Kalki Dham Temple- कल्कि धाम कहां है ? क्या है कल्कि मंदिर और अयोध्या का कनेक्शन

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आज, संभल शहर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विशेष अनुष्ठान के साथ कल्कि धाम मंदिर की शुरुआत करेंगे। यह मंदिर भगवान विष्णु के दशम अवतार, कल्कि के नाम पर स्थापित किया जा रहा है। इस घटना का न केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्व है, बल्कि इस मंदिर से कई गूढ़ और अनसुलझी कहानियाँ भी जुड़ी हुई हैं।

Kalki Dham Temple- कल्कि धाम कहां है ? क्या है कल्कि मंदिर और अयोध्या का कनेक्शन
Kalki Dham Temple- कल्कि धाम कहां है ? क्या है कल्कि मंदिर और अयोध्या का कनेक्शन

जानिए कब और कहाँ हो रहा है कल्कि धाम मंदिर का आधारशिला समारोह

विवरणजानकारी
मंदिर का नामकल्कि धाम मंदिर
स्थानसंभल, भारत
समर्पणभगवान विष्णु के कल्कि अवतार
गर्भगृह की संख्या10
निर्माण सामग्रीगुलाबी पत्थर
निर्माण का समय5 वर्ष
मुख्य विशेषताअयोध्या के राम मंदिर और सोमनाथ मंदिर में प्रयुक्त पत्थर का उपयोग
कल्कि पीठ की विशेषतासफेद रंग के घोड़े की मूर्ति, जिसका एक पैर हवा में है और धारणा है कि कल्कि अवतार के प्रकट होने पर पूरा झुक जाएगा
कल्कि अवतार का प्रयोजनकलियुग के अंत में पाप और अन्याय का नाश करने के लिए
परियोजना की शुरुआतआचार्य प्रमोद कृष्णम द्वारा 18 वर्ष पूर्व संकल्पित
अतिरिक्त जानकारीआचार्य प्रमोद कृष्णम को कांग्रेस ने ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ के आरोप में निकाला गया है

कब है कल्कि धाम का आधारशिला समारोह

संभल में आज का दिन ऐतिहासिक होने जा रहा है, जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल्कि धाम मंदिर की नींव रखने वाले हैं। यह भव्य मंदिर एंकरा कंबोह क्षेत्र में स्थापित किया जा रहा है, जिसे सफेद और भगवा रंगों से सजाया जा रहा है। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद, यह मंदिर व्यापक चर्चा और उत्सुकता का विषय बना हुआ है। इस उल्लेखनीय परियोजना के लिए आचार्य प्रमोद कृष्णम श्री कल्कि धाम निर्माण ट्रस्ट के नेतृत्व में हैं, जिन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को इस महत्वपूर्ण अवसर पर आमंत्रित किया है। हालांकि, प्रमोद कृष्णम हाल ही में कांग्रेस द्वारा ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ के आरोप में पार्टी से छह वर्ष के लिए निष्कासित किए गए हैं।

कौन है कल्कि अवतार

कल्कि धाम, भगवान विष्णु के दसवें और अंतिम अवतार, कल्कि के नाम पर स्थापित एक असाधारण मंदिर है। सनातन धर्म की परंपरा अनुसार, यह मान्यता है कि कलयुग के समापन पर भगवान विष्णु कल्कि रूप में प्रकट होंगे। इस दृष्टिकोण से, यह मंदिर विश्वभर में अपनी एक अनोखी पहचान बनाता है, क्योंकि यह उस अवतार को समर्पित है जो अभी तक प्रकट नहीं हुआ है।

कब और कहाँ जन्म लेंगे कल्कि भगवन

हिंदू पुराणों की गाथाओं के अनुसार, भविष्य में भगवान विष्णु के दसवें अवतार के रूप में कल्कि का अवतरण सावन के महीने में, शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर, संभल नामक पावन भूमि पर होगा। इनका जन्म विष्णुयशा नामक एक गहन भक्ति वाले ब्राह्मण परिवार में होगा, जो वेदों और पुराणों के गहरे ज्ञानी भी होंगे। भगवान कल्कि, जो एक दिव्य सफेद घोड़े पर सवार होंगे, अपने आगमन पर पाप और अधर्म का विनाश कर, धर्म की पुनः स्थापना करेंगे।

अयोध्या से क्या कनेक्शन?’

कल्कि धाम मंदिर, जो 5 एकड़ जमीन पर विकसित किया जा रहा है, अपनी विशिष्टता में एक अद्वितीय निर्माण होगा। इस मंदिर में कुल दस गर्भगृह होंगे, प्रत्येक भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों को समर्पित। इसकी सबसे उल्लेखनीय विशेषता यह है कि इसका निर्माण उसी गुलाबी पत्थर से किया जा रहा है, जिसका उपयोग अयोध्या के राम मंदिर और सोमनाथ मंदिर में किया गया है। इस भव्य मंदिर के निर्माण में स्टील या लोहे का उपयोग नहीं किया जाएगा, जो इसे और भी विशेष बनाता है। इसके निर्माण को पूरा होने में पांच वर्ष का समय लगेगा।

पौराणिक मान्यता क्या है

नवनिर्मित कल्कि धाम के निकट स्थित कल्कि पीठ में, एक विशिष्ट सफेद घोड़े की प्रतिमा को स्थापित किया गया है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, कल्कि अवतार को भगवान शिव द्वारा ‘देवदत्त’ नामक एक सफेद घोड़ा प्रदान किया जाएगा। इस अनूठी मूर्ति में घोड़े के तीन पैर जमीन पर स्थिर हैं जबकि चौथा पैर हवा में उठा हुआ है। ऐसी मान्यता है कि यह उठा हुआ पैर समय के साथ नीचे झुक रहा है, और जिस दिन यह पूरी तरह से झुक जाएगा, उसे कल्कि अवतार के प्रकट होने के रूप में माना जाएगा।

कब अवतरित होंगे भगवान कल्कि

भगवान विष्णु के कल्कि अवतार ग्रहण करने की अध्यात्मिक उत्कंठा के पीछे का कारण है कलियुग के अत्यधिक पाप और अन्याय का साम्राज्य। धर्मशास्त्रों के अनुसार, जब कलियुग अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँचेगा और धरती पर पाप व अन्याय असहनीय सीमा तक वृद्धि पाएगा, तब इस अधर्म के नाश के लिए भगवान कल्कि का अवतार होगा। इस दिव्य उद्देश्य को पूर्ण करने के लिए आचार्य प्रमोद कृष्णम ने लगभग 18 वर्ष पूर्व एक संकल्प लिया था कि जहाँ भगवान कल्कि अवतार लेंगे, वहीं कल्कि धाम मंदिर की स्थापना की जाएगी।

कलयुग के आरंभ का कारण

कलयुग की शुरुआत राजा परीक्षित के एक गलती के कारण हुई, जब उन्होंने विभांडक ऋषि का अपमान किया। इस अपमान के परिणामस्वरूप, ऋषि श्रृंगी ने राजा को श्राप दिया, जिसके कारण राजा की मृत्यु हो गई और कलयुग का आरंभ हुआ।

मंदिर की विशेषताएँ

संभल के एंकरा कंबोह क्षेत्र में भगवान कल्कि के लिए एक विशेष मंदिर का निर्माण हो रहा है, जिसे सफेद और भगवा रंगों से सजाया जा रहा है। इस अनोखे मंदिर की खासियत यह है कि यह भगवान विष्णु के अवतार कल्कि को समर्पित है, जो अभी प्रकट नहीं हुए हैं। मंदिर का निर्माण गुलाबी पत्थर से किया जा रहा है जो अयोध्या के राम मंदिर और सोमनाथ मंदिर में भी उपयोग किया गया है। इस मंदिर के निर्माण में लगभग 5 वर्ष का समय लगेगा और इसे 5 एकड़ की भूमि पर विकसित किया जा रहा है। आचार्य प्रमोद कृष्णम इस परियोजना के पीछे प्रमुख प्रेरक शक्ति हैं।

आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व

यह मंदिर न केवल आध्यात्मिक विरासत को संजोएगा बल्कि भविष्य में भगवान कल्कि के अवतार की दिव्य भविष्यवाणी को भी प्रदर्शित करेगा, जो कलयुग के अंत में प्रकट होंगे।

FAQ

1. कल्कि धाम मंदिर कहाँ स्थित है?

– कल्कि धाम मंदिर संभल, भारत में स्थित है।

2. कल्कि धाम मंदिर किस भगवान को समर्पित है?

– यह मंदिर भगवान विष्णु के कल्कि अवतार को समर्पित है।

3. कल्कि धाम मंदिर में कितने गर्भगृह हैं?

– मंदिर में कुल 10 गर्भगृह हैं।

4. कल्कि धाम मंदिर का निर्माण किस पत्थर से किया जा रहा है?

– इसका निर्माण गुलाबी पत्थर से किया जा रहा है

5. कल्कि धाम मंदिर की स्थापना के पीछे कौन है?

– आचार्य प्रमोद कृष्णम इस मंदिर की स्थापना के पीछे हैं।

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