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नागरिकता संशोधन कानून क्या है, अधिनियम, कब पारित हुआ, निबंध, ताज़ा खबर, CAA का पूरा नाम (What is Citizenship Amendment Act in Hindi (CAB) (CAA) [Kya hai, Latest News, Essay, CAA Full Form, UPSC]
हमारा देश ऐसा देश हैं जहाँ विभिन्न धर्मों के लोग निवास करते हैं, और सभी धर्मों के लोगों को यहाँ की नागरिकता भी दी गई है. किन्तु कुछ मुस्लिम देश जैसे पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश आदि देशों की नागरिकता प्राप्त करने के बाद उसे छोड़ कर भारत में प्रवेश करने वाले कुछ अल्पसंख्यक गैर – मुस्लिम समुदाय के लोग जोकि हिन्दू, सिख, इसाई, जैन, बौद्ध और पारसी आदि 6 धर्मों से संबंध रखते हैं, अब उन्हें भारत की नागरिकता प्रदान किये जाने के लिए इस विधेयक को केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गया हैं. जिसे लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पेश कर पास करा लिया गया है, और अब यह एक विधेयक बन चूका है. जिसको लेकर भारत के विभिन्न राज्यों में विरोध किया जा रहा है. यह विधेयक क्या है और इसके लिए विरोध कौन लोग और किस लिए कर रहे हैं. इसके बारे में विस्तार से यहाँ जानें.
Citizenship Amendment Act (CAA)
CAB का पूरा नाम [Full Form] | नागरिकता संशोधन बिल [Citizenship Amendment Bill] |
लोकसभा में पेश किया गया | 10 दिसंबर, 2019 |
राज्य सभा में पेश किया गया | 11 दिसंबर, 2019 |
किसने पेश किया | गृह मंत्री अमिल शाह जी द्वारा |
CAA का पूरा नाम [Full Form] | नागरिकता संशोधन कानून [Citizenship Amendment Act] |
कब लांच हुआ | 12 दिसंबर, 2019 |
सुप्रीमकोर्ट में चुनौती | 18 दिसंबर, 2019 |
चुनौती दी गई | 60 विपक्षी एवं अन्य पार्टियों द्वारा |
पहली सुनवाई | 18 दिसंबर, 2019 |
अगली सुनवाई की तारीख | 22 जनवरी, 2020 |
इस कानून से जुड़ी अन्य जानकारी के लिए आप यहाँ क्लिक कर सकते हैं | असम समझौता क्या है
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मोदी सरकार ने लोकसभा चुनावों से पहले सीएए लागू किया (Latest News 2024)
सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के कार्यान्वयन की घोषणा की। यह कदम लोक सभा चुनाव 2024 से पहले मॉडल आचार संहिता (MCC) लागू होने से पूर्व उठाया गया।
CAA, 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र का मुख्य अंश था। यह अधिनियम 11 दिसंबर, 2019 को संसद द्वारा बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के बाद पारित किया गया था। इस मुद्दे ने भारत भर में व्यापक विरोध प्रदर्शन किए, कुछ दलों ने इस कानून को विभाजनकारी बताया।
सरकार ने ऐसी कहानियों का खंडन किया है और CAA को देश का एक कानून बताया है जिसे लागू किया जाएगा।पिछले महीने एक व्यापारिक शिखर सम्मेलन में बोलते हुए, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि लोकसभा चुनावों से पहले CAA नियम लागू किए जाएंगे।
हमारे मुस्लिम भाईयों को गुमराह किया जा रहा है और उकसाया जा रहा है (CAA के खिलाफ)। CAA का उद्देश्य केवल उन लोगों को नागरिकता प्रदान करना है जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान, और बांग्लादेश में उत्पीड़न का सामना करते हुए भारत आए हैं। यह किसी की भी भारतीय नागरिकता छीनने के लिए नहीं है,” उन्होंने कहा था।
नियमों की अधिसूचना पड़ोसी देशों के प्रवासियों को भारत में नागरिकता पाने का मार्ग प्रशस्त करने जा रही है। CAA, 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन करता है ताकि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध, और ईसाई समुदायों के प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जा सके, जो 31 दिसंबर, 2014 तक या उससे पहले अपने मूल देशों में धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आ गए थे।
CAA, इन पड़ोसी देशों से आए शरणार्थियों की सहायता करेगा, जिनके पास दस्तावेज़ नहीं हैं।
क्या है नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 (What is Citizenship Amendment Bill 2019)
हालही में लोकसभा एवं राज्यसभा दोनों ही संसद के सदनों में इस शीतकालीन सत्र में केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी ने नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन कर नया नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को पेश किया. और उन्होंने संसद के दोनों सदनों में ही इसे बहुमत के साथ पास करा लिया हैं और अब यह एक विधेयक बन चूका है. इस विधेयक के अनुसार हमारे पड़ोसी मुस्लिम देश जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले गैर – मुस्लिम धर्म जैसे कि हिन्दू, सिख, इसाई, पारसी, जैन, और बौद्ध आदि धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता प्रदान की जानी है. ये सभी जाति के लोग इन देशों में अल्पसंख्यक है. इस विधेयक को संसद में पेश करने के बाद इस पर सभी सांसदों के बीच बातचीतें हुई, लेकिन इसमें विपक्ष द्वारा इसका काफी विरोध भी किया गया. लेकिन इसके बारे में सभी चर्चाएँ होने के बाद इसे पारित कर दिया गया है.
नागरिकता अधिनियम 1955 (Citizenship Act 1955)
नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत यह प्रावधान था कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान एवं बांग्लादेश से आने वाले नागरिकों को भारत में प्रवेश करने के बाद 11 साल तक लगातार यहाँ रहने पर भारत की नागरिकता प्राप्त हो जाती थी. इसका मतलब यह है कि यदि कोई व्यक्ति भारत में जन्म लेता हैं या उसके माता – पिता भारतीय हैं या वह भारत में 11 साल तक के समय में यही रहा हो, तो उसे भारत का नागरिक होने का पूरा अधिकार प्राप्त हो जाता था.
विस्तार से जाने – एनआरसी का क्या मतलब है
नागरिकता संशोधन विधेयक का बैकग्राउंड (Citizenship Amendment Bill Background)
नागरिकता संशोधन विधेयक को सर्वप्रथम लोकसभा संसद में सन 2016 के जुलाई माह में पेश किया था, इसके बाद इसे अगस्त में संयुक्त सदस्यों की कमिटी के पास पहुँचाया गया. फिर इसके 3 साल बाद यानि इस साल 2019 के जनवरी माह में इसे लोकसभा में फिर पेश करने के बाद इसे केंद्र सरकार द्वारा पारित करा लिया गया था. लेकिन इसके बाद जब इसे राज्य सभा में पेश किया गया तो यह वहां से पारित नहीं हो पाया, और उस दौरान लोकसभा का संसदीय सत्र भी समाप्त हो गया था. जिसकी वजह से यह बिल प्रभाव में नहीं आ सका. और अब इसमें कुछ और संसोधन कर दोबारा इस शीतकालीन सत्र में दोनों सदनों में इसे पेश किया गया और केंद्र सरकार इसे वहां से पारित करवाने में भी सफल हो गई.
नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 की कुछ मुख्य बिंदु (Citizenship Amendment Bill 2019 Important Points)
- नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 के आने के बाद ऐसे नागरिक जोकि शामिल की गई 6 जाति से संबंध रखते हैं और मुस्लिम देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान) से 31 दिसंबर, 2014 से पहले आये हैं, उन्हें यहाँ रहने की अनुमति दी जाएगी और उन्हें भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी. यह अवधि को 11 साल से घटा कर 6 साल कर दिया गया है. जी हां अब यदि कोई नागरिक निर्धारित अवधि से पहले 1 से 6 साल तक भारत में निवास करता हैं तो उसे यहाँ की नागरिकता दे दी जाएगी. अर्थात कट – ऑफ़ अवधि के अंदर आने वाले लोग भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं.
- इस विधेयक में यह भी प्रावधान है कि इसमें अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने वाले लोगों और जो लोग इन तीनों देशों से अत्याचार सहने के बाद भारत में आ कर बस गए हैं, उनमें अंतर भी स्पष्ट रूप से किया जा सकता है. आपको बता दें कि जो लोग अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं उन्हें जेल में भी डाला जा सकता हैं या फिर उन्हें उनके देश में दोबारा भेजा जा सकता है.
- इस विधेयक के पास होने के बाद जिन नागरिकों को भारत की नागरिकता प्राप्त हो जाएगी, वे भारत के किसी भी हिस्से में जाकर रह सकेंगे. क्योकि इसे भारत के सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया गया है. अतः लाभार्थियों को भारत के अन्य निवासियों की तरह पूरी स्वतंत्रता दी जाएगी.
- सरकार इस विधेयक को इसलिए लेकर आई हैं क्योकि उनका कहना है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान में 6 अल्पसंख्यक समुदाय ऐसे हैं जिन्हें धार्मिक रूप से भेदभाव एवं अत्याचार सहन करना पड़ रहा है. उनके पास भारत में आने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. केवल ऐसे लोगों को ही हम भारतीय नागरिकता प्रदान करना चाहते हैं.
विस्तार से जानने के लिए पढ़े – महात्मा गाँधी का जीवन परिचय
नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 का विरोध क्यों हो रहा है? (Citizenship Amendment Bill 2019 Against Protest)
नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर देश के कई राज्यों में विरोध किया जा रहा हैं. यहाँ हम कुछ विरोधियों एवं उनके द्वारा किये जा रहे हैं विरोध के बारे में बता रहे हैं –
- असम में विरोध प्रदर्शन :- इस नागरिकता संशोधन विधेयक के आने के बाद सबसे ज्यादा विरोध प्रदर्शन असम में हुआ है. दरअसल असम में सन 1985 में एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे, जिसका नाम ‘असम समझौता’ था. इसमें बांग्लादेश से भारत में सन 1971 के बाद प्रवेश करने वाले लोगों को राज्य से बाहर कर दिया जाता था. ऐसे में यह नागरिकता संशोधन विधेयक आने से इस समझौते पर एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह लग जायेगा. जिसके कारण असम में इसका बहुत अधिक विरोध हो रहा है.
विस्तार से जानने के लिए पढ़े – क्या है 1985 का असम समझौता .
- विपक्ष का विरोध :- असम के अलावा विभिन्न विपक्षी पार्टीज भी इस विधेयक के पास होने के पक्ष में नहीं है. उनका कहना हैं कि इस विधेयक को पास कर केंद्र सरकार मुस्लिम समुदाय को अपना निशाना बना रही है. उनका यह भी कहना है कि आर्टिकल 14 जोकि समानता का अधिकार हैं यह विधेयक उसका भी हनन करेगा. साथ ही विपक्षी पार्टीज यह भी कह रही है कि यह बिल मुसलमानों के खिलाफ हैं, और इसे सरकार राजनीति एवं वोट बैंक के लिए लेकर आई है.
- पूर्व एवं पूर्वोत्तर के राज्य में विरोध :- पूर्व एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों में रहने वाले लोगों को इस बात का डर हैं कि इस नागरिकता संशोधन विधेयक के पास होने से उनकी पहचान एवं उनकी आजीविका में भी बहुत बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है.
इस बिल के आने के बाद यह लोकसभा एवं राज्यसभा दोनों सदनों में पारित होकर अब कानून बन चूका है. इसलिए इसका नाम अब सीएबी (CAB) से सीएए (CAA) हो गया है. हालाँकि इस कानून के बनने के बाद देश के कई हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहा है. जगह – जगह लोग सड़कों में उतर कर विरोध कर रहे हैं. इससे इस समय देश के हालात बहुत ख़राब हो गये है. अतः हमारी आपसे अपील है कि आप भी किसी भी अफवाहों से बचें और किसी भी विरोध प्रदर्शन को करने से पहले पूरी जानकारी हासिल करें.
एनपीआर और सीएए में अंतर (NPR Vs CAA) –
भारत सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को मंजूरी दे दी है. आम जनता को ये जानना जरुरी है कि CAA और NPR में कोई संबंध नहीं है. एनपीआर के तहत भारतीय जनता की जनगणना होगी, जबकि CAA के तहत पड़ोसी देश से आये अल्पसंख्यक को नागरिकता दी जाएगी.
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FAQ
Ans : सीएए, सिटीजन अमेंडमेंट एक्ट यानि नागरिकता संशोधन अधिनियम है, जिसके तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाले हिन्दू, बौद्ध, सिख, इसाई, जैन, पारसी अल्पसंख्यक शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी.
Ans : एनआरसी का पूरा नाम नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजन्स है राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर. इस रजिस्टर में भारत के सभी सभी वैध निवासियों का रिकॉर्ड शामिल होगा.
Ans : नागरिकता कानून 1955 में उन लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने एवं सुनिश्चित करने का प्रावधान है, जोकि कम से कम 11 साल से भारत में रह रहे हैं.
Ans : नागरिकता कानून 1955 में अब तक पांच बार संशोधन किया जा चूका है जोकि सन 1985, 1992, 2003, 2005 और सन 2016 शामिल है.
Ans : इस नागरिकता संशोधन कानून से देश में 2 प्रकार से विरोध किया जा रहा है. उत्तर पूर्व के राज्यों को ऐसा लग रहा है कि दूसरे देश के शरणार्थी जब यहाँ आकर रहने लगेंगे तो उनकी संस्कृति एवं भाषा को खतरा हो सकता है. वहीँ अगर भारत के अन्य राज्यों में हो रहे प्रदर्शन की बात करें तो उनका यह विरोध प्रदर्शन बेबुनियाद हैं क्योकि उनके बीच यह अफवाह फैली हुई हैं कि इससे उनकी भारतीय नागरिकता छिन जाएगी. जबकी ऐसा कुछ भी नहीं है.
Ans : सीएए का भारत के मुस्लिमों समुदाय के साथ ही किसी भी धर्म या समुदाय के लोगों को कोई भी फर्क नहीं पड़ेगा. क्योंकि इससे उनका कोई लेना देना ही नहीं है. इसमें केवल भारत के बाहर के शरणार्थी जोकि गैर – मुस्लिम हैं उन्हें भारतीय नागरिकता प्रदान की जानी है. इसके अलावा भारत के निवासी चाहे वे मुस्लिम हो या अन्य धर्म के हो किसी पर कोई भी असर नहीं होगा.
Ans : गृह मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया हैं कि सीएए का एनआरसी से कोई लेना देना नहीं है. एनआरसी के तहत ऐसे व्यक्ति जिनके पास भारत की नागरिकता नहीं है और वे भारत में अवैध तरीके से रह हैं उन्हें बाहर करना है, जबकि सीएए में ऐसे शरणार्थी जोकि बाहर से आयेंगे उन्हें भारतीय नागरिकता प्रदान करनी है.
Ans : एनआरसी के लिए भारतीय नागरिक के पास आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, नागरिकता प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, रिफ्यूजी रजिस्ट्रेशन एवं सरकार द्वारा सत्यापित एवं जारी किये गये लाइसेंस और प्रमाण पत्र का होना आवश्यक है.
Ans : एनआरसी में शामिल होने के लिए यह आवश्यक है कि भारतीय नागरिकों को यह बताना होगा कि उनके पूर्वज सन 1971 के मार्च महीने की 24 तारीख से पहले से यहाँ रह रहे हैं. हालाँकि इसे सुप्रीमकोर्ट के कहने पर असम में लागू किया जा चूका है लेकिन अब इसे आने वाले समय में पूरे देश में लागू किये जाने की बात सामने आ रही है, जिसके लिए भी देशभर में विवाद हो रहा है.
Ans : इस बिल में यह बताया गया है कि ओसीआई कार्ड जोकि विदेश में रहने वाले भारतीयों को दिया जाता है, इस कार्ड को रखने वाले लोग यदि इसका उल्लंघन करते हैं तो उनका यह कार्ड रद्द किया जा सकता है. यह कार्ड लाभार्थियों को भारत में यात्रा करने, काम करने और अध्ययन करने की सुविधा भी प्रदान करता है. इस कार्ड का उल्लंघन यानि धोखाधड़ी से रजिस्ट्रेशन करना, संविधान को न मानना, युद्ध की स्थिति में दुश्मनों से मित्रता बढ़ाना, राज्य या सार्वजनिक हित की सुरक्षा से खिलवाड़ करना आदि है.
Ans : यह नागरिकता संशोधन विधेयक लाभार्थियों को नागरिकता के लिए अप्लाई करने में मदद करेगा. नियमों के अनुसार राज्य सरकार एवं जिला प्रशासन की जाँच एवं सिफारिश के बाद ही लाभार्थियों को नागरिकता प्रदान होगी.
Ans : इस विधेयक के अनुसार हमारे देश के तीनों मुस्लिम पड़ोसी देश के हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध जैन, पारसी धर्म के अप्रवासी लोगों को शामिल किया है.
Ans : नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुसार ऐसे लोगों को अवैध प्रवासी माना जाता है जोकि बिना किसी वैध दस्तावेज जैसे पासपोर्ट एवं वीजा के भारत में प्रवेश करते हैं. या फिर उनके पास वैध दस्तावेज तो हैं लेकिन यदि वे सीमित अवधि से ज्यादा वक्त भारत में बिताते हैं तो उन्हें भी अवैध प्रवासी माना जाता है.
Ans : असम में बढ़ती घुसपैठियों की संख्या को कम करने के लिए वहां एनआरसी लागू करने पर काम चल रहा था, लेकिन इस पर यह विरोध हुआ कि इससे ऐसे लोग भी नागरिकता की सूची से बाहर हो जायेंगे जोकि भारत के मूल निवासी है. इस समस्या का समाधान निकालने के लिए ही नागरिकता संशोधन कानून 2019 को बनाया गया है.
Ans : ऐसे लोग जोकि अवैध तरीके से भारत में निवास कर रहे हैं उनके लिए अब तक यह नियम था कि उन्हें या तो जेल में डाल दिया जायेगा या उन्हें विदेशी अधिनियम 1946 एवं पासपोर्ट अधिनियम 1920 के तहत उनके देश में भेज दिया जायेगा. किन्तु अब सन 2019 के कानून के तहत यदि कोई व्यक्ति हिन्दू, बौद्ध, सिख, इसाई, जैन, पारसी आदि धर्म का है और उसके पास वैध दस्तावेज नहीं हैं तो भी उसे इसके लिए छूट दी जाएगी.
Ans : संसद की प्रक्रिया के अनुसार यदि कोई बिल लोकसभा में तो पारित हो जाता है लेकिन राज्यसभा में पास नहीं हो पाता है और साथ ही लोकसभा का सत्र भी समाप्त हो जाता हैं तो ऐसी स्थिति में वह बिल रद्द हो जाता है. और इसे फिर से दोनों सदनों में पारित कराना पड़ता है. लेकिन आपको बता दें कि राज्यसभा के नियम कुछ अलग हैं. यदि कोई बिल राज्यसभा में पेश किया गया है जबकि वह लोकसभा में पास नहीं हुआ हैं, तो भी वह बिल का प्रभाव ख़त्म नहीं होता है.
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