गुडी पडवा 2024 या हिन्दू नव वर्ष की शुभकामना शायरी ( Gudi Padwa imformation or Hindu Naya Varsha Shayari and Wishes in hindi)
गुडी पडवा के दिन हिन्दू पंचांग का शुभारम्भ होता हैं. देश में उत्साह से यह पर्व मनाया जाता हैं सभी एक दुसरे को नव वर्ष की बधाई देते हैं. खासतौर पर महाराष्ट्र में इस त्यौहार पर धूम देखी जाती हैं. पुरे उत्साह, रीति रिवाज एवम संस्कारों के साथ यह त्यौहार मनाया जाता हैं .
हिन्दू नव वर्ष या गुड़ी पड़वा 2024 में कब है? (Gudi Padwa date kab hai)
गुड़ी पड़वा हिन्दू नव वर्ष जिसे चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा के दिन मनाया जाता हैं . इस दिन से नया साल शुरू होता हैं, यह हिंदी वर्ष चैत्र से फाल्गुन तक माना जाता हैं . यह अंग्रेजी पंचागानुसार प्रति वर्ष मार्च अथवा अप्रैल में मनाया जाता हैं. इस वर्ष 22 मार्च के दिन मनाया जायेगा.
गुडी पडवा 2024 शुभकामना शायरी (Gudi Padwa Shayari)
- आई हैं बहारे, नाचे हम और तुम पास आये, खुशियाँ और दूर जाए गम प्रकृति की लीला हैं छाई
सभी को दिल से गुड़ी पड़वा की बधाई
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- नए पत्ते आते है वृक्ष ख़ुशी से झूम जाते हैं ऐसे मौसम में ही तो नया आगाज होता हैं हम यूँही हैप्पी न्यू ईयर नहीं मनाते
हिन्दू धर्म में यह त्यौहार प्राकृतिक बदलाव से आते
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- पिछली यादे गठरी में बाँधकर करे नये वर्ष का इंतजार लाये खुशियों की बारात
ऐसी हो गुडी पड़वा से परम्परागत शुरुवात
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- नया दिन, नयी सुबह चलो मनाये एक साथ हैं यह गुडी का पर्व
दुआ करे सदा रहे हम साथ साथ
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- चारों तरफ हो खुशियाँ ही खुशियाँ मीठी पुरनपोली और गुजियाँ ही गुजियाँ द्वारे सजती सुंदर रंगोली की सौगात
आसमान में हर तरफ पतंगों की बारात
सभी को शुभ को नव वर्ष हर बार
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- शाखों पर सजता नये पत्तो का श्रृंगार मीठे पकवानों की होती चारो तरफ बहार मीठी बोली से करते, सब एक दूजे का दीदार
चलो मनाये हिन्दू नव वर्ष इस बार
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- वृक्षों पर सजती नये पत्तो की बहार हरियाली से महकता प्रकृति का व्यवहार ऐसा सजता हैं गुड़ी का त्यौहार
मौसम ही कर देता नववर्ष का सत्कार
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- नौ दुर्गा के आगमन से सजता हैं नव वर्ष गुड़ी के त्यौहार से खिलता हैं नव वर्ष कोयल गाती हैं नववर्ष का मल्हार
संगीतमय सजता प्रकृति का आकार
चैत्र की शुरुवात से होता नव आरंभ
यही हैं हिन्दू नव वर्ष का शुभारम्भ
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- घर में आये शुभ संदेश धरकर खुशियों का वेश पुराने साल को अलविदा हैं भाई
हैं सबको नवीन वर्ष की बधाई
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- ऋतू से बदलता हिन्दू साल नये वर्ष की छाती मौसम में बहार बदलाव दिखता पृकृति में हर तरफ
ऐसे होता हिन्दू नव वर्ष का त्यौहार
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- हिंदू नव वर्ष की हैं शुरुवात कोयल गाये हर डाल- डाल पात-पात चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा का हैं अवसर
खुशियों से बीते नव वर्ष का हर एक पल
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- गुड़ी पड़वा की हैं अनेक कथाये गुड़ी ही विजय पताका कहलाये पेड़ पौधों से सजता हैं चैत्र माह
इसलिए हिन्दू धर्म में यह नव वर्ष कहलाये
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- चुलबुला सा प्यार सा बीते यह साल नव वर्ष में हो खुशियों का धमाल गणगोर माता का मिले आशीष
इसी दुआ में झुकाते हैं शीष
हर एक दिन हो मुस्कान से खिला
छाई रहे खुशियों की मधुर बेला
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- मधुर संगीत का साज खिले हर एक पल खुशियाँ ही खुशियाँ मिले दिया बाती से सजाओ गुड़ी यह का पर्व
ऐसे ही रोशन रहे यह नव वर्ष
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- प्रेम और सौहाद्र से करते नव वर्ष का आगाज सभी दिलो में प्रेम रहे और बढ़े ज्ञान रूपी प्रकाश नव वर्ष की बैला छाई है हर जगह
चलो मनाये हिन्दू नव वर्ष फिर एक साथ
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- बीते पल अब यादों का हिस्सा हैं आगे खुशियों का नया फ़रिश्ता हैं बाहे फैलाये करो नए साल का दीदार
आया हैं आया गुड़ी का त्यौहार
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