Ratha Saptami 2024 Puja Vidhi in Hindi- कब है रथ सप्तमी? जानें सूर्य पूजा मुहूर्त और महत्व

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इस वर्ष, हिंदू कैलेंडर के अनुसार, रथ सप्तमी का पावन पर्व 16 फरवरी, शुक्रवार को मनाया जा रहा है। यह दिन सूर्य भगवान की उपासना और पूजा के लिए समर्पित है। इस शुभ अवसर पर, सूर्यदेव की आराधना से वे अपने भक्तों पर खुशी, समृद्धि और स्वास्थ्य की अमिट वर्षा करते हैं।

Ratha Saptami 2024 Puja Vidhi in Hindi- कब है रथ सप्तमी? जानें सूर्य पूजा मुहूर्त और महत्व
Ratha Saptami 2024 Puja Vidhi in Hindi- कब है रथ सप्तमी? जानें सूर्य पूजा मुहूर्त और महत्व

रथ सप्तमी 2024 सूर्य भगवान की पूजा

हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक, आज 16 फरवरी, शुक्रवार को रथ सप्तमी का पवित्र त्योहार है। माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाने वाली यह तिथि, रथ सप्तमी, अचला सप्तमी अथवा आरोग्य सप्तमी के रूप में प्रसिद्ध है। इस विशेष दिन, सूर्य देवता की आराधना की जाती है। भक्तों द्वारा समर्पित भाव से की गई पूजा से प्रसन्न होकर, सूर्यदेव उन्हें समृद्धि, वैभव और स्वास्थ्य का वरदान प्रदान करते हैं।

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रथ सप्तमी सूर्य देवता की उपासना का महापर्व

भविष्य पुराण के प्रमाण अनुसार, सप्तमी तिथि वह शुभ दिवस है जब सूर्य देवता ने प्रथम बार जगत को अपने प्रकाश से परिपूर्ण किया था। इस अद्वितीय दिवस पर, सूर्य देवता को उनकी पत्नी संज्ञा और उनकी संतानों का वरदान भी प्राप्त हुआ था। इसी कारण से सप्तमी की तिथि सूर्य देव के लिए बेहद प्रिय है। यह मान्यता है कि इस दिवस पर सूर्य देव की आराधना करने से भक्तों को अनंत और अविनाशी फलों की प्राप्ति होती है।

पूर्ण आस्था और भक्ति भाव से की गई पूजा से सूर्य देव अति प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर सुख, समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य की असीम कृपा बरसाते हैं। सूर्य देव की स्तुति करते समय उनकी ओर मुख करने से त्वचा संबंधी विकार दूर होते हैं और नेत्रों की रोशनी में वृद्धि होती है। इस व्रत को धारण करने वाले भक्तों में पिता और पुत्र के बीच प्रेम का संबंध और भी मजबूत होता है, जिससे पारिवारिक सौहार्द बना रहता है।

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रथ सप्तमी 2024 के शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष रथ सप्तमी का शुभ मुहूर्त 15 फरवरी 2024 को प्रातः 10:15 बजे आरंभ होकर 16 फरवरी 2024, शुक्रवार की प्रातः 08:58 बजे समाप्त होगा। इस दौरान रथ सप्तमी के व्रत और पवित्र स्नान की परंपरा का पालन किया जाएगा। इस अवधि में भक्तगण सूर्य देवता की उपासना कर सकते हैं और इस पवित्र दिन का लाभ उठा सकते हैं।

रथ सप्तमी पर पूजन विधि और नियम

रथ सप्तमी के शुभ अवसर पर, धार्मिक आस्था के अनुसार, जरूरतमंदों, अपाहिजों, और ब्राह्मण समुदाय के लोगों की सहायता करनी चाहिए। अपनी सामर्थ्य अनुसार, उन्हें आवश्यकता की वस्तुएँ प्रदान करना चाहिए। सूर्य भगवान की आराधना करने वाले भक्तों को इस दिन एक बार, नमक विहीन भोजन या केवल फलों का सेवन करना चाहिए। व्रत रखने वाले भक्तों को नीले रंग के वस्त्र पहनने से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने पर माना जाता है कि पूजा का प्रभाव कम हो जाता है।

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सूर्य सप्तमी व्रत पूजन विधि एवं मंत्र

सूर्य सप्तमी व्रत का आयोजन भक्तों द्वारा सूर्य देवता की आराधना के लिए किया जाता है। इस दिन विशेष पूजन विधि और मंत्रों का उच्चारण करके सूर्य देव की उपासना की जाती है। निम्नलिखित चरणों में सूर्य सप्तमी व्रत की पूजन विधि और मंत्रों का वर्णन किया गया है:

पूजन विधि

1. प्रातःकाल स्नान: सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी या अपने घर में स्नान करें। स्नान के जल में गंगाजल मिलाना शुभ माना जाता है।

2. सूर्य देवता का ध्यान: स्नान के बाद, पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य देवता का ध्यान करें।

3. जल अर्घ्य: तांबे के लोटे में जल, लाल फूल, अक्षत (चावल) और थोड़ी सी हल्दी मिलाकर सूर्य देवता को अर्घ्य दें।

4. पूजा: सूर्य देवता की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं और लाल फूल, रोली, चावल अर्पित करें।

5. व्रत कथा का पाठ: सूर्य सप्तमी व्रत कथा का पाठ करें और इसे सुनें।

6. प्रसाद वितरण: पूजन के बाद, प्रसाद रूप में फल, मिठाई आदि का वितरण करें।

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मंत्र:– सूर्य देवता के लिए मंत्र:

  1. गायत्री मंत्र: “ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।”
  2. सूर्य बीज मंत्र: “ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः।”
  3. सूर्य अर्घ्य मंत्र: “ॐ सूर्याय नमः।”

सूर्य सप्तमी व्रत के दिन उपरोक्त पूजन विधि और मंत्रों के जप से सूर्य देवता की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

रथ सप्तमी व्रत की अद्भुत कथा

भविष्य पुराण में वर्णित एक पौराणिक गाथा के अनुसार, एक वैश्या ने अपने जीवनकाल में कभी भी दान-धर्म का आचरण नहीं किया। जीवन के उत्तरार्ध में, जब उन्हें अपने कर्मों पर पश्चाताप हुआ, वे महर्षि वशिष्ठ के शरण में गईं और अपनी चिंताओं को उनके समक्ष रखा। महर्षि वशिष्ठ ने उन्हें रथ सप्तमी के व्रत का महत्त्व समझाया और कहा कि इस पवित्र दिन पर भगवान सूर्य को जल अर्पित करने और दीपदान करने से अपार पुण्य प्राप्त होता है। वैश्या ने महर्षि के निर्देशानुसार रथ सप्तमी का व्रत रखा और उसके प्रभाव से, मृत्यु के पश्चात उन्हें देवलोक में अप्सराओं की अगुवाई करने का दिव्य अवसर प्राप्त हुआ।

FAQ

1. रथ सप्तमी क्या है?

A- रथ सप्तमी हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ मास में मनाया जाने वाला सूर्य देवता की उपासना का एक पवित्र त्योहार है।

2. रथ सप्तमी का महत्व क्या है?

A- रथ सप्तमी के दिन सूर्य देवता की पूजा से भक्तों को स्वास्थ्य, समृद्धि और ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

3. रथ सप्तमी पर सूर्य देवता को क्या अर्पित किया जाता है?

A- रथ सप्तमी पर सूर्य देवता को जल अर्घ्य दिया जाता है और लाल फूल, अक्षत और गुड़ का भोग लगाया जाता है।

4. रथ सप्तमी पर किस तरह का भोजन किया जाता है?

A- रथ सप्तमी के दिन व्रती एक समय नमक रहित भोजन या फलाहार करते हैं।

5. रथ सप्तमी का व्रत कैसे रखा जाता है?

A- रथ सप्तमी के व्रत में उपवास रखकर, सूर्य देवता की पूजा की जाती है और दिन के एक भाग में सात्विक आहार ग्रहण किया जाता है।

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