कोचिंग क्लास पढ़ाना सही है या गलत, कौनसी क्लास से कोचिंग जाना चाहिए और कोचिंग का चुनाव कैसे करें ? [Advantages and Disadvantages of Tuition/Coaching Classes in hindi, Coaching classes ke nuksan, Fayde]
आज के समय में जैसे-जैसे पढ़ाई का स्टैंडर्ड बढ़ा है वैसे-वैसे लोगों में कोचिंग को लेकर रुझान बढ़ा है. आज के समय में हर स्कूल में अव्वल रहने और एक-दुसरे से आगे रहने की होड़ लगी है. बच्चों के पेरेंट्स भी इस बात को लेकर परेशान रहते है की कैसे भी करके उनका बच्चा आगे निकले और क्लास में टॉप करें. ऐसे में बच्चे के माता-पिता हर संभव प्रयास करते है.बच्चे भी क्लास में टॉप करें, इसके लिए कोचिंग भी जाते है. कई बार तो बच्चों की दिनचर्या इतनी भारी हो जाती है की उन्हें खुद के लिए टाइम नहीं मिल पाता. स्कूल से कोचिंग और कोचिंग से घर, उसके बाद होमवर्क. ऐसे में उन पर प्रेशर बढ़ जाता है और उनका स्ट्रेस लेवल भी बढ़ने लगता है. कई बार कोचिंग उन्हें थका भी देता है.
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बच्चों को कोचिंग क्लास पढ़ाना सही है या गलत, इसके नुकसान फायदे क्या है
ऐसे में लोगों में एक भ्रम पैदा हो जाता है की कोचिंग जाना सही है या गलत. क्या बच्चों को कोचिंग भेजना चाहिए या स्कूल की पढ़ाई ही उनके लिए बहुत है? ऐसे में आज की इस पोस्ट में हम आपके सारे सवालों को क्लियर करेंगे. आज हम आपको विस्तार से बताएँगे की कोचिंग जाना सही है या गलत, इसके क्या फायदे है और क्या नुकसान है. अगर आप अपने बच्चे को कोचिंग भेजना चाहते है तो किस क्लास से भेजे और कोचिंग का चुनाव कैसे करें, इन सबके बारे में हम विस्तार से जानेंगे.
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कोचिंग क्लास पढ़ाना सही है या गलत?
सबसे पहले सवाल माता-पिता के मन में आता है की बच्चों को कोचिंग कराना सही है या गलत. कुछ लोगों को लगता है की कोचिंग क्लास जाने से बच्चे होशियार होते है तो कुछ को लगता है यह सिर्फ एक धंधा बना हुआ है और इससे कोई फायदा नहीं होता है.
कुछ लोगों को लगता है की पढने वाला तो स्कूल में ही पढ़ लेगा उसे कोचिंग की क्या जरुरी और कुछ लोगों को लगता है की कोचिंग क्लास में बच्चों पर पूरा ध्यान दिया जाता है. आईये जानते है कोचिंग क्लास के क्या फायदे है और क्या नुकसान है, जिससे आप इसके बारे में और अच्छे से समझ पाएंगे.
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कोचिंग क्लास पढ़ाने के फायदे
बच्चों पर व्यक्तिगत ध्यान रहता है
स्कूल में बहुत सारे बच्चे होते है और ऐसी भीड़ में बच्चों को समझ में थोड़ा कम आता है. ऐसे में कोचिंग क्लास में बच्चों पर व्यक्तिगत ध्यान दिया जाता है. इस वजह से बच्चों को पढ़ाई संबंधित समस्याएं आसानी से सुलझाई जा सकती है. अगर बच्चे को स्कूल में कुछ समझ नहीं आता है तो वह उसे नोट डाउन करने कोचिंग में आने पर उसका हल समझ सकता है.
अच्छे मार्क्स आते है
अगर बच्चे पर व्यक्तिगत और अलग से ध्यान दिया जायेगा तो बच्चे का पढ़ाई को लेकर लेवल बढेगा और उसे चीजे अच्छे से समझ आने लगेगी. इससे वह परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करना और उसके मार्क्स अच्छे आयेंगे.
कॉन्फिडेंस (आत्मविश्वास) बढ़ता है
कोचिंग क्लास जाने से बच्चे पढ़ाई के साथ पूरी तरह से जुड़े रहते है और उनकी हर समस्या का समाधान हो जाने से बच्चों में कॉन्फिडेंस बढ़ता है. उन्हें यह अहसास हो जाता है की वे स्कूल की हर चुनोतियों का डटकर सामना कर सकते है. जब उनकी स्कूल की समस्याएं कोचिंग में हल होने लगेगी और बच्चों को आसानी से समझ आने लगेगी तो जाहिर सी बात है बच्चों का आत्मविश्वास बढेगा.
पढ़ाई और परीक्षा का डर खत्म हो जाता है
बच्चे जब स्कूल जाते है और उन्हें वहां कोई चीज समझ नहीं आती है तो सबसे पहले उनके मन में आता है की कोचिंग में जाकर समझ लेंगे. जब कोचिंग क्लास में उनकी उस समस्या का समाधान हो जाता है तो बच्चों के मन में पढाई और परीक्षा का डर खत्म हो जाता है, क्योंकि उनके पास उनकी हर समस्या का समाधान है.
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कोचिंग क्लास पढ़ाने के नुकसान
बचपन बर्बाद हो जाता है
आजकल के बच्चों में आगे बढ़ने की प्रतिस्पर्धा और माता-पिता में उनके बच्चों का क्लास में टॉप करनेका डर बच्चों को कोचिंग की और खींचता है. ऐसे में बचपन में ही कोचिंग क्लास की और रुझान बच्चों का बचपन छीन लेता है. बच्चे खेल-कूद से दूर हो जाते है. उनका सारा समय स्कूल और कोचिंग में ही चलाता है.
स्ट्रेस लेवल बढ़ने लगता है
पहले बच्चा स्कूल जाता है, उसके बाद कोचिंग, उसके बाद होमवर्क आदि में रहता है जिस वजह से उस पर प्रेशर बढ़ने लगता है और इस कारण से बच्चा तनाव में आ जाता है. बच्चा समय पर्फ नींद नहीं ले पाता है और इस वजह से स्वभाव भी चिढ़चिढ़ा होने लगता है तथा स्ट्रेस लेवल बढ़ने लगता है.
समय और पैसे की बर्बादी होती है
अगर आपको पता है की आपके बच्चे पढ़ाई में होशियार है और स्कूल में पढाया गया उन्हें याद रहता है तो उन्हें कोचिंग क्लास ना भेजे. इससे उनका समय भी बर्बाद होगा और आपका पैसा भी.
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कौनसी क्लास से कोचिंग जाना चाहिए?
पहली बात तो क्लास का कोचिंग से कोई लेना देना नहीं है. अगर आपका बच्चा पढने में होशियार है, स्कूल का पढाया उसे याद रहता है और हर चीज को अच्छे कैच करता है तो उसे कोचिंग की कोई जरूरत नहीं है. वो सेल्फ स्टडी के द्वारा ही परीक्षा में अच्छे मार्क्स ला सकते है और बेहतर प्रदर्शन कर सकता है.
अब दूसरी बात अगर क्लास पांचवी तक अगर आप अपने बच्चे को पढ़ा सकती / सकते है तो कोचिंग की क्या जरूरत. ऐसे बहुत से माता-पिता है जो घर पर ही बच्चों को पढ़ाते है और उनके बच्चे क्लास में टॉप करते है. अगर आपको ज्ञान है और आपके पास समय है तो आपका समय और ज्ञान अपने बच्चों को दे. फालतू में कोचिंग भेजकर समय और पैसा बर्बाद करने की क्या जरूरत है.
तीसरी बात अगर आपके बच्चे पढने में कमजोर है और स्कूल में क्या पढाया जाता है उन्हें समझ नहीं आता तथा आपके पास भी समय नहीं है तो आप उन्हें कोचिंग भेज सकते है. लेकिन फिर भी शुरुआत में कुछ क्लास तक आप ही संभाले तो ज्यादा सही रहेगा क्योंकि बहुत छोटे में बच्चों को कोचिंग में भी कुछ समझ में नहीं आता.
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कोचिंग का चुनाव कैसे करें?
अब हमने कोचिंग के फायदे और नुकसान के बारे में जान लिया, कौनसी क्लास से बच्चों को कोचिंग भेजना चाहिए इसके बारे में भी हमने जान लिया. अब बात आती है कोचिंग का चुनाव कैसे करें. बदलते समय और पढ़ाई के साथ-साथ कोचिंग का कारोबार तेजी से बढ़ने लगा है.
आज के समय में गाँव, कस्बे और शहर हर जगह कोचिंग क्लास का बोलबाला है. लेकिन सबसे बड़ी बात है अच्छे कोचिंग का चुनाव करना क्योंकि कई कोचिंग संस्थान अपना प्रचार तो बड़े पैमाने पर करते है लेकिन उनमे सही से क्लास भी नहीं लगती और टीचर भी नहीं आते. ऐसे में अच्छी कोचिंग क्लास का चुनाव करना बहुत जरुरी है. आईये जानते है अच्छी कोचिंग क्लास का चुनाव कैसे करें.
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कोचिंग का चुनाव करते समय इन बातों का ध्यान रखें
परिणाम नहीं क्वालिटी (गुणवता) देखे
कोचिंग का प्रचार करने वाले सबसे पहले अपने रिजल्ट को ही बढ़ा चढ़ाकर बताते है और प्रमोशन को बहुत बेहतर तरीके से करते है. कई बार तो जिन बच्चों को टॉपर लिस्ट में शामिल किया जाता है वे उस कोचिंग के होते ही नहीं है, बस गुमराह करने के लिए उनके नाम का यूज किया जाता है.
कोचिंग क्लास ने कितने टॉपर निकाले है उसकी बजाय इस बात पर ध्यान दे की वहां की पढ़ाई कैसी है, स्टडी मेटेरियल कैसा है, बच्चों पर किस तरह ध्यान दिया जाता है, क्लास समय पर लगती है या नहीं. परिणाम के बजाय कोचिंग की गुणवता को देखे, वो ज्यादा जरुरी है.
एडमिशन लेने से पहले डेमो ले
एडमिशन लेने में जल्दबाजी ना करें बल्कि पहले एक सप्ताह तक वहां पढ़कर देखे. कोचिंग संचालक भी इसके लिए आपको मना नहीं करेगा. इस दौरान स्टूडेंट को यह आसानी से समझ आ जायेगा की कैसा पढाया जा रहा है, वहां का माहौल कैसा है. जब बच्चा पूरी तरह से संतुष्ट हो जाता है तब ही उस कोचिंग क्लास में उसका एडमिशन करवाना चाहिए.
वहां पढ़ चुके स्टूडेंट से बातचीत करें
जो बच्चे उस कोचिंग में पढ़ चुके है उनसे बात करें क्योंकि आपको सबसे सही और सटीक जानकारी वे ही दे सकते है. बच्चे से पूछें की वहां का स्टडी मेटेरियल कैसा है, किस तरह से पढ़ाया जाता है, प्रैक्टिकल नॉलेज कैसा है आदि. इस तरह से आपको कोचिंग के बारे में सही जानकारी मिल जाएगी और आपको उस कोचिंग सेंटर का चुनाव करना है या नहीं इसका भी पता चल जायेगा.
पैटर्न, सिलेबस और रेगुलर परफोर्मेंस को चेक करें
जिस कोचिंग के बारे में आप जानकार कलेक्ट कर रहे अहि वहां देखे की पढ़ाई का पैटर्न क्या है, सिलेबस क्या है और क्या वहां पर बच्चों की रेगुलर परफोर्मेंस को देखा जा रहा है या नहीं. कोचिंग वालो से यह भी पता करना चाहिए की वे एक ही सेट या पैटर्न पर चलते है या समय के साथ बदलाव लाते है.
आप इस पोस्ट में अच्छे से समझ गए है की कोचिंग क्लास के फायदे और नुकसान क्या है, किस क्लास से बच्चों को कोचिंग भेजना चाहिए और कोचिंग का चुनाव कैसे करें. उम्मीद करता हु की आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी और अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें और कमेंट बॉक्स में अपने विचार दे.
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