शहरी क्षेत्र में वार्ड के भीतर सीमांकित क्षेत्र में रहते हैं।
वहीं यदि बात करें एनआरसी रजिस्टर के तो एनआरसी रजिस्टर एक ऐसा रजिस्टर है जिसके अंतर्गत भारत के बाहर रहने वाले भारतीय नागरिकों का भी विवरण है और साथ ही भारत में रहने वाले नागरिकों का भी संपूर्ण विवरण उस रजिस्टर में दर्ज किया गया।
नियम के अनुसार भारतीय नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर के अंतर्गत भारतीय नागरिकों के निम्न प्रकार के विवरण समिलित किये जाएंगे।
नाम;
पिता का नाम;
माता का नाम;
लिंग;
जन्म की तारीख;
जन्म स्थान;
आवासीय पता (वर्तमान और स्थायी);
वैवाहिक स्थिति ñ यदि कभी विवाहित, पति या पत्नी का नाम;
दर्शनीय पहचान चिह्न;
नागरिक पंजीकरण की तिथि;
पंजीकरण की क्रमिक संख्या; तथा
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राष्ट्रीय पहचान संख्या
सारांश में कहें तो एनपीआर और एनआरसी का मुख्य अंतर यह है कि एनआरसी में जहां देश में रह रहे अवैध नागरिकों की पहचान करना मुख्य उद्देश्य है। वही 6 महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में रहने वाले प्रत्येक निवासी को एनआरपी में पंजीकरण कराना अति आवश्यक होता है।
यदि कोई विदेशी व्यक्ति भारत देश के अंतर्गत किसी भी हिस्से में 6 महीने से या उससे अधिक से रह रहा है तो उसका पंजीकरण एनपीआर में दर्ज होना अति आवश्यक है। NPR के जरिये सरकार उन लोगों का एक बायोमेट्रिक डाटा तैयार करती है, जिससे सरकारी योजनाओं की पहुंच उन लोगों तक पहुंचाएं जाने में आसानी होती है जो इस के असली हकदार होते हैं।
FAQs
- एनपीआर की आवश्यकता क्यों पड़ी?
गृह मंत्री अमित शाह के अनुसार एनपीआर की आवश्यकता इसलिए समझी गई क्योंकि जब एनआरसी के दौरान असम में 19 लाख लोग ऐसे पाए गए जो एनआरसी के लिस्ट से बाहर हैं तो एक नई लिस्ट तैयार करने के लिए एनपीआर लिस्ट बनाने की आवश्यकता समझी गई।
- एनपीआर को लेकर लोगों के बीच क्या विवाद चल रहा है?
एनपीआर पर एक विवाद यह छेड़ रहा है कि इसमें भारत के नागरिकों का कहना है कि उनकी कोई भी जानकारी प्राइवेट नहीं रही है। उनकी प्राइवेसी के साथ छेड़छाड़ की जा रही है इस बात को लेकर भारत के नागरिक थोड़ा परेशान नजर आ रहे हैं।
- एनआरसी के बाद सरकार द्वारा एनआरपी किन राज्यों में लागू की जाएगी?
सरकार द्वारा यह कहा जा रहा है कि NPR के बाद पूरे देश में NRC लागू की जाएगी ताकि भारत में रह रहे नागरिकों की पहचान पूरी तरह से की जा सके। फिलहाल एनपीआर के दायरे से असम राज्य को बाहर रखा गया है लेकिन एनआरसी की प्रक्रिया पूरा होने के बाद एनपीआर की प्रक्रिया असम में भी लागू की जाएगी।
- NPR के अंतर्गत भारतीय नागरिकों की जानकारी का क्या किया जाएगा?
NPR के अंतर्गत भारत के प्रत्येक नागरिक के पहचान के तौर पर आधार कार्ड, वोटर कार्ड, पासपोर्ट जैसी सभी निजी जानकारियां उपयोग की जाएगी और सरकार द्वारा यह भी कोशिश की जाएगी कि इन सभी कार्ड को जोड़कर एक कार्ड ही बना दिया जाए।
- क्या एनपीआर सरकार द्वारा सोची गई कोई नई प्रक्रिया है?
यह कोई नई प्रक्रिया नहीं है एनपीआर लाना तो यूपीए सरकार के समय ही साल 2009 में जारी कर दिया गया था जिसे धीरे-धीरे अब कार्यान्वित किया जा रहा है।
- किस समस्या को सुलझाने के लिए एनपीआर लागू किया गया है?
सरकार के समक्ष एक ऐसी समस्या आई हुई थी जिसके अनुसार यह नहीं समझ पा रहे थे कि सरकार द्वारा दिए जाने वाले लाभ किस नागरिक को देने चाहिए और किस नागरिक को नहीं इसी समस्या को सुलझाने के लिए सरकार ने NPR की प्रक्रिया को लागू किया है। ताकि उन नागरिकों की पहचान की जा सके जिन्हें असल में सरकार द्वारा दी जाने वाली सभी लाभों का फायदा दिया जा सके।
- NPR के अंतर्गत किस तरह का डाटा इकट्ठा किया जाएगा?
एनपीआर के अंतर्गत सरकार द्वारा भारतीय नागरिकों का डेमोग्राफिक और बायोमेट्रिक दोनों ही प्रकार के डाटा इकट्ठे किए जाएंगे।
- डेमोग्राफिक डाटा का क्या अर्थ है?
डेमोग्राफिक डाटा के अंतर्गत सरकार द्वारा देश में कितने लोग रह रहे हैं? महिला है, या पुरुष उनकी क्या उम्र है, आपकी शिक्षा आप कहां पर काम करते हैं, बर्थप्लेस क्या है? आधार कार्ड पैन कार्ड मोबाइल नंबर वोटर आईडी कार्ड पासपोर्ट, राशनकार्ड नम्बर आदि जैसी सभी जानकारियों को डेमोग्राफिक डाटा में सम्मिलित किया जाता है।
- बायोमैट्रिक डाटा में किन चीजों को सम्मिलित किया जाता है?
बायोमैट्रिक डाटा के अंतर्गत आपकी उंगलियों के फिंगर प्रिंट्स, आंखों की स्कैनिंग, आदि प्रकार की जानकारी बायोमैट्रिक डाटा के अंतर्गत सम्मिलित किए जाते हैं।
- सरकार को भारतीय नागरिकों से जुड़े सब प्रकार के डाटा की आवश्यकता क्यों है?
सरकार को भारतीय नागरिकों से जुड़े इन सभी प्रकार के दस्तावेजों की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि वह
- भारतीय नागरिकों की पहचान करना चाहते हैं। जिसकी मदद से वे भारतीय नागरिकों को अधिक से अधिक लाभ प्रदान करने की प्रक्रिया जारी कर सकते हैं।
- सरकार द्वारा यह सभी डाटा इसलिए भी इकट्ठा किया जा रहा है ताकि वे आरंभ से लेकर अब तक इकट्ठे किए गए सभी प्रकार के दस्तावेजों की पूरी जांच करके उस व्यक्ति की पूरी पहचान कर सकें।
- इस योजना के तहत सरकार उन आंकड़ों को भी खट्टा करना चाहती है जो एक से ज्यादा बार इकट्ठे किए जा चुके हैं और जिनकी वजह से जनगणना में दोगुनी गिनती आने लगती है। उन गलतियों को सुधारने के लिए भी सरकार द्वारा यह डाटा इकट्ठा किया जा रहा है।
संक्षेप में कहें तो सरकार द्वारा भारतीय नागरिकों के जीवन को आसान बनाने के लिए और उनके सभी प्रकार के डाटा को एक जगह इकट्ठा करने के लिए यह प्रक्रिया अपनाई जा रही है जिसके तहत भारतीय नागरिकों को ही आने वाले समय में बहुत ज्यादा सहायता प्राप्त हो सकती है।
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