नरक चतुर्दशी को छोटी दीपावली क्यों कहते है और कैसे मानते है ( Why called Narak Chaturdashi or Choti Diwali Kavita in hindi)
नरक चतुर्दशी को कई लोग छोटी दीपावली के नाम से भी जानते हैं और हर वर्ष नरक चतुर्दशी कार्तिक अमावस्या से एक दिन पूर्व आती है. इस दिन का हिंदू धर्म में काफी महत्व है और नरक चतुर्दशी के दिन लोग कई तरह की पूजा किया करते हैं.
Table of Contents
साल 2024 की नरक चतुर्दशी से जुड़ी जानकारी-
साल 2024 में कब है नरक चतुर्दशी | 30 अक्टूबर |
किस दिन | बुधवार |
किसके द्वारा मनाया जाता है ये त्योहार | हिंदूओं |
नरक चतुर्दशी के अन्य नाम | छोटी दिपावली, रूप चतुर्दशी, काली चौदस और रूप चौदस |
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नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi)
रूप चौदस के दिन अभ्यंग स्नान किया जाता है और यम देवता की पूजा की जाती है. इस वर्ष नरक चतुर्दशी 30 अक्टूबर को आ रही है. और इस दिन स्नान करने का शुभ मुहूर्त सुबह 05:05 से लेकर सुबह 06:27 तक है.
नरक चतुर्दशी का महत्व (Importance of Narak Chaturdashi)
नरक चतुर्दशी के दिन के साथ कई तरह के महत्व जुड़े हुए हैं और कहा जाता है कि इस दिन प्रातःकाल सूर्य के उगने से पहले जागकर अभ्यंग स्नान करना लाभदायक होता है और जो लोग इस दिन स्नान करते हैं उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है और साथ में ही उसका सौन्दर्य भी बढ़ जाता है. इसके अलावा इस दिन शाम के समय यमराज जी की पूजा करने से अकाल मृत्यु भी टल जाती है.
क्यों मनाई जाती है नरक चतुर्दशी (Why Narak Chaturdashi Is Celebrated)
कथा 1: भगवान कृष्ण ने किया था नरकासुर की वध
- नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाने के पीछे कई सारी कथाएं हैं और इन्हीं कथाओं में से एक कथा भगवान कृष्ण और नरकासुर की है
- हमारे पुराणों के मुताबिक नरकासुर धरती माता का पुत्र हुआ करता था और उसने धरती पर आंतक मचा रखा था. भगवान इंद्र ने भगवान विष्णु से इस दानव से लोगों की रक्षा करने की गुहार की थी और भगवान विष्णु ने इंद्र देव को वादा किया था कि वो कृष्ण का अवतार लेकर इसका वध करेंगे.
- वहीं जब विष्णु भगवान ने धरती पर कृष्ण जी के रुप में अवतार लिया था, तो उन्होंने अपना वादा पूरा करते हुए इसका वध कर दिया था और इसकी कैद से हजारों महिलाओं को रिहा करवाया था. वहीं इन महिलाओं को समाज में सम्मान दिलवाने के लिए कृष्ण जी ने इन सबसे नरक चतुर्दशी के दिन विवाह कर लिया था, जिसके बाद लोगों ने इस दिन अपने घरों में दीए जलाए थे.
कथा 2: कृष्ण जी की पत्नी के हाथों हुई थी नरकासुर की हत्या
ऊपर बताई गई कथा के अलावा नरकासुर के वध से एक और कथा जुड़ी हुई है और कहा जाता है कि नराकसुर को ब्रह्मा जी से वरदान मिला था, कि उसका वध केवल एक महिला के हाथों ही हो सकता है. जिसके कारण इसका वध कृष्ण जी ने अपनी पत्नी सत्यभामा के हाथों से करवाया था.
कथा 3: मां काली ने मारा था नरकासुर को
एक और कथा के अनुसार इस दानव का वध मां काली के हाथों किया गया था और इसलिए इस दिन को काली चौदस के रुप में पश्चिम बंगाल के लोगों द्वारा मनाया जाता है.
कथा 4: स्वर्ग में मिलती है जगह
मान्यता के अनुसार रतिदेव नामक एक राजा हुआ करता था, जो कि काफी पुण्य का कार्य किया करता था. वहीं एक दिन इस राजा को नर्क में ले जाने के लिए यमराज इनके पास आए. वहीं यमराज द्वारा नर्क में ले जाने की बात जब रंतिदेव को पता चली, तो वो हैरान हो गए और राजा ने यमराज से कहा, कि उन्होंने कभी भी कोई गलत कार्य नहीं किया है, तो फिर उन्हें नर्क में क्यों भेजा जा रहा है.
वहीं रंतिदेव राजा के इस प्रश्न के उत्तर में यमराज ने उनसे कहा, कि एक बार उन्हें अपने घर से एक भूखे पुजारी को खाली पेट भेज दिया था, जिसके कारण वो नर्क में जाएंगे. हालांकि रंतिदेव ने यमराज जी से एक और जिंदगी मांगने की गुहार लगाई और यमराज ने इनकी ये गुहार मान ली और उन्हें जीवन दान दे दिया. जीवनदान मिलने के बाद महाराज साधु संत से मिले और उनसे नर्क ना जाने से जुड़ा हुआ उपाय मांगा. वहीं सांधू संत ने महाराजा को नरक चतुर्दशी के दिन उपवास रखने और भूखे पुजारी को खाना खिलाने की सलाह दी थी, ताकि वो नर्क में जाने से बच सकें.
क्यों कहा जाता है इसे नरक चतुर्दशी
भगवान ने जिस दिन नरकासुर का वध किया था उस दिन चतुर्दशी तिथी थी और इसलिए इस दिन को ‘नरक चौदस’ कहा जाता है. वहीं यह दीपावली के एक दिन पहली आती है तो इसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है.
कैसे मनाया जाता है नरक चतुर्दशी का त्योहार
- इस दिन अभ्यंग स्नान किया जाता है और ये स्नान करने से पहले चिरचिरी के पत्तों को स्नान करने वाले पानी में डाला जाता है और फिर तेल,चन्दन और उबटन जैसी चीजों से स्नान किया जाता है.
- वहीं दक्षिणी भारत में इस दिन लोग जल्दी उठकर पवित्र स्नान करने के बाद कुमकुम और तेल का लेप बनाकर उसे अपने माथे पर लगाते हैं. जबकि तमिलनाडु राज्य के कुछ समुदाय के लोग इस दिन लक्ष्मी मां की पूजा भी करते हैं. वहीं पश्चिम बंगाल के लोगों इस दिन स्नान करने के बाद मां काली की आराधना करते हैं.
- इस दिन कड़वा फल तोड़ने का भी रिवाज होता है और कहा जाता है कि इस फल को तोड़ना नरकासुर की हार का प्रतीक होता है.
तिल के तेल और दीपदान महत्व (Importance Of Till And Deepdan)
मान्यता के अनुसार इस दिन शाम को पूजा करने के बाद दीपदान करना चाहिए और घर पर दीप जलाने चाहिए और जो लोग इस दिन ये करते हैं वो अपने पापों को कम कर लते हैं.
छोटी दिवाली हिंदी कविता
त्यौहारों का हैं यह राजा
पाँच दिनों तक मनाया जाता
आज हैं हमारी छोटी दिवाली
कहती नरकाचोदस की कहानी
नरकासुर था एक राक्षस
था वो शक्तिशाली भक्षक
इंद्र को जीत बना वो शासक
चारो तरफ था उसका आतंक
जब जब संकट आता हैं
ईश्वर हमें बचाता हैं
कृष्ण की लीला चली इस बार
हँसते हँसते किया नरकासुर का संहार
जबसे ही यह दिन मनाया
जो आज तक नरका चोदस कहलाया
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FAQ
Ans ; छोटी दिवाली
Ans : कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को
Ans ; यमराज की पूजा की जाती है.
Ans : कहा जाता है कि इस दिन प्रातःकाल सूर्य के उगने से पहले जागकर अभ्यंग स्नान करना लाभदायक होता है और जो लोग इस दिन स्नान करते हैं उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है और साथ में ही उसका सौन्दर्य भी बढ़ जाता है.
Ans : 30 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक
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