गृह राज्य मंत्री अमित शाह की जीवनी व उनसे जुड़े विवाद (Minister of Home Affairs Amit Shah Biography and Controversies In Hindi)
अमित शाह का ताल्लुक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से है और वो इस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं. शाह के दम पर बीजेपी ने कई ऐसे राज्यों में चुनाव जीते हैं, जहां पर इस पार्टी की पकड़ बिलकुल मजबूत नहीं थी. शाह भारतीय राजनीति से कई सालों से जुड़े हुए हैं और आज वो अपनी पार्टी में जिस पद पर पहुंचे हैं. उस पद तक पहुंचने के लिए शाह ने खूब मेहनत की है.
2019 के लोकसभा चुनाव के बाद अमित शाह को नरेंद्र मोदी की नई सरकार में अमित शाह को गृह राज्य मंत्री का कार्यभार दिया गया है.
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अमित शाह की जीवनी
पूरा नाम | अमित अनिलचन्द्र शाह |
जन्म स्थान | मुंबई, महाराष्ट्र,भारत |
जन्म तारीख | 22 अक्टूबर, साल 1964 |
पेशा | भारतीय राजनेता |
पद | भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष, पूर्व विधायक, राज्यसभा के सांसद |
माता का नाम | – |
पिता का नाम | अनिल चन्द्र शाह |
पत्नी का नाम | सोनल शाह |
कुल भाई-बहन | – |
कुल बच्चे | एक बेटा |
लंबाई | 5’6 |
वजन | 81 किलो |
आखों का रंग | काला |
बालों का रंग | सफेद |
धर्म | हिंदू |
कुल संपत्ति | 34 करोड़ के करीब (2014 तक) |
अमित शाह का जन्म और शिक्षा (Amit Shah Birth And Education)
महाराष्ट्र राज्य में एक गुजराती परिवार में जन्मे 52 वर्ष शाह का जन्म सन् 1964 में हुआ था. इनके परिवार का नाता गुजरात के मेहसाना गांव से है और शाह ने अपनी शुरुआती शिक्षा यहां के ही एक स्कूल से हासिल की है. शाह एक विज्ञान के छात्र थे और इन्होंने सी.यू शाह साइंस कॉलेज से विज्ञान के विषय में डिग्री प्राप्त की थी, ये कॉलेज अहमदाबाद में स्थित है.
अमित शाह का परिवार (Amit Shah Family)-
इस महान राजनेता के पिता का नाम अनिल चन्द्र शाह बताया जाता है और उनका अपना एक व्यापार हुआ करता था. इनकी मां का नाम कुसुमबा था और उनका क्या पेशा था, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है.
वहीं इनकी पत्नी का नाम सोनल है और इनका एक बेटा भी है. जिसका नाम जय शाह है और वो पेशे से एक व्यापारी है. जय ने निरमा विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रखी है.
अमित शाह के राजनीति करियर की शुरुआत (Amit Shah Political Career)-
साल 1983 में आरएसएस से जुड़े
अमित शाह ने अपने कॉलेज के दिनों में ही राजनीति में आने का फैसला ले लिया था और साल 1983 में ये अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए थे. वहीं आरएसएस से जुड़ने के बाद साल 1986 में ये बीजेपी पार्टी में शामिल हो गए और इन्होंने पार्टी के लिए प्रचार का कार्य करना शुरू कर दिया. इनको साल 1997 में पार्टी की ओर से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया गया था. जिसके बाद इन्होंने गुजरात की सरखेज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और इन्हें इस चुनाव में जीत मिली. फिर इन्होंने इसी सीट से लगातार तीन बारी और चुनाव लड़ अपनी जीत दर्ज करवाई.
साल 2002 में मिला मंत्री पद
गुजरात के विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी पार्टी को जीत मिली, तो पार्टी ने शाह को राज्य के कई मंत्री पदों की जिम्मेदारी दे दी. जिस वक्त शाह को ये मंत्री पद दिए गए थे, तो उस वक्त प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी इस राज्य के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. इतना ही नहीं साल 2000 में शाह की नियुक्ती अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष के तौर पर भी की गई थी और वो अपने राज्य के चेस एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे चुके हैं.
साल 2014 में किया मोदी के लिए प्रचार
एक ही राज्य से ताल्लुक रखने वाले शाह और मोदी जी एक दूसरे को लंबे समय से जानते थे. वहीं साल 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में शाह ने अपनी पार्टी और मोदी जी के लिए प्रचार का कार्य किया था और इन चुनावों में अपनी पार्टी को शानदार जीत दिलवाई थी. इसके अलावा इन्होंने पार्टी के अन्य नेताओं के लिए भी प्रचार का कार्य किया था. साल 1991 में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान इन्होंने लालकृष्ण आडवाणी के लिए भी चुनाव जीतने की रणनीति तैयार की थी.
साल 2014 में बनें बीजेपी पार्टी के अध्यक्ष (Amit Shah President of BJP)
अमित शाह ने लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी को विजय बनाने के लिए कड़ी मेहनत की थी. वहीं उसी साल यानी 2014 में इन्हें पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे दी गई थी. जिसके बाद इनकी अध्यक्षता में पार्टी ने कई राज्यों में चुनाव जीते और साल 2016 में एक बार फिर इनको दोबारा से इस पद के लिए चुन लिया गया था. परन्तु 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद मोदी सरकार के नए कैबिनेट मिनिस्टर में अमित शाह को गृह राज्य मंत्री (Minister of Home Affairs) बनाया गया है.
राज्यसभा के हैं सदस्य (Amit Shah Member Of The Rajya Sabha 2017)
साल 2017 में इन्हें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की और से राज्यसभा में भेजा गया था और इस वक्त ये राज्यसभा के सदस्य भी हैं. इन्हें गुजरात राज्य की सीट से राज्यसभा भेजा गया है.
2019 लोक सभा चुनाव में अमित शाह का रोल (Amit Shah in General Election 2019)
मोदी जी के दायां हाथ कहे जाने वाले अमित शाह जी ने सन 2019 के लोकसभा चुनाव में गुजरात के गांधीनगर से चुनाव लड़ा था, जिसमे उन्होंने कांग्रेस पार्टी के डॉ. सी. जे. चावड़ा को पीछे छोड़ते हुए 5 लाख से भी अधिक वोट्स के मार्जिन से जीत हासिल की हैं, जिसके चलते उन्होंने लाल कृष्ण अडवाणी के 4.83 लाख वोट्स का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया. इस चुनाव में मुख्य रूप से मुकाबला बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह एवं कांग्रेस के डॉ. सी. जे. चावड़ा के बीच था. जिसमें बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह जी ने जीत हासिल की. चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक अमित शाह जी ने 69.7 % वोट्स प्राप्त किये. यानि इसमें अमित शाह जी को लगभग 8,80,000 वोट्स हासिल हुए हैं.
2014 के लोकसभा चुनाव की तरह ही, 2019 के लोकसभा चुनाव में भी अमित शाह जी ने बीजेपी के लिए चुनावी रणनीति तैयार की थी. बीजेपी का चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह जी की मेहनत के चलते ही नरेन्द्र मोदी जी को 303 सीट्स के साथ, पुरे देश से पूर्ण बहुमत मिला है. मोदी जी और अमित शाह की जोड़ी एक बार फिर हिट हो गई, और भारत देश में मोदी लहर की क्रांति आ गई.
काफी सारी रैलियां की थी, जिसमे उन्होंने जनता को यह विश्वास दिलाया कि मोदी जी एवं उनकी सरकार ही देश के विकास को आगे बढ़ा सकती हैं. और इस विश्वास के चलते ही चुनाव में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत के साथ सफलता हासिल की और गृह राज्य मंत्री का पद हासिल किया.
साल 2019 में अमित शाह बने गृहमंत्री और लोकसभा सदस्य (Amit Shah as Minister of Home Affairs)
अमित शाह ने गृह मंत्री का पद ग्रहण करते ही सबसे पहले जम्मू कश्मीर का आतंकवाद खत्म करने की ठान ली जो कि भारत देश के लिए नासूर बन चुका था।
अमित शाह द्वारा 2019 में लिए गए बड़े फैसले
- जम्मू काश्मीर में धारा 370 ख़त्म करने का फैसला – जम्मू कश्मीर को दबाए रखने और वहां के बढ़ते हुए आतंक रोकने के लिए उन्होंने जम्मू कश्मीर में 35 ए का उन्मूलन किया और उन्होंने धारा 370 खत्म कर दी जिसके बाद जम्मू-कश्मीर का मुख्य हिस्सा भारत में जोड़ लिया गया। धारा खत्म होने के बाद वहां पर नए नियम बनाए गए और नए नियमों के अनुसार भारत में 1 राज्य और शामिल किया गया जिसके बाद जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को भी अलग कर दिया गया। यह महत्वपूर्ण काम देश के गृहमंत्री अमित शाह द्वारा अंजाम दिया गया।
- एनआरसी का मुद्दा – देश को एक सबसे बड़ा झटका दिया लेकिन देश में से आतंकवाद और गैर कानूनी अपराध को कम करने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया जिसे एनआरसी का नाम दिया गया। जिसके तहत उन्होंने देश से कुछ ऐसे बांग्लादेशियों को बाहर निकालने की बात कही जो देश में अनाधिकृत रूप से कई सालों से रहते आए हैं और रह रहे हैं। जिसके लिए उन्होंने बड़ा फैसला लेते हुए असम में रहने वाले लोगों की नागरिकता की जांच पड़ताल की ताकि विदेशियों को पहचान कर उन्हें वापस उनके देश पहुंचाया जा सके
- नक्सलवादी का मुद्दा – भारत में कुछ राज्य ऐसे थे जहां पर नक्सलवाद को लेकर भारतीय नागरिक बेहद परेशान थे जिनमें से एक छत्तीसगढ़ में हुआ एक बहुत बड़ा धमाका था जो नक्सलवादियों द्वारा अंजाम दिया गया था जिसके बाद अमित शाह ने नक्सलवादियों का उन्मूलन करके भारत से उन्हें खदेड़ कर रख दिया। उन्होंने नक्सलवादियों को यही संदेश दिया कि यदि वे देश में रहना चाहते हैं और सरकार से बचना चाहते हैं तो वे अपने हथियार छोड़कर आत्मसमर्पण भी कर सकते हैं ताकि हम उन्हें कुछ भी नहीं कहेंगे और उन्हें देश का नागरिक बना कर रखेंगे उन्होंने ऐसी रणनीति बनाई जिस पर अमल करना नक्सलवादियों के लिए महत्वपूर्ण हो गया।
अमित शाह से जुड़े विवाद (Amit Shah Controversies in hindi) –
अमित शाह का राजनीति सफर इतना आसान नहीं रहा है और इनका नाम कई बार विवादों में घिरा रहा है. वहीं नीचे हमने आपको इनके साथ जुड़े कुछ विवादों के बार में जानकारी दी है.
- फर्जी एनकाउंटर का आरोप (Fake Encounter Case)– साल 2005 में गुजरात में हुए एक एनकाउंटर में तीन लोगों को आतंकवादी बताते हुए मार दिया गया था. लेकिन कहा जाता है कि इस एनकाउंटर के पीछे शाह का हाथ था. इस एनकाउंटर की जांच कर रही सीबीआई ने इसे एक नकली एनकाउंटर बताया था. वहीं शाह पर आरोप लगे थे कि उन्होंने पैसे लेकर ये एनकाउंटर करवाया था.
- गुजरात में प्रवेश करने पर लगी रोक (Amit Shah’s Exile)– शाह को साल 2010 में पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था और इन पर हत्या और वसूली के आरोप लगाया गए थे. इतना ही नहीं कोर्ट ने इनको इनके राज्य से बाहर निकाल दिया था और राज्य में प्रवेश करने पर रोक लगा दी थी. हालांकि ये रोक साल 2012 में इनके ऊपर से हटाई गई थी.
- गुजरात दंगों के सबूत साफ करने का आरोप (Amit Shah’s Role In Gujarat riot) – वर्ष 2002 में गुजरात में हुए दंगों को लेकर भी शाह विवादों में घिरे रहे थे. शाह पर आरोप लगाए गए थे कि इन्होंने इस दंगे से जुड़े सबूतों की मिटाने की की कोशिश की थी. शाह पर ये भी आरोप लगा था कि इन्होंने इस केस के गवाहों को उनका बयान बदलने पर मजबूर किया था.
- महिला की जासूसी करने का आरोप – साल 2009 में शाह पर एक बार फिर विवादों में आ गए थे, जब इनपर एक महिला की जासूसी करने का आरोप लगा था. कहा जाता है कि शाह ने गैर कानूनी तरीके से और अपनी ताकत के दम पर एक महिला की जासूसी करवा रहे थे. हालांकि शाह ने इन सभी आरोपों को गलत बताया था.
अमित शाह से जुड़ी अन्य बातें-
- शाह को मिलती है जेड प्लस सुरक्षा (Amit Shah Gets Z+ Category Security) – अमित शाह का नाम उन राजनेताओं में आता हैं जिन्हें सरकार द्वार जेड प्लस सुरक्षा दी जाती है. शाह के साथ हर वक्त 25 कमांडो रहते हैं जो कि उनकी सुरक्षा करते हैं.
- साल 1982 में मिले थे मोदी से – अमित शाह और मोदी एक ही पार्टी के लिए कार्य करते हैं और ये दोनों एक दूसरे के काफी अच्छे दोस्त भी हैं. कहा जाता है कि साल 1982 में इन दोनों की पहली मुलाकात हुई थी, ये दोनों अहमदाबाद में आरएसएस के आयोजित हुए एक कार्यक्रम में आए थे. वहीं उस समय हुई इनकी ये छोटी से मुलाकात जल्द ही दोस्ती में बदल गई थी.
- स्टॉक ब्रोकर के तौर पर भी किया है कार्य – शाह आज भले ही राजनीति में एक जाना मान चेहरे बन गए हों, लेकिन उन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में बतौर एक स्टॉक ब्रोकर भी कार्य किया था. इतना ही नहीं कहा जाता है कि शाह ने एक सहकारी बैंक में भी कुछ समय तक अपनी सेवाएं दी थी.
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