संस्कृत भाषा या संस्कृत दिवस 2023 का महत्व निबंध( Sanskrit Language Day , Sanskrit Diwas Date in hindi)
संस्कृत भाषा भारत देश की सबसे प्राचीन भाषा है, इसी से देश में दूसरी भाषाएँ निकली है. सबसे पहले भारत में संस्कृत ही बोली गई थी. आज इसे भारत के 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. उत्तराखंड राज्य की यह एक आधिकारिक भाषा है. भारत देश के प्राचीन ग्रन्थ, वेद आदि की रचना संस्कृत में ही हुई थी. यह भाषा बहुत सी भाषा की जननी है, इसके बहुत से शब्दों के द्वारा अंग्रेजी के शब्द बने है. महाभारत काल में वैदिक संस्कृत का प्रयोग होता है. संस्कृत आज देश की कम बोले जानी वाली भाषा बन गई है, लेकिन इस भाषा की महत्ता को हम सब जानते है, इसके द्वारा ही हमें दूसरी भाषा सीखने बोलने में मदद मिली, इसकी सहायता से बाकि भाषा की व्याकरण समझ में आई.
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संस्कृत दिवस कब मनाया जाता है (Sanskrit Day Date 2023) –
भारतीय कैलेंडर के अनुसार संस्कृत दिवस सावन माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. संस्कृत दिवस की शुरुआत 1969 में हुई थी. इस बार संस्कृत दिवस 31 अगस्त 2023, दिन गुरुवार को है. रक्षाबंधन का त्यौहार भी सावन माह की पूर्णिमा को आता है, इसका मतलब राखी और संस्कृत दिवस एक ही दिन आता है.
संस्कृत दिवस मनाने का उद्देश्य (Purpose of Celebrate Sanskrit Diwas) –
संस्कृत दिवस पूरी दुनिया में मनाया जाता है. इसके मनाने का उद्देश्य यही है कि इस भाषा को और अधिक बढ़ावा मिले. इसे आम जनता के सामने लाया जाये, हमारी नयी पीढ़ी इस भाषा के बारे में जाने, और इसके बारे में ज्ञान प्राप्त करे. आजकल के लोगों को लगता है, संस्कृत भाषा पुराने ज़माने की भाषा है, जो समय के साथ पुरानी हो गई, इसे बोलने व पढने में भी लोगों को शर्म आती है. लोगों की इसी सोच को बदलने के लिए इसे एक महत्वपूर्ण दिवस के रूप में मनाया जाता है.
संस्कृत भाषा का महत्व (Sanskrit Language Mahatv and information in hindi) –
संस्कृत भाषा बहुत सुंदर भाषा है, ये कई सालों से हमारे समाज को समृद्ध बना रही है. संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति के विरासत का प्रतीक है. यह ऐसी कुंजी है, जो हमारे प्राचीन ग्रंथों में और हमारे धार्मिक-सांस्कृतिक परंपराओं के असंख्य रहस्यों को जानने में मदद करती है. भारत के इतिहास में सबसे अधिक मूल्यवान और शिक्षाप्रद सामग्री, शास्त्रीय भाषा संस्कृत में ही लिखे गए है. संस्कृत के अध्ययन से, विशेष रूप से वैदिक संस्कृत के अध्ययन से हमें मानव इतिहास के बारे में समझने और जानने का मौका मिलता है, और ये प्राचीन सभ्यता को रोशन करने के लिए भी सक्षम है। हाल के अध्ययनों में यह पाया गया है कि संस्कृत हमारे कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के लिए सबसे अच्छा विकल्प है.
आधुनिक युग मे संस्कृत की महत्ता (Importance of Sanskrit Language in modern world)
हम दुनिया में विदेशियों के योगदान को बहुत महत्वपूर्ण मानते है, क्यूंकि इन्ही के द्वारा संस्कृत भाषा में निहित साहित्य की जानकारी पूरी दुनिया के सामने आ पाई है. सब 1783 में सर विलियम जॉन ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर कलकत्ता आये थे. वे अंग्रेजी भाषाविद, संस्कृत में विद्वान और एशियाई सोसायटी के संस्थापक थे. उन्होंने कालिदास द्वारा संस्कृत में रचित कहानी ‘अभिज्नना शकुंतला’ एवं ‘रितु संहार’ को अंग्रेजी में ट्रांसलेट किया था. इसके अलावा कवि जयदेव द्वारा रचित ‘गीता गोविंदा’ व मनु के कानून ‘मनुस्मृति’ को भी इंग्लिश भाषा में परिवर्तित किया. सन 1785 में एक अन्य विद्वान सर चार्ल्स विल्किंस ने ‘श्रीमद भगवत गीता’ को अंग्रेजी में लिखा. श्रीमद भगवत गीता के अनमोल वचन यहाँ पढ़ें.
हितोपदेश भारतीय दंतकथाओं के संग्रह को एक जर्मन भाषाविद मैक्स मुलर ने संस्कृत से जर्मनी भाषा में ट्रांसलेट किया था. उन्होंने अपना नाम भी संस्कृत में बदल कर ‘मोक्ष मुलर भट’ कर लिया था. अपना नाम बदलना उनका संस्कृत के प्रति लगाव और उसकी पूजा करने का तरीका था. इसके द्वारा उन्होंने अपना धर्म परिवर्तन नहीं किया था. कालिदास द्वारा रचित ‘मेघदूत’ को इन्होने जर्मनी में लिखा और उसे ‘दी फेटल रिंग’ नाम दिया. इसके अलावा भी मैक्स मुलर ने बहुत सी प्राचीन धार्मिक रचना का संपादन कर, उसे ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी में 1879 से 1884 के दौरान प्रकाशित किया.
वेद और उपनिषद बस संस्कृत में नहीं लिखे गए थे, इसके अलावा भी संस्कृत को नौ ग्रहों, राहू, केतु धूमकेतु का ज्ञान था. संस्कृत में आयुर्वेद चिकत्सा, विमान का भी रहस्य छुपा हुआ था. वेद में सभी नौ गृह, महीने, दिन, मौसम के बारे में जानकारी थी, इससे प्रकृति की रचना के बारे में, मौसम के बारे में समझने में आसानी हुई.
संस्कृत दिवस मनाने का तरीका (Sanskrit Day Celebrated) –
सरकार संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए अपने इस कार्यक्रम से स्कूल, कॉलेज को भी जोड़ती है. स्कूल कॉलेज में अलग अलग कार्यक्रम होते है. शहर के सभी स्कूलों के बीच संस्कृत भाषा में निबंध, श्लोक, वाद-विवाद, गायन, पेंटिंग की प्रतियोगिता होती है. कुछ सामाजिक संसथान व मंदिरों के द्वारा भी इस दिन कार्यक्रम कराये जाते है. संस्कृत की रचना, श्लोक, पुस्तक लोगों में बाँटें जाते है. सरकार के द्वारा संस्कृत की भाषा को बढ़ाने के लिए किसी नई योजना की घोषणा होती है.
आज के समय में संस्कृत भाषा की स्थिति (Importance of sanskrit language in today’s world) –
आज के समय संस्कृत भाषा की परिस्थति ख़राब ही है. बहुत से पाठ्यक्रम से इसे हटा दिया गया है. संस्कृत भाषा का अध्ययन भारत देश में अनिवार्य नहीं है, जिससे अलग अलग राज्य अपने पाठ्यक्रम में अपनी इच्छा अनुसार, अपने राज्य की कोई भाषा पाठ्यक्रम से जोड़ लेते है. वैसे अब सरकार ने ये रुल निकाला है कि कक्षा छठवी से आठवी तक संस्कृत अनिवार्य है. केन्द्रीय विद्यालय ने भी ये रुल अपनाया है, और अपने पाठ्यक्रम में संस्कृत जोड़ा है. केन्द्रीय विद्यालय ने 2014 से हर साल ‘संस्कृत सप्ताह’ मनाने का भी तय किया है. इस दौरान सीबीएसई के सभी स्कूलों में संस्कृत सप्ताह मनाया जायेगा और संस्कृत भाषा से जुड़े कार्यक्रम होंगें. संस्कृत श्लोक एवं उसके हिंदी अर्थ यहाँ पढ़ें.
भारत के अलावा विदेश में भी संस्कृत भाषा प्रसिद्ध है, वहां के कॉलेज स्कूल में एक फोरेन भाषा के तौर पर संस्कृत को मान्यता प्राप्त है, जिसे छात्र अपनी इच्छा अनुसार चुन सकते है. जर्मनी, अमेरिका, लन्दन में ये ज्यादा प्रचलित है.
भारत में मौजूद संस्कृत यूनिवर्सिटी (List of sanskrit university in India) –
भारत में अभी भी बहुत से ऐसे लोग है, जो संस्कृत भाषा में अध्ययन करते है. भारत में पहली संस्कृत यूनिवर्सिटी 1791 में वाराणसी में खुली थी.
यूनिवर्सिटी का नाम | सन | जगह |
सम्पूर्ण आनंद संस्कृत यूनिवर्सिटी | 1791 | वाराणसी |
सद्विद्या पाठशाला | 1876 | मैसूर |
कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत यूनिवर्सिटी | 1961 | दरभंगा |
राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ | 1962 | तिरुपति |
श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ | 1962 | नई दिल्ली |
राष्ट्रीय संस्कृत संसथान | 1970 | नई दिल्ली |
श्री जगन्नाथ संस्कृत यूनिवर्सिटी | 1981 | पूरी, उड़ीसा |
नेपाल संस्कृत यूनिवर्सिटी | 1986 | नेपाल |
श्री शंकराचार्य यूनिवर्सिटी ऑफ़ संस्कृत | 1993 | कलादी, केरल |
कविकुलागुरु कालिदास संस्कृत यूनिवर्सिटी | 1997 | रामटेक |
जगद्गुरु रामानंदचार्य राजस्थान संस्कृत यूनिवर्सिटी | 2001 | जयपुर |
श्री सोमनाथ संस्कृत यूनिवर्सिटी | 2005 | सोमनाथ, गुजरात |
महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय | 2008 | उज्जैन |
कर्नाटक संस्कृत यूनिवर्सिटी | 2011 | बैंग्लोर |
इसके अलावा देश-विदेश के बहुत से कॉलेजों में संस्कृत पाठ्यक्रम के लिए अलग से डिपार्टमेंट होता है. बहुत से लोग यहाँ से ग्रेजुएशन के साथ साथ पोस्ट ग्रेजुएशन भी करते है.
संस्कृत भाषा भारत देश का गौरव है, जिसे बढ़ावा और उसका हक़ मिलना ही चाहिए.
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