धनतेरस का त्योहार क्यों मनाया जाता है व इस दिन बर्तन, सोना और चांदी क्यों खरीदते हैं (Dhanteras 2023 Significance, Worship Method, Date, Timings, Poem in hindi)
धनतेरस शब्द दो शब्दों धन’ और ‘तेरस’ को मिलाकर बना है. इस शब्द में धन का तात्पर्य पैसों से हैं और तेरस का नाता तेरह अंक से हैं. दरअसल ये त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने के 13 वें दिन आता है और इसलिए इसे धनतेरस कहा जाता है. यह दीपावली का त्यौहार का सबसे पहला दिन है.
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धनतेरस 2024 से जुड़ी जानकारी-
साल 2024 में कब है धनतेरस | 29 अक्टूबर |
इस दिन क्या किया जाता है | सोना, चांदी या बर्तन खरीदे जाते हैं और पूजा की जाती है |
धनतेरस की पूजा के मुहूर्त का समय | 05:38 शाम से 08:13 शाम तक |
अवधि | 2 घंटा 30 मिनिट |
तिथि शुरू | 29 अक्टूबर सुबह 10:30 |
तिथि ख़त्म | 30 अक्टूबर दोपहर 01:15 |
साल 2024 के धनतेरस का मुहूर्त (Dhanteras 2023 Puja date and Shubh Muhurat)
धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है और इस दिन मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है और मां का पूजन प्रसाद काल के दौरान करना उचित होता है. ये काल सूर्यास्त के बाद आरंभ होता है और लगभग 2 घंटे और 30 मिनट तक चलता है. वहीं साल 2024 में धनतेरस के दिन पूजा करने का मुहूर्त 05:38 शाम पर शुरू होगा और 08:13 शाम तक चलेगा. इस तरह से इस दिन पूजा करने की उचित अवधि 2 घंटा तक की होगी.
धनतेरस का महत्व (Importance And Significance Of Dhanteras)
ये त्योहार माता लक्ष्मी से जुड़ा हुआ है और कहा जाता है कि अगर इस त्योहार के दिन मां की अच्छे से पूजा की जाए, तो घर में धन की कमी नहीं होती है. इस दिन मां की पूजा करने के साथ साथ घर के मुख्य दरवाजे पर दीये भी जलाए जाते हैं. इसके अलावा बर्तन, चांदी या सोने के आभूषण भी खरीदे जाते है.
धनतेरस के दिन बर्तन, सोना और चांदी क्यों खरीदते हैं (Significance Of Purchasing Utensils And Gold)
इस दिन गहने, रत्न, धातु, घरेलू उत्पादों को खरीदना शुभ होता है और ऐसा माना जाता है कि इनको खरीदने से आप धन की देवी लक्ष्मी जी को घर पर ले आते हैं. इस दिन लोगों द्वारा चांदी या सोने के सिक्कों की भी पूजा की जाती है. मान्यता है कि चांदी और सोने जैसी चीजों को खरीदने से घर में बुरी चीजे प्रवेश नहीं करती हैं और घर में खुशियां बनी रहती हैं.
धनतेरं से जुड़ी कहानी और क्यों मनाया जाता है धनतेरस (Why We Celebrate And Reason)
कथा 1: राजा हिमा के पुत्र की कहानी (King Heema’s young son Story)
एक प्राचीन कथा के अनुसार राजा हिमा का एक पुत्र हुआ करता था और उनके पुत्र की मृत्यु को लेकर एक भविष्यवाणी की गई थी. इस भविष्यवाणी में कहा गया था कि उनके बेटे की मृत्यु उसकी शादी हो जाने के 14 वे दिन सर्प के डसने से हो जाएगी. वहीं जब उनके बेटे की शादी हुई, तो उसकी पत्नी ने शादी के 14 वें दिन अपने पति को सोने नहीं दिया, साथ में ही अपने कमरे के दरवाजे के बाहर अपने सभी गहने, सोने के सिक्के और इत्यादि प्रकार के आभूषण रख दिए और पूरे कमरे को दीयों की रोशनी से रोशन कर दिया.
वहीं अपने पति को सोने से रोकने के लिए, इस महिला ने अपने पति को कहानियां और गीत सुनाने शुरू कर दिया और इसी दौरान यमराज भी उसके पति को लेने के लिए आ गए, लेकिन दरवाजे पर रखे गए सोने और अन्य प्रकार के आभूषणों के ढेर और कमरे में अधिक रोशनी होने के कारण यमराज उनके कमरे में प्रवेश नहीं कर सके और वो बाहर खड़े होकर इस महिला द्वारा जो कहानियां और गीत उसके पति को सुनाए जा रहे थे, वो सुनने लगे.
वहीं जैसे ही सुबह हुई तो यमराज चुपचाप वहां से चले गए और इस तरह से इस महिला ने अपने पति की रक्षा यमराज से कर ली, जिसके बाद इस दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाने लगा. इसके अलावा इस दिन लोगों द्वारा सोने और चांदी की चीजों को भी खरीदा जाने लगा, ताकि इनकी मदद से बुरी चीजों को घर से दूर रखा जा सके.
कहानी 2: इस दिन निकला था अमृत (Amrit Manthan)
एक और कथा के अनुसार धनतेरस के दिन की क्षीर सागर से अमृत निकला था और इसलिए ये दिन सेहत के लिए भी अच्छा माना जाता है और लोगों इस दिन पूजा करके भगवान से सेहतमंद जीवन की कामना करते हैं.
समुद्र मंथन से जुड़ी अन्य कहानी –
कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय सागर से कई प्रकार की चीजे निकली थी और इन्हीं चीजों के साथ मां लक्ष्मी भी मंथन के दौरान निकली थी, इसलिए धनतेरस के दिन मां की पूजा की जाती है.
माता पार्वती से जुड़ी कथा (Story Of Goddess Parvati)
कहा जाता है कि इस दिन माता पार्वती ने शिव जी के साथ पासा खेला था और इस जीत भी गई थी, इसलिए इस दिन पासा खेलना भी शुभ माना जाता है और कहा जाता है कि ये खेलने से घर में लक्ष्मी आती है.
इस दिन किन भगवानों की जाती है पूजा
धनतेरस के दिन भारतीय लोग अपने घरों को अच्छे से साफ करते हैं और फिर घर को अच्छे से सुसज्जित करतें हैं. घर को सजाने के बाद रात के समय इस दिन गणेश भगवान, मां लक्ष्मी, धन्वंतरि और कुबेर जी की पूजा की जाती है. इसके अलावा कई जगहों पर लोगों द्वारा यमराज जी की भी पूजा की जाती है.
पूजा करने की विधि (Worship Method)
- इस पूजा का आरंभ पहले गणेश जी का नाम लेकर किया जाता है और उसके बाद गणेश जी को लाल रंग का कपड़ा और ताजे फूल अर्पित किए जाते हैं.
- गणेश जी की पूजा करने के पश्चात आयुर्वेद के संस्थापक माने जाने वाले भगवान धन्वंतरि की आराधना की जाती. हालांकि इनकी आराधना करने से पहले भगवान धन्वंतरि की मूर्ति को स्नान करवाया जाता है और फिर उसका अभिषेक भी किया जाता है. ये विधि करने के बाद धन्वंतरि भगवान को नौ किस्म के अनाज अर्पित किए जाते हैं.
- इसके बाद धन के देवता कुबेर भगवान की मूर्ति को फूल, मिठाई और फल अर्पित किए जाते हैं और इन से कामना की जाती है कि घर में धन का अभाव ना हो. इनकी पूजा करने का बाद मां लक्ष्मी जी को याद किया जाता है और उनकी मूर्ति की पूजा की जाती है, ताकि घर में मां पैसों की बरकत करती रहें.
धनतेरस हिंदी कविता (Dhanteras Kavita In Hindi)
जग मग,जग मग चाँद सितारे,
देवी लक्ष्मी के चरण पधारे.
व्यापारी के भाग्य सवारे,
धनतेरस के बजे नगाड़े.
हुआ दीपावली का शुभारंभ,
नव वर्ष का सफल प्रारम्भ.
सभी ख़ुशी-ख़ुशी गाये मल्हार.
धनतेरस का हैं त्यौहार.
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FAQ
Ans : कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की तेरस धनतेरस होती है.
Ans : 29 अक्टूबर
Ans : शाम 05:38 से 08:13 तक
Ans : सोना या चांदी या फिर बर्तन
Ans : गणेश भगवान, मां लक्ष्मी, धन्वंतरि और कुबेर जी की पूजा
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