राजनाथ सिंह का जीवन परिचय (Rajnath Singh Biography, age, son, news in hindi)
वर्तमान में सत्ताधीन पार्टी का जिक्र होने पर जिन नामों को नजर-अंदाज नही किया जा सकता, उस सूची में राजनाथ सिंह का नाम प्रथम पांच में रखा जा सकता हैं. राजनीति में भी जनता दल के गठन से लेकर देश में बीजेपी की सशक्त सरकार बनने तक का सफर उन्होंने काफी नजदीक से देखा हैं, और इसमें कोई शक नही, कि उनका इसमें बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं. वो ना केवल राजनीति में पुराने और अनुभवी व्यक्ति हैं, बल्कि भारतीय जनता पार्टी के प्रति समर्पित एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के निष्ठावान कार्यकर्ता भी हैं.
Table of Contents
राजनाथ सिंह का जीवन परिचय
क्र. म.(s.No.) | परिचय बिंदु (Introduction Points) | परिचय (Introduction) |
1. | पूरा नाम ((Full Name) | राजनाथ सिंह |
2. | जन्म (Birth Date) | 10 जुलाई 1951 |
3. | जन्म स्थान (Birth Place) | उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के भाभौरा गाँव में |
4. | पेशा (Profession) | फिजिक्स में लेक्चरर लेकिन प्रबुद्ध राजनीतिज्ञ के रूप में पहचान और वर्तमान में देश के गृह-मंत्री |
5. | राजनीतिक पार्टी (Political Party) | भारतीय जनता पार्टी |
6. | अन्य राजनीतिक पार्टी से संबंध (Other Political Affiliations) | – |
7. | राष्ट्रीयता (Nationality) | भारतीय |
8. | उम्र (Age) | 67 वर्ष |
9. | गृहनगर (Hometown) | चंदौली जिला,उत्तर प्रदेश |
10. | धर्म (Religion) | हिन्दू |
11. | जाति (Caste) | राजपूत/क्षत्रिय |
12. | वैवाहिक स्थिति (Marital Status) | विवाहित |
13. | राशि (Zodiac Sign) | कर्क |
राजनाथ सिंह वो भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो कि वर्तमान में औपचारिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गृह-मंत्री के रूप में जबकि राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी के पूर्व- अध्यक्ष की पहचान रखते हैं. इन्होने ये दोनों ही पद को काफी अच्छे तरीके से सम्भाला हैं, इसलिए ये जानना जरूरी हो जाता हैं, कि इन पदों पर रहते हुए कैसे राजनाथ सिंह ने इनके साथ न्याय किया और कैसे सशक्त विपक्ष के लिए जानी जाने वाली बीजेपी को सत्ता तक पहुचाने में अपना योगदान दिया हैं.
राजनाथ सिंह का प्रारम्भिक जीवन (Rajnath singh:Early life)
राजनाथ सिंह का जन्म ऐसे राजपूत परिवार में हुआ था, जो किसानी का कार्य करता था. उन्होने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा गाँव से ही पूरी की थी, उसके बाद उच्च शिक्षा के लिए वो गोरखपुर आ गये, जहां गोरखपुर युनिवर्सीटी से फिजिक्स में मास्टर्स की डिग्री ली.
13 वर्ष की आयु में राजनाथ सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवी के संघ से जुड़ गए थे, और समय के साथ ये जुड़ाव कम नहीं हुआ. यहाँ तक कि मिर्जाजपुर कॉलेज में पढाते हुए भी वो संघ के के सक्रिय कार्यकर्ता थे, एवं युवा वर्ग में गणमान्य पद पर थे. राजनाथ सिंह ने के.बी. पोस्ट ग्रेज्युएट कॉलेज,मिर्जापुर में फिजिक्स के लेक्चरर के तौर पर पढाया.
पिता (Father) | श्री रामबदन सिंह |
माता (Mother) | श्रीमती गुजराती देवी |
पत्नी (Wife) | सावित्री सिंह |
पुत्र (Son) | पंकज सिंह और नीरज सिंह |
पुत्री (Daughter) | अनामिका सिंह |
राजनाथ सिंह का राजनीति में प्रवेश (Rajnath singh: Entry in Politics )
राजनाथ सिंह 1969 से लेकर 1971 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में ओर्गेनाइजेश्नल सेक्रेटरी थे. 1972 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मिर्जापुर विभाग में वो जनरल सेक्रेटरी बनाये गए, और 1974 में उन्हें मिर्जापुर में भारतीय जनसंघ का सेक्रेटरी बनाया गया था.
राजनाथ सिंह का राजनीतिक करियर (Rajnath singh’s political carrier)
- वैसे तो राजनाथ सिंह युवावस्था से ही राजनीति में सक्रिय थे, लेकिन औपचारिक तौर पर 1974 में राजनीति में प्रवेश किया था, और मिर्जापुर की क्षेत्रीय राजनीति में बीजेपी की जगह बनाने और इसे आगे ले जाने का काम किया.
- 1975 में वो जन संघ के जिला अध्यक्ष बन चुके थे और उस समय ही उन्होंने जेपी मूवमेंट के जिला संयोजक का काम भी संभाला. आपातकाल में अन्य जनसंघ के नेताओं की तरह राजनाथ सिंह ने भी जेल यात्रा की थी, और 18 महीने कारवास में बिताये थे.
- भारत में आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनावो में राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश में एमएलए निर्वाचित हुए थे. इसके बाद राजनाथ सिंह राजनीतिक करियर में कभी पलटकर नहीं देखा और बीजेपी में उनका पद बढ़ता ही गया, 1983 में वो स्टेट सेक्रेटरी बने.
- 1984 में उन्हें बीजेपी के यूथ विंग का स्टेट प्रेजिडेंट बनाया गया,जबकि 1986 में वो भारतीय जनता पार्टी के ही नेशनल जनरल सेक्रेटरी बने, इसके बाद भी बीजेपी में उनकी पदोन्नति यही नही रुकी, 1988 में वो बीजेपी के नेशनल प्रेजिडेंट बनाये गये.
- 1988 में उत्तरप्रदेश में हुए विधानपरिषद के सदस्य बने और 1991 एवं 1992 में उन्होंने उत्तर प्रदेश में ही शिक्षा मंत्री की भूमिका निभाई, इस दौरान उन्होंने एंटी-कॉपिंग (Anti Copying Act) और पाठ्यक्रम में वैदिक गणित को भी शामिल किया था, इसके अतिरिक्त उन्होंने इतिहास की टेक्स्ट बुक में भी काफी परिवर्तन किये थे.
- 25 मार्च 1997 को राजनाथ सिंह ने भारतीय जनता पार्टी से जीत दर्ज करवाते हुए उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री का पद संभाला था. इसके बाद अगले कुछ वर्षों में उन्होंने प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को विस्तार दिया और समस्त राजनैतिक समस्याओं का हल निकाला.
- 22 नवम्बर 1999 को राजनाथ सिंह यूनियन सर्फेस ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर (Union Surface Transport Minister ) बने, इस दौरान ही उन्होंने श्री अटल बिहारी वाजपेयी की महत्वाकांक्षी परियोजना-नेशनल हाइवे डेवेलपमेंट प्रोग्राम (एनडीएचपी) (National Highway Development Programme ) भी शुरू की. इस प्रोजेक्ट में गोल्डन क्वादरीचेलेटरल और नोर्थ साउथ ईस्ट वेस्ट कोरिडोर भी शामिल था.
- इस तरह 1994 से 1999 तक राजनाथ सिंह राज्यसभा के सदस्य बन गये, 1994 में उन्होंने राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में काफी सक्रियता दिखाई थी. 28 अक्टूबर 2000 को वो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, बाराबंकी विधान परिषद में हैदरगढ़ चुनाव क्षेत्र से 2 बार चुनाव जीते .
- राजनाथ सिंह को 2002 में भारतीय जनता पार्टी का नेशनल जनरल सेक्रेटरी बनाया गया. 2003 में फिर से वो राज्यसभा के सदस्य के रूप में चुने गए,
- 24 मई 2003 को वो एग्रीकल्चर एंड फ़ूड प्रोसेसिंग केन्द्रीय मंत्री बने, उन्होंने किसान कॉल सेंटर और फार्म इन्कम इंश्योरेंस जैसे कुछ प्रोजेक्ट्स भी शुरू किये. जुलाई 2004 में राजनाथ सिंह को वापिस पार्टी का नेशनल जनरल सेक्रेटरी बनाया गया, और इस पद पर रहते हुए उन्हें 2 राज छत्तीसगढ़ एवं झारखंड की जिम्मेदारी सौंपी गयी, और उनकी अतुलनीय योग्यता एवं कूटनीति ने पार्टी को दोनों राज्यों में जीत दिलवाई.
- 31 दिसम्बर 2005 को राजनाथ सिंह को भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया, और इस कार्यकाल में उन्होंने देश के कोने-कोने तक पार्टी की पहुँच बनाई. वो भारत सुरक्षा यात्रा का हिस्सा भी रहे, और उन्होंने सभी राज्यों का दौरा किया, इस दौरान उन्होंने राष्ट्र की आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे को उठाया और देश में बढती आतंकवादी गतिविधियों की तरफ ध्यान दिलाया. इसके अतिरिक्त किसानों की समस्याओं, आम जरूरतों की बढती राशि और महंगाई की तरफ जनता का ध्यान खींचा.
- राजनाथ सिंह को 16 मई 2009 को 15वी लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद से जीत मिली और पार्लियामेंट सदस्य बने. 7 अक्टूबर 2009 को वो कमिटी ऑफ़ एथिक्स (Committee on Ethics) के सदस्य बने
- 2014 के लोकसभा चुनावों ने भारतीय जनता पार्टी को सत्ता तक पंहुचा दिया, जिसके पीछे राजनाथ सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा था, और इस तरह 26 मई 2014 को राजनाथ सिंह देश के गृहमंत्री बने.
राजनाथ सिंह की उपलब्धियाँ (Achievements of Rajnath Singh)
- भारतीय जनता पार्टी के राज्य-अध्यक्ष बनने पर पार्टी ने लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया और बीजेपी ने 58 सीट्स पर जीत दर्ज करवाई.
- 2000 में जब वो सर्फेस ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर थे, तब उन्होंने एमिसन स्टैंडरड यूरो सेकंड (emission standard EURO II) का नाम बदलकर भारत स्टेट सेकंड किया (Bharat State II (BS II)) और अब यही सभी वाहनों पर उपयोग होता हैं, जैसे बीएस-3 (BS-3),बीएस-4 इत्यादि.
- राजनाथ सिंह ने कृषि मंत्री रहते हुए कृषिलोन में 14 से 18 % से घटाकर 8% तक किया, उन्होंने कृष कमिशन शुरू किया और फार्म इंकम इंश्योरेंस स्कीम (Farms Income Insurance Scheme) भी लांच की.
- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए राजनाथ सिंह ने सरकारी नौकरियों में रिजर्वेशन फोर्मेट को सही किया, जिससे पिछड़े वर्ग, एससी और ओबीसी को पर्याप्त मौका एवं स्कोप मिल सके.
- भारतीय जनता पार्टी के प्रेसिडेंट के कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों में किसानों को लोन में 1% फेसिलिटी देने पर जोर दिया, दक्षिण में जहां क्षेत्रीय पार्टियों और कांग्रेस का वर्चस्व ही रहा था, वहाँ उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के लिए जगह बनाने के लिए भी काफी प्रयास किया. और इस पद पर रहते हुए ही उन्होंने 33 % महिलाओं को पोस्ट देकर भारतीय जनता पार्टी के नाम पर एक नया रिकॉर्ड बनाया.
- भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेशनल प्रेसिडेंट के तौर पर काम करते हुए उन्होंने अनएम्प्लॉयमेंट :इट्स रीजन एंड रेमेडीज (Unemployment: Its Reasons and Remedies) नाम की किताब भी लिखी.
राजनाथ सिंह से जुडी रोचक जानकारियाँ (Some interesting facts about Rajnath singh)
- भारतीय जनता पार्टी के अन्य हिंदी-भाषी नेताओं के जैसे राजनाथ सिंह भी अंग्रेजी के उपयोग के खिलाफ हैं, उनका मानना हैं कि अंग्रेजी के उपयोग से युवा दिग्भ्रमित हो सकते हैं, और पश्चिमी संस्कृति की तरफ़ा आकर्षित होकर अपनी सभ्यता और संस्कृति को भूल सकते हैं.
- राजनाथ सिंह राम मंदिर मुद्दे पर किसी भी तरह का समझौता नहीं करना चाहते हैं, वो अयोध्या मामले को हिन्दुओं की भावनाओं का ध्यान रखते हुए सुलझाना चाहते हैं, इस पर किसी तरह की राजनीति या दोहरे मापदंड नहीं रखना चाहते. हालांकि दिसम्बर 2018 में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्हें भीड़ ने ये नारा लगाकर असहज कर दिया था, कि जो राममंदिर बनाएगा वोट उसी को जाएगा, मंच पर उनके साथ उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे.
- राजनाथ सिंह के प्रतिमाह की तनख्वाह 1.40 लाख रूपये हैं और नेट वर्थ 2.51 करोड़ रूपये हैं. राजनाथ सिंह ने 2017 में अपने एक माह का वेतन आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हुए जवानों के परिवारों को दिया था और सोशल मिडिया में पर इसके लिए एक मुहीम भी चलाई थी.
राजनाथस सिंह से जुड़े विवाद (Rajnath singh and controversy)
राजनाथ सिंह काफी शांत प्रवृति के राजनेता हैं और वो किसी भी प्रकार के विवाद या विपक्ष पर निचले स्तर की टिप्पणियों से दूर रहते हैं, इस कारण ही पक्ष-विपक्ष सब जगह उनका सम्मान हैं. लेकिन जब किसी बयान या घोषणा का समय आता हैं, तो राजनाथ सशक्त एवं साफ़ शब्दों में अभिव्यक्ति देने वाले नेता के तौर पर पहचाने जाते हैं, जिससे राजनैतिक पार्टियों के साथ ही आम-जनता भी उनके बयान का इन्तजार करती हैं. लेकिन राजनीति से जुड़े व्यक्ति से साथ कोई विवाद या विवादित बयान ना हो जुड़ा हो, ये सम्भव नहीं हैं.
- 2014 में राजनाथ सिंह के बेटे पर अपने पद के कुछ राजनैतिक दुरूपयोग के लिए मोदी द्वारा फटकार लगाये जाने और कुछ चार्ज लगने की बात सामने आई थी, तब राजनाथ सिंह ने ये बयान दिया था, कि मेरे और मेरे परिवार पर किसी तरह के चार्ज लगने की अफवाह उडाई जा रही हैं, यदि ऐसा हैं तो इसका सबूत लाओ, सही सिद्ध हुआ, तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा. कांग्रेस नेता अजय माकन ने तब कहा था, कि हम जानना चाहते हैं कि राजनाथ के पुत्र पर किस तरह के चार्ज लगे हैं?? जिसके कारण राजनाथ सिंह राजनीति तक छोड़ने की बात कर रहे हैं.
- अक्टूबर 2018 में राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में एक जगह “मी टू” शब्द का उपयोग किया था, जिसके लिए भी उनकी काफी आलोचना की गयी थी. मी टू अभियान वो अभियान हैं. जो दुनिया भर में उन महिलाओं द्वारा चलाया जा रहा हैं, जो जीवन में किसी भी मोड़ पर शारीरिक शोषण का शिकार हुयी थी, हालांकि राजनाथ सिंह का सन्दर्भ काफी अलग था, लेकिन वो विपक्ष एवं जनता के निशाने पर आ गए. गृहमंत्री ने महागठबंधन की तरफ बढ़ी विपक्षी पार्टियों की तरफ व्यंग्य करते हुए कहा था, कि सभी विपक्षी पार्टियाँ बीजेपी के खिलाफ एक होकर कांग्रेस में ना मिल जाये और बाद में उन्हें कांग्रेस से धोखा मिलने पर कांग्रेस के विरुद्ध ही “मी टू” अभियान चलाना पड़े.
राजनाथ सिंह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में रहे है, जिसके कारण बीजेपी के शीर्ष नेता बनने तक का उनका सफर थोडा सुगम रहा. इस तरह वो जहां वो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके है वहीँ बीजेपी के नेशनल प्रेजिडेंट, पार्टी के यूथ विंग के प्रेजिडेंट, उत्तर प्रदेश के पार्टी यूनिट के अध्यक्ष और नेशनल डेमोक्रेटिक एलाएंस (एनडीए) में कैबिनेट मिनिस्टर भी रहे हैं. मतलब उनका राजनीति में अनुभव जमीनी स्तर से लेकर शीर्ष तक रहा हैं, और इन सभी पदों पर रहते उनके द्वारा किये गये कार्यों ने ही उन्हें समय के साथ चलना सिखाया हैं,जिसके कारण वो पार्टी के प्रबुद्ध एवं सशक्त नेता की छवि रखते हैं.
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