बैंकिंग रेगुलेशन बिल 2023 | Banking Regulation Bill 2023 in hindi
बैंकिंग रेगुलेशन बिल 2017 दोनों सदनों में पारित कर दिया गया है. यह बिल बजट सत्र के समय मई 2017 में पारित किये गये बिल के स्थान पर लाया गया है. लोकसभा में यह बिल भारतीय राजनीती के चर्चित चेहरे अरुण जेटली जी ने पेश किया था. यहाँ पर इस बिल से सम्बंधित सभी विशेष जानकारियाँ दी जा रही हैं.
बैंकिंग रेगुलेशन बिल क्या करेगा (Bank Regulation Bill Works)
इस बिल के पारित हो जाने के बाद सरकार भारतीय रिज़र्व बैंक को लोन डिफाल्टरों के साथ सख्ती से पेश आने की छुट देगी. यह बिल बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 के बिल में नए प्रावधान के साथ सामने आया है, जिसके अंतर्गत इन्हें ‘स्ट्रेस्ड एसेट्स’ के खिलाफ कार्यवाही करने का मौक़ा प्राप्त होगा. केंद्र सरकार आरबीआई को यह क्षमता जल्द ही प्रदान कर सकता है कि आरबीआई देश भर के सभी बैंकों को ‘स्ट्रेस्ड एसेट्स’ पर कड़ी कार्यवाही करने का निर्देश दे सके. यह प्रक्रिया Bankruptcy Code, 2016 के अधीन की जाएगी.
आरबीआई इसके लिए अलग से एक कमिटी का गठन कर सकती है. भारत में रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट की मुख्य बातें यहाँ पढ़ें.
बैंकिंग रेगुलेशन बिल की पृष्ठभूमि (Bank Regulation Bill Background)
बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट अध्यादेश 4 मई को लाया गया, ताकि तात्कालिक समय में बैंक द्वारा झेले जा रहे उच्च स्तरीय परेशानियों को हल किया जा सके. आरबीआई ने जून के महीने में 12 ऐसे डिफाल्टरों की पहचान की, जिनके नाम पर समस्त भारत के एनपीए (non-performing assets) का 25% मौजूद है. एनपीए वह लोन होता है, जिस पर लोन लेने वाले ने लगातार 90 दिनों तक न तो कोई ब्याज भरा है और न ही मूलधन का कोई हिस्सा. अरुण जेटली के इस बिल को पारित कराते समय यह कहा कि इस बिल के अंतर्गत एनपीए पर कार्यवाही का आरम्भ इन्हीं 12 लोगों से किया जाएगा, इसके बाद अन्य ऐसे लोगों पर भी कार्यवाही की जायेगी. भारत में बैंकिंग प्रणाली का इतिहास यहाँ पढ़ें.
जेटली के अनुसार एनपीए की शुरुआत UPA सरकार के दौरान ही हो गयी थी. इस समय अधिकांश एनपीए स्टील, इंफ्रास्ट्रक्चर, इंडस्ट्रियल, पॉवर, टेक्सटाइल आदि क्षेत्रों में मौजूद है. इस वजह से 24 जुलाई 2017 को बैंकिंग रेगुलेशन बिल लोकसभा में पारित किया गया.
विपक्षों की प्रतिक्रिया (Opposition Reaction to Bank Regulation Act)
“जब अरुण जेटली से इस बिल को जल्द पास करने का कारण पूछा गया, तब उन्होंने कहा कि यह जल्दीबाज़ी में लिया गया निर्णय नहीं है, हम लोगों ने हालाँकि बहुत देर कर दिया फैसला लेने में”. तृणमूल कांग्रेस के नेता सौगत रॉय के अनुसार ये सरकार का बेचैनी भरा निर्णय है.
बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट की विशेषताएँ (Banking Regulation Act Features)
बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं,
- इस बिल के अंतर्गत सभी एनपीए पर सख्त कार्यवाही की जायेगी, जिसकी देख रेख की जिम्मेदारी केंद्र सरकार ने आरबीआई को दी है.
- यह बिल बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 का एक संशोधित रूप है. इस संशोधित रूप के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक सभी एनपीए पर कार्यवाही कर सकता है.
- इस बिल के आने से आरबीआई एनपीए के लिए सशक्त हो सकेगी और उन लोगों पर कार्यवाही कर सकेगी, जो ऋण नहीं चुका पा रहे.
- यह बिल भारतीय स्टेट बैंक के साथ साथ अन्य क्षेत्रीय रूरल बैंक पर लागू होगा.
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