दारा शिकोह का जीवन परिचय, इतिहास, कब्र, मकबरा | Dara Shikoh in Hindi

दारा शिकोह का जीवन परिचय, कौन था, इतिहास, कब्र, मकबरा, बेटा, पुस्तकें, रचना (Dara Shikoh Biography in Hindi) (Tomb, History, Books, Son, Wife, Rachna)

भारत के मुगल इतिहास में दारा शिकोह को कोई भी महत्वपूर्ण स्थान नहीं मिला और ना ही इस मुगल उत्तराधिकारी को मुगल सिंहासन पर विराजमान मुगल शासन करने का अधिकार मिल सका. कुछ विशेषज्ञों के अनुसार दारा शिकोह 17 वी शताब्दी का एक ऐसा व्यक्ति था, जो आजाद सोच रखने के साथ-साथ एक महान विचारक भी हुआ करता था. भारत के इतिहास में इस व्यक्ति को भुला दिया गया है और हम आपको बता दें, कि उस समय यह व्यक्ति शाही मुगल परिवार में सबसे अनोखा और अद्भुत व्यक्तित्व वाला था. दारा शिकोह एक ऐसा व्यक्ति था, जिसको सूफियों, मनीषियों और सन्यासियों के साथ बैठने में अच्छा लगता था. मुगल परिवार में जन्मे इस व्यक्ति को अलग-अलग धर्मों में बेहद रुचि थी. दारा शिकोह का विचार था, कि हिंदू और इस्लाम धर्म के बीच शांति और विभिन्न धर्मों की संस्कृति और फिलॉसफी में मेलजोल हो सके. आज हमें इस लेख के माध्यम से दारा शिकोह के जीवन परिचय के बारे में जानेंगे और साथ में जानेंगे कि आज हमारे देश की सरकार दारा शिकोह की कब्र को क्यों ढूंढ रही है ? यदि आप भी यह सब कुछ जानने के लिए इच्छुक हैं, तो आप हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें.

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दारा शिकोह का जन्म, पत्नी, बेटा, परिचय (Birth Wife, Son, Intro)

परिचयपरिचय बिंदु
पूरा नामशहज़ादा दारा शिकोह
जन्म20 मार्च, 1615 ई.
पिता/माताशाहजहाँ और मुमताज़ महल
पत्नीनादिरा बानू बेगम
धार्मिक मान्यताइस्लाम धर्म
युद्धधर्मट का युद्ध और सामूगढ़ का युद्ध
वंशमुग़ल वंश
पिताशाहजहां
मातामुमताज महल
संतानसुलेमान शिकोह
मुमताज शिकोह
सिपिर शिकोह
जहांजेब बानू बेगम
समाधिहुमायूं का मकबरा, दिल्ली
निधन30 अगस्त 1659 (उम्र 44)

दारा शिकोह का प्रारंभिक जीवन

सभी धर्मों एवं सभी धर्मों की संस्कृतियों का सम्मान करने वाले इस महान व्यक्तित्व का जन्म 1615 ईस्वी में हुआ था. इनका जन्म इस वर्ष से करीबन 405 वर्ष पूर्व में हुआ था. यह अपने मां बाप के चार बेटों में से सबसे बड़े थे. इनके पिता मुगल बादशाह शाहजहां थे और इनकी मां मुमताज महल थी. बचपन से ही दारा शिकोह का स्वभाव शांत एवं सभी धर्मों का आदर करने वाला था. दारा शिकोह अपने माता पिता का सम्मान करते थे और उनकी हर एक आज्ञा को हृदय से मानते एवं पूरा भी करते थे. दारा शिकोह को सबसे पहले पंजाब का सूबेदार नियुक्त किया गया था. दारा शिकोह अपनी राजधानी में रहकर पंजाब के शासन को माल दर्शित किया करते थे और यह बहुत बहादुर मिजाज के भी व्यक्ति थे. दारा शिकोह एक ऐसे व्यक्ति थे, जो सूफीवाद से काफी ज्यादा प्रभावित हुए थे. एक इतिहासकार बर्नियर ने अपनी एक किताब में ‘बर्नियर की भारत यात्रा’ में लिखा है, कि दारा शिकोह उस समय बहुत ही शांत स्वभाव एवं अच्छे गुणों वाले व्यक्ति में से एक थे. दारा शिकोह बेहद नम्र और उदार स्वभाव पाली व्यक्तित्व के व्यक्ति थे. मगर दारा शिकोह इस बात का घमंड था, कि उसको सभी चीजों का ज्ञान है और उसे किसी भी प्रकार की शिक्षा कोई प्रदान नहीं कर सकता है, वह सर्वज्ञ ज्ञानी है, ऐसा उसको खुद पर घमंड हुआ करता था.

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दारा शिकोह की शिक्षा दीक्षा

दारा शिकोह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के रूप में कुरान, इतिहास, पारसी कविता और सुलेख का अध्ययन किया था. दारा शिकोह बाबा लाल, सरमद कसानी, मुल्लाह शाह बदख्शी और सूफी संत हजरत मियां मीर जैसे धर्मगुरुओं के शिष्य हुआ करते थे.

दारा शिकोह और औरंगजेब

बचपन से ही दारा शिकोह सभी धर्मों एवं उनके संस्कृति नियमों का पालन करने के अलावा उनका सम्मान करने का स्वभाव इनका शुरू से ही था. दारा शिकोह को हिंदू धर्म, दर्शन व ईसाई धर्म में विशेष प्रकार की दिलचस्पी हुआ करती थी. दारा शिकोह के इन्हीं सभी अच्छे गुणों को औरंगजेब पसंद नहीं किया करता था और इन्हें इस्लाम धर्म का विरोधी घोषित करने में अपना पूरा सहयोग इस्लाम धर्म के लोगों को देता था. यहां तक कि औरंगजेब ने दारा शिकोह के ऊपर इस्लाम धर्म के प्रति नास्तिकता फैलाने का आरोप भी लगाया हुआ था. औरंगजेब ने दारा शिकोह के ऊपर लगे सभी आरोपों का भलीभांति से फायदा उठाया.

दारा शिकोह ने 1653 ईस्वी में कंधार युद्ध में भाग लिया था और वह इस युद्ध में भी विफल साबित हुआ था. दारा शिकोह को युद्ध कौशल में बिल्कुल भी रूचि नहीं थी और वह प्रत्येक युद्ध को सही से एवं रणनीति से लड़ नहीं पाता था और वह अपने द्वारा किए गए प्रत्येक युद्ध में विफल ही हो जाता था. मगर फिर भी दारा शिकोह के पिता शाहजहां अपने बड़े पुत्र का पूरा पूरा सहयोग किया करते थे. शाहजहां ने मुगल सल्तनत का बादशाह एवं इसका उत्तराधिकारी दारा शिकोह को बनाने का विचार किया था, परंतु उनके दो छोटे भाइयों ने इस पर विरोध किया. औरंगजेब दारा शिकोह के धनी एवं सभी धर्मों के आदर सम्मान के स्वभाव से बिल्कुल भी सहमत नहीं हुआ करता था और वह अपने बड़े भाई दारा शिकोह को पसंद नहीं किया करता था.

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दारा शिकोह का युद्ध एवं हार

दारा शिकोह और औरंगजेब के बीच पहले भी दो बड़े युद्ध हो चुके थे जिसमें दारा शिकोह की पराजय हुई थी. औरंगजेब और उसके बड़े भाई दारा शिकोह के बीच आखिरी एवं तीसरा युद्ध 1659 ईस्वी में लड़ा गया. पहले दो युद्ध के परिणाम स्वरुप यह युद्ध भी दारा शिकोह हार गए थे. दारा शिकोह ने अपनी जान बचाते हुए अफगानिस्तान में शरण ली थी. मगर अफगानिस्तान के सरदार ने दारा शिकोह को धोखा दिया और उन्हें पकड़कर औरंगजेब के हवाले कर दिया था. ‘शाहजहांनामा’ के अनुसार दारा शिकोह को बंदी बना कर वापस दिल्ली लाया गया था और यहां पर इनका अपमान किया गया.

दारा शिकोह की मृत्यु

30 अगस्त 1659 में दारा शिकोह को औरंगजेब के एक विश्वसनीय सिपाही ने उनका सिर काट के मृत्युदंड दे दिया और इनके कटे हुए सिर को वापस आगरा औरंगजेब के पास ले जाया गया था. दारा शिकोह के कटे हुए सिर को हुमायूं के मकबरे के परिसर में दफनाया गया था और वहां पर एक छोटी सी कब्र भी मौजूद है. जिसे आज भी कई बड़े इतिहासकार दारा शिकोह की ही कब्र मानते हैं.

भारत सरकार दारा शिकोह की कब्र क्यों ढूंढ रही है

दारा शिकोह हिंदू धर्म और हिंदू संस्कृति को बहुत ही पसंद करता था और हिंदू धर्म को बहुत मान्यता भी प्रदान करता था. दारा शिकोह हिंदू धर्म से प्रभावित होकर उसने श्रीमद्भागवत गीता को फारसी भाषा में अनुवादित किया था. और वह चाहता था, कि हिंदू और मुस्लिम धर्म की समानताएं लोगों को समझाई और बताई जाए. दारा शिकोह ने कुल 52 उपनिषदों की फारसी भाषा में अनुवादन भी किया था. भारत सरकार अब चाहती है, कि हमारे देश के प्रत्येक नागरिकों को दारा शिकोह का इतिहास बताया जाए और उन्हें हिंदुस्तान का सच्चा मुसलमान भी घोषित किया जाए.

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दारा शिकोह की कब्र कौन-कौन अधिकारी ढूंढने में लगे हुए हैं

मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर दे अभी हाल ही में 7 सदस्य टीम को तैयार किया हुआ है और यह टीम आर्कियोलॉजिस्ट सर्वे ऑफ इंडिया से जुड़े हुए मेंबरों से बनाई गई है. इस टीम की जिम्मेदारी दारा शिकोह की कब्र को ढूंढने का कार्य दिया गया है. इस 7 सदस्यों की टीम में बड़े-बड़े आर्कियोलॉजिस्ट के नाम शामिल हैं. जिसमें आपको आर्यस बिष्ट, सैयद जमाल हसन, केएन दीक्षित, बीआर मनी, केके मोहम्मद, सतीश चंद्र और बीएम पांडे मेंबर के तौर पर सम्मिलित किए गए हैं.

एएसआई (ASI) को दारा शिकोह की कब्र ढूंढने में क्यों कठिनाइयां हो सकती हैं

भारत सरकार ने मुगल सम्राट दारा शिकोह की कब्र ढूंढने का जिम्मा एएसआई (ASI) को सौंपा हुआ है. इसके लिए भारत सरकार ने 7 मेंबरों की टीम का गठन किया हुआ है. सवाल यह उठता है , कि एएसआई (ASI) के सभी टीम मेंबर को मुगल सम्राट दारा शिकोह की कब्र को ढूंढने में कठिनाइयां क्यों हो सकती हैं. दिल्ली में हुमायूं के मकबरे के आसपास सभी मुगल शासकों की पहली कब्रगाह को बनाया गया था. इस कब्रगाह में 140 कब्रें मुगल शासकों की मौजूद हैं. यही कारण है कि इन ढेर सारी कब्र के बीच में दारा शिकोह की कब्र ढूंढने में कठिनाइयों का सामना सभी एएसआई (ASI) मेंबरों को करना पड़ सकता है.

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