स्वादिष्ट खाना व जंक फूड स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक कैसे और क्यों हैं | What are the harmful effects of eating junk food in hindi
अक्सर देखा गया है कि जो चीज खाने में काफी स्वादिष्ट होती है, वो हमारी सेहत के लिए उतनी ही नुकसानदायक भी होती है, और सबसे आम पेट की समस्या शुरू हो जाती है. वहीं ये जानते हुए भी कि जंक फूड हमारी सेहत के लिए कितने हानिकारक होते हैं. उसके बावजूद भी कई लोगों को जंक फूड खाना बेहद पसंद होता है. बाजार में कई तरह के जंक फूड मौजूद हैं, जो कि बच्चों से लेकर नौजवानों तक को खाना खूब पसंद हैं. वहीं इस तरह के खाने के सेवन से दुनियाभर के लोगों की सेहत पर खराब असर पड़ रहा है. लेकिन इनके स्वादिष्ट होने के कारण लोग इनका सेवन खूब करते हैं.
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जंक फूड स्वादिष्ट क्यों होते हैं (why junk food is tasty)
जंक फूड को बनाने के लिए कई तरह की चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. जिससे की ये खाने में काफी स्वादिष्ट बन जाता हैं. लेकिन हम भूल जाते हैं कि जिन चीजों का इस्तेमाल इनको बनाने में किया गया है. वो हमारी सेहत के लिए काफी हानिकारक होती है. और थोड़ी-थोड़ी मात्रा में मिलाई गई ये चीजें एक हानिकारक चीज का रूप ले लेती हैं. उदाहरण के लिए डबल हैमबर्गर खाना हर किसी को पसंद हैं. लेकिन जब आप इसका सेवन करते हैं, तो आप 942 कैलोरी का सेवन कर लेते हैं. यानी बेशक बर्गर खाने में स्वादिष्ट हो लेकिन हानिकारक फैट होने के कारण वो सेहत के लिए उतना ही खतरनाक है.
किन्हें कहते हैं जंक फूड (What Is Junk Foods)
जंक फूड उस खाने को कहा जाता है जिसमें अधिक मात्रा में खराब पोषण वाली चीजें, ट्रांस वसा, चीनी, सोडियम और इत्यादि तरह के रसायन पाए जाते हैं. आमतौर पर जंक फूड को स्वादिष्ट, आकर्षित, बनाने के लिए उसमें कई खाद्य पदार्थों और रंगों को जोड़ा जाता है. लेकिन ये सब चीजे सेहत के लिए खराब होती हैं.
जंक फूड वाले खानों की जानकारी- (Junk Foods Items List)
बाजार में मिलने वाली अधिकतर चीजे जंक फूड की सूची में शामिल होती हैं. इतना ही नहीं जिन खाने की चीजों के लिए बच्चे जिद करते हैं उनमें से ज्यादातर चीजें जंक फूड होती हैं. वहीं जंक फूड की सूची में बर्गर, फ्रेंच फ्राइज, कोको कोला, आलू के चिप्स, पीजा, केक, हॉट डॉग, डोनट्स, पेनकेक्स इत्यादि चीजें शामिल हैं.
भारतीय खाने भी होते हैं जंक फूड्स (Indian junk food)
ऐसा नहीं है की केवल बाजार में बिकने वाली चीजे और दूसरे देशों का खाना ही जंक फूड की श्रेणी में आता है. दरअसल हम लोग जो भारतीय खाना अपने घर में बनाते हैं, उनमें से अधिकतर चीजे हमारी सेहत के लिए हानिकारक होती हैं और वे जंक फूड की श्रेणी में आती हैं. और उन्हीं में से कुछ चीजों के नाम इस प्रकार हैं, पराठा, कुलचे, कचौरी, कोफ्ते, पूरी, पकोड़े और इत्यादि.
जंक फूड के नुकसान (Junk Foods Disadvantages To Health)
वजन बढ़ना (junk food weight gain)
किसी भी प्रकार का जंक फूड खाने से हमारे शरीर को बेहद नुकसान होता है. यदि आप निरंतर बाजार में मिलने वाले जंक फूड को खाते हैं, तो ये बढ़ते वजन यानी मोटापे का कारण बन सकता है. वहीं अपने हमेशा मोटापे घटाने वाले लेखों में पढ़ा होगा कि जंक फूड मोटापे की मुख्य वजह है. लेकिन फिर भी आप लोगों को इस तरह के फूड इतने स्वादिष्ट लगते हैं. आप चाहते हुए भी इन्हें छोड़ नहीं सकते हैं. इसके अलावा इनको इतना स्वादिष्ट बनाया होता है कि आप कई बार अपनी क्षमता से भी ज्यादा इनका सेवन कर लेते हैं. ये फूड कैलोरी में उच्च होते हैं. जिसके कारण इनके सेवन से हमारे शरीर की कैलोरी बढ़ जाती है, जो कि आगे चलकर हमारे शरीर का वजन बढ़ा देता है. वहीं दुनिया की अधिकतर आबादी इस वक्त बढ़ते वजन से ही परेशान हैं. अगर आप प्रत्येक दिन 500 कैलोरी लेते हैं तो सिर्फ एक हफ्ते में आपके वजन में वृद्धि हो जाएगी. वहीं वजन बढ़ने से अन्य बीमारियां होने की भी संभावना बनी रहती हैं, जैस की घुटनों की समस्या होना, सांस फूलना और इत्यादि.
मधुमेह का खतरा (junk food diabetes)
हमारे देश में जहां पहले मधुमेह की बीमारी बुजुर्गों को हुआ करती थी. वहीं अब इस बीमारी का शिकार बच्चे भी बनते जा रहे हैं. वहीं बच्चों को ये बीमारी होने का मुख्य कारण उनके द्वारा खाया जाने वाला खाना है. कई तरह के सर्वे में ये पाया गया है कि जो बच्चे अधिक जंक फूड का सेवन करते हैं, उन्हें मधुमेह बीमारी होने के काफी अधिक आशंका रहती है. इतना ही नहीं इस वक्त दुनिया में काफी बच्चे प्रकार 2 वाली मधुमेह के शिकार हैं, जो कि काफी चिंता का कारण हैं. एक बार मुधमेह की बीमारी जिसको घेर लेती हैं, वो पूरी उम्र तक इससे ग्रस्त रहता है. इतना ही नहीं ये बीमारी अन्य तरह की बीमारियां होने का भी कारण बन जाती है. इसलिए जंक फूड का जो अगला सबसे बड़ा नुकसान हैं, वो मधुमेह बीमारी से जुड़ा हुआ है.
दांतों का सड़ना (why is junk food bad for your teeth)
लगभग हर तरह के जंक फूड में चीनी का इस्तेमाल किया जाता है. जिससे इनका सेवन करने से दांतो से जुड़ी समस्या की गुंजाइश बढ़ जाती है. उच्च चीनी सामग्री से बनने वाली चीजें जैसे सोडा, कैंडी और बेक किए गए सामान वाले जंक फूड खाने से आपके मुंह, मसूढ़ों, जीभ पर बुरा असर पड़ता है. वहीं काफी बच्चों के दांत कम उम्र में ही सड़ने लगते हैं. जिसके चलते आगे जाकर बच्चों को अपने दांतों का इलाज करवाना पड़ता है.
हृदय रोग- (What foods can cause heart disease)
आलू के चिप्स, फ्रेंच फ्राइज और पिज्जा जैसे जंक फूड में सोडियम अधिक मात्रा में पाया जाता है. वहीं डॉक्टरों के अनुसार सोडियम हमारे दिल के लिए हानिकारक होता है. इसलिए किसी भी व्यक्ति को अधिक सोडियम युक्त चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. इतना ही नहीं बहुत अधिक मात्रा में सोडियम खाने से रक्तचाप और स्ट्रोक (दौरे) का जोखिम बढ़ा जाता है. वहीं एक विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि हर 500 मिलीग्राम सोडियम का सेवन करने से स्ट्रोक का खतरा 17 प्रतिशत बढ़ जाता है. इसलिए आप अगर आपको आलू के चिप्स बेहद पसंद है और आप इसका खूब सेवन करते हैं, तो ऐसा करना बंद कर दें. हो सके तो कम सोडियम या नमक मुक्त किस्मों के चिप्स ही खाएं. वहीं हो सकता है कि आपको इस तरह के चिप्स ज्यादा स्वादिष्ट ना हों मगर ये अपनी सेहत के लिए सही होते हैं.
विटामिन की कमी (junk food vitamins)
शरीर को सेहतमंद रखने के लिए विटामिन युक्त चीजों का सेवन करना काफी जरूरी होता है. वहीं जंक फूड में विटामिन और खनिज ना की मात्रा में पाए जाते हैं. ऐसे में अगर कोई केवल जंक फूड पर ही निर्भर रहता है. तो उसके शरीर में विटामिन की कमी आ सकती है. जंक फूड्स में प्रोटीन युक्त चीजे ना के सामान होती हैं. वहीं कैल्शियम, विटामिन ए, सी, डी और ई, बी जैसे पोषक तत्वों की कमी शरीर के लिए हानिकारक होती है. और इन चीजों की कमी के कारण कई सारी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है.
कृत्रिम सामग्री
जंक फूड में स्वाद लाने के लिए कई कंपनियां अपने उत्पादों में कृत्रिम सामग्रियों का उपयोग करती हैं. वहीं कई बार इन कृत्रिम सामग्रियों का सेवन करने से आपको कई तरह के साइड इफेक्ट्स होने का खतरा बना रहता है. इसलिए जब भी आप कोई जंक फूड खरीदे तो ये देख लें, कि उस खाने को बनाने के लिए कितनी कृत्रिम सामग्रियों का उपयोग किया गया है. अगर उस खाने को बनाने में अधिक कृत्रिम सामग्रियों का उपयोग किया गया है, तो उसका सेवन ना करें. वहीं आप सोच रहे होंगे की कृत्रिम सामग्री क्या होती है? दरअसल कई प्रकार की चीजों का स्वाद और अच्छा रूप देने के लिए उसमें कृत्रिम रंग और कृत्रिम मिठास दी जाती है. जो की सेहत के लिए हानिकारक होती है.
वहीं ऊपर बताई की गई समस्या के अलावा जंक फूड का सेवन करने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जठरांत्र) समस्याएं, तनाव, दिमागी के विकास में कमी जैसी समस्याएं भी होना का खतरा बना रहते हैं. इसलिए प्रेग्नेंट औरतों और छोटे बच्चों के इस तरह के खाने के सेवन से परहेज करने को कहा जाता है. ताकि प्रेग्नेंट औरत के पेट में पल रहे बच्चे के विकास में कोई कमी ना आए. वहीं छोटे बच्चों के दिमाग का विकास अच्छे से हो सकें और वे एक स्वस्थ जीवन जी सकें.
जंक फूड से जुड़ी कुछ बातें- (junk food facts and its side effects in hindi)
बच्चों पर बुरा प्रभाव (child addicted to junk food)-
जंक फूड लंबे समय तक खराब ना हो इसलिए उसमें कई तरह के रसायन मिलाए जाते हैं. वहीं हेल्थ विशेषज्ञों का कहना है कि इन रसायन का बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है और रसायन बच्चों में सक्रियता का जोखिम बढ़ा सकता है.
नौजवानों को बेहद पसंद हैं ये खाना (junk food effect on human health)-
नौजवानों लोग जंक फूड खाना काफी पसंद करते हैं. इसलिए इन चीजों का ज्यादा सेवन करने वाले लोगों में अधिकतर नौजवान लोग होते हैं. और इसलिए भारत में कई स्कूलों और कॉलेजों में इस तरह के खाने के बेचने पर पाबंदी लगा दी गई है.
डोनट्स भी है हानिकारक (is eating one donut bad)-
आजकल डोनट्स लोगों द्वारा काफी पसंद किए जाते हैं. वहीं बाजार में कई तरह के डोनट्स उपलब्ध हैं, जो कि देखने के साथ-साथ खाने में भी काफी स्वादिष्ट होते हैं. लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इनमें काफी अधिक मात्रा में ट्रांस-वसा होता है. इसलिए उनका सेवन जितना हो सके उतना कम करना चाहिए.
कोका कोक, पेप्सी के नुकसान (coca cola effect on health)-
दुनिया भर में कोका कोक और पैप्सी जैसे पीने वाली चीजों को खूब पसंद किया जाता है और इनकी बिक्री भी काफी होती है. वहीं पीने की इन चीजों को बनाने के लिए कई तरह के रसायन का प्रयोग किया जाता है जो कि हमारे शरीर को अंदर से खराब करते हैं. इसलिए अपने बच्चों को इन चीजों के सेवन से जितना हो सके उतना दूर रखें.
मिल्क शेक भी है हानिकारक (milk shake side effects)-
अक्सर लोगों को लगता है कि मिल्क शेक सेहत के लिए काफी लाभदायक होते हैं. लेकिन वास्तव में ये सच नहीं है. दरअसल मिल्क शेक को बनाने के लिए कई रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है. इन रसायनों की मदद से इसे रंग और स्वाद दिया जाता है. वहीं कहा जाता है कि स्ट्रॉबेरी मिल्क शेक को स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें 45 से अधिक विभिन्न रसायन मिलाए जाते हैं. इसलिए जितना हो सके उतना इन चीजों का कम सेवन करें.
फ्रेंच फ्राइज के नुकसान (French fries harmful effects)-
मैकडोनल द्वारा बनाए जाने वाली सभी खानों की चीजों में से सबसे ज्यादा बिक्री फ्रेंच फ्राइज की होती है. वहीं कहा जाता है कि फ्रेंच फ्राइज में इस्तेमाल किए जाने वाले संरक्षक अस्थमा और त्वचा के लिए हानिकारक होते हैं. इतना ही नहीं इसको खाने से मोटापे का खतरा और भी बढ़ने की सम्भावना हो जाती है.
जूस भी है हानिकारक (is juice good for health)-
अक्सर लोगों को लगता है कि पैकेट में मिलने वाला जूस काफी सेहतमंद होता है. लेकिन ये बिलकुल सच नहीं है. कहा जाता है कि फलों के रस में भी उतनी चीनी का इस्तेमाल किया जाता है, जितना कोक या पेप्सी में इस्तेमाल किया जाता है. वहीं अधिक चीनी का सेवन सेहत के लिए काफी नुकसानदायक है.
पेस्ट्री के नुकसान-
अधिकांश पेस्ट्री, कुकीज और केक सेहत के लिए बेहद अस्वस्थ होते हैं. इनको बनाने के लिए आम तौर पर रिफाइंड चीनी, रिफाइंड गेहूं का आटा और वसा के साथ बनाए जाते हैं, जो कि सेहत के लिए नुकसानदायक होते हैं. इसलिए जितनी कम मात्रा में हो सके इनका सेवन करें.
भारत में जंक फूड के सेवन के प्रभाव (health hazards caused by junk food in India)
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में मोटापे की समस्या काफी लोगों को परेशान कर रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत में मोटापे लोगों की संख्या में हर साल बढ़ोतरी हुई है. वहीं भारत में 46 मिलियन यानी 4.6 करोड़ लोग मोटापे से ग्रस्त हैं. इसके अलावा मधुमेह की बीमारी भी भारत के लोगों में पाई जाने लगी है.
जंक फूड की पहचान कैसे करें- (how to identify junk food)
आप लोग सोच रहे होंगे की बाजार में मिलने वाली हर खाने की चीज जंक फूड होती है, तो ऐसा नहीं है. अभी भी बाजार में ऐसी काफी चीजें मौजूद हैं जो कि सेहत के लिए काफी फायदेमंद हैं. वहीं बस आपको इनकी पहचान करनी आनी चाहिए. वहीं नीचे हमने आपको बताया है कि आप कैसे इनकी पहचान कर सकते हैं.
सामग्री की जांच करें-
किसी भी पैकेट वाली खाने की चीज को खरीदते समय, उसके पैकेट के पीछे उससे जुड़ी दी गई जानकारी को पढ़ें. क्योंकि उस चीज को बनाने के लिए जिन सामग्री का इस्तेमाल किया गया है. उसके बारे में पैकेट पर जानकारी दी गई होगी. उन सामग्री के नाम और किस मात्रा में उन सामग्री का इस्तेमाल किया गया है. ये पढ़कर ही आप पता चल जाएगा की वो चीज खाने योग्य है कि नहीं. उदाहरण के लिए अगर किसी चीज को बनाने के लिए अधिक प्रकार की चीनी वाले खाद्य पदार्थों का प्रयोग किया गया है, तो उस ना लें. वहीं अगर किसी सामग्री को बनाने के लिए साबुत अनाज, का इस्तेमाल किया गया है, तो वो चीज खाने के लिए सही है. वहीं इसी तरह आप ये भी देखें की उस चीज में कौन-कौने से पोषण तत्व मौजूद हैं. फाइबर, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम और विटामिन ए, सी और ई जैसे खाद्य पोषक तत्व उस चीज में अगर उच्च मात्रा में हैं तो वो चीज सेहतमंद है.
ताजा चीजें ही खाएं-
पैकेट वाली जूस के सेवन की जगह हमेशा ताजा जूस ही पीएं. क्योंकि ताजा जूस में किसी भी प्रकार के रसायनों का प्रयोग नहीं किया जाता है और ये आपकी सेहत के लिए लाभदायक होता है. इसी तरह केवल उन्हीं चीजों का सेवन करें जो कि ताजा हों.
किसी चीज में कितनी होती है कैलोरी (which food have calcium )
नीचे हमने आपको जानकारी दे रखी है कि कौन-कौन सी खाने की चीजों में कितनी मात्रा में कैलोरी पाई जाती है. ताकि आप अगली बार इस इन चीजों का सेवन अधिक मात्रा में ना करें और हो सकें तो इन चीजों के सेवन से जितना हो सकें उतना बचें-
संख्या | (प्रति 100 ग्राम) | कैलोरी |
1 | चॉकलेट शेक | 119 |
2 | पिज्जा | 266 |
3 | ब्रेड | 265 |
4 | बर्गर | 295 |
5 | चिप्स | 312 |
6 | कोक | 140 |
7 | फ्रेंच फ्राइज | 312 |
8 | समोसा | 308 |
9 | पराठा | 260 |
10 | चीज | 371 |
विभिन्न संस्कृतियां और उनसे सम्बंधित खाने (Different Cultures and Their Food)
विश्व भर में कई विभिन्न तरह की संस्कृतियां हैं. इन संस्कृतियों के आधार पर भोजन में भी बाहुल्यता पायी जाती है. इस वजह से स्थान और समय की भिन्नता के साथ हमारे पास आज तरह तरह के खाद्य पदार्थ मौजूद हैं, जिनमे से कुछ तो हमें खाने में बेहद अच्छे लगते हैं औए कुछ एक दम ही खाना पसंद नहीं है. खाना निगलने के पहले हम इसे बेहद अच्छे से चबाते हैं, इस समय कुछ रचनात्मक प्रक्रियाएं ऐसे घटित होती हैं, जिसे जानना बेहद आवश्यक होता है. इसका वर्णन नीचे किया जा रहा है,
भोजन चबाने की प्रक्रिया और पांच मुख्य स्वाद (The Process of Chewing Food and Five main Flavors)
भोजन चबाने की प्रक्रिया से हम लगभग हर भोज्य पदार्थ को खाते हुए गुजरते हैं. जब हम भोजन मुँह में डालते हैं, उस समय भोजन के साथ मुँह में उपस्थित सलाइवा इस खाने को छोटे छोटे कणों में विभाजित कर देता है, ताकि हमारे शरीर में उपस्थित पाचन तंत्र उसे आसानी से पचा सके. ये छोटे छोटे कण यहां हमारे मुँह में स्थित जीभ के पपिल्लाए (Paplillae) की तरफ बढ़ने लगते हैं, हमारे जीभ का सबसे ऊपरी हिस्सा इसी पपिल्लाए से भरा हुआ होता है. एक पपिल्लाए में कम से कम 50 और अधिकतम 100 टेस्ट सेल मौजूद होते हैं. ये टेस्ट सेल एक साथ फोल्डेड हुए रहते हैं. इनकी रचना कुछ इस तरह से होती है, जैसे फूलों में पंखुड़ी देखी जाती है. इसे ही टेस्ट बड्स कहा जाता है. एक स्वस्थ मनुष्य की जीभ में लगभग 10,000 टेस्ट बड्स मौजूद होते हैं. इसके अन्दर कुछ विशेष तरह के रसायन मौजूद होते हैं, जो पांच तरह के मूल स्वादों को समझने के काम आते हैं. ये पांच स्वाद हैं : नमकीन, मीठा, खट्टा, कड़वा और उमामी. उमामी शब्द एक जापानी शब्द से उद्घाटित हुआ है, जिसका सम्बन्ध स्लेवरी स्वाद से होता है.
मानव क्रम-विकास और स्वाद (Human Evolution and Taste)
इस तथ्य को समझने के लिए हमें लगभग 3 मिलियन वर्ष पहले भारत के इतिहास की कुछ विशेष बातों को जानने की आवश्यकता है. इस समय मनुष्य ने ऐसे कोई हथियार नहीं बनाए थे, जिससे कि वह पशुओं को मार सके और उनके मांस खा सके. अतः इस समय उसे फल, ड्राई फ्रूट, सब्ज़ियाँ आदि खा के अपनी भूख मिटानी पड़ती थी. इस समय मनुष्य को सर्वाइव करने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती थी. अतः उन्हे ऐसे खाद्य पदार्थ ढूँढने की आवश्यकता होती थी, जिसमें कैलोरी की मात्रा अधिक हो. जिससे कि वे अधिक ऊर्जा प्राप्त कर सकें. ध्यान देने वाली बात ये हैं कि 1 ग्राम फैट 9 कैलोरी तक ऊर्जा देता है और वहीँ 1 ग्राम कार्बोहाईड्रेट महज 4 कैलोरी. हालाँकि कार्बोहाईड्रेट शरीर के लिए आवश्यक तत्व है, क्योंकि शरीर इस तत्व को सबसे तेज़ शोषित कर पाता है.
कालांतर में विभिन्न तरह के औजारों और हथियारों के आने से जब मानवों ने जानवरों का शिकार करना सीखा तो, इस समय इन्हें और अधिक ऊर्जा की आवश्यकता पड़ी. इस समय इनके पास ऊर्जा के लिए विभिन्न तरह के फल और मधु मौजूद थे. मीठे में अधिक कार्बोहाइड्रेट होने की वजह से इन खाद्य पदार्थों से अधिक मात्रा में कार्बोहायड्रेट प्राप्त हो पाता था, अतः जीवन यापन के लिए यह बहुत अच्छा था. इस वजह से इस स्वाद को लगातार ग्रहण करते रहने की वजह से हमारे टेस्ट बड्स इस तरह से विकसित हुए कि जब भी मनुष्य ऐसी चीजें खाता था, ये टेस्ट बड्स मनुष्यों को एक आनंद दायक अनुभूति दे सकते थे. अतः ये हमारे दिमाग को इन चीजों के खाने पर सकारात्मक सिग्नल देते थे, जिससे दिमाग को ये समझ आ जाता था, कि यह भोज्य पदार्थ शरीर के लिए लाभदायक है. अतः फिर हमारे टेस्ट बड्स इस तरह से भी विकसित हुए कि वे खट्टी चीजों पर नकारात्मक प्रतिक्रिया दे सकें. इसी तरह किसी भी कडवी चीज को खाते हुए ये हमारे ब्रेन को ये सिग्नल देते थे, कि ये चीज शरीर और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव भी डाल सकती है. दरअसल पाषाण युग के समय कुछ बेर वाकई ऐसे थे, जिनका स्वाद खट्टा अथवा कड़वा होता था. इस वजह से ये टेस्ट बड्स ऐसे विकसित हुई कि ऐसे टेस्ट्स पर नकारात्मक प्रतिक्रिया दे सकें.
अतः अब हमारा शरीर ऐसा हो गया है कि ये ऐसे मीठे और नमकीन स्वाद वाली चीजों पर सकरात्मक रूप की प्रतिक्रिया देता है, क्योंकि ऐसे स्वाद एक लम्बे समय तक सर्वाइवल के लिये बहुत महत्वपूर्ण थे. किन्तु ध्यान देने वाली बात ये है कि अब हमें जीवन यापन के लिए उतनी ऊर्जा की आवश्यकता नहीं पड़ती, जितनी 3 मिलियन वर्ष पूर्व पड़ती थी. अतः अब ऐसे खाद्य पदार्थों से बनने वाले वसा और फैट को हमारा शरीर जला नहीं पाता है, जिस वजह से मनुष्य को कई तरह के रोग होने लगते हैं.
इसी तरह से हमारे टेस्ट बड्स आज की तात्कालिक स्वास्थ्यवर्धक चीजों पर नकारात्मक रूप से प्रतिक्रया देते है, क्योंकि ये स्वाद में कड़वे होते हैं. अतः हमारे मस्तिष्क को यह सिग्नल जाता है कि ये कड़वी चीज़े जहरीले भी हो सकते हैं. अतः आज कल लोग इन सभी स्वास्थवर्धक चीजों से दूर भागने की कोशिश करते हैं.
किस तरह के खानों से परहेज करें (Precaution from junk food) :
विभिन्न लोगों को विभिन्न तरह के खानों से परहेज करना पड़ता है, जैसे जिसे डाईबिटिज है वह मीठा नहीं खा सकता, किन्तु अन्य लोग खा सकते हैं. किन्तु कुछ ऐसी चीजें भीं हैं, जिन्हें खाने से परहेज करनी ज़रूरी है. जैसे बाजार में बिकने वाले पिज़्ज़ा, बर्गर, तरह तरह की तली हुई चीजें आदि. ये सब हालाँकि स्वाद में बेहतर होती हैं, किन्तु अधिक कैलोरी वाली होती हैं. जो हमारे शरीर में जम के मोटापे को आमंत्रण देता है. अतः हमें इस तरह के खानों से परहेज करनी चाहिए.
अलग अलग लोगों की पसंद अलग अलग क्यों (Why Different People’s Choice Vary)
एक प्रश्न ये भी आता है कि अलग अलग लोगों को खाने में अलग अलग चीजें क्यों पसंद होती हैं. उदाहरण के तौर पर कुछ लोगों को मीठा बहुत अधिक पसंद होता है और कुछ लोग इससे काफी दूर भागते हैं. इसकी वजह ये है कि मानव का विकास एक साथ विश्व के अलग अलग स्थानों पर हुआ. इन अलग अलग स्थानों की भौगोलिक स्थिति और वातावरण अलग होते थे, जिसे यहाँ के मानव अपने सर्वाइवल के लिये एडाप्ट करते थे. इस वजह से अधिक कडवे फलों से युक्त स्थान में रहने वाले मनुष्यों ने इस स्वाद को उन लोगों से बेहतर एडाप्ट किया जो लोग कम कडवे फल युक्त स्थान में रहते थे. एक रिसर्च में ये पाया गया, कि जो व्यक्ति मलेरिया युक्त स्थानों में रहते हैं, उनमे एक ऐसा जीन पाया जाता है, जो उन्हें कडवे स्वाद के लिए कम संवेदनशील बनाते हैं. साथ ही अब जीन पूल क्रासिंग की वजह से हमारे टेस्ट बड्स विभिन्न तरह के स्वाद पर अपनी प्रतिक्रया देने लगे हैं. इसी वजह से कड़वी चीजें कुछ लोगों की पसंदीदा होती हैं और कुछ लोगों को नापसंद होती है.
अतः अब हमें अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यदि ऐसी चीजें भी खानी पड़ें, जो स्वाद में कड़वी हो, तो हमें खाने की ज़रुरत है. हरी शाक सब्ज़ियाँ, जो कि आम तौर पर बहुत स्वादिस्ट नहीं होती, किन्तु शरीर के प्रति बहुत लाभदायक होती है. अतः हमें हरी शाक सब्ज़ियां खाते रहनी चाहिए.
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