क्या है मेंटेनेंस एंड वेलफेयर आफ पैरंट्स एंड सीनियर सिटीजन बिल 2021 (Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Bill (Amendment) Act in hindi)
जैसा कि वर्तमान समय में देखा जा सकता है कि हमारा समाज धीरे-धीरे वेस्टर्न संस्कृति की ओर बढ़ता चला जा रहा है। ऐसे में युवाओं की सोच जहां एक तरफ मॉडर्न होती जा रही है वहीं दूसरी तरफ युवाओं की सोच समाज के लिए श्रापित भी होती जा रही है। क्योंकि वह अपने घर के बुजुर्गों को धीरे-धीरे पूछ समझने लगते हैं और उनके ऊपर अत्याचार या फिर उन्हें मानसिक तौर पर प्रताड़ित करना आरंभ कर देते हैं। भारतीय सरकार ने बुजुर्गों कि इस समस्या की तरफ ध्यान केंद्रित करते हुए एक नया अधिनियम जारी किया है जिसके तहत बुजुर्गों का ख्याल ना रखने वाले व्यक्तियों को सजा भी दी जा सकते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Bill in hindi
क्या है यह योजना?
भारत सरकार द्वारा उन बुजुर्गों के लिए एक योजना बनाई गई है जिन्हें उनके बच्चे या उनके बेटा बहू देखरेख करने और घर में रखने से इनकार कर देते हैं। इस नियम के तहत उन बुजुर्गों को भी समाज में जीने और सम्मानित रूप से अपने जीवन के अंत समय को गुजारने के लिए सभी सुविधाएं सरकार द्वारा प्रदान की जाएंगी। यदि कोई युवा अपने माता-पिता या अपने घर के बुजुर्गों से किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव या अत्याचार करते हैं तो उन पर कानूनी कार्यवाही करने का नियम भी इस योजना के तहत बनाया गया है।
बीते साल दिसंबर महीने में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद्र गहलोत द्वारा निचले सदन में यह विधेयक पेश किया गया जिसके तहत बुजुर्गों के बेटों के साथ-साथ बहू और दामाद के साथ-साथ नाती-नातिन और पोता पोती को भी बच्चों की कैटेगरी में शामिल कर दिया गया है। इसका सीधा और सरल शब्द यही है कि यदि कोई भी बहु या दामाद भी अपने ससुर सास पर किसी भी प्रकार का अत्याचार करते हैं तो वे भी इस विधेयक के अंतर्गत दोषी ठहराए जाएंगे। ऐसे में उन्हें 6 महीने तक का कारावास या फिर 10000 रुपये जुर्माना दोनों प्रकार की सजा का प्रावधान दिया जा सकता है।
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पारित किए गए विधेयक के अनुसार बनाए गए नए नियम
यह अधिनियम साल 2007 में पहले ही बना दिया गया था लेकिन साल 2019 दिसंबर के महीने में इसमें कुछ नए बदलाव किए गए जो निम्नलिखित हैं।
- साल 2007 के अधिनियम के अंतर्गत माता-पिता और सास-ससुर जैसे किसी भी परिवार के बुजुर्ग के साथ दुर्व्यवहार करने वाले व्यक्ति को 3 महीने की सजा दी जाती थी जिसे बढ़ाकर अब 6 महीने कर दिया गया है। सदा के शुल्क की राशि पहले ₹5000 थी जिसे अब बढ़ाकर ₹10000 कर दिया गया है।
- 2007 ट्रिब्यूनल के तहत माता-पिता के रखरखाव के मुद्दे से जुड़े किसी भी केस पर 30 दिन के अंतर्गत कार्यवाही होती थी परंतु इसे अब घटाकर 15 दिनों की अवधि में बदल दिया गया है।
- नए बिल के तहत प्रत्येक पुलिस स्टेशन में वरिष्ठ नागरिकों की शिकायत सुनने के लिए एक अलग से काउंटर बनाया गया है जिस पर आकर वह किसी भी वक्त अपनी शिकायत दर्ज करा सकते है।
- बुजुर्गों की सहूलियत के लिए इस बिल में एक नया हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है जो जिला स्तर पर सभी पुलिस इकाइयों को शामिल करता है। इसकी मदद से कोई भी बुजुर्ग किसी भी समय अपनी कंप्लेंट दर्ज करा सकते हैं।
- अधिनियम के तहत बुजुर्गों के रखरखाव उनके भोजन कपड़े निवास चिकित्सा उपचार आदि से जुड़ी सभी बुनियादी सेवाएं देने का प्रावधान बनाया गया है यदि उनके बच्चे उनकी देखभाल नहीं करते हैं तो उनके लिए भी अलग से एक नियम बनाया गया है।
- जो बच्चे अपने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल नहीं करते हैं उनके लिए सरकार द्वारा इस अधिनियम के तहत यह नियम बनाया गया है कि उनके रिश्तेदार व उनके बच्चे उन वरिष्ठ नागरिकों को मासिक रखरखाव के लिए ₹10000 शुल्क का भुगतान करेंगे।
- इस नियम के अंतर्गत वे वरिष्ठ नागरिक भी आते हैं जिन्होंने जीवन भर कमाई करके अपने लिए धन संपत्ति एकत्रित किया और बाद में वे धन संपत्ति अपने बच्चों के नाम कर दिया है। जिस बच्चे के नाम पर वह संपत्ति बुजुर्गों द्वारा की जाती है उस बच्चे की जिम्मेदारी बनती है कि वे या तो उनका पूरी तरह से ख्याल रखें अन्यथा उन्हें मानसिक रूप से एक निश्चित राशि का भुगतान करें।
- इस विधेयक के अनुसार राज्य सरकार को यह अनुमति भी दी जाती है कि वह अपने राज्य में ऐसे बुजुर्गों के लिए जो बेघर है उनके लिए एक वृद्ध आश्रम स्थापित कर सकते हैं। परंतु उसके लिए सबसे कड़ा नियम यह है कि वे राज्य सरकार द्वारा स्थापित या प्राधिकरण द्वारा पंजीकृत होने आवश्यक है।
- इस नियम के अंतर्गत उन वरिष्ठ नागरिकों के लिए बेहतर सुविधाएं प्रदान करने का भी विधेयक पारित किया गया है। जिसके तहत वरिष्ठ नागरिकों के लिए अस्पताल में अलग से बेड और ओपीडी में दिखाने के लिए अलग से पर्ची की खिड़की बनाई जाने का प्रावधान लगाया गया है।
- इस अमेंडमेंट के अंतर्गत 80 साल से ऊपर की उम्र के बुजुर्गों को शामिल किया गया है और साथ ही उन बुजुर्गों को भी शामिल किया जाता है। जो सीनियर सिटीजन नहीं है, मतलब 80 साल से कम उम्र के बुजुर्ग भी इस अमेंडमेंट के अंदर आते हैं यदि उन पर कोई भी अत्याचार उनके संतान द्वारा किया जाता है तो वे सीधे जाकर पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ कंप्लेंट दर्ज करा सकते हैं, और साथ ही टोल फ्री नंबर पर कॉल करके ही अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
- इस अधिनियम के तहत केवल माता-पिता ही अपनी रखरखाव न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ अदालत में अपील कर सकते हैं यह नियम और बुजुर्गों पर लागू नहीं होता है जो नि-संतान है।
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इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य
हमारे समाज में 10 करोड़ में से 5 करोड़ ऐसे हैं जो रोज रात भूखे पेट सोते हैं। उनकी सुरक्षा और बुनियादी ज़रूरतों से जुड़ी कोई भी सुविधाएं उनके पास नहीं है जिसके चलते वे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित होते हैं। सरकार द्वारा साल 2007 के अधिनियम के अंतर्गत बदलाव करते हुए साल 2019 में उन बुजुर्गों के लिए कुछ नए नियम बनाए गए हैं और उनका उद्देश्य ऐसे बुजुर्गों को सुरक्षा और बुनियादी जरूरतें प्रदान करना है जो या तो घर होते हुए भी बेघर हैं या अपने बच्चों की वजह से मानसिक व शारीरिक रूप से अत्याचार बर्दाश्त कर रहे हैं। समाज के युवाओं को सबक सिखाने के साथ-साथ बुजुर्गों को उनकी बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करना इस योजना का मुख्य उद्देश्य है।
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सरकार इस अमेंडमेंट को लाकर हमारे समाज में मौजूद बुजुर्गों को एक सम्मान और सुरक्षित जीवन प्रदान करना चाहती है। समाज में जिस तरह से बुजुर्गों को असम्मानिक व दयनीय स्थिति बनी हुई है, उसे ध्यान में रखते हुए सरकार का यही मानना है कि शायद यह बिल उनके जीवन पर एक सकारात्मक प्रभाव डालते हुए उन्हें भी अपने बचे हुए जीवन की अवधि को सही तरीके से जीने का संपूर्ण अधिकार प्रदान कर सकती है।
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