वाशिंगटन राज्य के सिएटल में पिछले वर्ष 23 जनवरी को एक दुखद घटना में, 23 वर्षीय भारतीय छात्रा जाह्नवी कंदुला की मृत्यु हो गई। यह घटना तब घटी जब एक तेजी से चल रही पुलिस वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। इस घटना ने स्थानीय और वैश्विक समुदायों पर गहरा प्रभाव डाला। एक वर्ष के कानूनी संघर्ष, अदालती कार्यवाही, भारतीय और अमेरिकी सरकारों के बयानों, और जवाबदेही की मांग के बावजूद, इस दुर्घटना के पीछे के पुलिस अधिकारी को आपराधिक आरोपों से मुक्त कर दिया गया है।
प्रॉसिक्यूटर का निर्णय (Prosecutor’s Decision)
एक अमेरिकी अभियोजक ने कहा कि केविन डेव, जो वाहन चला रहे थे और जिनकी गति 120 किमी/घंटा थी, के खिलाफ “पर्याप्त सबूत” नहीं हैं, जिससे उन पर आपराधिक आरोप लगाए जा सकें। इस निर्णय ने समुदायों में गहरी निराशा और क्रोध की भावना को जन्म दिया है।
सिएटल पुलिस द्वारा जारी बॉडीकैम फुटेज में, दुर्घटना में शामिल न होकर भी मौजूद अधिकारी डैनियल ऑडरर ने दुर्घटना के बारे में असंवेदनशील टिप्पणी की और उसे हंसी में उड़ा दिया। उनकी यह टिप्पणी कि “वह 26 वर्ष की थी, उसकी जिंदगी का कोई खास मूल्य नहीं था,” ने और भी आक्रोश पैदा किया।
किंग काउंटी प्रॉसिक्यूटिंग अटॉर्नी लीसा मैनियन ने ऑडरर की टिप्पणियों को “भयानक और गहराई से चिंताजनक” बताया। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ऑडरर की टिप्पणियाँ डेव के व्यवहार के कानूनी विश्लेषण को बदलती नहीं हैं। इसके बजाय, इसे पुलिस जवाबदेही कार्यालय (OPA) के अधीन संबोधित किया जाना चाहिए।
समुदाय पुलिस आयोग की प्रतिक्रिया
समुदाय पुलिस आयोग (CPC) ने इस निर्णय पर गहरी निराशा व्यक्त की और कंदुला के परिवार तथा भारतीय अमेरिकी समुदाय के प्रति संवेदना व्यक्त की। CPC ने इस घटना को लेकर पुलिस विभाग की आपातकालीन वाहन संचालन नीति में आवश्यक परिवर्तनों पर काम करने की बात कही।
अंतरराष्ट्रीय आक्रोश
इस घटना ने वैश्विक स्तर पर व्यापक आक्रोश पैदा किया। भारतीय-अमेरिकी समुदाय और राजनेताओं ने इस व्यवहार की कठोर निंदा की। भारतीय-अमेरिकी कांग्रेसी रो खन्ना और प्रमिला जयपाल ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की और जाह्नवी कंदुला के परिवार के लिए न्याय की मांग की।
सिएटल शहर के मेयर ब्रूस हैरेल ने भी कंदुला परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की और ऑडरर की टिप्पणियों को शहर या इसके समुदायों की भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं मानने की बात कही।
इस घटना ने न केवल एक युवा छात्रा की त्रासदीपूर्ण मौत को उजागर किया है बल्कि पुलिस विभागों में सुधार की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला है। यह मामला समुदाय और पुलिस के बीच विश्वास और सम्मान के निर्माण की चुनौती को भी रेखांकित करता है। जाह्नवी कंदुला की मौत ने न्याय, जवाबदेही और पुलिस प्रणाली में पारदर्शिता की मांग को और अधिक मजबूत किया है।
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