तेनाली राम की कहानियां और उनका जीवन परिचय | Tenali Rama Biography and short Stories In Hindi
बचपन में आप लोगों ने कभी ना कभी तो तेनाली रामा या तेनाली रामाकृष्ण की कहानी पढ़ी होगी. स्कूलों की किताबों में भी तेनाली रामा की कहानियों का जिक्र किया जाता है. तेनाली रामा एक कवि होने के साथ-साथ एक चतुर इंसान भी हुआ करते थे. उन्होंने अपने जीवन काल में कई तरह की कविताएं लिखी हैं और वो अपने बुद्धि और हास्य के लिए काफी जाने जाते थे. आज हम आपको उनकी कुछ कहानियों और उनके जीवन के बारे में जुड़ी कुछ रोचक बाते बताने जा रहे हैं.
Table of Contents
तेनाली राम का जीवन परिचय (Tenali Rama Biography )
माना जाता है कि तेनाली राम का जन्म 16वीं शताब्दी में आंध्रप्रदेश राज्य में हुआ था. वहीं जन्म के समय इनका नाम गरलापति रामाकृष्ण था. तेलगु ब्राह्मण परिवार से नाता रखने वाले रामा के पिता गरलापति रमय्या एक पंड़ित हुआ करते थे, जबकि उनकी मां लक्ष्मम्मा घर संभालती थी. कहा जाता है कि जब तेनाली रामा छोटे थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया था. जिसके बाद उनकी मां, उनको लेकर अपने माता-पिता के यहां चली गई थी. उनकी मां के गांव का नाम ‘तेनाली’ था.
पूरा नाम | तेनाली रामाकृष्ण |
जन्म तिथि | 16वीं शताब्दी |
उपनाम | “विकट कवि” |
जन्म स्थान | गुंटूर जिले, आंध्रप्रदेश |
पत्नी का नाम | जानकारी नहीं |
पेशा | कवि |
तेनाली रामा की शिक्षा (Tenali Rama Education)
आप लोगों को ये जानकर हैरानी होगी, कि इतने महान कवि ने किसी भी तरह की शिक्षा प्राप्त नहीं की थी. अशिक्षित होने के बावजूद तेनाली रामा ने मराठी, तमिल और कन्नड़ जैसी भाषाओं में महारथ हासिल की हुई थी. वहीं माना जाता है कि तेनाली जी ने वैष्णव धर्म अपना लिया था. अपनी जरुरतों को पूरा करने के मकसद से वो भागवत मेला की प्रसिद्द मंडली में काम करने लगे थे. इस मंडली का हिस्सा बनकर उन्होंने कई तरह के कार्यक्रम किए थे.
तेनाली और राजा कृष्णदेवराय का जोड़ी (Tenali Rama and Krishnadevaraya)
विजयनगर राज्य के राजा कृष्णदेवराय और तेनाली की जोड़ी को अकबर और बीरबल की जोड़ी के समान माना जाता है. तेनाली ने राजा कृष्णदेवराय के दरबार में एक कवि के रूप में काम करना शुरू किया था. कहा जाता है कि एक बार जब तेनाली रामा अपनी मडंली के साथ विजयनगर में एक कार्यक्रम कर रहे थे, तब उनकी पहली बार मुलाकात कृष्णदेवराय से हुई थी और राजा को उनके द्वारा किया गया प्रदर्शन काफी पसंद आया था. जिसके बाद राजा ने उन्हें अपने दरबार में एक कवि का कार्य सौपा था. लेकिन तेनाली इतने चतुर थे कि उन्होंने धीरे-धीरे अपनी बुद्धिमानी से राजा के और करीब आ गए. राजा जब भी किसी परेशानी में हुआ करते थे, तो सलाह के लिए अपने आठ कवि में से केवल तेनाली रामा को याद किया करते थे.
तेनाली पर बनी फिल्में और नाटक (Tenali Rama Film and Cartoon serial)
तेनाली रामा के जीवन के ऊपर कन्नड़ भाषा में एक फिल्म में भी बनी हैं. इतना ही नहीं बच्चों के लिए कार्टून नेटवर्क ने भी एक नाटक बनाया था और इस नाटक का नाम ‘दी एडवेंचर ऑफ़ तेनाली रामा’ रखा था. वहीं इस वक्त भी सब टीवी पर उनके जीवन पर आधारित एक कार्यक्रम आता है. दूरदर्शन ने भी तेनाली रामा नाम का एक नाटक बनाया था और इस नाटक में उनकी कहानियां दिखाई गई थी. इसके अलावा उनकी कहानियों से जुड़ी कई किताबे में छापी गई हैं, जो कि बच्चों द्वारा काफी पसंद की जाती हैं.
तेनाली रामा की बच्चों के लिए कहानियां (Tenali Raman short stories in hindi)
ऊपर दिए गए उनके जीवन परिचय को पढ़कर आप ये सोच रहे होंगे, कि आखिर उन्होंने ऐसा क्या किया था कि इस सदी में भी उनको याद किया जाता है. क्यों उनको बुद्धिमान और चतुर व्यक्ति माना जाता है. आपके इन्हीं सवाल का जवाब आपको नीचे दी गई उनके जीवन की घटनाओं को पढ़कर मिल जाएगा. नीचे हमने उनकी कुछ कहानियों का वर्णन किया है. इन कहानियों में बताया गया है कि कैसे अपनी समझ के कारण उन्होंने बड़ी सी बड़ी समस्या को आसानी से हल किया.
तेनाली रामा की बच्चों के लिए मजेदार कहानी (Tenali Raman Funny Stories For Kids)-
- व्यापारी और तेनाली की कहानी (Tenali Rama intelligence)
एक बार राजा कृष्णदेवराय के दरबार में एक विदेशी व्यापारी आया था. इस व्यापारी ने राजा से मुलाकात कर कहा कि उसने सुना है कि राजा के पास कई सारे मंत्री हैं और उसने इन मंत्रियों की बुद्धिमानी के बारे में काफी कुछ सुना हुआ है. इस व्यापारी ने राजा से अनुमति मांगी, कि वो उनके मंत्रियों के ज्ञान की परीक्षा लेना चाहता है. राजा ने भी उस व्यापारी की बात मान ली और कहा कि वो उनके मंत्रियों की बुद्धिमानी की परीक्षा ले सकते है. फिर क्या था व्यापारी ने राजा को तीन गुड़ियां दी. ये तीनों गुड़िया दिखने में एक जैसी थी. गुड़िया राजा को देने के बाद व्यापारी ने राजा से कहा कि आपके मंत्री मुझे तीस दिन के अंदर, एक जैसी दिखने वाली इन गुड़ियों में क्या अंतर है ये बताएं. राजा ने भी व्यापारी की बात मानते हुए अपने राज्य के मंत्रियों को बुलाया और उन्हें ये कार्य करने को दिया.
हालांकि राजा ने तेनाली रामा को ये कार्य नहीं सौंपा था. लेकिन लंबे समय तक कोई भी मंत्री ये नहीं बता पाया, कि आखिर एक जैसी दिखने वाली इन गुड़ियों में क्या अंतर है. फिर राजा ने यही कार्य तेनाली रामा को सौंपा और जैसे ही तीस दिन पूरे हो गए, वो व्यापारी राजा के दरबार में अपनी चुनौती का जवाब मांगने आया. फिर क्या था तेनाली रामा ने उस व्यापारी को कहा कि इन तीन गुड़ियों में से एक गुड़िया अच्छी है, एक ठीक-ठाक है जबकि एक बहुत बुरी है. तेनाली रामा के इस जवाब को सुनकर सब हैरान रह गए, कि आखिर किस आधार पर तेनाली ने ये जवाब दिया. फिर तेनाली रामा ने सबके सामने एक गुड़िया के कान में एक तार डाली और वो तार गुड़िया के मुंह से निकल आई. फिर इसी तरह उन्होंने दूसरी गुड़िया के कान में तार डाली और वो तार उस गुड़िया के दूसरे कान से निकल गई. और अंतिम गुड़िया के कान में तार डालने पर वो तार किसी भी जगह से बाहर नहीं निकली. जिसके बाद तेनाली रामा ने कहा, कि जिस गुड़िया के मुंह से तार बाहर निकली है वो गुड़िया बुरी है. क्योंकि उसको अगर कोई कुछ बताएगा, तो वो सबको उस बात की जानकारी दे देगी. वहीं जिस गुड़िया के कान से तार निकली वो गुड़िया ठीक ठाक है, क्योंकि अगर उसे कोई कुछ बताएगा, तो वो उसको ध्यान से नहीं सुनेंगी. वहीं जो आखिरी गुड़िया है, उसे जो कोई कुछ बताएगा वो उसे अपने दिल के अंदर रखेगी. इसलिए वो गुड़िया अच्छी है. इस तरह से तेनाली रामा द्वारा दिए गए जवाब को सुनकर राजा के साथ साथ वो व्यापारी भी हैरान रह गए. लेकिन तेनाली यहां पर ही नहीं रुके उन्होंने इन गुड़ियों के बारे में कहा, कि पहली गुड़ियां उन लोगों में से है जो कि ज्ञान सुनकर लोगों में बांटती है. बल्कि दूसरी गुड़िया उन लोगों में से है जिनको जो सिखाया जाता है उन्हें वो समझ नहीं आता है और आखिरी गुड़िया उन लोगों में से है जो कि ज्ञान को अपने तक ही सीमित रखती हैं. तेनाली के इस जवाब को भी सुनकर राजा काफी खुश हुए. उस व्यापारी को भी समझ आ गया, कि उसने जो राजा के मंत्री की बुद्धिमानी के बारे में सुना था वो एकदम सही था.
चोरों को पकड़ने की कहानी (Tenali Raman And Two Thieves stories)
एक बार तेनाली रामा अपनी पत्नी के साथ रात को अपने घर में सो रहे थे. तभी अचानक उन्होंने कुछ आवाज सुनी. तेनाली रामा को आवाज सुनकर शक हो गया कि कुछ चोर उनके घर चोरी करने आए हैं. तेनाली ने अपनी पत्नी को कहा कि लगता है कोई चोरी करने आया है, तो हम अपने कीमती समान को एक थेली में डाल कर कुएं के अंदर फेंक आते हैं. जिसके बाद तेनाली अपनी पत्नी के साथ कुएं में अपने कीमती समान से भरी थेली फेंक आएं. वहीं चोरों ने उनकी बात सुन ली थी और वो चोर कुएं में जाकर ,कुएं का पानी निकालने लगे. पूरी रात कड़ी मेहनत करने के बाद जब चोरों के हाथों वो थेली लगी, तो उस थेली में पत्थर थे. जिसके बाद वहां तेनाली आए और उन्होंने चोरों का धन्यवाद करते हुए कहा कि, शुक्रिया आप लोगों ने मेरे बाग में फूलों को पानी दिया और कुएं को साफ कर दिए. जिसके बाद वो चोर हैरान रहे गए और उन्होंने अपनी इस हरकत के लिए तेनाली से माफी मांगी, और उन्होंने कहा कि वो किसी को भी ये ना बताएं कि वो चोर है. तेनाली ने उनसे वादा किया कि वो किसी को भी कुछ नहीं बताएंगे. लेकिन उनको चोरी छोड़नी पड़ेगी, जिसके बाद इन चोरों ने मेहनत करके पैसे कमाने शुरू कर दिए.
तेनाली और बिल्ली की कहानी (The Story Of Tenali Rama And The Cat that hat milk)
एक बार राज्य में चूहों ने लोगों को काफी परेशान कर दिया था. लोगों के घरों में इतने चूहें हो गए थे कि वो घर में रखा सारा खाना और कपड़ों को खराब कर देते थे. जब ये बात राजा के पास पहुंची तो राजा ने राज्य के सभी लोगों को आदेश दिया कि उन्होंने अपने घर में एक बिल्ली पालनी होगी. ताकि चूहों को बिल्ली खा लें और परेशानी का समाधान निकल जाए. लेकिन राज्य की जनता के पास इतना दूध नहीं हुआ करता था कि वो बिल्ली को भी दूध दे सकें. वहीं जनता की इस समस्या का हल करते हुए राजा ने हर घर के लिए एक गाय देने का फैसला किया .
वहीं तेनाली को दूध बहुत पसंद था और वो नहीं चाहते थे की बिल्ली को दूध दिया जाए. इसलिए वो रोज बिल्ली के लिए गर्म दूध रखते थे ताकि बिल्ली उस दूध को पी ना सकें. तेनाली रामा की ये तरकीब काम कर गई और बिल्ली जब भी दूध पीने जाती तो गर्म दूध देख वो दूध को पी नहीं पाती थी. और इस तरह तेनाली को सारा दूध पीने को मिल जाता था. वहीं एक दिन राजा ने आदेश दिया की गांव के सभी लोग अपनी बिल्ली के साथ राज दरबार में पेश हों. जब राजा ने दरबार में सभी बिल्लियों को देखा, तो सिर्फ तेनाली की बिल्ली काफी कमजोर नजर आई. राजा ने तेनाली से पूछा की तुम्हारी बिल्ली इतनी कमजोर क्यों है. तेलानी ने कहा कि उसकी बिल्ली को दूध पीना पंसद नहीं है. राजा को तेनाली की बात पर यकीन नहीं हुआ और उन्होंने बिल्ली को उनके सामने दूध पिलाने का आदेश दिया. जैसे बिल्ली के सामने दूध रखा गया तो बिल्ली को लगा की ये दूध गर्म होगा और बिल्ली ने इस तरह से वो दूध नहीं पिया. और तेलानी को राजा द्वारा कोई दंड नहीं दिया और गाय का सारा दूध तेलानी को मिलने लगा.
ऊपर बताई गई कहानी से साफ पता चलता है कि तेनाली अपनी समझ से किस तरह हर बार लोगों को हैरान कर देते थे. इतना ही नहीं उनकी समझ के कारण बड़ी सी बड़ी परेशानी को हल किया जाता था.
तेनाली रामा से जुड़ी कुछ रोचक बातें- (Tenali Rama facts)
- कहा जाता है कि तेनाली रामा भगवान शिव के भक्त हुआ करते थे. लेकिन बाद में उन्होंने वैष्णव धर्म को अपना लिया और भगवान विष्णु की भक्ति करने लगे. इतना ही नहीं उन्होंने अपना नाम रामकृष्ण रख लिया था. वहीं उनके नाम के आगे तेनाली इसलिए जोड़ा गया क्योंकि वो जिस गांव से आते थे उसका नाम तेनाली था.
- तेनाली रामा द्वारा लिखे गए पांडुरंग महात्म्यं काव्य को तेलुग साहित्य में उच्च स्थान दिया गया है. इस काव्य को इस भाषा के पांच महाकाव्यों में गिना जाता है. इतना ही नहीं इसलिए उनका उपनाम “विकट कवि” रखा गया है.
- तेनाली रामा न केवल किताबें लिखा करते थे, बल्कि उन्होंने अपनी बुद्धिमानी से एक बार विजय नगर साम्राज्य को दिल्ली के सुल्तानों से भी बचाया था. इसके अलावा कृष्णदेवराय और तेनाली रामा के बीच कई लोकप्रिय कहानियां भी हैं.
- इतनी ही नहीं कहा जाता है कि वैष्णव धर्म को अपनाने के चलते उन्हें गुरुकुल में शिक्षा देने से मना कर दिया गया था. जिसके चलते रामा अपने जीवन में कभी भी शिक्षा हासिल नहीं की.
FAQ
Ans- तेनाली रामा चार वेद पारंगत तत्वेत्ता, राज सलाहगार थे।
Ans- तेनाली रामा का जन्म 22 सितंबर 1480 को गुंटूर में हुआ।
Ans- तेनाली रामा की दो पत्नियां थी।
Ans- तेनाली रामा चतुर, ईमानदार और बुद्धिमान व्यक्ति थे।
Ans- तेनाली रामा ने देवी काली को प्रसन्न किया।
होम पेज | यहाँ क्लिक करें |
अन्य पढ़े: