भारत में हुए अब तक के सबसे बड़े घोटाले | List of Major Scams in Indian history in Hindi

भारत में हुए अब तक के सबसे बड़े घोटाले | List of Major and Biggest Corruption Scams in Indian history in Hindi 

हमारे देश में हुए घोटालों की सूची काफी लंबी है और इन घोटालों के जरिए सरकारी खजाने को काफी नुकसान भी हुआ है. हर साल हमारे सामने नए नए घोटाले आते रहते हैं. जहां पर कुछ घोटाले हमारे देश के व्यापारियों द्वारा किए जाते हैं. वहीं कुछ घोटालों में हमारे देश के नेता भी शामिल होते हैं. ये लोग अपने ऐशों-आराम के लिए जनता के पैसों को हड़पने में जरा भी नहीं डरते हैं. वहीं इस तरह के घोटालों से हमारे देश की छवि तो विश्व भर में खराब होती ही है. लेकिन साथ ही हमारे देश की अर्थव्यवस्था पर भी काफी बुरा असर पड़ता है. वहीं हमारे देश की आजादी से लेकर अभी तक कई सारे घोटाले हुए हैं और इन्हीं घोटालों में से कुछ घोटालों के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं.

List of Major and Biggest Corruption Scams in Indian history in Hindi

  1. कोयला आवंटन घोटाला (Coal Mining Scam) –

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा इस घोटाले का सच सबके सामने लाया गया था. कैग की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत सरकार ने अपनी मर्जी के मुताबिक देश के कोयला भण्डार का आवंटन किया था. रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई 2004 से लेकर 2009 के बीच आवंटित किए गए कोयले की खानों की नीलामी नहीं की गई थी. सरकार ने इनकी नीलामी ना करवा कर इन्हें अर्जियों के आधार पर बांटा था. बाजार के मूल्य से कम कीमतों पर सरकार ने कुल 142 खदाने निजी कंपनियों को लीज पर दे दी थी. जिससे की देश को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.

किन कंपनियों को पहुंचा था फायदा (coal scam companies involved)

इस आवंटन के जरिए देश की कई जानी-मानी कंपनियों को फायदा पहुंचा था. जिसमें टाटा स्टील, जिंदल स्टील एंड पॉवर हिंडाल्को, टाटा पॉवर, सहित कई कंपनियों के नाम शामिल थे.

सीबीआई पर उठे थे सवाल

इस घोटाले की जांच में सीबीआई की रही भूमिका पर कोर्ट द्वारा कई सवाल भी खड़े किए गए थे. उस वक्त सीबीआई के निदेशक रंजीत सिन्हा पर इस मामले की सही से जांच ना करने के आरोप लगे थे. वहीं इस केस में सीबीआई ने रंजीत सिन्हा के खिलाफ भी एक एफआईआर की गई थी. इस एफआईआर में कहा गया था कि उन्होंने इस मामले की जांच को नुकसान पहुंचाया है.

किन राजनेता पर लगे थे आरोप (politicians involved in coal scam)

इस मामले में कई नेताओं के नाम शामिल थे. जिसमें राज्यसभा के सदस्य विजय दर्डा, पूर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ता, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रेम चंद गुप्ता, बीजेपी नेता अजय संचेती, डीएमके नेता एस. जगत रक्षकन, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोडा सहित और भी कई लोगों के नाम शामिल थे. वहीं जिस वक्त ये घोटाला हुआ था उस वक्त हमारे देश की सस्ता कांग्रेस के हाथों में थी और देश के प्रधानमंत्री के पद पर मनमोहन सिंह थे. वहीं सीबीआई की तरफ से नवीन जिंदल और कुमार मंगलम बिड़ला जैसे उद्योगपतियों का नाम भी एफआईआर में दर्ज किया गया था.

  1. 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला (2G Spectrum scam)

ये घोटाला दूरसंचार क्षेत्र से जुड़ा हुआ है और इस घोटाले को लेकर कांग्रेस सरकार एक बार फिर कटघरे में आकर खड़ी हो गई थी. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक द्वारा ही इस घोटाले का खुलासा हुआ था. कैग ने इस घोटाले को लेकर जो अपनी रिपोर्ट पेश की थी उसमें कहा गया था कि सरकार ने 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी करने में लापरवाही बरती थी और सस्ते दामों में स्पेक्ट्रम के लाइसेंस दूरसंचार कंपनियों को दिए गए थे. इस स्कैम से हमारे देश को करीब 1,76,000 हजार करोड़ रुपए का झटका लगा था. इस घोटाले का खुलासा कैग ने साल 2010 के दौरान किया गया था.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला (2g spectrum judgement in Hindi)

देश के उच्चतम न्यायालय यानी सुप्रीम कोर्ट ने इस घोटाले पर अपना फैसला देते हुए कहा था कि ये आवंटन असंवैधानिक होने के साथ-साथ विवेकाधीन है. इतना ही नहीं साल 2007 से लेकर 2009 के बीच आवंटन किए गए इन लाइसेंस को कोर्ट द्वारा रद्द कर दिया था. वहीं इस मामले में दूरसंचार मंत्री एंडिमुथु राजा को आरोपी बनाया गया था.

क्या था पूरा मामला (2g spectrum scam explained)

साल 2007 भारत दूरसंचार मंत्रालय द्वारा 2 स्पेक्ट्रम लाइसेंस की नीलामी में हिस्सा लेने के लिए दूरसंचार कंपनियों से आवदेन मांगे गए थे. लेकिन अगले साल यानी जनवरी में दूरसंचार विभाग ने नीलामी की जगह “पहले आओ, पहले पाओ” के आधार पर लाइसेंस देने का फैसला किया. जिसके चलते ये लाइसेंस योग्यता के आधार पर आवंटित नहीं गए. इन लाइसेंस को बाजार के दामों से कम दामों पर बेच दिया गया और सरकार को ऐसा करने से काफी नुकसान हुआ. साल 2008 में इन लाइसेंस को 2001 के दामों पर बेचा गया था. वहीं इस घोटाले को उजागर करने में उस वक्त के भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय की अहम भूमिका थी.

इस घोटाला में फसे राजनेता (2g spectrum political scam)

इस घोटाले के सामने आने के बाद ए राजा को इस्तीफा देना पड़ा और उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवा दी गई. उनके अलावा सिद्धार्थ बेहुरा जो कि उस वक्त दूरसंचार विभाग में सचिव और आर के चंदोलिया जो की उनके निजी सचिव थे.  उन्होंने भी अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी.  वहीं एम. करुणानिधि की बेटी और पर भी इस मामले पर केस चलाया गया था. हालांकि इस वक्त एम.के कनिमोड़ी और राजा को कोर्ट ने इस मामले से बरी कर दिया है.

कंपनियों को पहुंचा फायदा (2g spectrum scam company list)

2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में रिलायंस टेलीकॉम, स्पाइस कम्युनिकेशंस यूनिटेक बिल्डर्स एंड एस्टेट्स, स्वान टेलीकॉम, टाटा टेलीसर्विसेज सहित कई कंपनियों को लाभ पहुंचा था. वहीं कोर्ट द्वारा इन सभी कंपनी को दिए गए लाइसेंस को अमान्य घोषित किया गया था.

  1. वक्फ बोर्ड भूमि घोटाला (Wakf Board land scam)-

जमीन से जुड़ा ये घोटाले जब सामने आया था, जब इस घोटाले से जुड़ी एक रिपोर्ट को कर्नाटक विधानसभा में पेश की गया था. इस रिपोर्ट को कर्नाटक अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अनवर मनप्रद्दी ने पेश किया था और कहा था कि इस घोटाले के जरिए वक्फ बोर्ड की जमीन को सस्ते दामों पर निजी कंपनी को गलत तरीके से दिया गया था. उनके द्वारा दी गई 7500 पन्नों की रिपोर्ट के मुताबिक इस घोटाले में वक्फ बोर्ड के आधिकारियों सहित कई राजनेता और भूमि माफिया शामिल थे.

घोटाले का नाम वक्फ बोर्ड भूमि घोटाले
कब आया सामने साल 2012
घोटाले की राशि 2 लाख करोड़ रुपये
मुख्य आरोपी जांच जारी है

वहीं इस घोटाले से लगभग 2 लाख करोड़ रुपये का चूना सरकार को लगा था. कर्नाटक के वाक्फ बोर्ड के हाथों में करीब 54,000 एकड़ जमीन थी. जिसमें से आधिकतर जमीन का दुरुपयोग किया गया है.

क्या होता है वक्फ बोर्ड (what is wakf board)

वक्फ कानून 1954 के तहत इस बोर्ड की स्थापना की गई थी और इस वोर्ड का कार्य हमारे देश में मौजूद इस्लामिक इमारतों और संस्थानों एवं जमीनों की देखरख करना होता है. इस बोर्ड द्वारा खाली जमीनों पर स्कूल, मुफ्त इलाज वाले अस्पताल बनाए जाते हैं. ताकि गरीब मुसलमानों की मदद की जा सके. वहीं इस बोर्ड में कुल 20 सदस्य होते हैं, जिनकी नियुक्ति सरकार द्वारा कि जाती है. हर राज्य का अपना अपना वक्फ बोर्ड होते हैं. इस वक्त देश की आधिकतर जमीने इस बोर्ड के अंतर्गत आती है.

  1. राष्ट्रमंडल खेल घोटाला 2010 (Commonwealth Games scam)

साल 2010 में हमारे देश की राजधानी में राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन किया गया था. वहीं इन खेलों के आयोजन करने के दौरान लाखों करोड़ रुपए का घोटाला कई आधिकारियों द्वारा किया गया था. वहीं इस घोटाले में एक बार फिर कांग्रेस के कई नेता फंसे  थे.

घोटाले का नाम राष्ट्रमंडल खेलों के घोटाला
कब आया सामने साल 2010
घोटाले की राशि करीब 70000 करोड़ रुपए
मुख्य आरोपी सुरेश कलमाड़ी

 कहा था पूरा मामला (impact of commonwealth games scam)

दिल्ली में इन खेलों के आयोजन करने के लिए एक समिति बनाई गई थी. इस समिति का कार्य इन खेलों का अच्छे से आयोजन करना था. वहीं इस समिति के प्रमुख सुरेश कलमाड़ी थे. इस सीमित द्वारा इन खेलों के आयोजन करने के दौरान करोड़ो पैसों का घपला किया गया था. इन खेलों को आयोजन करने के लिए 70000 करोड़ रुपए का खर्चा दिखा गया था. वहीं इस मामले पर की गई जांच में पाया गया था कि इन खेलों के आयोजन में इतना खर्चा नहीं किया गया था. जिससे के बाद कलमाड़ी सहित उनके कई सहयोगियों को गिफ्तार कर  लिया गया था और इन पर धोखे बाजी और पैसे लूटने का आरोप लगाए गए थे. इन पर आरोप था कि इन्होंने हर चीजों के दाम ज्यादा बता कर सरकार से पैसे लूटने की कोशिश की. वहीं इस वक्त कलमाड़ी इस घोटाले की सजा काट रहे हैं.

  1. फर्जी स्टाम्प पेपर घोटाला (Fake stamp paper scam)

ये घोटाला बेहद की चालाकी के साथ किया गया था और इस घोटाले के राशि करीब 20,000 करोड़ रुपए बताई जाती है. इस घोटाले का खुलासा साल 2002 में किया गया था और ये घोटाला जाली स्टैंप पेपर से जुड़ा हुआ था.

क्या था फर्जी स्टाम्प पेपर घोटाला (what is fake stamp paper scam)

इस घोटाले को अब्दुल करीम तेलगी ने अंजाम दिया था. कहा जाता है कि तेलगी ने जाली स्टैंप पेपर छापकर उन्हें बेचकर खूब पैसा कमाया था. तेलगी द्वारा ये पेपर कई सरकारी दफ्तर, बैंक, ब्रोकिंग फर्म्स में बेचे गए थे. वहीं कहा जाता है कि इस घोटाले में उनके साथ कई सरकारी आधिकारी भी शामिल थे. क्योंकि उनके बिना ये घोटाला करना नामुमकिन था.

तेलानी को हुई सजा

इस घोटाले के मुख्य आरोपी तेलगी को कोर्ट द्वारा तीस साल की सजा दी गई की थी और 202 करोड़ का जुर्माना लगाया गया था. वहीं 2017 में तेलनी की मौत हो चुकी है.

  1. सत्यम घोटाला (Satyam scam)

सत्यम घोटाला हमारे देश के सबसे बड़े घोटालों में से एक है. इस घोटाले को अंजाम देने के पीछे रामालिंगा राजू का हाथ था. वहीं इस वक्त इस मामले के सभी दोषी जेल में हैं और अपनी सजा काट रहे हैं.

घोटाले का नाम सत्यम घोटाले
कब आया सामने साल 2009
घोटाले की राशि करीब 70000 करोड़ रुपए
मुख्य आरोपी रामालिंगा राजू

 क्या था घोटाला

रामालिंगा राजू ने साल 1987 में सत्यम कंप्यूटर नाम की एक कंपनी की स्थापना की थी. इस कंपनी के जरिए उन्होंने काफी हैरा फैरी कर करोड़ रुपए का चूना लोगों को लगाया. बताया जाता है कि राजू ने हैदराबाद स्थिति अपनी इस कंपनी को 20 कर्मचारियों के साथ मिलकर शुरू किया था और अपने कंपनी के मुनाफे को कई सालों तक बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया था. ये घोटाला सबसे बड़ा ऑडिट फ्रॉड घोटाला था, जिसका खुलासा साल 2009 में हुआ था और राजू ने अपने आप ही अपने अपराध को कबूला था.

लोगों से लूटे 7000 करोड़ रुपए

इस कंपनी के लोगों ने फर्जीवाड़े कर लगभग छह करोड़ निवेशकों से करीब 7000 करोड़ रुपये लूटे थे. कहा जाता है कि राजू ने पेपरों में अपने कंपनी में कार्य कर रहे कर्मचारियों की संख्या 53 हजार दिखाई थी. जबकि उनकी कंपनी में 40 हजार लोग काम करते थे. राजू हर महीने ज्यादा बताए गए कर्मचारियों यानी 13 हजार लोगों की वेतन निकाल कर अपने खाते में जमा करवाते थे. ये मामला अदालत में छह सालों तक चला जिसके बाद इस मामले में दोषी पाते हुए राजू और उनके भाई को सहित अन्य लोगों को सजा सुनाई गई.

  1. क्या थी बोफोर्स घोटाला (Bofors scam details)

साल 1986 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने एक बोफोर्स डील की थी. जिसकी कीमत 63 अरब रुपये की बताई जा रही थी. इस डील में जरिए स्वीडन की एबी बोफोर्स को भारत को 410 हॉवित्जर तोपों देनी थी. वहीं साल 1987 में इस डील के लिए हुई एक बड़ी दलाली सामने आई थी. कहा जाता है कि इस कंपनी ने ये डील करने के लिए रिश्वत दी थी और इस रिश्वत की राशि करीब 1.42 करोड़ डॉलर थी. इस घोटाले के सामने आने के बाद राजीव गांधी पर कई सवाल उठने लगे.

कहा जाता है कि इस डील के लिए बिचौलिए की भूमिका ओत्तावियो क्वात्रोची द्वारा की गई थी. क्वात्रोची का नाता इटली से था और उनके गांधी परिवार से अच्छे सम्बन्ध थे. वहीं जब ये घोटाला सामने आया तो क्वात्रोची भारत को छोड़ कर अपने देश वापस चले गए और उनको भगाने के पीछे राजीव गांधी का हाथ बताया जाता है. जिसके बाद इस घोटाले में उनका नाम भी शामिल होने लगा.

वहीं उस समय भारत के रक्षामंत्री की कुर्सी मुलायम सिंह यादव के पास थी और इन्होंने ये स्वीकार भी किया था कि उन्होंने इस घोटाले की जांच से जुड़ी फाइलों को गायब किया था. हालांकि इस केस से राजीव गांधी का नाम हटा दिया गया है.

  1. चारा घोटाला (The Fodder Scam)

चारा घोटाले के जरिए लालू प्रसाद यादव ने कई करोड़ रुपए का गबन किया था. साल 1996 में जनता की नजरों में इन पैसों का हवाला कैसे किया गया इसकी बारे में जानकारी मिली थी और जिस वक्त ये घोटाला हुआ था. उस वक्त लालू के हाथों में बिहार की सत्ता था.

क्या था चारा घोटाला

ये घोटाला जानवरों के चारे और दवाईयों से जुड़ा हुआ है और इन समानों को खरीदने को लेकर पैसों का घपला किया गया था. इस घोटाले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा की भी एक अहम भूमिका रही थी. इन दोनों के अलावा कई अफसर भी इस घोटाले में शामिल थे. वहीं 1996 में सबके सामने आए इस घोटाले के मुख्य आरोपी यानी लालू को हाल ही भी कोर्ट द्वारा दोषी पाया गया था और इस वक्त वो बिहार की एक जेल में अपनी सजा काट रहे हैं. इतना ही नहीं इस घोटाले को अंजाम देने के पीछे लगभग 500 लोग शामिल थे और इन सभी लोगों पर केस भी चले हैं. सीबीआई ने साल 1997 में लालू के विरोध में इस घोटाले को लेकर चार्जशीट दाखिल की थी और लगभग 20 सालों समाप्त हो जाने के बाद लालू को सजा मिल पाई. इतना ही नहीं इस घोटाले में शामिल होने के कारण लालू अब चुनाव नहीं लड़ सकते हैं और लालू को अपनी लोकसभा सदस्यता से भी हाथ धोना पड़ा था.

  1. हवाला घोटाला (The Hawala Scandal)

इस घोटाले में भी हमारे देश के नेताओं के शामिल होने के सबूत मिले थे. हालांकि बाद में ये सभी नेता बेदाग साबित हो गए थे. हवाला घोटाला साल 1996 में सबके सामने आया था. कहा जाता है कि हवाला के जरिए कई नेताओं, अफसरों और कश्मीरी चरमपंथियों को पैसे दिए गए थे.

कैसे आया ये मामला सामने

ये घोटाला उद्योगपति बी आर जैन की एक डायरी के जरिए सबके सामने आया था. कहा जाता है कि सीबीआई ने जैन सहित उसके भाईयों के दफ्तरों पर छापे मारे थे. जिसके बाद सीबीआई के हाथों में एक डायरी लगी थी. इस डायरी में देश के कई नेताओं के नाम थे, जिनको हवाला के जरिए पैसे दिए गए थे. दरअसल पुलिस ने दो कश्मीरी व्यक्ति को गिरफ्तार किया था और इनके पास से लाखों रुपए मिले थे. इस मामले को लेकर जैन के घर और दफ्तर पर ये छापे मारी की गई थी. गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के नाम अशफाक हुसैन लोन और शहाबुद्दीन था.  जिसके बाद पुलिस ने ये छापे मारी थी.  इन दोनों को सीबीआई के डीआइजी ओपी शर्मा द्वारा गिरफ्तार किया गया था.

क्या था डायरी में

कहा जाता है कि उस डायरी में जिन-जिन लोगों को हवाला के जरिए पैसे दिए गए थे उनके नाम थे. इतना ही नहीं उनके नाम के साथ वो राशि  में लिखी गई थी, जितनी उनको दी गई है. डायरी के अंदर लालकृष्ण आडवाणी, अर्जुन सिंह, शरद यादव और कई नेताओं के नाम थे. ये मामला लंबे समय तक कोर्ट में चलता रहा और बाद में इन सभी नेताओं को कोर्ट ने बेदाग बरी कर दिया. इस घोटाले के बारे में सबसे पहले जनसत्ता खबर मे खबर छपी थी.

क्या होता है हवाला

हवाला के जरिए काले धन को एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचा जाता है. हवाला के जरिए एक देश से दूसरे देश में पैसों को आसानी से भेजा जा सकता है. इसके जरिए देश के बड़े कारोबार अपने काले धन को सफद भी किया करते हैं.

  1. पंजाब नेशनल बैंक घोटाला (Punjab National Bank Scam)

ये घोटाला अभी हाल ही में देश की जनता और देश की सरकार के समकक्ष उजागर हुआ है. इस घोटालों को अंजाम देने के पीछे पंजाब नेशनल बैंक के कई बड़े अधिकारियों शामिल थे और इन्होंने गलत तरीके से नीरव मोदी को लोन दिया था.

आखिर क्या था ये घोटाला (what is pnb scam in hindi)

दरअसल हाल ही में ये 11300 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है. कहा जा रहा है कि इस घटना को अंजाम देने में नीरव मोदी, उनके साथी व्यापारियों और बैंक के आधिकारियों का हाथ है.

कैसे दिया गया अंजाम

भारत के जाने माने हीरा व्यापारी नीरव मोदी ने पीएनबी बैंक के कुछ अधिकारियों की मदद से एक लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) जारी करवाया था. इस लेटर की मदद से उन्होंने कई करोड़ रुपए कई बैंकों से लोन के रूप में लिए थे. वहीं इस मामले के सामने आते ही बैंक के कई आधिकारियों से उनकी नौकरी छीन ली गई है और मोदी के खिलाफ एक FIR दर्ज कर ली गई है. वहीं सीबीआई इस मामले को लेकर अपनी जांच कर रही हैं और उम्मीद है कि जल्दी ही मोदी को पकड़ लिया जाएगा. हालांकि मोदी ने एक बयान जारी कर के कहा है कि वो बैंक से लिए गए सभी पैसों को जल्द वापस कर देंगे.

  1. विक्रम कोठारी घोटाला (Vikram kothari Scam)

ये घोटाला भी इस साल फरवरी के महीने में सामने आया है और इस घोटाले के पीछे भी भारत के जाने माने व्यापारी हैं. जिनका नाम विक्रम कोठारी है. दरअसल विक्रम में देश के कई बैंक से लोन लिया है और अभी तक उनके द्वारा लिए गए इन लोन के पैसों का भुगतान नहीं किया गया है. आप को बात दें कि कोठारी रोटोमैक कंपनी के मालिक है और पान पराग नाम इनके पिता द्वारा शुरू की गई थी.

कितने बैंक से लिया लोन

बताया जाता है कि कठोरी ने भारत के 5 बैंकों से पैसे लोन लिए हैं. वहीं उनके द्वारा ये लोन नहीं भरे जाने की वजह से बैंक ऑफ बड़ौदा ने इनके खिलाफ एक शिकायत दर्ज करवाई थी. जिसके बाद से सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है. वहीं कोठारी का कहना है कि उनकी कंपनी पर इस वक्त एक केस चल रहा है जिसके चलते वो ये लोन नहीं दे पा रहे हैं.

  1. विजय माल्या केस (vijay mallya case)

विजय माल्या का नाम अक्सर आप लोगों ने हर न्यूज चैनल और अखबारों में सुना होगा. दरअसल माल्या पर भी देश के बैंक से लोन लेने का एक केस चल रहा. दरअसल माल्या ने ऊपर करीब 6,203 करोड़ रुपए का लोन था. वहीं जब ये लोन भरने की बारी आई तो माल्या ने देश को छोड़ दिया. जिसके बाद उनको अदालत द्वारा भगोड़ा अपराधी घोषित कर दिया गया था. वहीं भारत सरकार माल्या को वापस देश में लाने की कोशिश कर रही है. माल्या के इस धोखे की वजह से बैंकों को काफी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था.

  1. आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाला (Adarsh Housing Society scam)

आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाला अब तक का सबसे शर्मसार करने वाला घोटाला है. ये घोटाला महाराष्ट्र सरकार के नेताओं और सेना के कुछ आधिकारियों द्वारा किया गया था. दरअसल राज्य सरकार ने युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के लिए परिवारों और रक्षा मंत्रालय के कर्मचारियों के लिए फ्लैट बनाने के निर्णय लिया था. इस निर्णय के आधार पर कोलाबा में एक सोसायटी बनाई गई थी और इस सोसायटी को आदर्श हाउसिंग सोसायटी का नाम दिया गया था. वहीं साल 2010 में एक आरटीआई के जरिए खुलासा हुआ की इस सोसायटी को बनाने में कई नियमों को नजर अंदाज किया गया था. इतना ही नहीं इस सोसायटी में बने गए फ्लैटों को सेना के बड़े आधिकारियों और नेताओं के रिश्तेदारों को कम दामों पर बेच दिया गया था.

जब इस मामले की जांच शुरू हुई तो पता चला की इस सोसायटी में बनाए गए कई फ्लैटों को गैरकानूनी तौर से लोगों को दिया गया था. इतना ही नहीं करीब 22 फ्लैटों को फर्जी नाम पर बेचा गया था. इनमें से कई फ्लैटों के कई मंत्रियों द्वारा खरीदा गया था. वहीं जब ये मामला सामने आया थे तो इसकी गाज उस समय के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण पर गिरी और उन्होंने अपनी पद छोड़ना पड़ा.

  1. अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला (AgustaWestland scam)

ये घोटाला वीवीआईआई हेलिकॉप्टर के खरीदारी से जुड़ा हुआ है. दरअसल भारत ने अगस्ता-वेस्टलैंड कंपनी से कुछ हेलीकॉप्टर मगांने की डील की थी. जिसके जरिए इस कंपनी को भारत को 12 वीवीआईपी हेलि‍कॉप्टर्स तैयार करके देने थे. इस व्यापार को 3,600 करोड़ रुपये में किया गया था. वहीं भारत के वायुसेना अधिकारियों ने इस डील को करने के लिए इटली की इस कंपनी से करीब 100 करोड़ रुपये की रिश्वत खाई थी. वहीं जब इस डील का खुलासा हुआ था तो भारत सरकार ने इस डील को खत्म कर दिया था. वहीं इस घोटाला की सुनवाई इटली की एक अदालत में भी की गई थी. इस घोटाले में भारत के पूर्व आईएएफ चीफ एस पी त्यागी की मुख्य भूमिका थी. इस भ्रष्टाचार के लिए फिनमेकानिका कंपनी के पूर्व प्रमुख गुसेप ओर्सी इस समय जेल में अपनी सजा काट रहे हैं.

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