अचला भानु सूर्य सप्तमी महत्व एवम पूजा विधि (Achla Bhanu Surya Vyavasvathma Saptami Puja Vidhi Mahatva In Hindi, Bhanu Saptami Date 2024)
भानु सप्तमी को सूर्य सप्तमी, पुत्र सप्तमी, सूर्यरथ सप्तमी, रथ सप्तमी और आरोग्य सप्तमी भी कहा जाता है. इस दिन भगवान सूर्य ने अपना प्रकाश पृथ्वी पर भेजा था, जिसके बाद धरती से अँधेरा हट गया और वो प्रकाशवान हो गई थी. इसलिए इसे सूर्य जयंती के नाम से भी जानते है.
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अचला भानु सूर्य सप्तमी महत्व एवम पूजा विधि Achla Bhanu Surya Vyavasvathma Saptami Puja Vidhi Mahatva In Hindi
भानु सप्तमी एवम अचला भानु सप्तमी महत्व (Achla Bhanu Saptami Mahatva):
जब सप्तमी रविवार के दिन आती हैं, उसे भानु सप्तमी कहा जाता हैं. इस दिन भगवान सूर्य देव पहली बार सात घोड़ो के रथ पर सवार हो कर प्रकट हुए थे. रविवार का दिन भगवान सूर्य देव का माना जाता हैं. उस दिन सूर्य देव की उपासना का महत्व होता हैं. इस दिन को व्यवस्वथ्मा सप्तमी एवम सूर्य सप्तमी भी कहा जाता हैं.
माघ के महीने में जब भानु सप्तमी होती हैं, उसे अचला भानु सप्तमी कहा जाता हैं.
सूर्य देव उर्जा के सबसे बड़े स्त्रोत माने जाते हैं, इनकी पूजा अर्चना से सौभाग्य मिलता हैं. रविवार के दिन सूर्य को अर्ध्य देने का महत्व अधिक होता हैं. मानव जाति के अस्तित्व के लिए सूर्य का बहुत बड़ा योगदान हैं.
सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना जाता हैं. यह सभी गृहों के मध्य में स्थित हैं. ब्राह्मण में सूर्य के चारो तरफ ही सभी गृह चक्कर काटते हैं. विभिन्न गृहों में सूर्य की स्थिती में परिवर्तन से दशाओं में भी परिवर्तन आता हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य का प्रभाव गृहों पर अधिक होता हैं.
इस दिन सूर्य की किरणे जब सूर्य यंत्र पर पड़ती हैं. तब महाभिषेक किया जाता हैं.
भानु सप्तमी के दिन, लोग सूर्य देव को खुश करने के लिए आदित्य हृदयं और अन्य सूर्य स्त्रोत पढ़ते एवम सुनते हैं, जिसके कारण रोगी मनुष्य स्वस्थ होता हैं एवम स्वस्थ निरोग रहता हैं.
सभी सप्तमी में भानु सप्तमी का विशेष स्थान होता हैं. यह विशेषतौर पर दक्षिणी एवम पश्चिमी भारत में मनाई जाती हैं.
भानु सप्तमी कब मनाई जाती हैं ? (Bhanu Saptami 2024 Date ):
जब सप्तमी रविवार के दिन पड़ती हैं, उस दिन को भानु सप्तमी कहा गया है, यह किसी भी पक्ष (शुक्ल अथवा कृष्ण) की हो सकती हैं.
16 फरवरी | भानू सप्तमी |
अचला भानु सप्तमी पूजा विधि (Achla Bhanu Saptami Puja Vidhi) :
- सूर्योदय से स्नान करके सबसे पहले सूर्य देव को जल चढ़ाते हैं.
- ‘वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरुमेदेव सर्व कार्येशु सर्वदा’ इस मंत्र का उच्चारण कर सूर्य को जल चढ़ाते हैं.
- अपनी ही जगह पर परिक्रमा करते हैं.
- इस दिन कई लोग उपवास रखते हैं.
- पवित्र नदियों पर स्नान करते हैं.
- दक्षिण भारत में सूर्योदय के पूर्व स्नान करके घर के द्वार पर रंगोली डाली जाती हैं.
- कई लोग इस दिन गाय के दूध को उबालते हैं ऐसी मान्यता हैं कि इससे सूर्य देव को भोग लगता हैं.
- इस दिन गेंहू की खीर बनाई जाती हैं.
भानु सप्तमी पूजा किस उद्देश्य से की जाती हैं और इसका क्या महत्त्व है? (Bhanu Saptami Mahatv)
- सूर्य देव कि अर्चना करने से रोगी का शरीर निरोग होता हैं. और जो स्वस्थ हैं वो सदैव स्वस्थ रहते हैं.
- रोज भगवान सूर्य को जल चढ़ाने से बुद्धि का विकास होता हैं.मानसिक शांति मिलती हैं.
- भानु सप्तमी के दिन सूर्य की पूजा करने से स्मरण शक्ति बढ़ती हैं.
- इस एक दिन की पूजा से ब्राह्मण सेवा का फल मिलता हैं.
- इस दिन दान का भी महत्व होता हैं ऐसा करने से घर में लक्ष्मी का वास होता हैं.
सूर्य मंत्र (Surya Mantra)
- ॐ मित्राय नम:, ॐ रवये नम:,
- ॐ सूर्याय नम:. ॐ भानवे नम:,
- ॐ खगाय नम:, ॐ पूष्णे नम:,
- ॐ हिरन्यायगर्भाय नम:, ॐ मरीचे नम:
- ॐ सवित्रे नम:,ॐ आर्काया नम:,
- ॐआदिनाथाय नम:, ॐ भास्कराय नम:
- ॐ श्री सवितसूर्यनारायणा नम :..
भानु सप्तमीसूर्य मंत्र (Surya Mantra) श्लोक एवम अर्थ (Bhanu Saptami Shlok With Meaning)
आदित्यनमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने
दीर्घ आयुर्बलं वीर्य तेजस तेषां च जायते
अकालमृत्युहरणम सर्वव्याधिविनाशम
सूर्यपादोदकं तीर्थं जठरे धरायाम्यहम
अर्थ: भगवान सूर्य को नमन ये दिनों दिन प्रकाशवान हो रहे हैं, जिन्हें दीर्घआयु प्राप्त हैं, जिनका तेज एवम शक्ति दीर्घायु हैं. जिनकी उपासना से अकाल मृत्यु पर विजय मिलती हैं सभी दुखो का विनाश होता हैं ऐसे सूर्य देव के चरणों में तीर्थ के समान पुण्य मिलता हैं.
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FAQ
Ans : रविवार के दिन की सप्तमी को भानु सप्तमी कहते हैं.
Ans : माघ माह की सप्तमी को अचला भानु सप्तमी कहते हैं.
Ans : 16 फरवरी
Ans : इसकी जानकारी जल्द ही दी जाएगी.
Ans ; इसकी जानकारी ऊपर दी हुई है.
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