सलीम अनारकली की प्रेम कहानी ( Salim Anarkali history and Colors TV serial story in hindi )
सलीम अनारकली की प्रेम गाथा इतिहास के पन्नों में बहुत ही अलग- अलग तरीकों से अमर हैं. कोई कहता हैं ये सत्य हैं, तो कोई इसे महान रचियता की कल्पना कहता हैं. इसी तरह इतिहास में एक और प्रेम युगल जोधा अकबर की प्रेम कथा भी चर्चित हैं. सलीम अनारकली की प्रेम में प्रेम के कई रूप और एक दर्दनाक अंत की अमर गाथा हैं. किस तरह सलीम को अनारकली से प्रेम हुआ और किस तरह सलीम ने बादशाह- ए –हिन्दी से एक कनीज़ के लिए बगावत की ? इसकी सच्चाई क्या थी ? आगे इसी का जिक्र विस्तार से हैं :
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सलीम अनारकली की प्रेम कहानी [Salim Anarkali story]
सलीम, बादशाह- ए –हिन्दी अकबर और हरका बाई की औलाद थे. बचपन से ही वे जिद्दी थे. उनकी गुस्ताखियाँ अकबर को बिलकुल पसंद नहीं थी, जिस कारण अकबर ने सलीम को फोज के साथ भेज दिया, ताकि वे अनुशासन सीख सके और आगे जाकर बादशाह- ए –हिन्दी का तख्त संभालने लायक बन सके. इस तरह बचपन से ही बाप – बेटे के रिश्ते अच्छे नहीं थे. सलीम हमेशा ही पिता के अल्फ़ाज़ों की तौहीन करते आए थे, जिस कारण उन्हे 14 वर्षों तक अपनों से दूर रहना पड़ा, शायद इसलिए ही उनका अपने परिवार से ज्यादा लगाव नहीं था.
कुछ समय बाद सलीम को वापस बुलवाया गया और उनके आने की खुशी में लाहोर में जश्न रखा गया. इस जश्न में मुजरा (एक प्रकार की नृत्य कला) होना था, जिसके लिये नादिरा को बुलाया गया. नादिरा एक कनीज़ अर्थात नाचने वाली थी, जिसका हुस्न देखते ही बनता था. उसकी खूबसूरती से किसी की निगाहे हटती नहीं थी. नादिरा का हुस्न जितना खूबसूरत था, उतना ही खूबसूरत उनका नृत्य था. उनकी इसी अदा और कौशल को देखकर अकबर ने उन्हे “अनारकली” नाम से नवाजा था. अनारकली मतलब के सुंदर खिला हुआ फूल.
अनारकली ने लाहौर के उस जश्न में भी अपनी कला का प्रदर्शन किया और उस दिन सलीम ने पहली बार अनारकली को देखा और उसके हुस्न और सादगी को देख वो उस पर फिदा हो गये और उससे मोहब्बत करने लगे. अनारकली को उन्होने अपने प्यार का इज़हार किया. अनारकली समझती थी, कि एक कनीज़ और शैहज़ादे के बीच कोई प्रेम संबंध नहीं हो सकता, इसलिये उसने सलीम से दूरी बनाने की पूरी कोशिश की, लेकिन सलीम की मोहब्बत के आगे अनारकली भी बेबस हो गई और सलीम को अपना दिल दे बैठी. दोनों छिप – छिप कर मिलने लगे, लेकिन एक दिन इस बात की खबर अकबर को लग गई और उसने सलीम को बुलवाकर उससे साफ- साफ कह दिया, कि हिंदुस्तान के तख्त पर वो किसी कनीज़ को मल्लिका बनने नहीं देंगे और इसलिये सलीम अनारकली को भूल जाए और उससे मिलना बंद कर दे. लेकिन सलीम की मोहब्बत इतनी कमजोर नहीं थी. उसने बादशाह-ए-हिन्दी के खिलाफ बगावत कर दी. अकबर ने भी अनारकली को सजा-ए- मौत देने का ऐलान कर दिया था, जिसके लिए उसे चारों तरफ ढूंढा जा रहा था. लेकिन सलीम के वफादार ने अनारकली को लाहौर से दूर कहीं छिपा दिया था.
अकबर के इरादों को देख सलीम ने अपनी सेना बनाई और अकबर के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया, लेकिन अकबर की विशाल सेना के आगे सलीम की हार हुई. जंग-ए-मैदान पर अकबर की तलवार सलीम को सजा नहीं दे पाई और उसे बंदी बनाकर सभा में लाया गया. सभा में अकबर ने सलीम से कहा, कि वो अनारकली को सौंप दे, तो वो उसे रिहा कर देंगे. सलीम की मोहब्बत के आगे उसकी जान के कोई मायने नहीं थे और उसने मौत को गले लगाना मुक्कमल किया और अनारकली को देने से मना कर दिया. बेटे के मोह को त्याग कर अकबर ने भरी सभा में सलीम के लिए सजा- ए- मौत का फैसला सुनाया.
दूसरी तरफ जब यह बात अनारकली को पता चली, तो उसने खुद को अकबर को सौंप दिया और सलीम को आजाद करने को कहा. तब अकबर ने अनारकली को सजा-ए-मौत के रूप में जिंदा दीवार में चुनवा देने की दर्दनाक सजा सुनाई और उससे उसकी आखिरी ख्वाइश पुछी. अनारकली ने कहा कि वो एक रात मालिका-ए- हिंदुस्तान बनकर सलीम के साथ गुजारना चाहती हैं, क्यूंकि सलीम ने उन्हे वादा किया था कि वो उसे मालिका-ए-हिंदुस्तान बनायेंगे और वो सलीम के उस वादे को मरने के पहले पूरा करना चाहती हैं. अकबर उसकी आखरी इच्छा पूरी करता हैं और कहता हैं कि वो सलीम को बैहोश करके सुबह सैनिको के साथ वहाँ से निकल जाये. अनारकली ऐसा ही करती हैं, एक रात सलीम के साथ गुजारने के बाद वो खुद को सैनिको को सौंप देती हैं. और सजा के अनुसार उसे दीवार में चुनवा दिया जाता हैं. इतिहास में यह समय सन 1599 माना जाता है, तब अनारकली की मौत हुई थी.
यहाँ तक इस कहानी का अंत होता हैं लेकिन कुछ लोगो के अनुसार, अनारकली की माँ जिसका नाम नूर खान अर्गन था, को अकबर ने उसके नृत्य से खुश होकर उसे वचन दिया था, कि वो जो चाहे उससे मांग सकती हैं. जब नूर ने अकबर से कुछ नहीं मांगा था, लेकिन अपनी बेटी की मौत को देख उसे वो वचन याद आता और वो अकबर से अपनी बेटी अनारकली की ज़िंदगी मांग लेती हैं. तब ऐसा कहा जाता हैं कि उसके वचन को पूरा करने के लिए अकबर एक सुरंग के जरिये अनारकली को लौहार के बाहर भेज देता हैं और उससे वचन लेता हैं कि वो कभी शैहजादे सलीम से ना मिले और इस तरह सलीम और अनारकली एक दूसरे से अलग हो जाते हैं, लेकिन उनकी मोहब्बत की दास्तां तारीख (इतिहास) में सुनहरे लब्जों में अमर हो जाती हैं.
अनारकली का मकबरा [Tomb of Anarkali]
अनारकली जिंदा थी या नहीं इस बात का कोई तथ्य नहीं है, लेकिन वर्तमान समय में पाकिस्तान के लौहार में उसी जगह जहां अनारकली को दीवार में चुनवाया गया था, वहाँ अनारकली का मकबरा हैं जिसे सन 1600 में सलीम ने अनारकली की याद में बनवाया था. आज भी इस जगह को अनारकली की याद के तौर पर देखा जाता हैं और वहाँ बाजार लगता हैं जिसे महिलाओं के लिए लगाया जाता हैं. उस बाजार में महिलाओं से संबंधी सामान की बिक्री होती हैं.
सलीम अनारकली पर आधारित सामान्य ज्ञान :
यह इतिहास का एक बहुत महत्वपूर्ण पन्ना हैं इसके मुख्य किरदारों में सलीम का संक्षिप्त परिचय कुछ इस प्रकार हैं :
1 | नाम | सलीम |
2 | पूरा नाम | मिर्ज़ा नूर-उद-दिन बैग मोहम्मद खान सलीम |
3 | प्रचलित नाम | जहाँगीर |
4 | जन्म एवं मृत्यु | 31 अगस्त 1569 एवं 28 अक्टूबर 1627 |
5 | शासन काल | 1605 से 1627 |
6 | पिता का नाम | अकबर |
7 | माता का नाम | हरका बाई या जोधा बाई (मरियम-उज़-जमानी) |
8 | धर्म | सुन्नी इस्लाम |
अनारकली का संक्षिप्त परिचय कुछ इस प्रकार हैं :
1 | नाम | अनारकली |
2 | पूरा नाम | शरीफ-उन-निस्सा एवं नादिरा बेगम |
3 | प्रचलित नाम | अनारकली |
4 | मृत्यु | 1599 |
7 | माता का नाम | नूर खान अर्गन |
8 | धर्म | इस्लाम |
9 | धरोहर | अनारकली का मकबरा लौहार में सन 1600 में बनाया गया |
सलीम अनारकली की कहानी प्रेम की एक खूबसूरत कहानी है, इसलिये इस पर फिल्म जगत पर कई फिल्मे बनाई गई और छोटे पर्दे पर सीरियल के रूप में भी इसका मंचन किया गया.
सलीम- अनारकली के प्रेम पर आधारित फिल्म कौन- कौन सी थी ? [Salim Anarkali Movie]
- लव्स ऑफ मुगल प्रिंस : यह फिल्म 1927 में बनी थी, जिसे प्रफुल्ल रॉय ने बनाया था. यह पहली फिल्म थी जो सलीम अनारकली के प्रेम पर बनी थी. इस फिल्म में अनारकली का किरदार सीता देवी ने और सलीम का किरदार सावन सिंह ने निभाया था.
- अनारकली : यह फिल्म 1953 में बनी थी, जिसे नन्दलाल जसवंतलाल ने बनाया था, जिसमे बिना रॉय ने अनारकली का किरदार किया था और प्रदीप कुमार ने सलीम का किरदार किया था.
- मुग़ल-ए-आज़म : यह फिल्म 1960 में पर्दे पर आई और इसने कई सालों तक सिनेमाघर में अपनी जगह बनाये रखी. ये उस वक़्त की सबसे महंगी फिल्म थी. और इसी तरह यह आज तक दर्शकों के दिल में जगह बनाये हुई हैं. मुगल-ए-आजम फिल्म में अनारकली का किरदार बॉलीवुड की बेहद सुन्दर अदाकारा मधुबाला और सलीम का किरदार बॉलीवुड के ट्रेजिडी मैन दिलीप कुमार साहब ने निभाया था. इन दोनों किरदारों के साथ अकबर का किरदार जो पृथ्वी राजकपूर ने निभाया उसे भी आज तक याद किया जाता हैं. फिल्म के गाने भी बहुत प्रचलित हुये थे, उन में से आज भी “जब प्यार किया तो डरना क्या” को गुनगुनाया जाता हैं.
सलीम- अनारकली के प्रेम पर आधारित टीवी सिरियल कौन से हैं ? [Salim Anarkali TV Serial, Cast Name]
दास्तां-ए-मोहब्बत: सलीम-अनारकली‘ : यह कलरर्स पर प्रसारित होने वाला एक बड़ा शो हैं इसका डायरेक्शन निखिल सिन्हा ने किया हैं . इसका सेट भव्य और बेहद सुंदर हैं. इस सिरियल में विस्तार से अनारकली और सलीम के प्रेम की कहानी को दिखाया गया हैं. इस सीरियल में शाहिर शेख, सलीम का किरदार निभा रहे हैं. और सोनारिका भदोरिया अनारकली के किरदार में नजर आई हैं.
किरदार का असली नाम | किरदार का नाम |
शाहबाज खान | अकबर |
गुरदीप कोहली | जोधा बाई |
अरुणा ईरानी | हमीदा बेगम बानो |
श्रुति अलफाज | अनारकली की खाला |
नईशा खन्ना | शरीफ-उर-निशा (छोटी अनारकली) |
उजैर | छोटा सलीम |
सलीम अनारकली की लव स्टोरी को कई रचयिताओं ने अपनी- अपनी काल्पनिक सोच का चौला पहनाया हैं. इतिहास में यह प्रेम था या नहीं इसके बहुत ज्यादा साक्ष्य नहीं हैं, लेकिन अनारकली का मकबरा लाहौर में उनके होने का सबूत देता हैं, इसलिए इस मकबरे के आस-पास कई कहानियाँ सुनने मिलती हैं.
इस तरह कई किताबों के अनुसार [Books On Salim Anarkali]
- पहली बार अनारकली के बारे में लिखा था, उसका नाम विलियम फ्रिंच था, जो कि सलीम के जहांगीर के रूप में राज्य सम्भालने के 3 वर्ष बाद भारत आया था. हालांकि फिंच की कहानी अनारकली और सलीम की प्रेम कहानी का सबसे ज्यादा विवादित मत लगता हैं. उनके अनुसार – अकबर की बहुत सी पत्नियों में से इम्माक्वेट केल्ले या पोमग्रेनेट कर्नेल के सलीम के सम्बंध थे, जिसकी भनक लगते ही अकबर ने उन्हे जिन्दा दीवार में चुनवा दिया और सलीम ने उनके लिए अनारकली का मकबरा बनवाया.
- तहकीकात-ई-चिश्तिया : इसे नूर अहमद चिश्ती ने 1860 में लिखा था. अनारकली अकबर की प्रिय दासी थी. जिससे अकबर की अन्य दो बीवियां जलती थी. अकबर जब दक्कन की लड़ाई में गए थे, तब अनारकली बीमार हो गयी थी और उस समय ही उसकी मृत्यु हो गयी थी. अकबर जब लौटकर आया, तो उसने अनारकली की याद में एक मकबरा बनाने का आदेश दिया.
- तारीख-ई-लाहौर : सैयद अब्दुल लतीफ़ ने भी इसे लिखा था, कि अनारकली अकबर के हरम मे रहती थी, जिसमें केवल अकबर की पत्नियाँ या उसकी दासियाँ रह सकती थी. अकबर को सलीम-अनारकली के रिश्ते का शक हो जाता हैं और वो इसलिए अनारकली को जिन्दा दीवार में चुनवा देता हैं. जिसके बाद जहांगीर ने अनारकली के लिए मकबरा बनवाया, जिस पर उसने अपने प्यार का इज़हार करते हुए लिखवाया – “यदि मैं सिर्फ एक बार अपने प्यार को देख सकूं, तो मैं कयामत तक अल्लाह का आभारी रहूँगा”.
- 18वी शताब्दी के ही एक अन्य इतिहासकार ने मकबरे के सन्दर्भ में बिलकुल अलग मत दिया हैं, उनके अनुसार ये मकबरा जहांगीर की पत्नी साहेब जमाल की याद में अनार के उद्यान के बीच में बनावाया गया था, जो कि जहांगीर की प्रिय पत्नी थी. समय के साथ उसका वास्तविक नाम लुप्त हो गया और आस-पास अनार के बगीचे होने के कारण उसका नाम अनारकली पड़ गया.
- अन्य कहानी : लाहौर की गलियों में ये अफवाह भी थी, कि अनारकली अकबर को भी पसंद थी क्योंकि अनारकली कविता,साहित्य और संगीत में निपुण थी और ये क्षेत्र अकबर के भी रुचिकर थे. अनारकली अकबर के हरम में पहुँच गयी और अकबर की सबसे प्रिय बन गयी. एक बार कांच के कमरे में बैठे कमरे में अकबर ने देखा कि अनारकली, शहजादे सलीम को मुस्कान दे रही हैं. उन्हें सलीम और अपनी गुलाम बनी अनारकली के मध्य सम्बंध होने का शक हुआ. और अकबर ने अनारकली को जिन्दा दीवार में चुनवा दिया, सलीम उसे बचा नहीं सका, लेकिन उसने सत्ता सम्भालने के बाद लाहौर में उसकी याद में मकबरा बना दिया.
इस तरह अनारकली और सलीम की कहानी को कई तरह से सुना जाता हैं. इस महान प्रेम कहानी पर बने नाटक, फिल्म और टीवी धारावाहिक काफी पसंदीदा रहे हैं. इतिहास की गहराइयों में कई कहानियाँ दफन हैं जो इस तरह मनोरंजन के क्षेत्र और उपन्यासों के जरिये आमजन तक पहुँच रही हैं.
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