मोरारजी देसाई जीवन परिचय व इतिहास | Morarji Desai biography and history in hindi

मोरारजी देसाई जीवन परिचय व इतिहास ( Morarji Desai biography and history in hindi)

यह भारत के चौथे प्रधानमंत्री बने. इनका कार्यकाल इन्दिरा गाँधी के बाद शुरु हुआ, जो कि 1977-1979 तक था, यह पहले प्रधानमंत्री थे, जो काँग्रेस के नही जनता दल के थे. इन्होने 1971 में चल रहे भारत पाक के रिश्तो को सुधारने के लिए शान्ति का रास्ता तय करने का सोचा . यह एक मात्र भारतीय है जिन्हें भारत का “भारत रत्न” एवम पकिस्तान का “निशान-ए-पाकिस्तान” दोनों ही देशों के सर्वोच्च सम्मान से नवाज़ा गया.

 मोरारजी देसाई जीवन परिचय व इतिहास

क्रमांकजीवन परिचय बिंदुमोरारजी देसाई जीवन परिचय
1.       पूरा नाममोरारजी रनछोड़जी देसाई
2.       जन्म29 फ़रवरी 1896
3.       जन्म स्थानभदेली गाँव, गुजरात
4.       पत्नीगुजराबेन (1911)
5.       बच्चे1 बेटा
6.       मृत्यु10 अप्रैल 1995 (दिल्ली)
7.       राजनैतिक पार्टीजनता दल
Morarji Desai

देसाई का जन्म 29 फ़रवरी1896 में भदेली गाँव के वल्साद जिले में हुआ था. इनका परिवार ब्राह्मण था, जो अत्याधिक रूढ़िवादी प्रवत्ति का था. देसाईजी के पिता एक अध्यापक के रूप में कार्यरत थे. इनकी प्रारंभिक शिक्षा संत भुसार सिंह  हाई स्कुल में हुई, आगे के कॉलेज की पढाई देसाई जी ने मुंबई के विल्सन कॉलेज से पूरी की. इनका पारिवारिक जीवन बहुत कठिनाइयों से गुजरा, इनके 8 भाई बहन थे, जिसमें देसाई जी सबसे बड़े थे. बड़ा परिवार होने के कारण देसाई जी के परिवार को आर्थिक परेशानियों से गुजरना पड़ा. इन्ही सब बातों से परेशान देसाई जी के पिता ने आत्महत्या कर ली थी, जिस बात से देसाई जी बहुत परेशान हुए, यह समय उनके पुरे परिवार के लिए कठिन था. परन्तु वो हालात के आगे कमज़ोर नहीं अपितु ज्यादा मजबूत हो गये. 16 वर्ष की आयु में 1911 में इनका विवाह गुजराबेन से हो गया.

मोरार जी के करियर की शुरुवात (Morarji desai career)–

ग्रेजुएशन करने के बाद, देसाई जी ने सिविल की परीक्षा उतीर्ण की. 1918 में सिविल सर्विस शुरू कर दी,  12 वर्षो तक डीपटी कलेक्टर के पद पर कार्यरत रहे. विद्यार्थी जीवन में देसाई बहुत ही सामान्य छात्र थे परन्तु इन्हें वाद-विवाद प्रतियोगिता में महारथ हासिल थी. उन्हें वाद-विवाद में बहुत सारे पुरूस्कार प्राप्त हुए. गुजरात में डिप्टी कलेक्टर के पद में कार्य के दौरान देसाई जी महात्मा गाँधी जी एवम बाल गंगाधर तिलक के संपर्क में आये, जिनसे मिलने के बाद वे उनसे बहुत प्रभावित हुए. देसाई जी का स्वभाव बहुत ही अलग था, घर की विकट परिस्थितियों ने इन्हें बहुत कठोर बना दिया था. इसका प्रभाव इनकी सरकारी नौकरी पर भी पड़ा और इन्हें काँग्रेस में अड़ियल नेता भी कहा जाता था .

मोरारजी देसाई की स्वतंत्रता की लड़ाई (Morarji desai  freedom fighter) –

1929 में सरकारी नौकरी को छोड़ कर भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में हिस्सा लिया एवम सविनय-अवज्ञा आन्दोलन में भाग लिया. 1930 में, देसाई जी, स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान तीन बार जेल गए. सन 1931 में इन्हें भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस में अहम् स्थान मिला.  इनके कार्य के प्रति लग्न को देख कर इन्हें 1937 में गुजरात प्रदेश काँग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया. इसके बाद इन्होने गुजरात में भारतीय युवा काँग्रेस का गठन किया. देसाई जी को सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इस युवा काँग्रेस का अध्यक्ष बना दिया. यह राजस्व एवम गृहमंत्री भी रहे. देसाई जी कट्टर गाँधीवादी नेता एवम उच्च चरित्र का पालन करने वाले व्यक्ति थे. इन्होने उस वक्त फिल्मों में होने वाले अभद्र चित्रण का विरोध किया. 1937 में , इन्हें रेवेन्यु, एग्रीकल्चर एवं फारेस्ट डिपार्टमेंट का मंत्री नियुक्त किया गया. महात्मा गांधीजी द्वारा किये गये सत्याग्रह आन्दोलन में हिस्सेदारी के कारण इन्हें जेल भेजा गया, जहाँ से देसाई जी अक्टुम्बर 1941 में मुक्त हुए. 1942 में भारत छोडो आन्दोलन के लिए उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया, फिर देसाई जी 1945 में बाहर आये.

मोरारजी देसाई राजनैतिक सफ़र (Morarji desai political career) –

बम्बई में सन 1946 में, इन्हें करमंत्री एवं गृहमंत्री बनाया गया. सन 1952 में इन्हें बम्बई का मुख्यमंत्री बनाया गया. 1952 में बम्बई पर गुजराती एवम 1956  में मराठी भाषा के लोगो ने अपना प्रभुत्व हासिल करने के लिए आन्दोलन किये. मुंबई के लोगों द्वारा इस भाषावादी आन्दोलन का देसाई जी ने कड़ी निंदा की और इसका विरोध किया . इस वक्त स्थिती बहुत बिगड़ गई थी, जिसे देसाई ने तीन दिन में नियंत्रित किया. 14 नवम्बर 1956 में वाणिज्य एवम उद्योग क्षेत्र में मोरारजी देसाई को  यूनियन कैबिनेट मंत्री बनाया गया. २२ मार्च सन 1957 से इन्होने अर्थव्यवस्था संभाली. मोरार जी देसाई के इस प्रभावित कार्य प्रणाली के लिए इन्हें दिल्ली बुला लिया गया . इनके विचारो और पार्टी के विचारो में बहुत अधिक मतभेद रहा .

1964 में जवाहरलाल नेहरु जी के स्वर्गवास के बाद, जब इन्दिरा गाँधी ने सत्ता सम्भाली तब मोरारजी देसाई को उप-प्रधान मंत्री की जगह मिली . वह इससे नाखुश थे, क्यूंकि देसाई जी को लगता था, कि इससे ज्यादा प्राप्त कर सकते थे . इन्दिरा गाँधी व देसाई जी के बीच सम्बन्ध अच्छे नहीं थे. किसी बात को लेकर दोनों के बीच काफी वाद-विवाद हुआ, जिससे देसाई जी के आत्मसम्मान को गहरा आहात हुआ, वैचारिक मतभेद इतना बढ़ गया, कि 1969 में काँग्रेस पार्टी के दो टुकड़े हो गये.

मोरारजी ने उप-प्रधानमंत्री के पद को त्याग दिया. मोरारजी देसाई और इन्दिरा के बीच कटु शब्दों की राजनिती चलने लगी. मोरारजी ने विरोधी पार्टी की कमान सम्भाली और 1971 में पुनह चुनाव लड़ा. देसाई जी ने इन्दिरा के खिलाफ़ याचिका दायर की, जिसके तहत इन्दिरा गाँधी को चुनाव से दूर रहने को कहा गया. देसाई जी गुजरात के सूरत से लोकसभा चुनाव की सीट के लिए विजयी रहे. इन्हें संसद में जनता पार्टी का लीडर बनाया गया. इसके बाद 1977 के चुनाव के परिणाम स्वरूप जनता पार्टी को बहुमत मिला और देश में पहली बार गैर काँग्रेस सरकार ने सत्ता सम्भाली. 24 मार्च 1977 को मोराजी देसाई को प्रधानमंत्री बना दिया गया. मोरारजी देसाई ने बहुत समझदारी से भारत पाक के रिश्ते सुधारे, साथ ही उन्होंने 1962 में हुई चीन से लड़ाई के बाद उसके साथ भी राजनैतिक संबंधों को सुधारने के लिए प्रयास किये. मोरारजी देसाई ने अपने नेतृत्व में आपातकालीन के दौरान बनाये गए, कई कानून को बदल और साथ ही ऐसा नियम बनाये, जिससे भविष में किसी भी सरकार के सामने आपातकालीन की स्थति न आने पाए.

देसाई जी प्रधानमंत्री डी में रहकर ज्यादा दिन भारत देश की सेवा नहीं कर पाए, 1979 में चरण सिह ने जनता पार्टी से समर्थन वापस ले लिया और मोरारजी देसाई को अपने पद से हटना पड़ा. इसके साथ ही उन्होंने राजनीती से भी सन्यास ले लिया. मोरारजी देसाई पहले व्यक्ति थे जो 81 की उम्र में प्रधानमंत्री बने थे, उनका ये रिकॉर्ड अभी तक कायम है.

मोरारजी देसाई मृत्यु (Morarji desai death) –

राजनीती छोड़ने के बाद मोरारजी देसाई मुंबई में रहा करते थे, 10 अप्रैल 1995 को इनता देहांत हो गया, वे तब 99 साल के थे.

मोरारजी देसाई अवार्ड (Morarji desai Awards )–

  • 1990 में पाकिस्तान सरकार द्वारा निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित किया गया.
  • 1991 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया.
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