आदित्य एल1 मिशन क्या है, लांच तिथि, बजट,फुल, फॉर्म, कब लांच होगा, इसरो, ताज़ा खबर (ADITYA-L1 Mission) (‘Suryayaan 1’ Mission Launch Date, News, Launch Time, Mission ISRO, Latest News)
ISRO ADITYA-L1 Mission: चांद के साउथ पोल पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बनने के पश्चात अब हमारा भारत देश अपने कदम और भी आगे बढ़ा रहा है। अब इसरो संस्था के द्वारा सूरज पर भी पहुंचने का कार्यक्रम बनाए जाने लगा है। जल्द ही इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन सूरज की स्टडी के लिए महत्वपूर्ण मिशन ADITYA-L1 को लॉन्च करेगी।
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ISRO ADITYA-L1 Mission
चंद्रयान मिशन पूरा हो जाने के पश्चात भारतीय प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी के द्वारा इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन के वैज्ञानिको और देश के लोगों को संबोधित करने का काम किया गया। इस दरमियान मोदी जी के द्वारा इसरो के जो आने वाले मिशन है उसकी भी जानकारी लोगों के सामने प्रस्तुत की गई, जिसके अंतर्गत आने वाले समय में इसरो साइंटिस्टो के द्वारा सूरज पर भी रिसर्च की जाएगी। इसी बीच अब यह सवाल भी पैदा हो रहा है कि आखिर इतनी गर्मी वाले सूरज पर इसरो अपना मिशन आदित्य एल-1 को कैसे सफल बनाएगा।
ADITYA-L1 (Suryayaan) मिशन क्या है
चंद्रमा के साउथ पोल पर अपने यान को सफलतापूर्वक उतारने के पश्चात अब इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन के वैज्ञानिकों की अगली प्लानिंग सूरज पर फतह करने की है और इसके लिए कुछ ही समय के पश्चात एक मिशन को भी लॉन्च करने का डिसीजन ले लिया गया है, जिसे आदित्य L1 मिशन का नाम दिया गया है। इसका अन्य नाम सूर्ययान भी कहा जा रहा है। इस मिशन के अंतर्गत इसरो साइंटिस्ट के द्वारा सूर्य के कोरोनल मास इजेक्शन की स्टडी की जाएगी। कहने का मतलब है कि, सूरज से जो आग की लपटे निकलती है, उस पर इसरो साइंटिस्ट अब रिसर्च करेंगे।
ADITYA-L1 मिशन का मकसद
आखिर इसरो के द्वारा चलाया जाने वाला ADITYA-L1 मिशन का मकसद क्या है, इसके बारे में जानने के लिए हमने इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन की आधिकारिक वेबसाइट को विजिट करने का मन बनाया और हम इसकी वेबसाइट पर पहुंच गए, जहां पर हमें जानकारी प्राप्त हुई कि, सूरज पर अलग-अलग समय में अलग-अलग प्रकार के रिएक्शन होते हैं। जिसकी वजह से अचानक से ही काफी ज्यादा एनर्जी पैदा हो जाती है। यह जो एनर्जी पैदा होती है, इसे ही कोरोनल मास इजेक्शन कहा जाता है। इसका प्रभाव वातावरण के अलावा अंतरिक्ष में मौजूद सभी सेटेलाइट पर भी बराबर पड़ता है। अब यहां पर सवाल यह पैदा होता है कि, आखिर जब सूरज इतना गर्म होता है, तो उसके बिल्कुल पास में या फिर थोड़ी दूरी पर कैसे किसी सैटेलाइट को स्थापित किया जाएगा। जानकारी के लिए बताना चाहते हैं कि, इसका जवाब भी सेटेलाइट के नाम के अंदर ही छुपा हुआ है।
L1 प्वाइंट क्या है
इसरो संस्था के द्वारा सूरज की लपटों पर रिसर्च करने के लिए जो मिशन चलाया जाएगा, उसका नाम आदित्य एल 1 रखा गया है, जिसमें आदित्य सूरज का ही एक समानार्थी नाम होता है और L1 के बारे में बात करें तो यह एक ऐसी कक्षा होती है जो सूरज और पृथ्वी के बीच की ऐसी दूरी होती है जहां पर दोनों ही चीजों का जो गुरुत्वाकर्षण होता है वह बिलकुल जीरो हो जाता है। अर्थात हमारा कहने का मतलब है कि ना तो सूरज की ग्रेविटी अर्थात गुरुत्वाकर्षण बल उसे अपनी तरफ खींच पाता है ना ही पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल उसे अपनी तरफ खींच पाता है। यहां पर जानना आवश्यक है कि एल 1 को लैंग्रेजियन पॉइंट भी कहा जाता है। इस प्रकार के पांच पॉइंट होते हैं परंतु L1 एक ऐसी जगह होती है जिस जगह से आसानी से सूरज की स्टडी को किया जा सकता है, क्योंकि यहां पर दोनों ही ग्रहों की गुरुत्वाकर्षण बल बिल्कुल खत्म हो जाती है। अगर इस पॉइंट के बारे में बात करें तो इस पॉइंट की दूरी पृथ्वी से तकरीबन 15 लाख किलोमीटर की होती है।
L1 पॉइंट पर होगी सैटेलाइट
कोई भी सैटेलाइट इस L1 कक्षा के आगे बिल्कुल भी नहीं जा सकती है, क्योंकि इसकी प्रमुख वजह यह है कि जैसे ही कोई सैटेलाइट एल 1 कक्षा को पार करेगी, वैसे ही देखते-देखते सूरज की गर्मी से उसे काफी ज्यादा नुकसान हो जाएगा अर्थात इसी पॉइंट पर रहकर भारत के द्वारा चलाए जाने वाला मिशन आदित्य एल 1 सूरज की बारीकी से स्टडी करेगा, क्योकि यह सबसे सेफ पॉइंट है।
ADITYA L1 क्या रिसर्च करेगा
इसरो संस्था के द्वारा अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर इस बात की भी जानकारी दी गई है कि आदित्य एल 1 पेलोड अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता, कण और क्षेत्रों के प्रसार, सूट कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और उनकी विशेषताओं इत्यादि की प्रॉब्लम को समझने के लिए सबसे महत्वपूर्ण इनफॉरमेशन प्रोवाइड करेगा।
ADITYA L1 पर कितने पेलोड होंगे
आखिर आदित्य एल 1 में कितने पेलोड मौजूद होंगे, यदि इसके बारे में चर्चा की जाए, तो इसमें अलग-अलग 7 पेलोड अवेलेबल होंगे। यही सूरज से जो किरणें आएंगी, उनकी जांच करने का काम करेंगे। इसके अंदर विभिन्न प्रकार के अधिक मेगापिक्सल वाले कैमरे भी इसरो संस्था के द्वारा स्थापित किए जाएंगे। 7 में से 4 पेलोड सूरज की रिमोट सेंसिंग करने का काम करेंगे और बाकी के जो 3 बचे हुए पेलोड है, वह इन-सीटू ऑब्जरवेशन के काम में लगे रहेंगे।
केवल सूर्य का होगा अध्ययन
इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन संस्था के द्वारा चलाए जाने वाला यह मिशन हमारे भारत देश का पहला ऐसा मिशन है जो सिर्फ सूरज की स्टडी के लिए ही पूर्ण रूप से समर्पित होगा। स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी और सूरज के बीच खगोलीय तंत्र के एक स्पेशल पॉइंट लैगरेंज पॉइंट 1 पर स्थापित किए जाएंगे। इस स्पेशल पॉइंट की विशेषता यह है कि, यहां पर वेधशाला के संचालन के लिए ज्यादा एनर्जी की आवश्यकता नहीं होगी।
आदित्य एल1 मिशन लांच तिथि (Launch Date)
इसरो द्वारा आदित्य एल1 मिशन को इसी साल 2 सितंबर को लांच किया जाने वाला है जोकि श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लांच किया जायेगा.
सूरज तक जाने में कितने दिन लगेंगे
इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन संस्था के द्वारा जब चंद्रयान 3 मिशन को लांच किया गया था, तब लांच होने के पश्चात यह सफल रूप से लैंड होने में तकरीबन 40 दिन का समय लिया था। इस प्रकार से जानकारी के अनुसार आदित्य L1 मिशन को साल 2023 में 2 सितंबर के दिन लांच किया जाएगा, लेकिन इसरो के अनुसार इसे सूरज की कक्षा में L1 पॉइंट तक पहुंचने में तकरीबन 110 दिन का समय लग जाएगा, क्योंकि पृथ्वी से इसकी दूरी तकरीबन 15 लाख किलोमीटर के आसपास में है। बताना चाहते हैं कि, पीएसएलवी रॉकेट का इस्तेमाल करके आदित्य एल 1 को लांच किया जाएगा।
ISRO ADITYA-L1 Latest News 2024
हालही में खबरें आ रही है, आज यानि 27 मार्च को इसरो ने एक बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है. जी हां भारत का पहला सोलर ऑब्जर्वेटरी आदित्य एल-1 अपने गंतव्य स्थान यानि लैगरेंज पॉइंट एल-1 पर पहुँच गया है. यह खबर आने के बाद पूरे देश में लोग इसरो के वैज्ञानिकों को इस सफलता के लिए बधाई दे रहे हैं.
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FAQ
Ans : सूर्य के अध्ययन के लिए लांच किया जाने वाला मिशन है.
Ans : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानि इसरो द्वारा.
Ans : सूर्ययान
Ans : 2 सितंबर
Ans : लगभग 110 दिन
Ans : PSLV राकेट
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