रिज्यूमे कैसे बनाये | Resume kaise banaye format in hindi

रिज्यूमे क्या है, अर्थ, मतलब, मीनिंग (What is Resume in Hindi), कैसे बनाएं, बनाने की वेबसाइट, फॉर्मेट, मेकर, जॉब, बायोडाटा, सीवी, अंतर (kya Hai, Kaise Banaye, How to Make Resume, Meaning, Format, Maker, Website, Biodata, CV, Difference)

आज के इस प्रतिस्पर्धा वाले समय में नौकरी प्राप्त करना बहुत ही कठिन कार्य हो गया है और ऐसे में यदि आप किसी भी नौकरी के लिए अपना आवेदन देना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको अपना रिज्यूमे बनाना होगा और एक अच्छा रिज्यूमे नौकरी दिलाने में काफी ज्यादा सहायक होता है. आपके रिज्यूमे को पढ़ने के बाद इंटरव्यू लेने वाला व्यक्ति आपके बारे में अच्छे से जानकारी हासिल कर पाता है और पताकर पाता है, कि आप फ्री श्रेणी से और कौन-कौन से कार्य अनुभव के साथ अपने लिए नौकरी की तलाश कर रहे हैं. प्राइवेट कंपनी से लेकर मल्टी नेशनल कंपनी में जॉब पाने के लिए कैंडिडेट को रिज्यूमे की जरूरत पड़ती है. आज हम इस आर्टिकल में आपको रिज्यूमे क्या है, कैसे बनाते हैं, रिज्यूमे और बायोडाटा में क्या अंतर है की पूरी जानकारी विस्तार से बतायेंगे. इसलिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें ताकि आप अपना रिज्यूमे अच्छा बना पायें.

resume kya hai in hindi

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रिज्यूमे क्या होता है (What is Resume in Hindi)

वीडियो में एक ऐसा महत्वपूर्ण डांटा होता है, जिसमें आप अपने शिक्षा, कार्य अनुभव, योग्यता, उपलब्धियां एवं पर्सनल जानकारियां दर्ज की गई होती है. इसी शोर्ट विवरण को हम रिज्यूमे कह सकते हैं. इसी रिज्यूमे को हम उस कंपनी के हायरिंग मैनेजर को देते हैं. वह हमारे रिज्यूमे को देखता है और यदि हमारा रिज्यूमे उन्हें पसंद आता है तो हमें वह इंटरव्यू के लिए शोर्ट लिस्ट करता है. रिज्यूमे पहले एक या दो पेज के होते थे, लेकिन अभी जरूरत के अनुसार एक ही पेज का रिज्यूमे चलन में है. आप जॉब प्रोफाइल के अनुसार अपने रिज्यूमे में बदलाव कर सकते है. किसी कंपनी में वैकेंसी के अनुसार आप अपने रिज्यूमे में इन्फॉर्मेशन डाल सकते हैं. साधारण शब्दों में कहें तो रिज्यूमे वह पहली सीढ़ी है जो हमें इंटरव्यू तक पहुंचाती है. इसलिए हमेशा ऐसा रिज्यूमे बनाये जिसमे आपकी फुल इन्फोर्मेशन अच्छे ढंग से प्रदर्शित की गई हो, ताकि रिक्रूटर्स को आपका रिज्यूमे पसंद आये और आपको इंटरव्यू के लिए बुलाये.

रिज्यूमे का उद्देश्य क्या है (Objective)

रिज्यूमे कंपनी और कैंडिडेट का समय और पैसा बचाने की एक प्रणाली है.जब भी किसी कंपनी में कोई वैकेंसी निकलती है तो उसकी नोटिफिकेशन में जॉब प्रोफाइल, वेतन और जॉब के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए उसके बारें में विस्तार से बताती है.इसलिए इंटरव्यू से पहले आवेदक से रिज्यूमे की डिमांड की जाती है. रिज्यूमे के आधार में हायरिंग मैनेजर यह तय करता है की कैंडिडेट जॉब प्रोफाइल के लिए उपयुक्त है या नहीं. अगर हायरिंग मैनेजर को लगता है की जॉब के लिए उपयुक्त नहीं है तो वह उसके रिज्यूमे को सेलेक्ट नहीं करता है.अगर बिना रिज्यूमे के कोई कंपनी में जॉब के लिए चला जाता है और बाद में कैंडिडेट को पता चलता है की यह जॉब प्रोफाइल उसके लिए नहीं है या फिर वह इस जॉब प्रोफाइल में सूटेबल नहीं है तो कंपनी और कैंडिडेट दोनों का समय बर्बाद होता है. इसी समय और पैसे को बचाने के लिए रिज्यूमे की मांग इंटरव्यू से पहले की जाती है.

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रिज्यूमे के प्रकार (Types)

मुख्यतौर पर रिज्यूमे 4 प्रकार के होते है इनके नाम और इनका सम्पूर्ण विवरण हम लिख रहे हैं –

योग्यता एंव कार्यसंबधित रिज्यूमे –

इस प्रकार के रिज्यूमे में स्किल्स को सबसे पहले लिखा जाता है, कैंडिडेट चाहता है की सबसे पहले हायरिंग मैनेजर उसकी स्किल्स के बारें में जाने. अगर वैकेंसी में उसकी स्किल्स का कोई योगदान है तो हायरिंग मैनेजर ऐसे रिज्यूमे वाले को सबसे पहले सेलेक्ट करता है.यह रिज्यूमे फ्रेशर्स के लिए काफी फायदेमंद होता है.

कालक्रमबद्ध रिज्यूमे –

इस प्रकार के रिज्यूमे में प्रोफेशनल हिस्ट्री को सबसे पहले दर्शाया जाता है. इसमें एक्सपीरिएंस लोग जो पहले किसी कंपनी में कार्य कर चुके है वो ऐसा रिज्यूमे बनाते है. इसमें वह पहले जिस कंपनी में काम कर रहे थे या कर रहे है उसके बारें में लिखते हैं. एंव वहां पर उन्हें जो उपलब्धियां मिली है उनके बारें में यहाँ पर शोर्ट में लिखते हैं.एक्सपीरियंस लोग इस तरह के रिज्यूमे का उपयोग करते हैं.

संयोजन रिज्यूमे –

इस प्रकार के रिज्यूमे में स्किल्स और एक्सपीरियंस दोनों को दर्शाया जाता है. ऐसे रिज्यूमे वो लोग बनाते है जो किसी एक स्किल्स में एक्सपर्ट होते है और उन्हें बहुत ज्यादा एक्सपीरिएंस भी होता है. ऐसी स्थिति में हायरिंग मैनेजर ऐसे लोगों को इंटरव्यू में बहुत जल्दी बुलाते हैं.

टार्गेटेड रिज्यूमे –

जब हमें किसी एक फिल्ड में या किसी एक लक्षित कंपनी में काम करने के लिए जाना होता है उस वक्त हम टार्गेटेड रिज्यूमे बनाते है. इसमें कंपनी की जरूरत के अनुसार अपनी स्किल्स, अपनी योग्यता एंव एक्स्पिरियेसं को मेंशन करते हैं. एक बात ध्यान में रखते हुए की जो हम इसमें शामिल कर रहे है वो पूरी तरह सच होना चाहिए. ऐसे रिज्यूमे को टार्गेटेड या लक्षित रिज्यूमे कहते हैं.

रिज्यूमे बनाने से पहले ध्यान रखने वाली बातें (Important Points)

रिज्यूमे बनाने के लिए हमें बहुत बातों का ध्यान रखना चाहियें, क्योंकि एक रिज्यूमे ही है जो हमें किसी कंपनी में इंटरव्यू तक लेकर जाता है. इसलिए हमारी एक गलती हमारे रिज्यूमे को बेकार बना सकती है. इसलिए हमें इन बातों का हमेशा ख्याल रखना चाहिए –

  • रिज्यूमे हमेशा एक या दो पेज का होना चाहिए, अगर हो सके तो एक ही पेज का रिज्यूमे बनाएं.
  • रिज्यूमे में अपनी स्किल्स, योग्यता एंव कार्यानुभव का संक्षिप्त विवरण होना चाहिए. हो सके तो सभी जरूरी कीवर्ड को हाईलाइट रखें.
  • रिज्यूमे बनाते समय हमें उसके अंदर स्पेलिंग मिस्टेक नहीं करनी चाहिए.
  • आप समय-समय पर अपने कार्य अनुभव और कंपनी के साथ जुड़े हुए सभी प्रकार के अनुभव को अपने रिज्यूमे में अवश्य अपडेट करते रहे.
  • रिज्यूमे में किसी भी तरह की गलत जानकारी ना देंवे, जो सच है वही लिखें और शोर्ट में लिखें.
  • रिज्यूमे में एड्रेस, आयु, धर्म, जाती, मैरिड स्टेटस, जन्मदिनांक और पिता का नाम इत्यादि नहीं लिखने चाहिए.
  • रिज्यूमे में कुछ लोग अवार्ड्स, हूनर, प्रकाशन एंव अनुदान से जुड़ी जानकारियां लिखतें है, जबकि सभी कंपनियों के लिए आवश्यक नहीं होता है. यदि जॉब प्रोफाइल से रिलेटेड है तो आप यह लिखें अन्यथा इन्हें भी अपने रिज्यूमे में शामिल ना करें.
  • अपनी सही जानकारी को शोर्ट में लिखें और ऐसे लिखें की हायरिंग मैनेजर को एक सेकंड में वह समझ में आ जाए.
  • फॉण्ट साइज़ का ध्यान रखें 12 से 14 के साइज़ में टेक्स्ट लिखें.

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रिज्यूमे में क्या-क्या जानकारी देनी चाहिए (Format)

रिज्यूमे बहुत छोटा होता है पर आपकी पूरी जानकारी संजोकर रखता है, इसलिए इसमें जरूरी जानकारियां ही शामिल करनी चाहिए. आप यह चीजें अपने रिज्यूमे में लिख सकते हैं जैसे –

  • कांटेक्ट इन्फोर्मेशन
  • करियर उद्देश्य
  • कार्यानुभव
  • योग्यता
  • अतरिक्त कोर्स

रिज्यूमे एवं सीवी (Difference Between CV and Resume)

कुछ लोग सीवी और रिज्यूमे को एक ही मानते है, ऐसे लोग अक्सर गलती कर देते है जहाँ रिज्यूमे देना होता है वहां पर सीवी दे देते हैं. यही कारण होता है की उनके पास कभी इंटरव्यू कॉल्स नहीं आती है.अगर आप रिज्यूमे को सही तरह से समझ गये हैं तो सीवी को भी अवश्य समझना चाहिए. सीवी को करिकुलम विटे कहते है यह एक लैटिन भाषा का शब्द है इसका हिंदी अर्थ ‘जीवन का सार’ है.यानि सीवी में आपको अपने बारें में स्पष्ट बताना होता है यह 3 से 4 पेज की होती है.जब हायरिंग मैनेजर आपको इंटरव्यू के लिए कॉल करता है तब आपको सीवी लेकर आने के लिए कहता है. सीवी में आपको स्पष्टीकरण देना होता है जो आपने अपने रिज्यूमे में शोर्ट में लिखा था यहाँ पर स्पष्ट शब्दों में लिखना होता है. इसी के माध्यम से इंटरव्यू लेने वाला आपसे प्रश्न पूछता है.

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रिज्यूमे और बायोडाटा में अंतर (Difference Between Resume and Biodata)

रिज्यूमे को बायोडाटा भी कहा जाता है. लेकिन बहुत कम लोगों को बायोडाटा और रिज्यूमे में अंतर पता होता है. आपकी जानकारी के लिए हम यहाँ पर बायोडाटा और रिज्यूमे में अंतर बताने जा रहे हैं.रिज्यूमे में हमें कंपनी में जॉब के लिए काम आता है, जबकि बायोडाटा हमारी सम्पूर्ण जानकारी को समेटे हुए होता है. अक्सर बायोडाटा का उपयोग मेट्रीमोनियल के लिए उपयोग में लिया जाता है.

हम यहाँ इस टेबल के अनुसार आपको रिज्यूमे और बायोडाटा में अंतर बताने जा रहे हैं –

  • रिज्यूमे फ्रेंच भाषा का शब्द है जिसका अर्थ ‘संक्षेप’ होता है. जबकि बायोडाटा यानि बायोग्राफिकल डाटा होता है.
  • रिज्यूमे एक या दो पेज का होता है, जबकि बायोडाटा काफी लम्बा और सम्पूर्ण जानकारी वाला हो सकता है.
  • रिज्यूमे में हम अपनी योग्यता, स्किल्स, शिक्षा और कार्यानुभव को साझा करते हैं. जबकि बायोडाटा में हमारी व्यक्तिगत जानकारियां होती है जैसे जन्मतारीख, जात, धर्म, गौत्र, नागरिकता एंव स्थान इत्यादि की सभी तरह की जानकारी होती है.
  • रिज्यूमे का उपयोग जॉब इंटरव्यू इत्यादि के लिए होता है. जबकि बायोडाटा का उपयोग शादी एवं व्यक्तिगत कार्यों के लिए होता है. यानि मेरिटल साइट्स पर बायोडाटा का इस्तेमाल किया जाता है.
  • रिज्यूमे प्राइवेट, मल्टीनेशनल कंपनियों एवं अन्य नॉन प्रॉफिट इंटरव्यू के लिए उपयोग किया जाता है. जबकि सरकारी नौकरी के इंटरव्यू में बायोडाटा की मांग की जाती है.
  • रिज्यूमे में सिर्फ महत्वपूर्ण जानकारियां दी जाती है. जबकि बायोडाटा में सभी जानकारियां साझा की जाती है.
  • रिज्यूमे में एड्रेस के नाम पर सिर्फ E-mail या वेबसाइट होती है. जबकि बायोडाटा में आपका पूरा एड्रेस होता है.
  • रिज्यूमे जॉब प्रोफाइल के अनुसार बदला जा सकता है. बायोडाटा में बदलाव नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह सभी के लिए एक जैसा होता है. क्योंकि इसका उपयोग अक्सर शादी के लिए होता है.

उम्मीद है आपको हमारी यह इन्फोर्मेशन अच्छी लगी होगी, आप रिज्यूमे और बायोडाटा में अंतर समझ गये होंगे.

इस आर्टिकल में हमने रिज्यूमे क्या है, रिज्यूमे में क्या लिखना चाहिए, रिज्यूमे बनाते समय क्या सावधानियां रखनी चाहिए एवं इसकी जरूरत क्यों है के बारें में लिखा है. इतना ही नहीं रिज्यूमे, सीवी और बायोडाटा में अंतर भी स्पष्ट किया है.यदि रिज्यूमे से जुड़ा किसी भी तरह का कोई सवाल है तो आप यहाँ कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं.अगर आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया है तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें ताकि वह एक अच्छा रिज्यूमे बना पायें.

FAQ

Q : रिज्यूमे क्या होता है ?

Ans : रिज्यूमे एक ऐसा डाटा होता है, जिसमें हम अपनी पर्सनल डिटेल के साथ साथ शैक्षणिक डिटेल भी भरते हैं.

Q : रिज्यूम का क्या काम होता है ?

Ans : रिज्यूमे के जरिए हम किसी कंपनी में जॉब प्राप्त करने के लिए आवेदन देते हैं एवं इंटरव्यू लेने वाला व्यक्ति भी हमारे सबसे पहले रिज्यूम को ही देखता है.

Q : रिज्यूमे में क्या-क्या जानकारी भरनी होती है ?

Ans : रिज्यूमे के अंदर आप अपना एड्रेस, जन्म, आयु, धर्म, जाति, मैरिड स्टेटस, पिता का नाम एवं सभी प्रकार की शैक्षणिक योग्यता की जानकारी भरनी होती है.

Q : क्या सभी को रिज्यूमे बनवाना चाहिए ?

Ans : जो व्यक्ति नौकरी प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें पर सबसे पहले रिज्यूमे में बनवाना चाहिए.

Q : रिज्यूमे बनाना कहां से सीखे ?

Ans : रिज्यूमे बनाना आप यूट्यूब एवं गूगल से सीख सकते हैं.

Q : क्या हम ऑनलाइन किसी भी वेबसाइट पर जाकर अपना रिज्यूमे बना सकते हैं ?

Ans : जी बिल्कुल आप कई वेबसाइटों पर जाकर अपना ऑनलाइन रिज्यूमे में बना सकते हैं.

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