वेब 3.0 क्या है, निबंध (Web 3.0 Crypto Coins in Hindi)

वेब 3.0 क्या है, निबंध, क्रिप्टो सिक्के, परिभाषा (Web 3.0 Crypto Coins in Hindi, Essay, Meaning, List, Definition)

आज के समय में हमारा सबसे ज्यादा काम इंटरनेट से होता है। खासकर लॉकडाउन के बाद क्योंकि इसके बाद सारा काम वर्क फॉर्म होम हो गया है। ऐसे में इंटरनेट का इस्तेमाल अधिक हो रहा है। लेकिन अब इंटरनेट सिर्फ साधारण इंटरनेट नहीं रहा, बल्कि वो काफी हाईटेक हो गया है। लेकिन आगे सब सही रहा तो एक समय ऐसा आएगा जब आप इंटरनेट सुविधा में कुछ अलग एक्सपीरियंस करेंगे। जिसके बारे में शायद आपने कभी सोचा होगा। आज हम बात कर रहे हैं वेब 3.0 की। वेब 3.0 आजकल लोगों के बीच काफी सुर्खियां बटोर रहा है। ऐसे में इसके बारे में जानकारी लेना अब बेहद जरूरी हो गया है। लेकिन इससे पहले हम बात करें वेब 1.0 और वेब 2.0 के बारे में।

वेब 3.0 क्या है (What is Web 3.0)

वेब 3.0 जिसको डिसेंट्रालइज वेब कहते हैं। इस वर्जन का विकास 2010 में किया गया है। ऐसा कहा जा रहा है कि, ये वेब 2.0 से कई कदम आगे है। क्योंकि यहां सबकुछ ओपन रहेगा। लेकिन सिक्योर भी उतना ही रहेगा। वेब 3.0 में जो भी डाटा आप सेव करेंगे या शेयर करेंगे वो आपके साथ-साथ कई कंप्यूटर में सेव होगा। जिसके कारण अगर कोई आपके डाटा को चुराने के बारे में सोचेगा तो वो कभी भी आपकी पूरी जानकारी हैक नहीं कर पाएगा। इसके बारे में जानने से पहले इसके इतिहास के बारे में जान लेते हैं.

वेब 3.0 का इतिहास (Web 3.0 History)

वेब 3.0 के आने से पहले वेब 1.0 और उसके बाद वेब 2.0 आया था. यहाँ हम आपको इन दोनों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं –

दुनिया में कब आया था वेब 1.0

इंटरनेट की दुनिया की बड़ी सफलता के तौर पर वेब 1.0 को जाना जाता है। जिसका मतलब होता है नॉर्मल स्टेटिक वेबसाइट यानि इसके इस्तेमाल आप सिर्फ ब्राउज के लिए कर पाते थे। चाहे वो कोई वेबसाइट हो या फिर जरूरी जानकारी इसके अलावा आपको कुछ भी करने की कोई अनुमति नहीं थी। इसका अविष्कार 1980 के दशक में हुआ। उस समय ये काफी चला लेकिन एक समय आने पर ये लोगों को खास पसंद नहीं आया। इसकी एक दिक्कत ये थी कि, इसके जरिए आप किसी से कनेक्ट नहीं कर सकते थे। बस उनकी लिखी जानकारी ही पढ़ सकते थे। जिसके कारण ये लोगों को खास पसंद नहीं आया। इसलिए ये ज्यादा समय तक नहीं चल पाया।

वेब 2.0 क्या है

वेब 1.0 के बाद दुनियाभर में प्रसिद्ध हुआ वेब 2.0 इसका मतलब है डायनेमिक एंड इंटररेक्टिव वेबसाइट। इसके आने बाद यूजर्स ने वेबसाइट को ब्राउज करना भी शुरू किया लोगों से कनेक्ट भी हुए और उनकी लिखी चीजों पर कमेंट करना भी शुरू किया। इसकी खास बात ये थी कि, इसपर जाकर आप कोई भी गेम आसानी से खेल सकते हैं। आज के समय में वेब का यही वर्जन चल रहा है, गूगल भी वेब 2.0 पर ही है। इसका आविष्कार सन 2000 में हुआ था। जिसको डार्सी डिनुसी लाए थे।

वेब 2.0 से कौन से काम हुए आसान

आज के समय में कई लोग ऐसे हैं जिन्हें ये नहीं पता कि, वेब 2.0 क्या होता है। क्या हम भी इसका इस्तेमाल करते हैं। चलिए इन सभी सवालों के जवाब आज हम देते हैं। दरअसल अभी आप जिसपर काम करते हैं वो वेब 2.0 ही है। इसके जरिए आप अपनी बातों को इंटरनेट के जरिए लोगों तक पहुंचाते हैं, वो लोग इस पर अपने कमेंट देते हैं, उसे आगे शेयर करते हैं। आपको ये जानकरा हैरानी होगी की सोशल मीडिया का सारा काम भी इसी के जरिए किया जाता है। क्योंकि इसने ही सोशल मीडिया को विकसित किया है। जैसे फेसबुक, ट्विटर या लिंकडइन इसपर आप आसानी से अकाउंट इसी की मदद से बना पाते हैं।

इसकी खास बात ये है कि, आजकल आप अपने मोबाइल या लैपटॉप में कुछ भी ब्राउज करते हैं तो आपको लॉगिन का ऑप्शन दिखाई देता है। ताकि आने वाले समय में अगर आपको कोई जानकारी जाननी हो तो वो आपको आसानी से मिल जाए। जैसे- ई-कॉमर्स पर आप कोई प्रोड्क्ट ढ़ूंढ़ रहे हैं उसके लिए सबसे पहले आप लॉगिन करेंगे। उसके बाद अगर आप उसे सेव करके वापस आते हैं और कुछ दिनों बाद ढ़ूंढ़ते हैं तो आसानी से वो आपको मिल जाएगा। इतना समझ लीजिए की आजकल सोशल साइट जुड़े जो भी काम हो रहे हैं वो वेब 2.0 के कारण हो रहे हैं। क्योंकि इसका इस्तेमाल करना भी आसान है और लोगों के लिए ये काफी सहायक भी है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसका इस्तेमाल आप कहीं भी कर सकते हैं।

वेब 3.0 की विशेषताएं (Web 3.0 Features)

इसके लिए कोई भी फीचर अभी डिजाइन नहीं किए गए हैं। लेकिन एक बात सामने आई है कि, इसे ब्लॉकचेन टेक्नोलिजी पावर देगी। जिसका इस्तेमाल क्रिप्टोकरेंसी के लिए किया जाता है। ब्लॉकचेन टेक्नोलिजी में कोई भी डाटा किसी एक कंप्यूटर या सर्वर में सेव नहीं रहता। बल्कि दुनियाभर के कंप्यूटर में सेव रहता है। इसलिए इसे हैक कर पाना इतना आसान नहीं होता है। इसकी खास बात ये है कि, 3.0 के बाद इंटरनेट ओपन हो जाएगा। जिसके कारण वो सबसे ज्यादा सिक्योर हो जाएगा। यानी कोई हैकर अगर इसे हैक करने के बारे में सोच रहा होगा तो वो उसके लिए इतना आसान नहीं होगा।

वेब 3.0 के फायदे (Web 3.0 Benefit)

सर्वरलेस होस्टिंग

वेब 3.0 में डाटा किसी एक सरवर पर सेव नहीं होता। बल्कि ये अलग-अलग जगह सेव होता है। जिसके कारण आपको होस्टिंग की जरूरत नहीं पड़ती।

प्राइवेसी

इसमें आपको एक प्राइवेसी मिल जाती है कि, अगर आपने अपना डाटा किसी जगह पर सेव किया है और आप उसे दोबारा किसी और कंप्यूटर में देखना चाहते हैं तो आप इसे कहीं से भी ओपन कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको कुछ खास चीजें उसमें एड करनी होगी। अगर आप उन्हें एड नहीं करेंगे तो आप भी उसे ओपन नहीं कर पाएंगे।

डाटा रहेगा सेनेमेटिक

जैसे की 2.0 में डाटा वर्ड या फिर कीवर्ड में सेव होता है। लेकिन यहां डाटा सीमेंटिक में सेव होगा।

वेब 3.0 क्रिप्टोकरेंसी के नाम (Web 3.0 Cryptocurrency List)

पोलकाडॉट

अगर आप क्रिप्टो में रूचि रखते हैं तो आपने कभी ना कभी तो पोलकाडॉट का नाम सुना ही होगा। जिसे डॉट भी कहते हैं। ये क्रिप्टो करेंसी के टॉप-10 में शामिल होती है। ये एक ब्लॉकचैन है जिसपर हर दिन टोकन बनाए जाते हैं। इसलिए वेब 3.0 के प्रोजेक्ट काम में आ रहे हैं।

बिट्टोरेंट

इसमें दूसरा नाम आता है बिट्टोरेंट कॉइन का आता है। आपने कई बार टोरेंट का नाम तो सुना ही होगा। जहां पर जाकर आप लोग गेम्स, सॉफ्टवेयर्स, मूवीज डाउनलोड करते थे। उसी से प्रभावित है बिट्टोरेंट करेंसी। इसमें फाइल शेयर की जाती है। इसलिए इसका इस्तेमाल सबसे ज्यादा हो रहा है।

इंटरनेट कंप्यूटर

वेब 3.0 की बात हो और आईसीपी का नाम ना आए ऐसा तो हो ही नहीं सकता। ये क्रिप्टो की दुनिया का सबसे ज्यादा फेमस करेंसी में से एक है। हालांकि जिस समय ये लॉन्च किया गया उस समय इसकी कीमत काफी ज्यादा थी। लेकिन उसके बाद इसकी कीमत में काफी गिरावट देखी गई। इसका मुख्य कारण है आईसीपी का प्रोजेक्ट जो करीबन 20 साल तक चलने वाला है।

थीटा

वेब 3.0 थीटा कॉइन को वीडियो स्ट्रीमिंग के एक प्रोजेक्ट में इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है। इस बात को आप सभी अच्छे से जानते हैं कि, यूट्यूब या फिर ट्विट का लाइव स्ट्रीमिंग आपने देखा होगा। जिसका कंट्रोल सिर्फ उनके पास है। लेकिन अब थीटा के आने के बाद प्रयास किए जा रहे हैं कि, ये सारा कंट्रोल इसके पास आ जाए।

फाइल कॉइन

इसमें अब नाम आता है फाइल कॉइन का जिसके जरिए फाइल ट्रांसफर करना, डाटा के लिए यूज किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब एक फाइल किसी और सिस्टम में ट्रांसफर होगी तो उसका एक ब्लॉकचैन रिकॉर्ड रखा जाएगा। जिसके रिवॉर्ड के रूप में आप फाइल कॉइन को इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आपका टाइम भी कम लगेगा और फाइल सेफ भी रहेगी।

वेब 3.0 कब आने वाला है (When is Web 3.0 Coming)

आपको बता दें कि, वेब 3.0 साल 2010 आ चुका है। जिसके लिए आपको टीएलडी डोमेन खरीदना होगा। इस तरह के डोमेन का रजिस्ट्रेशन नहीं होता। बल्कि इसका रिकॉर्ड ब्लॉकचेन में होता है। जिसके बारे में कई लोग नहीं जानते हैं इसलिए इस्तेमाल भी नहीं करते हैं। लेकिन अगर आप चाहे तो इसको सीखकर इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आपको काफी आसानी हो जाएगी। क्योंकि इसमें अबतक जो आपने इस्तेमाल किया है उन सबके साथ कुछ नया ट्राय कर सकते हैं।

वेब 3.0 का इस्तेमाल कैसे करें (How to Use Web 3.0)

इस बात को तो आप जान ही गए होगे कि, वेब 3.0 के आने के बाद आपकी लाइफ बिल्कुल चेंज हो जाएगी। ऐसा तब होगा जब आप अपना कंटेंट इंटरनेट पर डालेंगे। क्योंकि इसके बाद आपका कंटेंट कोई भी डिलीट नही कर पाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि उसके लिए उसे आपका अधिकार चाहिए होगा। वरना वो आपके कंटेंट से जुड़ी कोई भी चीज नहीं कर पाएंगे। इसमें गूगल, फेसबुक, ट्विटर आदि शामिल हैं। इस तरह से ये काम करेगा।

निष्कर्ष

आपको बात दें आने वाले समय में क्रिप्टोकरेंसी बहुत अधिक प्रचलित होने वाली है. क्योकि अब भारत सरकार द्वारा भी डिजिटल करेंसी को हरी झंडी दे दी गई है. भारत में विभिन्न तरह की क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग किया जा रहा है. उनमे से एक वेब 3.0 है. देखना यह होगा कि यह डिजिटल करेंसी लोगों में कितनी प्रचलित होती है.

FAQ

Q- वेब 3.0 को किस नाम से जाना जाता है?

Ans- इसे डिजिटलाइज के नाम से भी जाना जाता है।

Q- वेब 3.0 के आने के बाद लाइफ में क्या आएगा बदलाव?

Ans- इसके आने के बाद आप सिक्योर फील करने लगेंगे।

Q- वेब 3.0 कब आया?

Ans- वेब 3.0 साल 2010 में आया।

Q- क्या गूगल 3.0 इस्तेमाल करता है?

Ans- अभी नहीं क्योंकि गूगल आज भी वेब 2.0 इस्तेमाल करता है।

Q- वेब 3.0 से क्या आप डाटा डिलीट कर सकते हैं?

Ans- जी नहीं, ऐसा इसलिए क्योंकि इसका डाटा अलग-अलग कंप्यूटर में सेव होता है।

अन्य पढ़ें –

Leave a Comment