तानाजी की पत्नी सावित्री मालुसरे एवं उनके बेटे रायबा मालुसरे का जीवन परिचय (Savitri Malusare and Rayaba Malusare Biography in hindi)
दोस्तों 2020 की शुरुआत हो चुकी है और इसी के साथ बड़े पर्दे पर बड़ी-बड़ी फिल्में भी आना शुरू हो चुकी है इसी 2020 की शुरुआत हुई है अजय देवगन की फिल्म तानाजी: द अनसंग वारियर, के साथ….
10 जनवरी 2020 को तानाजी: द अनसंग वारियर, बड़े पर्दे पर छा चुकी है, जब इस मूवी का ट्रेलर आया था उस वक्त यह कह पाना मुश्किल था कि यह मूवी कितनी सफल साबित होगी लेकिन जैसे ही मूवी बड़े पर्दे पर रिलीज़ हुई वैसे ही चारों तरफ तानाजी: द अनसंग वारियर, की बातें चलने लगी ….
Savitri Malusare and Rayaba Malusare Biography
तानाजी: द अनसंग वारियर, तानाजी एक महान योद्धा और उनकी शोर्यता की कहानी हैं. इस बड़े बजट की बड़ी मूवी में बड़े-बड़े बॉलीवुड स्टार नजर आए, जिसमें काजोल भी अपने पति अजय देवगन के साथ दिखी हैं. तानाजी के सामने ऐसा कौनसा किरदार हैं जिसे काजोल ने निभाया होगा …
जी हां दोस्तों इसमें काजोल का किरदार तानाजी मालुसरे की पत्नी सावित्री मालुसरे का है, वैसे तो हम सावित्री मालूसरे के बारे में कुछ नहीं जानते लेकिन यह अनुमान लगा सकते हैं कि इस किरदार को जब काजोल ने निभाया है तो यह किरदार अपने आप में बहुत ही महान होगा।
वैसे भी इतिहास कई तरह की महान विभूतियों को अपने में समाए हुए हैं लेकिन ज्ञान की कमी होने के कारण आज की जनरेशन को उनके बारे में जानकारी नहीं है. इन्हीं सभी किरदारों के बीच एक किरदार सावित्री मालूसरे उभर कर सामने आया है …..
आइये जानते हैं कौन थी सावित्री मालूसरे ?
हमारा इतिहास कई तरह की वीरांगनाओं की शौर्यता से गुंजायमान हैं, जिनमें रानी लक्ष्मीबाई का नाम तो हम अक्सर सुनते आए हैं लेकिन इस बार हम बात करेंगे सावित्री मालूसरे की …..
सावित्री मालुसरे तानाजी मालुसरे की धर्मपत्नी है, यह मराठा साम्राज्य की एक ऐसी महिला है जिन्होंने हर वक्त हर समय अपने पति तानाजी का साथ दिया …. इनका किरदार हमें यही कहता है कि हर एक सफल आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है ….. वह सावित्रीबाई की हिम्मत ही थी जो तानाजी मालुसरे को इतिहास में अमरता का वरदान दे गई ….
यह घटना 1600 की है….. जब छत्रपति शिवाजी महाराज कोंढाणा किले को जीतने के लिए उस पर चढ़ाई करने जा रहे थे और उसी दिन तानाजी मालुसरे, शिवाजी महाराज को अपने पुत्र की शादी में निमंत्रण देने उनके दरबार पहुंचे….. जैसे ही तानाजी को यह पता चला कि आज मराठा सेना कोंढाणा के लिए चढ़ाई करने जा रही है… उन्होंने अपने पुत्र की शादी को एक तरफ कर उस युद्ध में जाने की तैयारी की….
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तानाजी ऐसा कैसे कर पाए ???? वह केवल इसीलिए ऐसा कर पाए क्योंकि उन्हें अपनी पत्नी सावित्री पर पूर्ण विश्वास था …. अगर सावित्री मालुसरे एक देशभक्तनी एक साहसी महिला नहीं होती तो तानाजी ऐसा कदम नहीं उठा पाते…. सावित्री का यह किरदार हमेशा अपने पति के साथ चट्टान की तरह खड़ा रहता दिखाई दिया है और उन्होंने पति का साथ देने के साथ-साथ परिवार को भी उचित पालन पोषण दिया है ….तभी तानाजी जैसे महान बलिदानी योद्धा उभर कर सामने आए. हर एक महान बलिदानी के पीछे उसके परिवार का बहुत बड़ा त्याग होता है …. सावित्री मालुसरे यह भली-भांति तौर पर जानती थी कि अगर उनके पति युद्ध में जाते हैं तो शायद ही वापस आएंगे …..
एक तरफ उनके इकलौते पुत्र का विवाह है, चारो तरफ शहनाई हैं, खुशियाँ और दूसरी तरफ उनका पति मौत को आलिंगन करने चल पड़ा है ….. ऐसे में एक आम भावुक महिला हिम्मत हार जाएगी और अपने पति को कहीं नहीं जाने देगी, फिर चाहे वो देश के दगा ही क्यूँ ना हो. लेकिन सावित्री मालूसरे एक हिम्मती साहसी देश भक्त नारी हैं जिसने अपने पति को स्वयं तिलक कर उसे उस दिन वीरगति के लिए सज्ज किया जिस दिन उसके जीवन का सपना उसके एकलौते पुत्र का विवाह होने जा रहा था ……
ऐसा हैं हमारा इतिहास वीरता और बलिदानियों से भरा हुआ …..
फिल्म में सावित्री मालुसरे का किरदार काजोल ने बखूबी निभाया. काजोल अपने पहले ही लुक में पूरे देश में छा गई … वह एक बहुत ही सुंदर मराठा वीरांगना के रूप में दिखाई दी. काजोल हमेशा ही अपने दमदार रोल को लेकर जानी जाती रही हैं और उनके द्वारा निभाया गया सावित्री का रोल भी इतिहास में अमर जरूर होगा.
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इस फिल्म में बड़े-बड़े चेहरे नजर आए जिनमें तानाजी का किरदार खुद अजय देवगन ने निभाया और वही विलेन के रूप में नजर आए सैफ अली खान. जी हां दोस्तों इस फिल्म में सैफ अली खान उदयभान राठौर के किरदार में नजर आए… उदयभान राठौड़ जो कि राजपूत हिंदू है लेकिन उसने इस युद्ध में मुगलों की तरफ से जंग लड़ी.
तान्हाजी की मृत्यु के बाद रायबा मालुसरे का क्या हुआ (Rayaba Malusare)
आप सभी ने छत्रपति शिवाजी महाराज के सबसे अजीज मित्र तान्हाजी के बारे में तो सुना ही होगा कि उन्होंने किस तरह से अपनी वीरता, साहस और ताकत से सिंहगढ़ का किला अपने महाराज शिवाजी के लिए जीता था. किन्तु क्या आप जानते हैं कि एक तरफ जहाँ सिंहगढ़ के किले को जीतने की बात हो रही थी वहीँ दूसरी ओर तान्हाजी मालुसरे के बेटे रायबा मालुसरे के विवाह की तैयारियां हो रही थी. किन्तु तान्हाजी ने अपने बेटे रायबा के विवाह को छोड़ कर अपने धर्म को ऊंचा समझा और वे अपने बेटे के विवाह में सम्मिलित न होते हुए युद्ध में चले गए. युद्ध में तान्हाजी ने विजय तो प्राप्त की किन्तु उनकी मृत्यु हो गई, और चूकि शिवाजी महाराज तान्हाजी के सबसे अच्छे मित्र थे. तो उन्होंने अपने प्रिय मित्र को खोने के बाद उनके बेटे रायबा मालुसरे का विवाह कराया. विवाह के पश्चात तान्हाजी के शासन का पूरा कार्यभार रायबा मालुसरे को सौंप दिया गया. शिवाजी महाराज रायबा को तान्हाजी की वीरगाथाएं सुनाते और उन्हें भी उन्ही की तरह बहादुर और वीर योद्धा बनने के लिए प्रेरित करते थे.
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