डेथ वारंट क्या होता है? (What is Death Warrant Meaning in hindi) (Nirbhaya Case, Black Warrant, Documents, Rules, Example)
भारतीय कानून में यह प्राप्त करने वाले व्यक्तियों को डेथ वारंट दे दिया जाता है। क्या आप जानते हैं डैड वारंट होता क्या है और यह किसके द्वारा दिया जाता है? डेथ वारेंट किन व्यक्तियोँ को दिया जाता है और क्यों दिया जाता है आज हम आपको अपनी इस पोस्ट में विस्तार से बताएंगे। हाल ही में आपने सुना होगा कि सालों से चल रहे निर्भया केस की अंतिम सुनवाई के दौरान कोर्ट के द्वारा चारों आरोपियों के नाम डैथ वारंट जारी कर दिया गया। उनकी डेथ वारंट की तारीख और समय भी पूरी तरह से तैयार किया गया है। आइये जानते हैं डेथ वारंट क्या है?
क्या है डेथ वारंट?
यह एक प्रकार का फॉर्म होता है जो कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर 1973 के तहत जारी किया गया है। इसके अंतर्गत एक और फॉर्म सम्मिलित किया जाता है जिसका नंबर 421 होता है इस फॉर्म के अंतर्गत एक फॉर्म और होता है जिसको फॉर्म नंबर-42 के नाम से जाना जाता है। इस फॉर्म के उपर लिखित शब्दों में लिखा हुआ होता है वारंट ऑफ एग्जेक्यूशन ऑफ़ अ सेंटेंस ऑफ डेट। इस वारंट में लिखित रूप से उन व्यक्तियों के लिए डेथ वारेंट जारी किया जाता है जिन्हें फांसी की सजा दी जानी होती है इस फॉर्म को ब्लैक वारंट के नाम से भी जाना जाता है।
यदि यह फॉर्म किसी भी व्यक्ति के नाम से जारी हो जाता है तो उस व्यक्ति के नाम पर फांसी की सजा निर्धारित कर दी जाती है। आइए आप चाहते हैं कि इस फॉर्म के अंतर्गत क्या-क्या लिखा जाता है?
- जेल में रहने वाले अपराधियों को जेल में रखने के दौरान एक नंबर दिया जाता है सबसे पहले फॉर्म में उस नंबर को भरा जाता है।
- उसके बाद जिन व्यक्तियों को फांसी पर चढ़ाया जाना होता है उन व्यक्तियों की संख्या और उन व्यक्तियों के पूरे नाम उस फॉर्म पर लिखे जाते हैं।
- फिर उस फॉर्म पर वह नंबर लिखा जाता है जिस नंबर से उन कैदियों का केस दर्ज कराया गया हो।
- उसके बाद उस फॉर्म में एक और कॉलम होता है जिसने डेथ वारंट जारी की जाने वाली तारीख लिखी जाती है।
- कैदियों को किस दिन किस समय और किस जगह पर फांसी देनी है इस बात का पूरा ब्यौरा भी उस फॉर्म में लिखा जाता है।
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डेथ वारेंट के अनुसार पालन किए जाने वाले नियम
- जिन व्यक्तियों के नाम डैथ वारंट जारी किया जाता है कोट के द्वारा उस डेथ वारंट में यह भी लिखा होता है कि उन व्यक्तियों को फांसी पर कितनी देर तक लटकाया जाना है। अक्सर इस फॉर्म में यही लिखा जाता है कि कैदियों को फाँसी पर तब तक लटकाया जाए जब तक उनकी मौत ना हो जाए।
- कोर्ट के द्वारा जारी किया गया डेथ वारेंट सबसे पहले सीधा जेल प्रशासन के पास पहुंचाया जाता है।
- जब कैदियों को फांसी की सजा दी जाती है और उनकी मौत हो जाती है तो उनकी मौत की पुष्टि करने के बाद डॉक्टर के द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया जाता है जिसे बाद में डैथ वारंट के साथ कोर्ट में जमा कराया जाता है।
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हाल ही में जारी किया गया डैथ वारेंट
पटियाला हाई कोर्ट द्वारा हाल ही में निर्भया कांड में सम्मलित चार आरोपियों के खिलाफ डैथ वारंट जारी किया गया है। भारत देश का कानून ज्यादा सख्त नहीं है इसलिए बहुत ही कम अपराधियों के खिलाफ कानून द्वारा डेट वारंट के तहत फांसी की सजा दी जाती है। यह सजा मुख्य रुप से उनका अपराधियों को दी जाती है जिन्होंने कोई बहुत बड़ा जघन्य ने अपराध किया हो।
निर्भया कांड में पांच आरोपी सम्मिलित थे जिनमें से राम सिंह नाम के आरोपी ने 11 मार्च साल 2013 में ही तिहाड़ जेल में सजा के दौरान आत्महत्या कर ली थी। जिसके बाद पुलिस ने बयान दिया कि उसने फांसी लगा ली लेकिन बचाव पक्ष के वकील और उनके परिवार के सदस्यों ने कहा कि यह पुलिस की चाल है और उन्होंने उसकी हत्या कर दी है। बाकी बचे हुए चार अपराधियों के खिलाफ हाल ही में पटियाला कोर्ट द्वारा डैथ वारेंट जारी किया गया है जिसके तहत, उन चार अपराधियों को तिहाड़ जेल में 1 फ़रवरी के दिन सुबह 6:00 बजे फांसी के तख्त से लटका दिया जाएगा।
भारत के इतिहास में यह पहला ऐसा केस है जिसके अंतर्गत सामूहिक बलात्कार के जुर्म में अपराधियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। क्योंकि यह एक बहुत ज्यादा घिनौना अपराध था जिसने पूरे भारत देश को झकझोर कर रख दिया था। फिलहाल ऐसा कहा जा रहा है कि यदि इन अपराधियों को फांसी की सजा हो जाती है तो शायद देश में बलात्कार जैसे घिनोने अपराध कम हो जाए।
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