Metaverse Kya Hai in Hindi (मेटावर्स (मेटैवर्स) क्या है), Meaning, Internet, Crypto Coins, Price, Kaise Kaam karta Hai, Technology, Example, Benefit, Side Effects (अर्थ, फेसबुक, तकनीक, टेक्नोलॉजी, इंटरनेट, क्रिप्टो, लाभ, नुकसान)
सोशल मीडिया की दुनिया में फेसबुक एक प्रसिद्ध द सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है। यह सोशल मीडिया यूज करने वाले लगभग सभी लोगों के जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुका है। यूजर्स घर बैठे किसी भी कोने से अपने मित्रों, रिश्तेदारों और परिवार से इस प्लेटफार्म के माध्यम से जुड़ गए हैं मानो कि वे दूर ही ना हो। इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को लोग पैसा कमाने के लिए भी इस्तेमाल कर रहे हैं। तो हम इससे यह अनुमान लगा ही सकते हैं कि फेसबुक ने हमारे जीवन में एक अलग ही जगह बना ली है। मगर फेसबुक को बनाने वाले मार्क जुकरबर्ग ने इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के नाम को बदलने का फैसला लिया है। फेसबुक का नया नाम मेटा रखा जा रहा है। जोकि मेटावर्स शब्द से लिया गया है. ये मेटावर्स क्या है और फेसबुक के अपना नाम क्यों बदला और क्या होंगी इसकी विशेषताएं, इस विषय पर हम चर्चा इस आर्टिकल के माध्यम से कर रहे हैं। तो आइये जानते हैं क्या है मेटावर्स.
Table of Contents
मेटावर्स क्या है (Metaverse Kya Hai)
नाम | मेटावर्स |
कॉन्सेप्ट किसके द्वारा | फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग |
टेक्नोलॉजी | वर्चुअल रियलिटी और ऑगमेंटेड रियलिटी |
दुनिया | वर्चुअल 3D दुनिया |
मेटा शब्द | ग्रीक शब्द |
मेटावर्स मार्क जुकरबर्ग द्वारा बनाया गया एक ऐसा विकसित प्लेटफॉर्म होगा जो सोशल प्लेटफार्म को एक अलग ही एडवांस्ड लेवल से इस्तेमाल करने का अवसर देगा जिसकी मदद से आप वह सब कुछ कर सकते हैं जैसी आपने कल्पना की हो। इस प्लेटफार्म से आपको असली और वर्चुअल दुनिया में बहुत ही कम फर्क महसूस होगा। मेटावर्स एक एडवांस्ड प्लेटफार्म होगा जिसकी मदद से आप ऐसा वर्चुअल एनवायरनमेंट बना पाएंगे मानो आप अपने लोगों के साथ ही जगह पर बैठे हों। मेटावर्स आपकी कल्पना से जुड़ी सभी चीजों को अंजाम देगा जैसे फ्रेंड्स और फैमिली के साथ गेट टुगेदर, गेम्स खेलना, बिजनेस से जुड़े काम, शॉपिंग करना या कुछ सीखना।
मेटावर्स का इतिहास (Metaverse History)
मेटावर्स शब्द का पहली बार इस्तेमाल किया गया था सन 1992 में। इस शब्द का इस्तेमाल एक साइंस फिक्शन किताब ‘स्नो क्रैश’ में किया गया था। यह किताब ‘Neal Stephenson’ ने लिखी थी। इस नोवल में उन्होंने लिखा था कि कैसे बाहर की असली दुनिया पूरी खत्म हो चुकी है और लोग अब अपने घरों में, बिल्डिंगों में रहते हैं और एक वर्चुअल दुनिया में जीते हैं। इसी दुनिया को उन्होंने का नाम दिया मेटावर्स का। साल 2003 में मेटावर्स की एक गेम भी आई थी जिसका नाम था ‘सेकंड लाइफ’ (Second Life)। यह गेम कंप्यूटर में खेला जाता था जिसमें लोग अपने एक दूसरे की दुनिया बनाते थे उसमें एक दूसरे से इंटरेक्शन करते थे। गेम में चीजें खरीदना, प्रॉपर्टी खरीदना यह सारी चीजें भी इस गेम का हिस्सा था और यहां सब कुछ एक वर्चुअल दुनिया की तरह था। इसी किताब में पहली बार वर्चुअल ‘Avtaar’ शब्द का भी इस्तेमाल किया गया था।
क्या फेसबुक का नाम बदल गया है (Has the Name of Facebook Changed)
अब तक फेसबुक का नाम बदला नहीं गया है लेकिन इस पर मार्क जुकरबर्ग अपनी टीम के साथ जोर शोर से कार्य कर रहे हैं। फेसबुक का नाम मेटा रखा जाना है जोकि मेटावर्स शब्द से लिया गया है. ऐसा मार्क जुकरबर्ग ने सभी यूजर्स को बताया है। इसे बनने में अभी कुछ साल लग सकते हैं इसलिए फेसबुक का नाम कब बदला जाएगा, इसके बारे में कोई भी जानकारी ऑफिशियल नहीं है।
मेटावर्स शब्द कहां से आया (Metaverse Word)
नील स्टीफनसन जो एक साइंस फिक्शन उपन्यासकार हैं, उन्होंने अपने नोवेल “स्नो क्रैश” में मेटावर्स दर्शाया था। इस नोवेल में उन्होंने यह दर्शाया था कि कैसे लोग अपने 3D अवतार के माध्यम से एक दूसरे से संपर्क करते हैं। “स्नो क्रैश” के मेटावर्स में दर्शाया गया है था कि लोग कैसे काल्पनिक 3D जीवन जी रहे होते हैं।
मेटावर्स कैसे बनता है (How is the Metaverse Formed)
ऐसी कई अलग-अलग टेक्नोलॉजीज और तकनीकीयां या है जो मेटावर्स को बना रही है। इनमें से एक है ‘वर्चुअल रियलिटी’ (Virtual Reality) और दूसरी है ‘ऑगमेंटेड रियलिटी'(Augmented reality)। वर्चुअल रियलिटी जिसमें एक हेडफोन पहनकर आप एक वर्चुअल दुनिया को देख सकते हैं ऐसा कुछ देखने को मिल सकता है। ऑगमेंटेड रियलिटी की बात करें तो इससे ऐसा किया जा सकता है जैसे आप किसी भी चीज को वर्चुअल दुनिया में देख रहे हैं तो वह ऐसी लगेगी जैसे आपकी खुद की असली दुनिया ही हो लेकिन उसमें कुछ चीजें जोड़ी जाएंगी जिससे वह आपको एक अनोखा ही इमैजिनेशन और एक्सपीरियंस देगी।
मेटावर्स कब तक संभव होगा (When will the Metaverse Come Out)
मेटावर्स कब तक हकीकत में आएगा, इस बात का अब तक सिर्फ अनुमान लगाया जा रहा है। यानी कि यह कब तक तैयार कर दिया जाएगा इस्पात कि अभी तक कोई भी जानकारी मार्क जुकरबर्ग द्वारा नहीं दी गई है। बस इस बात पर अंदाजा लगाया जा रहा है कि इसे बनने में अभी कुछ साल लग सकते हैं और इसका तुरंत बन पाना संभव नहीं है। हमें इस एडवांस्ड प्लेटफार्म के आने का कुछ साल इंतजार करना पड़ेगा।
मेटावर्स कैसा दिखेगा (Metaverse Look)
मेटावर्स एक 3D टेक्नोलॉजी जैसा प्लेटफार्म होगा जिसमें आप अपना एक अवतार बना सकते हैैं जो बिल्कुल आपके जैसा ही प्रतीत होगा और इस अवतार की मदद से आप दूसरे लोगों के अवतार से वर्चुअली कनेक्ट कर पाएंगे। मेटावर्स ऐसा दिखेगा मानो यह सोशल प्लेटफॉर्म नहीं बल्कि एक असली दुनिया है जिसमें हम लोगों से एक दूसरे से मिलते जुलते हैं और विभिन्न गतिविधियों को अंजाम देते हैं। इसका रूप वर्चुअल होगा लेकिन यह ऐसा प्रतीत होगा मानो असली हो जैसे हम अपने लोगों के साथ उस जगह पर साथ बैठे हों।
मेटावर्स कैसे काम करेगा (How it will Work)
मार्क जुकरबर्ग का कहना है कि मेटावर्स मैं भी सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन होगी लेकिन वह हमारे नॉर्मल एप्स से काफी अलग होगी। ऐसा माना जा रहा है कि इसमें अवतार को क्रिएट करने की सुविधा होगी जो कि एक 3D टेक्नोलॉजी के रूप में काम करेगा और इसकी मदद से आप एक दूसरे से वर्चुअली जुड़ पाएंगे।
मेटावर्स लाभ/विशेषताएं (Metaverse Features / Benefit)
- मेटावर्स की मदद से आप अपने लोगों से वर्चुअली जुड़ पाएंगे।
- इसकी मदद से आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ गेट टूगेदर करने की कल्पना भी कर सकते हैं।
- मेटावर्स आपको शॉपिंग और बिजनेस करने की सुविधा और प्लेटफार्म भी प्रदान करेगी।
- इस प्लेटफार्म से आप अपना खुद का एक वर्चुअल अवतार बना पाएंगे जो कि एक 3D टेक्नोलॉजी की तरह काम करेगा।
- मेटावर्स की मदद से आप घर बैठे मीटिंग्स, गेम खेलना, चीजें सीखना इत्यादि सभी चीजों को संभव होता देख सकते हैं।
- इसकी मदद से आपको रियल और वर्चुअल वर्ल्ड में बहुत ही कम फर्क नजर आता दिखेगा।
- यह अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और आपसे कई पर होगा जो कि एक एडवांस्ड टेक्नोलॉजी की ओर हमारे जीवन को ले जाएगा।
मेटावर्स के कुछ उदाहरण (Metaverse Example)
मेटावर्स को आप इस तरह समझ सकते हैं जैसे कि आपने एक हेड फोन लगाया या फिर किसी मशीन पर बैठे और एक ऐसी दुनिया में चले गए जहां आपको सब कुछ असल जिंदगी की तरह प्रतीत होता दिखेगा। इससे आपको ऐसा महसूस होगा जैसे कि आप सब कुछ असली में महसूस कर रहे हैं जैसा आप अपनी जैसा आप चीजों को लेकर असल जिंदगी में करते हैं। फिर चाहे वह दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ गेट टुगेदर हो, गेम्स खेलना हो, कुछ सीखना हो या अन्य कोई भी कार्य।
मेटावर्स से लाइफ में क्या बदलाव आएंगे (Changes in Life)
मेटावर्स के आ जाने से लोगों को जीवन में रियल और वर्चुअल के भेद का बदलाव महसूस होगा। इसके आने से लोग जिस भी चीज की कल्पना करेंगे वह वैसा ही महसूस करने के लिए मेटावर्स का इस्तेमाल कर सकेंगे। फिर चाहे वह शॉपिंग करना हो, गेट टुगेदर हो या किसी दोस्त से मिलना हो। यह किसी अन्य नॉर्मल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या लाइव वीडियो की तरह नहीं होगा अपितु इसका उपचार बहुत से डिजिटल उपकरणों के माध्यम से अलग तरीके से किया जाएगा। मानो आप उसी दुनिया में फिलहाल मौजूद हों।
मेटावर्स नुकसान (Metaverse Side Effects)
- मेटावर्स कॉफी कंपलेक्स कॉन्सेप्ट् लगता है क्योंकि यह हर चीज को एक 3डी के नजरिए से सोचने जैसा ही बना देगी। कहने का तात्पर्य है कि जो भी काम हम सिंपल तरीके से करते हैं जैसे कि टीवी देखना एक दूसरे से बातें करना वीडियो कॉल करना यह उन सबको 3D जैसा प्रतीत करवाएगी। इसलिए यदि यह कांसेप्ट लोगों के सिंपल कामों को भी हर वक्त एक हेडफोन और चश्मा लगाकर देखने की ओर ले जाएगी, तो हो सकता है यह एक हेडेक जैसा लगे क्योंकि लोग हर वक्त या अपने ज्यादातर कामों के लिए हेडफोन और 3D ग्लासेज लगाकर नहीं रह सकते।
- यह लोगों को सच्चाई की दुनिया से दूर ले जा सकती है और 3डी जैसी दुनिया में ही रहने को अडिक्ट कर सकती है।
- लोग सचमुच की चीजों को महसूस करना और खुश रहना कम कर सकते हैं क्योंकि इसमें हर चीज वर्चुअल ही होगा।
निष्कर्ष (Conclusion)
मेटावर्स भले ही लोगों को एक ऐसी दुनिया का अनुभव कर आएगा जो असली दुनिया के जैसी ही दिखेगी। मगर लोग अपने दिन का ज्यादा से ज्यादा समय इस पर लगा सकते हैं जिससे स्क्रीन टाइम भी बढ़ सकती है और निजी जिंदगी में भी इसके कई परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
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FAQ
Ans : नहीं, अब तक इसका नाम नहीं बदला गया है। इसके लिए कुछ साल लग सकते हैं।
Ans : हां।
Ans : हां।
Ans : हां।
Ans : मेटावर्स में हम खुद का एक अवतार बना सकते हैं जिससे हम दूसरों के अवतार से कनेक्ट कर पाएंगे।
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