सोमवती अमावस्या 2024 व्रत महत्व व पूजा विधि, कब है, जन्म, पूजा सामग्री (Somvati Amavasya Vrat katha, Significance in Hindi) (Date and Time, Kab hai)
इसके नाम से ही पता चल रहा है किसाल में जो अमावस्या सोमवार के दिन आती है, वो सोमवती अमावस्या कहलाती है. यह अनोखी तिथि साल में एक ही बार आती है. सोमवार का दिन भगवान् शिव का माना जाता है, इस दिन की अमावस्या का विशेष महत्व होता है. विवाहित स्त्री अपने पति की लम्बी आयु के लिए इस व्रत को पूरी श्रद्धा से रखती है. पितृ दोष व काल सर्प योग वालों के लिए इस पूजा का महत्त्व बहुत होता है.
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सोमवती अमावस्या 2024 कब है (Somvati Amavasya 2024 date)
सोमवती अमावस्या साल के किसी भी महीने में आती है. इस बार ये 8 अप्रैल दिन सोमवार को पड़ेगी. इस दिन उपवास रखा जाता है, व पीपल के पेड़ की पूजा करते है.
सोमवती अमावस्या से जुड़ी कथा (Somvati Amavasya vrat Story or katha )–
एक ब्राह्मण का भरा पूरा परिवार था, उसकी बेटी थी, जिसकी शादी को लेकर वो बहुत चिंतित रहता था. लड़की बहुत सुंदर, सुशील, कामकाज में अव्वल थी, लेकिन फिर भी उसकी शादी का योग नहीं बन रहा था. एक बार उस ब्राह्मण के घर एक साधू महाराज आये, वे उस लड़की की सेवा से प्रसन्न हुए, और उसे दीर्घायु का आशीर्वाद दिया. फिर उसके पिता ने उन्हें बताया, कि इसकी शादी नहीं हो रही है, साधू ने लड़की का हाथ देखकर कहा, कि इसकी कुंडली में शादी का योग ही नहीं है. ब्राह्मण घबरा कर उपाय पूछने लगा. तब साधू ने सोच-विचार कर के उसे बोला, कि दूर गाँव में एक सोना नाम की औरत है, वह धोबिन है, और सच्ची पतिव्रता पत्नी है. अपनी बेटी को उसकी सेवा के लिए उसके पास भेजो, जब वो औरत अपनी मांग का सिंदूर इस पर लगाएगी, तो तुम्हारी बेटी का जीवन भी सवर जायेगा.
ब्राह्मण ने अगली ही सुबह उसे सोना धोबिन के यहाँ भेज दिया. धोबिन अपने बेटा बहु के साथ रहती थी. ब्राह्मण की बेटी सुबह जल्दी जाकर घर के सारे काम कर आती थी. 2-3 दिन ऐसा चलता रहा. धोबिन को लगा कि उसकी बहु इतनी जल्दी काम कर के फिर सो जाती है, उसने उससे पुछा. तब बहु ने कहा कि, मुझे लगा आप ये काम करते हो. धोबिन ने अगली सुबह उठकर छिपकर देखा, कि ये कौन करता है. तब वहां ब्राह्मण की बेटी आई और फिर उसे धोबिन ने पकड़ लिया. धोबिन के पूछने पर उसने अपनी सारी व्यथा सुना दी. धोबिन भी खुश हो गई और उसे अपनी मांग का सिंदूर लगा दिया. ऐसा करते ही धोबिन के पति ने प्राण त्याग दिए. ये सोमवती अमावस्या का दिन था. धोबिन तुरंत दौड़ते-दौड़ते पीपल के पेड़ के पास गई. परिक्रमा करने के लिए उसके कोई समान नहीं था, तो उसने ईंट के टुकड़ों से पीपल की 108 बार परिक्रमा की. ऐसा करते ही धोबिन के पति में जान आ गई. इसके बाद से इस दिन का हर विवाहिता के जीवन में विशेष महत्व है, वे अपने पति की लम्बी आयु के लिए प्राथना करती है.
कुछ समय बाद ब्राह्मण की कन्या का अच्छी जगह विवाह हो जाता है, और वह अपने पति के साथ सुखमय जीवन व्यतीत करने लगती है.
सोमवती अमावस्या का महत्व (Somvati Amavasya vrat Mahatv)–
पीपल के पेड़ की परिक्रमा करने से जीवन में सुख व शांति आती है. पति को दीर्घायु प्राप्त होती है. इस दिन सुबह से ही मौन रहा जाता है, व दान का विशेष महत्व है. इस दिन पूजा करने से पितृ दोष दूर होता है, पूर्वजो को मोक्ष की प्राप्ति होती है. जीवन में आने वाली कठनाईयां दूर हो जाती है.
सोमवती अमावस्या पूजा विधि-विधान (Somvati Amavasya vrat puja vidhi in hindi)–
- सुबह मौन रहकर किसी भी पवित्र नदी में स्नान करें. इससे पितरों को भी शांति मिलती है.
- सूर्य व तुलसी को जल अर्पण करके, गायत्री मन्त्र का उच्चारण करें. तुलसी की 108 बार परिक्रमा करें. शिव की प्रतिमा पर जल चढ़ाएं.
- गाय को दही, चावल खिलाएं.
- हो सके तो पूरा दिन मौन व्रत धारण रखें.
- पीपल के पेड़ के पास जाएँ, वहां पास में ही तुलसी भी रखें. उस पर दूध, दही, रोली, चन्दन, अक्षत, फूल, माला, हल्दी, काला तिल चढ़ाएं.
- पान, हल्दी की गांठ व धान को पान पर रखकर तुलसी को चढ़ाएं.
- पीपल के पेड़ के चारों ओर 108 बार धागा लपेटते हुए, परिक्रमा करें. इस दिन कुछ समान के साथ भी परिक्रमा की जाती है, जैसे बिंदी, टॉफी, चूड़ी, मेहँदी, बिस्किट आदि. आप कुछ भी समान 108 लेकर, 108 बार पीपल की परिक्रमा करें, फिर उस समान को विवाहिता, कन्याओं को बाँट दें.
- घर में रुद्राभिषेक करवाएं.
- पूरी, खीर, आलू की सब्जी बनाकर, पहले पितरों को अर्पण करें, फिर खुद ग्रहण करें.
- कपड़े, अन्न, मिठाई का दान करें.
सोमवती अमावस्या के दिन इस जाप का उच्चारण करें –
इस व्रत से पाप मिटते है, आयु बढ़ती है. सुख-सम्पति बढ़ती है, संतान, पति का सुख मिलता है. परिवार में क्लेश दूर होता है.
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FAQ
Ans : सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या होती है.
Ans : 08 अप्रैल
Ans : पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है, और व्रत भी रखते हैं
Ans : पति की दीर्घायु के लिए
Ans : इसकी जानकारी ऊपर दी हुई है.
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