इंटरनेट ऑफ थिंग्स का मतलब क्या है Internet of Things (IOT) meaning, full form, products, application in Hindi
कंप्यूटर और इंटरनेट ऐसी चीज हैं जिसके बारे में हर किसी ने सुना होगा और इनका इस्तेमाल भी कभी ना कभी किया होगा. वहीं कंप्यूटर और इंटरनेट के साथ कई तरह की चीजें जुड़ी हुई होती हैं, जिनका हम इस्तेमाल तो करते हैं लेकिन उनके बारे में हमे पता नहीं होता है. टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कई तरह की चीजों का निर्माण आए दिन हो रहा है, जिससे की नई तरह की तकनीक बाजार में आ रही हैं और इन्हीं तकनीकों में से एक तकनीक ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ है. इस शब्द का जिक्र काफी जगहों पर हो रहा हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि इंटरनेट ऑफ थिंग्स का मतलब क्या है, आखिर इंटरनेट ऑफ थिंग्स किसे कहते हैं और ये किस तरह से कार्य करती हैं? इन्हीं सभी सवालों के जवाब आज हम आपको इस लेख के जरिए देने की कोशिश करेंगे.
आईओटी (IOT) का पूरा नाम (Full form of IOT)
आईओटी (IOT) का पूरा नाम इंटरनेट ऑफ थिंग्स हैं. वहीं काफी जगहों पर आपको इंटरनेट ऑफ थिंग्स की जगह आईओटी (IOT) लिखा हुआ मिलेगा. इस शब्द को केविन एशटन द्वारा पहली बार इस्तेमाल किया गया था और उन्होंने कहा था कि ये एक ऐसी प्रणाली है, जहां इंटरनेट सर्वव्यापक सेंसर के माध्यम से भौतिक दुनिया से जोड़ा जा सकता है.
इंटरनेट ऑफ थिंग्स क्या है? (what is Internet of Things (IOT) in hindi)
इंटरनेट ऑफ थिंग्स के जरिए कई प्रकार के प्रौद्योगिकियों और उपकरणों को एक साथ जोड़ा जा सकता है. इंटरनेट ऑफ थिंग्स नेटवर्किंग के विकास की बड़ी सफलता है. इस तकनीक का इस्तेमाल सभी गैजेट्स और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को इंटरनेट के माध्यम से आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है. इस तकनीक की मदद से जोड़े गए सभी स्मार्ट डिवाइस एक दूसरे को डाटा भेजते हैं और एक दूसरे से डाटा प्राप्त कर सकते हैं. एक-दूसरे को भेजे गए डाटा के आधार पर फिर ये कार्य करते हैं. वहीं ये टेक्नोलॉजी आज के समय में काफी सफल है और लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण बनती जा रही है. इस टेक्नोलॉजी की मदद से हम लोगों की जिंदगी आने वाले समय में बेहद आसान हो जाएगी. इसकी मदद से आप किसी भी एक डिवाइस या उपकरण को इंटरनेट के साथ लिंक करके बाकी डिवाइसेज से अपने अनुसार कुछ भी कार्य करवा सकते हैं.
वहीं नीचे दिए गया उदाहरण इस तकनीक को और आसानी से समझने में आपकी मदद करेगा. अगर कोई व्यक्ति अपने घर पहुंचने से पहले चाहता है कि उसके कमरे का एसी (AC) ऑन हो जाए और घर पहुंचते ही उसे अपना कमरा एकदम ठंड़ा मिले तो इंटरनेट ऑफ थिग्स के जरिए ऐसा किया जा सकता है. वहीं अगर घर से निकलते हुए आप का एसी ऑन रह जाता है तो आईओटी की मदद से आप उस बंद भी कर सकते हैं.
जी हां कोई भी व्यक्ति अपने घर के कई उपकरणों को एक साथ इंटरनेट की मदद से जोड़कर कहीं से भी उनको ऑन या ऑफ कर सकता. इसी तरह अगर आप की गाड़ी में कोई खराबी आती है तो इसकी जानकारी उस गाड़ी बनाने वाली कंपनी के पास इस तकनीक की मदद से चली जाएगी. जिसके बाद आपकी गाड़ी की कंपनी आपको आपकी गाड़ी में हुई खराब के बारे में जानकारी दे देगी. हालांकि आप इस तकनीक का फायदा तभी उठा सकते हैं जब आप के मोबाइल या डिवाइस के आईपी एड्रेस (IP Address) के साथ ये उपकरण जुड़े हों.
इंटरनेट ऑफ थिंग्स के एप्लिकेशन्स (Internet of things applications):
- स्मार्ट घर (What is smart house) –
स्मार्ट घर इंटरनेट ऑफ थिंग्स का ही एक हिस्सा हैं और आप लोगों ने स्मार्ट घरों के बारे में जरूर सुना होगा. दरअसल स्मार्ट घर उन घरों को कहा जाता है जहां पर घर के सारे उपकरण इंटरनेट के साथ जुड़े होते हैं. ये उपकरण सेंसर की मदद से ही घर की हीटिंग, एसी, घर के दरवाजों को कंट्रोल करते हैं. मान लीजिए की अगर आप घर पर नहीं हैं और आप घर का कोई दरवाजा खुला छोड़कर चले गए हैं. अगर उस दरवाजे पर सेंसर लगा होगा तो वो अपने आप ही कुछ समय बाद बंद हो जाएगा. इतना ही नहीं आपको इस चीज की जानकारी आपके फोन के जरिए मिल जाएगी.
- वेयरएबल्स (what is wearable technology) –
वेयरएबल्स के अंदर वो चीजें आती हैं जिन्हें आप पहन सकते हैं. जैसे की स्मार्ट घड़ी, स्मार्ट जूते और इत्यादि. ये सारी चीजें इंटरनेट ऑफ थिंग्स के अंतर्गत आती हैं. वहीं आपने कई तरह की स्मार्ट घड़ियों के बारे में तो सुना होगा. जैसे की एप्पल कंपनी की स्मार्ट घड़ी. इन घड़ियों की मदद से आप कई सारे कार्य कर सकते हैं, जैसे की ये घड़ी आपको आपकी सेहत के बारे में जानकारी दे सकती हैं, वहीं आप इन घड़ियों को अपने फोन से जोड़कर वर्कआउट करते समय कहीं भी ईमेल भेज सकते हैं. यानी आपको वर्कआउट करते हुए अपने फोन को बार-बार देखने की जरूरत नहीं पड़ती है.
इसी तरह स्मार्ट गार्डन, स्मार्ट किचन और हेल्थ से जुड़े कई उपकरण आते हैं, जो कि आईओटी के अंतर्गत गिने जाते हैं. ये उपकरण अपने आप ही स्थिति को समझते हुए कार्य करते हैं. उदाहरण के लिए अगर आपके पास कोई स्मार्ट अलार्म वाली घड़ी है, तो वो आपको मौसम, ट्रैफिक और अन्य चीजों के आधार पर उठाएगी. मान लीजिए आपको किसी दूसरे शहर में जाना हैं और अपने सुबह 6 बजे का अलार्म स्मार्ट घड़ी में भरा हुआ है, वहीं ये घड़ी मौसम, रास्ते में आपको मिलने वाले ट्रैफिक के आधार पर आपको उठाएगी. अगर घड़ी को लगता है कि ट्रैफिक की वजह से आपको 15 मिनट पहले उठना चाहिए तो, आपके द्वारा भरे गए अलार्म से 15 मिनट पहले घड़ी आपको उठा देगी.
इंटरनेट ऑफ थिंग्स डिवाइसेज (Internet of Things Devices or products)
बाजार में कई जानी-मानी कंपनियों द्वारा कई तरह के इंटरनेंट ऑफ थिंग्स के उपकरण बनाए और बेचे जा रहे हैं. अमेजन इको, फिटबिट वन, एस्ट्रम AL 150 लॉक, एप्पल स्मार्ट घंड़ी और इत्यादि उपकरण इनकी श्रेणी के अंदर आते हैं. ऊपर बताए गए उपकरण अलग-अलग तरह के कार्य करते हैं. जैसे की अमेजन इको के जरिए आप गाने बजा सकते हैं, मौसम की जानकारी पता कर सकते हैं या फिर टैक्सी बुक कर सकते हैं. वहीं फिटबिट वन के जरिए आपको पता चल सकता है कि आप कितना चले हैं. आपने कितनी कैलोरीज खर्च की हैं. इतना ही नहीं आपने कितने देर की नींद ली है. इसके अलावा ये डिवाइस इंटरनेट के जरिए आपकी सेहत का समय-समय पर डाटा बनाता रहता है और आपको आपके द्वारा की गई तरक्की के बारे में बताता रहता है.
वहीं एस्ट्रम AL 150 लॉक- सिक्योरिटी ब्लूटूथ आधारित ताला है. ये ताला एंड्रॉयड और आईओएस (IOS) उपकरणों को सपोर्ट करता है. इसे आप घर में मौजूद अन्य गैजेट्स के साथ आसानी से कनेक्ट कर सकते हैं. और अपने फोन की मदद से चीजों को लॉक कर सकते हैं.
इंटरनेट ऑफ थिंग्स का भविष्य (future of internet of things)
इस वक्त दुनिया भर में करीब 1200 करोड़ उपकरण इस के अंतर्गत आते हैं. वहीं माना जा रहा है कि आने वाले समय से ये संख्या इस समय की संख्या से 26 गुना बढ़ जाएगी. इसके अलावा आईओटी का वैश्विक बाजार मूल्य 2020 तक 7. 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा. वहीं इन आकड़ों से आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में इस तकनीक की कितनी मांग होने वाली है.
इंटरनेट ऑफ थिंग्स के फायदे (internet of things advantages) –
इंटरनेट ऑफ थिंग्स के जरिए हर काम को आसानी से किया जा सकता है. वहीं इंटरनेट ऑफ थिंग्स के जरिए लोगों के रहने का स्तर भी आने वाले समय में बढ़ जाएगा. इस तकनीक की मदद से आप एक साथ कई कार्यों को आसानी से कर सकते हैं. इसके अलावा अगर आप अपने दफ्तर या घर से दूर हैं, तो आप स्मार्ट उपकरणों की मदद से वहां की जानकारी आसानी से ले सकते हैं.
इंटरनेट ऑफ थिंग्स के नुकसान(internet of things disadvantages)
इंटरनेट ऑफ थिंग्स से जुड़ा जो सबसे बड़ा नुकसान है, वो सुरक्षा को लेकर है. आज के दौर में इंटरनेट की सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठते हैं. ऐसे में हर चीज को इंटरनेट से जोड़ने के कारण उनकी सुरक्षा को लेकर खतरा बना रहेगा. वहीं आने वाले समय में ये तकनीक लोगों की नौकरियों पर भी खतरा बन सकती है.
कौन-कौन सी कंपनियां बनाती हैं ये उपकरण (top internet of things companies)
कई जानी मानी कंपनियों द्वारा ये स्मार्ट उपकरण बनाए जाते हैं. इन कंपनियों की सूची में आईबीएम कंपनी का स्थान पहले नंबर पर हैं. वहीं जो अन्य कंपनियां आईओटी में शामिल हैं वो इस प्रकार हैं- गूगल, इंटेल, माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल, सिस्को और सैमसंग.
भारत मेंइंटरनेट ऑफ थिंग्स की स्थिति (internet of things projects in India)
अनुमान है कि अगले पांच सालों में भारत वैश्विक स्तर पर आईओटी बाजार में 20% हिस्सेदारी हासिल कर लेगा. वहीं भारत सरकार द्वारा देश में कई तरह की योजना शुरू की गई है, जो कि आईओटी को लेकर आरम्भ की गई है. और इन्हीं योजनाओं में से एक योजना का नाम स्मार्ट सिटी योजना है. भारत सरकार ने अपनी इस योजना पर करीब 7,060 करोड़ रुपये का निवेश किया है. अपनी इस योजना के अंतर्गत भारत सरकार शहरी इलाकों में स्मार्ट पार्किंग, स्मार्ट शहरी प्रकाश व्यवस्था, स्मार्ट शहर रखरखाव, नागरिक सुरक्षा, स्मार्ट ग्रिड, स्मार्ट ऊर्जा, जल प्रबंधन जैसे लक्ष्यों को हासिल करना चाहते है. इसके अलावा आंध्र प्रदेश राज्य को 2020 तक एक आईओटी हब बनने की योजना भी बनाई गई है. जिसके चलते आईओटी सेक्टर में 50,000 नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है. वहीं इन सब योजनाओं से ये अनुमान लगाया जा सकता है कि भारत भी आईओटी के क्षेत्र में किसी भी तरह से पीछे नहीं रहना चाहता है. भारत सरकार भी अपने देश को हर तरह से तकनीक के क्षेत्र में आगे रखना चाहती है.
किस तरह कार्य करता है आईओटी (How an IoT System Actually Works)
एक पूर्ण आईओटी सिस्टम चार अलग-अलग घटकों को एकीकृत कर कार्य करता है. ये घटक सेंसर या उपकरण, कनेक्टिविटी, डेटा प्रोसेसिंग और यूजर इंटरफेस हैं. सबसे पहले, सेंसर या डिवाइस अपने वातावरण से डेटा एकत्रित करता हैं. जिसके बाद उस डेटा को क्लाउड (इंटरनेट-आधारित प्रक्रिया) पर भेजा जाता है. वहीं सेंसर सेलुलर, सैटेलाइट, वाईफाई, ब्लूटूथ, जैसी चीजों के जरिए अपना डेटा क्लाउड को भेजता है. एक बार जब डेटा क्लाउड पर जाता है, तो सॉफ्टवेयर उस पर कुछ प्रकार की प्रोसेसिंग करता है. जिसके बाद आपको जानकारी भेजी जाती है.
उदाहरण के तौर पर अगर किसी कंपनी के कोल्ड स्टोरेज वाली जगह का तापमान एकदम बढ़ जाता है, तो सेंसर के जरिए इस तापमान की जानकारी क्लाउड पर भेजी जाएगी. जिसके बाद प्रोसेसिंग में देखा जाता है कि तापमान कितना है. वहीं अगर तापमान काफी अधिक पाया जाता है तो इसकी जानकारी फिर आपको किसी ई-मेल या मैसेज के जरिए दी जाती है. ताकि आप को पता चल सके, कि उस जगह का तापमान निर्धारित तापमान से कहीं ज्यादा बढ़ गया है और वक्त रहते इसे ठीक कर पाएं. इस तरह से किसी भी चीज की जानकारी आप तक इस तकनीक के जरिए आसानी से और कम समय में पहुंच जाती है.
निष्कर्ष (conclusion)
दुनिया में कई तरह के उपकरण बनाए जा रहे हैं, जो कि हम लोगों के लिए काफी फायदेमंद भी साबित हो रहे हैं. इन उपकरणों से हम लोग आसानी से अपने कार्यों को कर पा रहे हैं. लेकिन साथ ही हम लोग धीरे-धीरे तकनीक पर काफी निर्भर होते जा रहे हैं. जिसको देखकर लगता है कि आने वाले समय में हम लोग पूरी तरह से इन तकनीकों के गुलाम बनने वाले हैं. जो कि एक अच्छा संकेत नहीं हैं. पूरी तरह से तकनीकों का गुलाम बनने से हम लोगों अपने जीवन शैली को खतरे में डाल रहे हैं
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