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देश के प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी के द्वारा संसद भवन की छत पर लगाए गए तकरीबन 20 फीट ऊंचे अशोक स्तंभ का अनावरण किया गया, जिसकी चर्चा चारों तरफ हो रही है। हालांकि अशोक स्तंभ का अनावरण करने के पश्चात इसे लेकर के विवाद भी हो गया। विभिन्न राजनीतिक दलों के द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी पर तरह तरह की टिप्पणियां की गई।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जो अशोक स्तंभ का चिन्ह है, उसका वजन तकरीबन 9500 किलो है और उसका निर्माण कांस्य से हुआ है। आइए इस आर्टिकल में नए अशोक स्तंभ को लेकर के चलने वाले विवाद के बारे में जानकारी हासिल करते हैं, साथ ही अशोक स्तंभ के बारे में भी पूरी जानकारी प्राप्त करते हैं।
Table of Contents
अशोक स्तंभ का इतिहास (Ashok Stambh History)
स्तंभ का नाम | अशोक स्तंभ |
कहां है अशोक स्तंभ | उत्तर प्रदेश सोमनाथ |
किसके नाम पर है स्तंभ | सम्राट अशोक |
स्तंभ में कितने शेर | 4 शेर |
स्तंभ की कितनी है ऊचांई | 7 फीट ऊंचा |
स्तंभ का महत्व | साहस, आत्मविश्वास |
कब तैयार किया गया | 250 ईसा |
हमारे देश में वर्ष 1949 को 26 जनवरी के दिन भारतीय संविधान को ग्रहण किया गया था और साल 1950 में 26 जनवरी के दिन इसे अपनाया गया था और इसी दिन भारतीय गवर्नमेंट के द्वारा संवैधानिक तौर पर राष्ट्रीय निशान के तौर पर अशोक स्तंभ को भी अपनाया गया था। परंतु सिर्फ यहीं पर अशोक स्तंभ का इतिहास खत्म नहीं होता है। 273 ईसा पूर्व सम्राट अशोक का शासन भारत में चल रहा था और वह काफी खूंखार राजा माने जाते थे।
परंतु कलिंग के युद्ध में हुए भीषण नरसंहार की वजह से सम्राट अशोक काफी दुखी हुए और उन्होंने सारी राजाशाही छोड़कर के बौद्ध धर्म को अंगीकार कर लिया।
सम्राट अशोक के द्वारा जब बौद्ध धर्म को अंगीकार कर लिया गया, तो सम्राट अशोक के द्वारा बौद्ध धर्म के प्रचार को काफी तेजी के साथ शुरू कर दिया गया और इसके लिए उन्होंने देश भर में इसके प्रतीक के तौर पर चारों दिशाओं में गर्जना करने वाले चार शेरों की आकृति वाले स्तंभों को तैयार करवाया। इस प्रकार अशोक स्तंभ का निर्माण एवम विस्तार हुआ।
हालांकि अभी भी कई लोग यह सोच रहे होंगे कि आखिर अशोक स्तंभ में शेर क्यों रखा गया है? तो बता दें कि भगवान बुद्ध को ही शेर का पर्यायवाची माना गया है क्योंकि भगवान बुद्ध के जो 100 नाम है, उसमें शाक्य सिह और नर सिह नाम शामिल है।
इसके अलावा सारनाथ में भगवान बुद्ध के द्वारा जो उपदेश दिया गया था उसे भी सिंह गर्जना के नाम से ही जाना जाता है। यही वजह है कि शेर को अशोक स्तंभ में शामिल किया गया।
अशोक स्तंभ में टोटल चार शेर होते हैं परंतु लोगों को तीन ही शेर दिखाई देते हैं जिसके पीछे मुख्य वजह है अशोक के स्तंभ का गोलाकार का होना। अशोक स्तंभ के नीचे एक घोड़े और एक सांड की भी आकृति होती है और इन दोनों आकृति के बीच में जो चक्र दिखाई देता है, वह राष्ट्रीय झंडे का राष्ट्रीय निशान होता है।
अशोक स्तंभ कहां है
अशोक स्तंभ उत्तर प्रदेश के सारनाथ में है। जिसे सम्राट अशोक द्वारा 250 ईसा में बनवाया गया था। सारनाथ में स्थित अशोक स्तंभ में बने चारों शेर के मुंह चारों दिशाओं को प्रदर्शित करते हैं। इसलिए उसे ही सबसे उच्च स्तंभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि, इनके मुख चारों दिशाओं के बारे में आपको जानकारी देते हैं। जिसे देखने के लिए लोग काफी दूर से आते हैं।
अशोक स्तंभ लोगो [Logo]
- हमारे देश की धरोहर अशोक स्तंभ में आपको ऊपरी हिस्से में चार एशियाई मूल के शेर दिखाई देगे।
- जो शक्ति, साहस, आत्मविश्वास और गौरव को दर्शाते नजर आते हैं। इसके बाद आपको नीचे की ओर एक घोड़ा और एक बैल दिखाई देगा।
- इन दोनों के बीच में बनाया गया है धर्मचक्र। चक्र के पूर्वी भाग में जब आप देखेंगे तो आपको एक हाथी, पश्चिमी भाग में एक बैल, दक्षिण भाग में घोड़े और उत्तरी भाग में शेर दिखाई देगा।
- इस स्तंभ में जो चक्र है वहीं चक्र हमारे देश के राष्ट्रीय ध्वज में भी आपको नजर आ जाएगा।
अशोक स्तंभ किसने बनाया था
अशोक स्तंभ कैसा दिखाई देते है। ये हर किसी को पता है। लेकिन कई लोग ऐसे हैं जिन्हें ये नहीं पता की इसे सम्राट अशोक द्वारा तैयार कराया गया है। इसका मुख्य कारण था। हर तरफ लोक कल्याण और बौद्ध का प्रचार करना। जिसके लिए इसे चारों दिशाओं को प्रदर्शित करता है और अध्यात्म को शक्तिशाली बनाता है। इसे 250 ई.सी में तैयार कराया गया था।
कितने शेर हैं अशोक स्तंभ में
अशोक स्तंभ में चार शेर हैं जिनके मुंह चार अलग-अलग दिशाओं की ओर दिखाई देते हैं। जिसके जरिए आपको सही दिशा का ज्ञान भी प्राप्त हो जाता है।
किसने बनाया अशोक का ये स्तंभ
इस अशोक स्तंभ को समुद्रगुप्त के दरबारी कवि हरिषेण के द्वारा तैयार किया गया था। उसके बाद इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ।
अशोक स्तंभ से संबंधित नियम
भारत में ऐसे लोग ही अशोक स्तंभ का इस्तेमाल कर सकते हैं जो संवैधानिक पदों पर बैठे हुए होते हैं। भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री,केंद्रीय मंत्री, उप राज्यपाल, राज्यपाल, न्यायपालिका और गवर्नमेंट इंस्टिट्यूट के उच्च अधिकारी अशोक स्तंभ का इस्तेमाल कर सकते हैं।
हालांकि यहां पर यह भी बात काफी महत्वपूर्ण है कि कोई पूर्व अधिकारी, पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद या विधायक बिना परमिशन के अशोक स्तंभ का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। अगर किसी सामान्य नागरिक के द्वारा अशोक स्तंभ का इस्तेमाल किया जाता है तो उसे 2 साल की कैद हो सकती है साथ ही ₹5000 का जुर्माना भी उसे भरना पड़ सकता है।
अशोक स्तंभ पर विवाद (Ashok Stambh Controversy)
मोदी जी के द्वारा अशोक स्तंभ के अनावरण को करने के पश्चात किस नेता के द्वारा क्या-क्या कहा गया है। आईए इसके बारे में नीचे जानते हैं।
असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम)
नए संसद भवन की छत पर मौजूद अशोक स्तंभ का जैसे ही मोदी जी के द्वारा अनावरण किया गया वैसे ही उस पर विवाद खड़ा हो गया। ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन पार्टी के मुख्य व्यक्ति असदुद्दीन ओवैसी के द्वारा ट्विटर पर ट्वीट करते हुए कहा गया कि “मोदी जी को नए बने हुए संसद भवन के ऊपर राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण नहीं करना चाहिए” इसके अलावा ओवैसी ने कहा कि “लोकसभा का प्रतिनिधित्व करने की जिम्मेदारी लोकसभा के अध्यक्ष की होती है जो कि गवर्नमेंट के अंतर्गत नहीं होता है। यही वजह है कि पीएम ने सभी संवैधानिक मानदंडों की लिमिट को क्रॉस किया है।”
ओवैसी के बयान पर भाजपा के द्वारा भी तीखा हमला किया गया। भाजपा के द्वारा कहा गया कि असदुद्दीन ओवैसी हमेशा परेशानी की अवस्था में ही रहते हैं। भाजपा के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि ओवैसी को हर चीज में प्रॉब्लम ही नजर आती है और वह हमेशा नेगेटिव थिंकिंग ही रखते हैं।
संजय सिंह (आम आदमी पार्टी)
भारत के राष्ट्रीय निशान अशोक स्तंभ को बदलने का आरोप आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह के द्वारा भी लगाया गया। संजय सिंह ने ट्विटर पर ट्वीट करते हुए कहा कि मैं भारत के सभी लोगों से पूछना चाहता हूं कि जिसके द्वारा भारत के राष्ट्र निशान को बदला गया है उसे राष्ट्र विरोधी कहना चाहिए या नहीं कहना चाहिए।
जवाहर सरकार (तृणमूल सांसद)
तृणमूल कांग्रेस पार्टी की तरफ से सांसद जवाहर सरकार ने भी मोदी जी के द्वारा अनावरण किए गए नए अशोक स्तंभ पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा है कि मोदी जी ने जिस अशोक स्तंभ का अनावरण किया है,वह हमारे भारत देश के राष्ट्र निशान का अपमान है। जवाहर सरकार के अनुसार तुरंत ही इस अशोक स्तंभ को बदलना चाहिए।
महुआ मोइत्रा (टीएमसी सांसद)
कांग्रेस पार्टी की ही एक अन्य सांसद महुआ मोइत्रा के द्वारा भी प्रधानमंत्री मोदी जी के इस कृत्य को नाजायज करार दिया गया है। उन्होंने ट्विटर पर अशोक स्तंभ की पुरानी फोटो को भी पोस्ट किया है, साथ ही नई फोटो को भी पोस्ट किया है। उनके अनुसार भी मोदी जी के द्वारा की गई यह हरकत सही नहीं है।
कपिल मिश्रा( भाजपा नेता)
भारतीय जनता पार्टी के नेता और हिंदुत्ववादी व्यक्ति कपिल मिश्रा ने ट्विटर पर अशोक स्तंभ की फोटो पोस्ट की है और उन्होंने कहा है कि अशोक स्तंभ की फोटो को काफी पास से कैप्चर किया गया है। इसलिए वह काफी खूंखार दिखाई दे रहा है, जबकि ऐसा नहीं है। इसके अलावा कपिल मिश्रा के द्वारा संजय सिंह के ट्वीट पर भी तंज कसा गया है।
भारत में अशोक स्तंभ
सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म ग्रहण करने के पश्चात कई इलाके में यात्रा की और स्तंभ का निर्माण करवाया। इस प्रकार से अशोक के द्वारा अलग-अलग जगह पर स्तंभ के निर्माण करवाए गए। सम्राट अशोक के द्वारा बनवाए गए अशोक स्तंभ सारनाथ,दिल्ली, वैशाली, सांची में मौजूद है।
FAQ:
ANS: भारत का राजकीय प्रतीक।
ANS: बिहार
ANS: चार शेर
ANS: 33
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