स्वावलंबन का महत्व पर निबंध swavalamban essay in hindi

स्वावलंबन का महत्व पर निबंध swavalamban essay in hindi

स्वावलम्बन का मतलब है, आत्मनिर्भरता, एवं आत्मनिर्भर होने का तात्पर्य है कि अपने काम स्वयं करना, किसी भी वस्तु, जरुरत के लिए किसी पर निर्भर न होना. आत्मनिर्भर होने से इन्सान के अंदर आत्मविश्वास पैदा होता है, जिससे दुनिया की किसी भी परेशानी का सामना करने के लिए इन्सान खुद अकेले खड़ा रह सकता है. वैसे भी कहावत है, दुनिया में आप अकेले है, अकेले ही जायेंगें. जब हम अकेले ही आयें हैं, और जाना भी अकेले है, तो क्यों इस दुनिया में किसी पर निर्भर रहें. मेरी इस बात का ये मतलब नहीं कि आप दुनिया में किसी से संबंध न रखें. हमें सबसे साथ मिलकर, प्यार से रहना चाहिए, लेकिन किसी पर भी बोझ न बने.

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स्वावलंबन का महत्व पर निबंध swavalamban essay in hindi

स्वावलम्बन को आज के समय पैसों से ही जोड़ा जाता है, जो पैसे के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहता है, उसे सबसे बड़ा स्वावलम्बी कहा जाता है. बचपन से ही हमें सिखाया जाता है कि बड़े होकर स्वावलम्बी बनो, ताकि तुम अपने साथ साथ दूसरों की भी ज़िम्मेदारियाँ उठाने के लायक बन सको. हमारे माँ बाप हमें अच्छी से अच्छी शिक्षा देते है, ताकि हम बड़े होकर अपने पैरों पर खड़े हो सकें, साथ ही पुरे परिवार की भी ज़िम्मेदारी उठा सकें.

भगवान ने हमारी रचना यही सोचकर की है कि हम स्वावलम्बी बने, हमें किसी पर निर्भर न रहना पड़े. हमें हाथ, पैर, मस्तिष्क, ह्रदय व शरीर के कई अंग दिए, जो अपना काम करते रहते है. हमें ऐसा बनाया कि हमें अपने कामों के लिए किसी पर निर्भर न रहना पड़े. हम पहले अपने शरीर के लिए आत्मनिर्भर बने, तत्पश्चात दूसरों पर शासन करें.

स्वावलम्बी कैसे बनें

स्वावलम्बी बनने की कोई ट्रिक नहीं है, अपने जीवन में कुछ ऐसे बदलाव करने होते है जिनकी मदद से दुनिया आपको स्वावलम्बी (आत्मनिर्भर) कहेगी. आत्मनिर्भर बनने के लिए अपने आत्मविश्वास को मजबूत करना होगा और अपने दम पर कुछ ऐसा करना होगा जिससे पुरे समाज और देश में आपका नाम हो. आत्मनिर्भर होने का मतलब यह नहीं की आप पैसे वाले हो, आत्मनिर्भर का मतलब यह है की आप अपने जीवन के फैसले खुद ले पाते है, आप अपने अनुसार अपना जीवनयापन करते है. स्वावलम्बी बनने के लिए आपको अपने उपर आश्रित होना होगा ना कि किसी और पर.

स्वावलम्बी होने के फायदे (Swavalamban ke fayde)–

  • आत्मविश्वास बढ़ता है – स्वावलम्बन से हमारे अंदर कई गुना आत्मविश्वास बढ़ता है. दुनिया के सामने खड़े होने की हिम्मत बढ़ती है, किसी भी परेशानी को देख मन घबराता नहीं है, बल्कि गहरे विश्वास के सहारे हम हर मुसीबत का डट कर सामना कर पाते है.
  • जीवन के फैसले खुद ले सकता है – सच ही कहा है, जीवन किसी जंग से कम नहीं है. हर रोज यहाँ हमें मानसिक व शारीरिक तनाव वाले युद्ध का सामना करना पड़ता है. हमारे सामने कई बार ऐसी बातें सामने आ जाती है, कि हमें बड़े से बड़े फैसले खुद लेने पड़ते है, वो भी कम समय पर. अगर हम स्वावलम्बी नहीं होंगें तो हर बार हम जीवन के इन फैसलों को लेने के लिए दूसरों का दरवाजा खटखटाएंगें. जीवन में हमें दोस्त, जीवनसाथी, भाई-बहन, माँ बाप तो मिलते है, जिनसे हम जब चाहें मदद ले सकते है, लेकिन जीवन का कोई भरोसा नहीं होता है, ये कब तक आपके साथ है, आप नहीं जानते है. तो इससे बेहतर है, आपको इस काबिल होना चाहिए कि खुद फैसले ले सकें. हम अपना अच्छा बुरा खुद समझेंगें, साथ ही अपने परिवारों की भलाई को समझ कर काम करेंगें.
  • कर्तव्य निष्ठ होता है – स्वावलम्बी इन्सान अपने कर्तव्य को भली भांति जानता है, जीवन के किसी भी मोड़ पर वह अपने कर्तव्य से नहीं भागेगा. अपने कर्तव्य को वो रिश्तों से भी ज्यादा तवच्चो देता है.
  • मन प्रसन्न रहता है – स्वावलम्बी के जीवन में सुख सुविधा हो न हो, लेकिन उसके मन में शांति जरुर रहती है. उसे पता होता है, उसके जीवन में जो कुछ भी है, वह उसी की मेहनत का फल है, अपने जीवन के लिए वो किसी को ज़िम्मेदार नहीं ठहराता है. स्वावलम्बी अपने जीवन के दुखों में भी सुख का एहसास करता है. वह हमेशा समझदारी से काम करता है.
  • समाज व देश का विकास होता है – देश व समाज के विकास के लिए, स्वावलम्बी होना मुख्य बात है. स्वावलम्बी न होने पर हम किसी के पराधीन होते है, हम स्वतंत्र होकर कोई भी काम नहीं पाते है. देश की आजादी के पहले ऐसा ही था, भारत देश ब्रिटिश सरकार के अधीन था, वे उन्हें स्वावलम्बी बनने ही देना चाहती थी. क्यूंकि ब्रिटिश सरकार को पता था, अगर देश की जनता स्वावलम्बी हो जाएगी तो उनकी कोई नहीं सुनेगा. आज भारत देश की जनता स्वावलम्बी है, इसलिए देश तेजी से विकास कर रहा है. हमारा समूचे दुनिया में नाम है. स्वावलम्बी मनुष्य को ही आज के समय में सम्मान दिया जाता है. मनुष्य को सिर्फ अपनी आत्मनिर्भरता के बारे में नहीं सोचना चाइये. हम सब इस देश, समाज के अभिन्न अंग है, हमें इसे आगे बढ़ाने के लिए साथ में काम करना होगा. स्वावलम्बन को अपने तक सिमित न रखें, इसे समूचे देश के विकास का हिस्सा बनायें.
  • बड़ा आदमी बनाता – आज जो देश विदेश के बड़े-बड़े अमीर, कामयाब इन्सान है, उन्होंने ने भी स्वावलम्बन का हाथ थामा. जब इन लोगों ने अपने काम की शुरुवात की, तब इनके पास अपनी मेहनत, लगन थी, जिसके सहारे ये लोग अपने आप को कामयाब बना पायें है. ये बड़े बड़े आदमी आज हजारों को स्वावलम्बी बना रहें है. इनकी सफलता की पहली सीढी थी परिश्रम.
  • औरतें आत्मनिर्भर होती है – आज के समय में महिलाओं को सशक्त बनाने की बात कही जाती है. अब पहले जैसा नहीं रह गया है कि घर के लड़कों को ही शिक्षा दी जाये, उन्हें ही घर से बाहर काम करने की इजाज़त है. आज समय बदल चूका है, लड़कियां, महिलाएं बाकि लोगों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर काम कर रही है. ऐसा कोई काम या क्षेत्र नहीं है, जहाँ लड़कियों से अपना लोहा नहीं मनवाया है. महिलाएं शादी के बाद अपने घर, बच्चे व ऑफिस का काम बखूबी संभाल लेती है. महिलाओं के स्वावलम्बी होने से उनमें आत्मविश्वास तो आता ही है, इसके साथ ही वे जीवन की हर लड़ाई से लड़ने के लिए तैयार भी होती है. कब कैसी समस्यांए आ जाये, हम नहीं जानते. महिलाओं पर पुरे परिवार की ज़िम्मेदारी होती है, धन संबंधी समस्या आने पर स्वावलम्बी औरतें अपने दम पर इसे हल कर लेती है.

स्वावलम्बी होने के दुष्प्रभाव ( Swavalamban Nuksaan)

  • समाज की हीन भावना का शिकार – आज के समय में जो अपने पैरों पर नहीं खड़ा, स्वावलम्बी नहीं है, उसे समाज हीन भावना से देखता है. समाज के अनुसार ऐसे व्यक्ति का कोई अस्तित्व नहीं, चाहे वह लड़का हो या लड़की, समाज स्वावलम्बी को ही सम्मान देना जानता है. समाज के अलावा घर पर भी कई बार उसे नजरंदाज किया जाता है. घर के महत्वपूर्ण फैसलों के समय भी उससे सलाह मशवरा लेना जरुरी नहीं समझा जाता है.
  • आत्मसम्मान खो बैठते है – दुनिया में इज्जत, सम्मान हर कोई चाहता है. लेकिन अगर हमारे आसपास ये हमको नहीं मिलता है, तो हमारे अंदर के आत्मसम्मान को ठेस पहुँचती है. जो स्वावलम्बी नहीं होता है, उसे दूसरों पर निर्भर बताकर कई बार उसके आत्मसम्मान को मारा जाता है. कई बार ऐसे समय में व्यक्ति अपना आपा खो बैठता है, और आत्महत्या जैसी बातों की ओर सोचने लगता है.

एक शिक्षित, पढा लिखा व्यक्ति ही स्वावलम्बी होता है, ऐसा जरुरी नहीं है. आज के समय में कई ऐसे लोग है, जो पढ़े लिखे नहीं है, या कम शिक्षा प्राप्त की है, इसके बावजूद वे स्वावलम्बी है. स्वावलम्बन को शिक्षा से जोड़ना गलत है. हमारे देश के किसान पढ़े लिखे नहीं है लेकिन स्वावलम्बी है. शिक्षा जीवन के लिए बहुत जरुरी है, शिक्षा से हमारे जीवन में तेजी से विकास होता है, हमारी व देश की विचारधारा शिक्षा के द्वारा ही बदलती है. देश का मजदुर वर्ग, जो कोई छोटा से छोटा काम करता है, वह स्वावलम्बी है. स्वावलम्बी मनुष्य को धनी मनुष्य माना जाता है.

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