कैसा नया साल हिंदी कविता जिसमे मेरे दिल में एक तरफ उत्साह हैं, नया साल मनाने की चाह हैं, वहीँ दूसरी तरफ जब आस-पास के जीवन पर नजर पड़ती हैं जब ठंडी रातों में सिंगल पर कोई खड़ा रोटी को तरसता हैं. मेरी आँखे भर जाती हैं जहाँ एक तरफ मैं ऐशोआराम को जी रही, जहाँ एक तरफ मैं फिजूल पैसा उड़ा रहीं वहीँ दूसरी तरफ कोई भूखा मुझे आस से देख रहा हैं. एक तरफ नया साल मनाया जा रहा हैं बीते साल को ख़ुशी से अलविदा कह कोई नए साल को बाहें फैलाये बुला रहा हैं वही दुनियाँ के कई परिवार आतंकवाद का शिकार हैं निर्दोशो की मौत का दुःख उनके पास हैं. कोई परिवार से बिछड़े अपनों की तलाश में भटक रहा हैं कैसा हैं ये नया साल जो हर 365 दिन और 6 घंटे के बाद आता हैं पर देश में कुछ नया नहीं होता. अमीरों का बैंक बैलेंस तो बढ़ता हैं पर गरीबो की दो वक्त की रोटी नहीं हैं.कैसा हैं यह नया साल जहाँ बस तारीख बदलती पर ज़िन्दगी ज्यों के त्यों बनी हुई हैं.
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं (New Year Poem 2024 in hindi)
क्रिसमस की धूम गई
अब बारी हैं नए वर्ष की
ये करू मैं, वो करू मैं
तैयारी हैं नए वर्ष की
कभी दिल कहे ये, कभी दिल कहे वो
बस धूम हैं नए वर्ष की
लेकिन जब आँख भर आती हैं
एक कसक सी दिल में उठती हैं
कोई असहाय भूखा सो गया
कोई गरीब ठण्ड से मर गया
कोई निर्दोष आतंक की मार हैं खाता
कोई बिना माँ बाप के चिल्लाता
कोई बुढा बेटे को अग्नि देता
कोई आस लगाये अपनों की राह तकता
अमीरों का हैं यह नव वर्ष का मेला
बाप बेटे ने संग में बोतल का ढक्कन खोला
बस तारीख बदलती कोई नव संदेश नहीं
बस वर्ष बदलता हैं देश के हालात नहीं||
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