सनातन संस्था (Sanatan Sanstha) सन 1990 मे स्थापित एक ट्रस्ट है । इस संस्था को जयंत बालाजी आठवले द्वारा स्थापित किया गया था। इस संस्था का मुख्य उद्देश्य अध्यात्म का अध्यन विज्ञान के रूप मे करना है। ये संस्था तथा इससे जुड़े लोग spirituality को वैज्ञानिक भाषा मे बताकर इसके प्रति लोगो मे उत्सुकता पैदा करना चाहते है। इस सनातन संस्था की कई शाखाये भारत तथा विदेशो मे भी है।
आठवले ने अपनी वैज्ञानिक approach का उपयोग आध्यात्मिक क्षेत्र मे किया तथा इसे हर व्यक्ति तक पहुचाया । इसके लिए उन्होने सन 2002 के बाद हिन्दी, मराठी, अग्रेजी, और अन्य भाषाओ मे आध्यात्मिक पुस्तकों की 1.6 लाख प्रतिया प्रकाशित की ।
सनातन संस्था के संस्थापक जयंत बालाजी आठवले का जीवन और संस्था से जुडी घटनाये
Sanatan Sanstha Jayant Balaji Athavale ka itihas issue in hindi
जयंत बालाजी आठवले (Jayant Balaji Athavale) का प्रॉफ़ेशन hypnotherapist था तथा वे मुंबई के रहने वाले थे। उन्होने सन 1971 से 1978 के बीच भारत तथा विदेश मे अपनी प्रैक्टिस की| फिर 20 साल के अपने hypnotherapist के रूप मे कैरियर के बाद उन्होने पाया कि, उनके करीब 30% रोगी समान्य उपचार के बाद ठीक नहीं होते हैं| इसके विपरीत तीर्थ यात्रा वगेरह पर जाने से या किसी संत की सलाह लेने से वे रोगी ठीक हो गए। हालाकि उस समय तक आठवले की भगवान मे आस्था नहीं थी, परंतु इस तरह की घटनाओ ने उन्हें इस क्षेत्र मे अध्यन के लिए प्रेरित किया।
उन्होने इस संबंध मे पूरे भारत के कई धार्मिक संस्थानो और सेंटो का दौरा किया और उन्होने उनसे अध्यात्म के साथ साथ वैज्ञानिक सवाल किए और उनके जवाबो को रेकॉर्ड किया । और इन सब के बाद आठवले इस निष्कर्ष पर पहुचे, कि साइन्स ऑफ स्पिरिटुयलिटी (science of spirituality or अध्यात्म का विज्ञान) किसी भी फ़िज़िकल (physical) और साइकोलोजिकल (psychological ) साइन्स से ज्यादा उपयोगी है। और उन्होने इसके लिए भक्तराज महाराज के सनीध्य मे शिक्षा ली।
सन 1988 मे उन्होने इस विषय मे मुंबई मे फ्री वर्क शॉप लेना प्रारम्भ कर दिया। सन 1990 मे उन्होने अपने गुरु भक्तराज महाराज के आशीर्वाद से सनातन भारतीय संस्कृति संस्था की स्थापना की| जिसके द्वारा उन्होने अध्यात्म का ज्ञान देना शुरू किया । इस संस्था की ख्याति बढ़ती ही चली गयी और 24 मार्च 1999 को उन्होने इसे सनातन संस्था के नाम से परिचित किया।
कई वर्षो बाद यह संस्था फिर से बहुत अधिक चर्चा मे आई, परंतु चर्चा के कारण इसके द्वारा किए गए अच्छे काम नहीं, बल्कि इनके द्वारा किए गए गैरकानूनी काम थे।
सनातन संस्था के जुड़े समस्त तथ्य (Sanatan Sanstha issue)
- सन 2008 मे इस संस्था से जुड़े 6 लोगो को मुंबई मे ठाणे वाशी ऑडिटोरियम के बाहर बॉम्ब प्लांट करने के जुर्म मे गिरफ्तार किया गया था। सन 2011 मे 2 लोगो को इस आरोप मे दोषी पाया गया और 10 साल की सजा सुनाई गयी।
- सन 2009 के गोवा ब्लास्ट मामले मे भी इस संस्था का नाम आया था, परंतु 2013 मे अदालत ने इसके सभी 6 सदस्यो को बरी कर दिया।
- इस संस्था के विरोध मे बॉम्बे हाइ कोर्ट मे एक याचिका भी दर्ज की गयी थी, उन्होने कहा था कि यह संस्था ericksonian hypnosis या सम्मोहन का उपयोग आम जनता पर करती है, जो की गलत है।
- हाल ही मे सनातन संस्था पर यह आरोप भी लगे हैं, कि इन्होने प्रीति और प्रिय नामक 2 लड़कियो को hypnosis (सम्मोहन) का उपयोग कर के जबर जसती अपने आश्रम मे रख रखा है, परंतु फिर उन लड़कियो ने सामने आकर यह कहा कि यह आरोप गलत है। उन्होने कहा 3 वर्ष पूर्व हम इस संस्था के आश्रम मे आए थे| परंतु हमारे घर वालो ने हमे घर आने पर विवश किया, उस समय संस्था ने हमें बिना किसी बल का प्रयोग किए हमारे घर जाने दिया था। परंतु हमारे घर वालो ने हमे घर ले जाकर हम पर अत्याचार किए, धमकियाँ दी और मेरा विवाह जबरजसती तय कर दिया। फिर हम मुंबई मे रहने लगे और जीवन सुरक्षा की दृष्टि से मुंबई न्यायालय मे याचिका दर्ज की| परंतु हम इस आश्रम मे रहना चाहते है। और यहा रहकर साधना करना चाहते है।
- अब फिर से कुछ दिनो पहले इस संस्था के सदस्य समीर गायकवाढ को गोविंद पंसारे की हत्या के आरोप मे गिरफ्तार किया गया है। इस आरोप के चलते कई संगठन चाहते है कि इस संस्था पर बेन लग जाए| परंतु वही शिवसेना इस संस्था का सपोर्ट कर रही है।
समीर गायकवाढ को सांगली मे गिरफ्तार करने के बाद उसे सात दिनो की पुलिस हिरासत मे भेजा गया था । बुधवार को उसे कोर्ट मे पेश किया गया तथा वहा उसकी हिरासत और बड़ा दी गयी। उसके घर से 31 मोबाइल सिम कार्ड बरामद किए गए। उसकी गर्ल फ्रेंड से उसकी बातचीत रिकॉर्ड करने पर गोविन्द पंसारे की हत्या का खुलासा हुआ था । गोविंद पंसारे सीपीआई के नेता थे, उनकी हत्या फरवरी 2015 मे हुई थी।
गोविंद पंसारे की हत्या के बाद कहा जा रहा है, कि अब जिस भी संगठन का हाथ इस हत्या के पीछे है, उसके अगले निशाने पर एक मराठी पत्रकार भी थे। क्योकि गोविंद पंसारे हत्या कांड के आरोपी समीर को फोन पर यह कहते सुना गया है, कि अब अगला नंबर पत्रकार वागले का है। तथा एक इंटरव्यू ने इस बात की पुष्टि भी की है। महाराष्ट्र पुलिस ने उन्हे सुरक्षा देने का प्रस्ताव भी दिया था, परंतु उन्होने इंकार कर दिया। इन सब कारण उस इंटरव्यू को माना जा रहा है, जिसे वाग्ले ने अंधविश्वास उन्मूलन के लिए किया था| और इसमे सनातन संस्था का एक सदस्य गुस्से मे कार्यक्र्म छोड़ कर चला गया था। उसके बाद से वाग्ले को इस संस्था से dhamkiya मिलना शुरू हो गयी थी।
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