Sam Pitroda Biography: कौन है सैम पित्रोदा, विवादित बयानों के कारण हैं चर्चा में क्यों, जानिए पूरी कहानी

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सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा, जिन्हें सैम पित्रोदा के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म ओडिशा के टिटलागढ़ में एक गुजराती बढ़ई परिवार में हुआ था। उन्होंने 1964 में अमेरिका से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में अपनी मास्टर्स डिग्री पूरी की। सैम पित्रोदा को भारत में सूचना क्रांति के प्रणेता के रूप में पहचाना जाता है और वे गांधी परिवार के भी करीबी माने जाते हैं।

Sam Pitroda Biography

विवरणजानकारी
पूरा नामसत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा
जन्म तिथि और स्थान4 मई 1942, टिटलागढ़, ओडिशा, भारत
पेशेवर शिक्षा– भौतिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स में स्नातकोत्तर (महाराजा सायाजीराव यूनिवर्सिटी, वडोदरा)<br>- इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर्स (शिकागो इलिनो‌इस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी)
प्रमुख भूमिकाएं– नेशनल नॉलेज कमीशन का अध्यक्ष<br>- नेशनल इनोवेशन काउंसिल का चेयरमैन<br>- राजस्थान की केंद्रीय विश्वविद्यालय का चांसलर
पेशेवर उपलब्धियाँ– भारतीय टेलिकम्युनिकेशन और टेक्नोलॉजी में योगदान<br>- पद्म भूषण से सम्मानित
सामाजिक योगदान– विभिन्न एनजीओ का संचालन और नेतृत्व
पारिवारिक पृष्ठभूमिगुजराती परिवार, ओडिशा में जन्मे, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से संबंधित
राजनीतिक संबंधगांधी परिवार के करीबी, राजीव गांधी के निजी सलाहकार

एक साक्षात्कार के दौरान, सैम पित्रोदा ने भारत की विविधता पर प्रकाश डालते हुए एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत के पूर्वी हिस्से में रहने वाले लोगों की उपस्थिति चीनी लोगों जैसी होती है, जबकि दक्षिणी भारत में रहने वाले अफ्रीकी जैसे दिखते हैं। पश्चिमी भारत के लोगों को उन्होंने अरब जैसा और उत्तर भारतीयों को गोरा बताया। चुनावी सीजन में दिए गए इस विवादित बयान के कारण अब कांग्रेस पार्टी के लिए समस्याएँ खड़ी हो गई हैं। आइए, जानते हैं कि अपने बयानों के चलते कांग्रेस को परेशानी में डालने वाले सैम पित्रोदा आखिर कौन हैं।

सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा, जिन्हें सैम पित्रोदा के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म ओडिशा के टिटलागढ़ में एक गुजराती बढ़ई परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी आरंभिक शिक्षा गुजरात के वल्लभ विद्यानगर से प्राप्त की और बाद में वडोदरा की महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी से फिजिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स में मास्टर्स की डिग्री हासिल की। 1964 में, वे अमेरिका गए और वहां से उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में अपनी मास्टर्स डिग्री पूरी की। 1965 से उन्होंने टेलिकॉम उद्योग में कार्य आरंभ किया। साल 1981 में पित्रोदा ने भारत वापसी की और यहाँ अपने करियर को नई दिशा दी।

सैम पित्रोदा कौन है

सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा, जिन्हें सैम पित्रोदा के नाम से जाना जाता है, का जन्म 4 मई 1942 को ओडिशा के टिटलागढ़ में हुआ था। वे एक गुजराती परिवार से आते हैं और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) जाति से हैं। पित्रोदा सात भाई-बहनों में तीसरे स्थान पर हैं।

सैम पित्रोदा का परिवार एवं शिक्षा

उनके परिवार को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी के विचारों से गहरी प्रेरणा मिली थी। सैम और उनके भाई ने गांधीजी के दर्शन पर विशेष अध्ययन किया। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा विभिन्न स्थानों से प्राप्त की और अंततः वडोदरा की महाराजा सायाजीराव यूनिवर्सिटी से भौतिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने अमेरिका में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की उच्च शिक्षा के लिए प्रस्थान किया और शिकागो, इलिनोइस इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में अपनी पढ़ाई पूरी की।

सैम पित्रोदा भारत में सूचना क्रांति के जनक

भारत लौटने के बाद, सैम पित्रोदा ने देश के टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम को आधुनिकीकरण की दिशा में पहल की। उन्हें भारत में सूचना क्रांति का प्रणेता माना जाता है। 1984 में, उस समय के प्रधानमंत्री राजीव गांधी के निमंत्रण पर उन्होंने ‘सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलिमैटिक्स’ (सी-डॉट) की स्थापना की, जो टेलीकॉम क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के लिए एक प्रमुख संस्थान बन गया। राजीव गांधी, पित्रोदा की क्षमताओं से गहराई से प्रभावित हुए, और उन्होंने उन्हें घरेलू और विदेशी टेलीकॉम नीतियों पर काम करने का जिम्मा सौंपा।

सैम पित्रोदा एक प्रौद्योगिकीविद् के रूप में योगदान

सैम पित्रोदा ने प्रौद्योगिकी को डिजिटल बनाने की महत्वपूर्णता पर इंदिरा गांधी के साथ चर्चा की थी, जिससे वे काफी प्रभावित हुईं। इससे गांधी परिवार और कांग्रेस के साथ उनकी नजदीकियां और भी बढ़ गईं। इंदिरा गांधी की मृत्यु के पश्चात्, राजीव गांधी ने उन्हें अपने शासन में सलाहकार के रूप में नियुक्त किया। इस दौरान पित्रोदा ने दूरसंचार, जल, साक्षरता, टीकाकरण, डेयरी उत्पादन और तिलहन संबंधी छह प्रौद्योगिकी मिशनों का नेतृत्व किया। 2005 से 2009 तक वे भारतीय ज्ञान आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्यरत रहे और भारत के दूरसंचार आयोग के संस्थापक और अध्यक्ष भी रहे।

सैम पित्रोदा यूपीए सरकार में प्रमुख सलाहकार और गांधी परिवार के करीबी

राजीव गांधी की दुर्भाग्यपूर्ण हत्या के बाद, सैम पित्रोदा अमेरिका वापस चले गए और शिकागो में अपने पेशेवर जीवन को फिर से शुरू किया। इस अवधि के दौरान उन्होंने अनेक कंपनियों की स्थापना की। 1995 में, उन्हें इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन की WorldTel पहल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 2004 में, जब भारत में कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पित्रोदा को वापस भारत बुलाया और उन्हें नेशनल नॉलेज कमीशन का अध्यक्ष बनाया। 2009 में, यूपीए सरकार के दौरान, पित्रोदा को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का सलाहकार नियुक्त किया गया।

सैम पित्रोदा गांधी परिवार के अत्यंत करीबी माने जाते हैं। राजीव गांधी के साथ उनके संबंधों की वजह से ही उनकी राजनीति में प्रवेश हुआ। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के बाद, उनका संबंध राहुल गांधी से भी गहरा रहा है, जिसे कुछ लोग उन्हें राहुल गांधी का राजनीतिक गुरु भी कहते हैं। इसी संबंध के चलते भाजपा कभी-कभी पित्रोदा को राहुल का अंकल कहकर व्यंग्य करती है। 2017 में, पित्रोदा को इंडियन ओवरसीज कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था।

सैम पित्रोदा बयानों के चलते विवादों में और कांग्रेस की मुसीबतें

सैम पित्रोदा अपने बयानों की वजह से अक्सर सुर्खियों में रहते हैं और हाल ही में उनके एक विवादित बयान के कारण उन्होंने इंडियन ओवरसीज कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। चुनावी मौसम में उनके बयानों से कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ा है और विपक्ष को कांग्रेस पर हमला करने का मौका मिल गया है।

पिछले साल 2023 में, पित्रोदा ने बयान दिया था कि मंदिर निर्माण से देश की बेरोजगारी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी समस्याओं का हल नहीं होगा, और इससे किसी को रोजगार नहीं मिलेगा। उन्होंने भारत की विविधता को उजागर करते हुए विवादास्पद बयान दिया था कि भारत के विभिन्न हिस्सों के लोग चीनी, अरब, गोरे और अफ्रीकी जैसे दिखते हैं।

साथ ही, पित्रोदा ने अमेरिका में विरासत कर के बारे में बयान दिया था कि किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा सरकार द्वारा लिया जाता है। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान, उनके ‘1984 में जो हुआ सो हुआ’ के बयान ने भारी विवाद खड़ा किया था, जिससे बीजेपी ने कांग्रेस को जमकर घेरा था। ये और अन्य बयान सैम पित्रोदा द्वारा दिए गए, जिन्होंने कांग्रेस के लिए कई मुश्किलें खड़ी कीं और विपक्ष ने इन्हें भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

सैम पित्रोदा नेशनल इनोवेशन काउंसिल और नेशनल नॉलेज कमीशन के चेयरमैन

सैम पित्रोदा को 2005-2009 के बीच कांग्रेस के नेतृत्व में सरकार के दौरान नेशनल नॉलेज कमीशन का चेयरमैन नियुक्त किया गया था। उन्होंने इस कालखंड में भारत के 27 क्षेत्रों में 300 विषयों को चिन्हित किया था, जिन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत थी। इस अवधि के बाद, 2010 में उन्हें नेशनल इनोवेशन काउंसिल का चेयरमैन बनाया गया। 2013 में, उन्हें राजस्थान की केंद्रीय विश्वविद्यालय का चांसलर भी नियुक्त किया गया, जिससे उनकी शैक्षणिक और नवाचारी योगदान की पहुंच और भी व्यापक हो गई।**

सैम पित्रोदा एक समाजसेवी

सैम पित्रोदा वर्तमान में पांच प्रमुख गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) का संचालन करते हैं, जो समाज के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। इनमें इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांस-डिसिप्लिनेरी हेल्थ साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी, ग्लोबल नॉलेज इनिशिएटिव, इंडिया फूड बैंकिंग नेटवर्क, पीपल फॉर ग्लोबल ट्रांसफॉर्मेशन और एक्शन फॉर इंडिया शामिल हैं। सैम पित्रोदा ने इन संगठनों के माध्यम से सामाजिक और तकनीकी उन्नति के लिए कई अभिनव कार्यक्रमों की शुरुआत की है।

उनका कांग्रेस से जुड़ाव और तकनीकी क्षेत्र में उनकी सक्रियता उन्हें सामाजिक परिवर्तन के लिए एक प्रमुख आवाज बनाती है। सैम पित्रोदा न केवल राजनीतिक बल्कि समाजसेवी के रूप में भी अपनी पहचान बना रहे हैं, जिससे वे भारतीय समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक हो रहे हैं।

सैम पित्रोदा ताज़ा खबर (Latest News)

सैम पित्रोदा ने इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा दे दिया है। पित्रोदा अपने बयानों के कारण अक्सर मीडिया में चर्चा में रहते हैं। हाल ही में, उनके विवादित बयानों ने कांग्रेस पार्टी की सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचाया है। उनकी लगातार बयानबाजी से पार्टी की कई बार फजीहत हुई है और हाल के उनके एक बयान ने पार्टी के लिए एक बार फिर से मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।

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