ख़ुशी पर शायरी कविता | Khushi par shayari in Hindi

ख़ुशी पर शायरी कविता Khushi par shayari in Hindi

हर लम्हा, हर मौका खास हो जाता हैं अगर उसे काव्य माला में पिरोया जाये | चेहरे पर एक मुस्कान खिल जाती हैं जब कोई शायरी शायरी कह जाता हैं | ऐसे ही कुछ शब्दों को माला में पिरोया हैं खुशियों के उपर चंद शब्दों को जोड़ काव्य का रूप दिया हैं | जरुर पढ़े ख़ुशी पर शायरी |

khushi kavita

ख़ुशी पर शायरी कविता
khushi par shayari in Hindi

खिल खिलाती खुशियों का आगाज़ करते हैं
तेरे लिए रब से एक ही दरख्वाज करते हैं
तेरे सारे गम मेरे नसीब में हो
तेरे आँचल में बस खुशियों के पल हो

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हर लम्हा यादगार बन जाता हैं
जब खुशियों का साज संग-संग गाता हैं
तहे दिल से स्वागत हैं जिन्दगी तेरा
ख़ुशी हो या गम मुझे प्यारी हैं तेरी हर एक बेला

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ख़ुशी एक साज हैं
हर एक को उसकी आस हैं
गम मिलता हैं उसके साथ
तभी तो समझ आता हैं ख़ुशी का राग

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सुख दुःख जीवन के पहलु हैं
जैसे दो पहिये पर दौड़ती गाड़ी
शुभ हो ना हो हर घड़ी
पर चलती रहती हैं जीवन की लड़ी

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अपने दम ख़म पर सब करके दिखा देंगे
हौसलों की उड़ान के साथ आसमा तक हिला देंगे
खुशियों के तारे आँचल में पिरोये हैं
साथ हो जिन्दगी का तो इन्हें सबमे बटवा देंगे

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मुस्कान से खिला चेहरा
हर गम की दवा हैं
दुःख का कोई भी पहरा
इसके आगे न टिका हैं
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हर किसी को ख़ुशी की चाह हैं
इसके लिए ही तो दुःख जीवन पर सवार हैं
भागमभाग में फंसी हैं दूनियाँ
क्यूंकि चाहिये सबको खुशियाँ ही खुशियाँ

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ख़ुशी का साथ सबको भाता हैं
हर कोई इसे पल-पल चाहता हैं
गम की बैला आती हैं जीवन में सबके
इससे ही तो खुशियों का मोल सजता हैं
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ख़ुशी उसको ही रास आती हैं
वही करता हैं मोल इस पल का
जिसने पिया हैं आंसू का घुट
जिसने सहा हैं गम का अँधेरा

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पल दो पल से ही बनती हैं दुनियाँ
ख़ुशी और गम से ही सजती हैं दुनियाँ
जहाँ गम अनुभव बन जाता हैं
उसी का मीठा ख़ुशी कहलाता हैं
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न ख़ुशी की उम्र हैं बड़ी
ना हमेशा गम की पहर खड़ी
जीवन हैं बस एक पल में
हँसते रहे तो खुशियाँ हैं
हर एक क्षण में

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टीम टीम करते तारे
बिखरे हैं आज सारे
तुम खुश हो जीवन में
इसलिये वो नाच उठे आसमां में

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उदासी जीवन की सजा हैं
सोचो तो हर एक पल में मजा हैं
ना सोचो तो गमगीन हैं जीवन
ख़ुशी और गम बस हैं एक क्षण

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खिल उठती हूँ मैं अपनों के बिच
चमक उठती हूँ मैं अपनों के बिच
क्या हैं गम और ख़ुशी
जब साथ हैं हर पल अपनों की हँसी

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शिकायत का मौका तो लोग देते हैं
लेकिन जो उसे हँस के स्वीकार कर ले
वही खुशियों का मोल समझते हैं ||

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दिन ढलता हैं,रात चढ़ती हैं
जिन्दगी इसके बिच ही कहीं पनपती हैं
जो जान ले सुख दुःख का मायना
वही जिंदगी का मजा लेता हैं

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तेरे जीवन के हर लम्हे में हम तेरे साथ हैं
गम में हम आगे और खुशियों में तेरे पीछे हैं
तेरी मुस्कान ही हैं मेरे लिए अनमोल
तेरी खुशियों का नहीं कोई दूजा तोल

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अगर खुशियों की आस ना होती
तो जिन्दगी खास ना होती
गम की परछाई होती हैं काली
पर चमकी हैं हर दम खुशियों की लाली

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गम की परछाई ना हो
तो खुशियों का क्या मोल
जो खुशियों में खो जाये
वो ना जाने वक्त का झोल

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भुला दो जीवन के गम
बस सजाओ आज का पल
हँसते रहो सदा भले कितनी हो हलचल
खुशियाँ आयेगी हर बीतते क्षण

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गम के लिए तो जिन्दगी पड़ी हैं
जीना हैं तो खुशियों को जी
जो सामने आकर खड़ी हैं

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ना भाग बड़ी ख़ुशी के पीछे
छोटी- छोटी ख़ुशी में ही जिन्दगी हैं
कहीं इंतज़ार इतना लंबा न हो जाये
बड़ी ख़ुशी के पीछे जिन्दगी बीत जाये

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गुलाब से पूछो उसका हाल
कैसे लगता हैं जब कोई तोड़ लेता हैं उसे
हंसकर वो बस एक ही कहता हैं
मेरा दिल झूम उठता हैं
जब कोई मुखे देख
ख़ुशी से खिल उठता हैं

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अपनी ख़ुशी जिन्दगी नहीं
अपना दुःख जिन्दगी नहीं
जिन्दगी तो वो हैं
जो दुसरो के गम मिटा दे
जो दूसरों को खुशियों से सजा दे

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हर ख़ुशी के आगे हाथ फैलाओं
ओरो को देख कभी मत ललचाओं
नसीब सबका अलग हैं
बस सदा मुस्कुराओं

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न करों खुशियों की नुमाईश
वो तो बस जीवन का पल हैं
जैसे नदी में बहता जल हैं
आज यहाँ कल दूसरा तट संग हैं

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ना मिलती सिक्को से ईश्वर को ख़ुशी
वो तो भक्तों की ख़ुशी में खुश हैं
दान पेटी का दान व्यर्थ हैं
अगर मंदिर की चौखट पर बैठा भिखारी भूखा हैं

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सच के शब्दों से ख़ुशी कड़वी नहीं होती
वो तो झूठ के बोझ से मुरझा जाती हैं

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खिली मुस्कान ही
हर दर्द की दवा हैं
ख़ुशी के दीपक में
मुस्कान तेल के समान हैं

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गम के बादलो को जो छाट दे
वही हौसलों से भरा हैं
जिसने दुःख के सामने घुटने ना टेके
वही खुशियों हरा भरा हैं
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खुशी में उतना भी ऊँचा ना चढ़ जाना
कि निचे आने पर चोट लगे
आसमान कितना भी बड़ा क्यूँ ना हो
जो धरती से जुड़े उसीके जीवन में खुशियाँ खिले

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खुली आँखों से खुशियाँ नहीं दिखती
वो तो मन की आँखों से बयां होती हैं
जो मन के मेल को धोले
खुशियाँ हर पल उसके साथ होती हैं

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खुशियाँ तू क्यूँ रूठ गई
तेरे जाने से गम की बैला छा गई
लौट आ तू मेरे अँगना
ना गुरुर करुँगी अब तेरे नाम का

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लगता हैं खुशियों ने मूंह फैर लिया
मेरे गुरुर को मुझसे छीन लिया
सिख लिया हैं सबक मैंने ए जिन्दगी
बहुत मोल हैं खुशियों का जो मैंने गँवा दी

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खुशी पर लिखी यह सभी शायरियाँ आपको कैसी लगी ? जरुर लिखे | आपके शब्द मेरे उत्साह को बढाने के लिए बहुत जरुरी हैं | किसी भी कला को निखारने के लिए उसके कदरदान जरुरी हैं अगर आप मुझे सही राह दिखाएँगे तो मैं अवश्य एक नया मुकाम हासिल कर पाऊँगी | अपने अनमोल शब्द कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे |

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