Digital Arrest 2024: नई तकनीक से अपराधियों की धरपकड़, अब कानून के हाथ और भी लंबे, जानिए क्या है डिजिटल अरेस्ट

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नोएडा से जुड़ा डिजिटल अरेस्ट का एक ताजा मामला सामने आया है। साइबर ठगों ने भारतीय रेलवे के एक सेवानिवृत्त जीएम को 24 घंटे तक डिजिटल रूप से बंदी बनाकर उनसे 52.50 लाख रुपये की ठगी की। ठगों ने ताइवान भेजे गए एक पार्सल में ड्रग्स होने, अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से संबंध और मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी देकर यह अपराध किया।

Digital Arrest 2024: नई तकनीक से अपराधियों की धरपकड़, अब कानून के हाथ और भी लंबे, जानिए क्या है डिजिटल अरेस्ट

डिजिटल अरेस्ट क्या है

डिजिटल अरेस्ट ब्लैकमेल का एक उन्नत तरीका है, जिसमें आमतौर पर अधिक पढ़े-लिखे और समझदार लोग ही फंसते हैं। इसका मतलब है कि कोई ऑनलाइन आपको धमकी देकर वीडियो कॉल के जरिए आपकी गतिविधियों पर नजर रख रहा है। इस दौरान, साइबर ठग नकली पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को धमकाते हैं और उन्हें अपने जाल में फंसा लेते हैं।

डिजिटल अरेस्ट: महत्वपूर्ण जानकारी

विषयविवरण
क्या है डिजिटल अरेस्टएक साइबर ठगी का तरीका, जिसमें ठग नकली पुलिस अधिकारी बनकर ऑनलाइन धमकी देते हैं।
लक्ष्यअधिक पढ़े-लिखे और समझदार लोग।
प्रक्रियाफोन और वीडियो कॉल के जरिए धमकियाँ, जमानत के नाम पर पैसे मांगना।
साइबर ठगी के तरीकेनकली पुलिस या टैक्स अधिकारी बनकर, पैन और आधार के दुरुपयोग का दावा।
निवारण के तरीकेपुलिस को तुरंत सूचित करें, स्क्रीन रिकॉर्डिंग करें, किसी भी खाते में पैसे न भेजें।
सरकारी कदम1,000 से अधिक स्काइप आईडी ब्लॉक।
सावधानीधमकी भरे कॉल्स से बचें, ऐप डाउनलोड न करें, ओटीपी साझा न करें।
सूचना के लिए नंबर1930

डिजिटल अरेस्ट साइबर ठगी

डिजिटल अरेस्ट वाले ठग अक्सर लोगों को फोन कर दावा करते हैं कि वे पुलिस विभाग या इनकम टैक्स विभाग से बोल रहे हैं। वे बताते हैं कि आपके पैन और आधार का इस्तेमाल कर कई चीजें खरीदी गई हैं या मनी लॉन्ड्रिंग की गई है। इसके बाद वे वीडियो कॉल करते हैं और आपको लगातार उनके सामने बने रहने के लिए कहते हैं। इस दौरान, किसी से बात करने, मैसेज करने या मिलने की अनुमति नहीं होती। इसके साथ ही, वे जमानत के नाम पर पैसे मांगते हैं, जिससे लोग अपने ही घर में ऑनलाइन कैद होकर रह जाते हैं।

डिजिटल अरेस्ट के ऐसे हो रहे अपराध

साइबर क्राइम पुलिस के अनुसार, ऑनलाइन ठगों ने अब लोगों से ठगी करने का एक नया तरीका अपनाया है। ये ठग कूरियर पैकेट में मिले सिम कार्ड, इंक और आधार कार्ड का दुरुपयोग कर मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी गतिविधियों में नागरिकों के मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करते हैं। इस तरह की कई तरकीबों से ये ठग नागरिकों को उनके ही घर में कैद कर लेते हैं। इसके बाद, पुलिस स्टेशन जैसा सेटअप दिखाकर वीडियो कॉल के जरिए डराया जाता है। पूछताछ के नाम पर वेबकैम या स्काइप मोबाइल से वीडियो कॉल पर आमने-सामने बैठाकर धमकाया जाता है।

Digital Arrest in India

देश में तेजी से बढ़ रही डिजिटल गिरफ्तारी और ब्लैकमेल की घटनाओं के मद्देनजर, सरकार ने हाल ही में 1,000 से अधिक स्काइप आईडी को ब्लॉक किया है। इसके बावजूद, इस प्रकार की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं। ताजा मामला नोएडा का है, जहां साइबर अपराधियों ने भारतीय रेलवे के एक सेवानिवृत्त जीएम को 24 घंटे तक डिजिटल रूप से बंदी बनाकर 52.50 लाख रुपये की ठगी की।

डिजिटल अरेस्ट साइबर सिक्यूरिटी

नोएडा में हुई घटना में, जालसाजों ने ताइवान भेजे गए एक पार्सल में ड्रग्स, अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से संबंध और मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी देकर ठगी की। पीड़ित की शिकायत पर पुलिस जांच कर रही है। लेकिन आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि डिजिटल अरेस्ट क्या होता है और इससे कैसे बचा जा सकता है?

फ़ोन कॉल से सावधान

यदि आपको भी इस तरह की धमकी भरे फोन कॉल आते हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसे कॉल आने पर तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज करें। अगर कोई धमकी भरा मैसेज या ईमेल आता है, तो उसे सबूत के तौर पर पुलिस को दें। अगर आपने गलती से कॉल रिसीव कर लिया और वीडियो कॉल पर धमकी मिलने लगी, तो स्क्रीन रिकॉर्डिंग के जरिए उसे रिकॉर्ड करें और पुलिस को सूचित करें। किसी भी कीमत पर डरें नहीं और पैसे तो बिल्कुल भी ना भेजें।

पुलिस की सलाह: रहें सतर्क और बचें डिजिटल ठगी से

साइबर क्राइम पुलिस ने नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि जांच एजेंसियों के नाम से आने वाले फोन कॉल पर बात न करें। जमानत के नाम पर डरकर अपना ओटीपी किसी को न दें और किसी भी खाते में पैसे जमा न कराएं। इसके अलावा, जालसाजों के कहने पर कोई भी ऐप डाउनलोड न करें।

सूचना दें, कॉल करें

पुलिस के अनुसार, जब व्यक्ति डिजिटल अरेस्ट के झांसे में आ जाता है, तो ये ठग व्हाट्सएप नंबर पर रोजाना हाजिरी लगवाते हैं, जिसमें व्यक्ति को ‘प्रजेंट सर’ लिखकर ग्रुप पर भेजना होता है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यदि नागरिकों के पास इस प्रकार का कोई फोन आए, तो तुरंत स्थानीय पुलिस से संपर्क करें। नागरिक 1930 नंबर पर भी सूचना दे सकते हैं।

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