असहिष्णुता क्या है,असहिष्णुता पर निबंध,अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस

असहिष्णुता क्या है और अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस कब है, असहिष्णुता का अर्थ, असहिष्णुता पर निबंध (International Day for Tolerance, Intolerance Meaning, Quotes Essay in hindi)

भारत शुरू से ही धार्मिक प्रवृत्ति का रहा है. यहाँ कई दैवीय जन्म होने की मान्यता है, कई ऋषि मुनि हुए जो सभी की धर्म के प्रति आस्था बढ़ाते हैं. भारत के इतिहास में युगों से ऋषि, मुनि, राजा-महाराजा संयम को अपनाते हुए निरंतर आगे बढ़ते रहे हैं. धर्म के वेद –पुराणों में पूरी पृथ्वी को एक परिवार माना गया है.  हम पृथ्वी को माता के रूप में देखते हैं और माता के सहनशीलता तथा निरंतरता के गुण को आत्मसात करना अपना कर्तव्य समझते हैं. 

असहिष्णुता पर निबंध

“वसुधेव कुटुंबकम” की मान्यता है, अर्थात पूरा विश्व एक ही परिवार है, का सिद्धान्त देने वाला भारत सदियों से सहिष्णुता, पारस्परिक स्नेह और सौहार्द का पक्षधर रहा हैं. लेकिन वर्तमान में वैश्विक स्तर पर सहिष्णुता लुप्तप्राय: हैं. जैसे-जैसे वैश्वीकरण हो रहा हैं वैसे-वैसे दुनिया के विभिन्न समाजों एवं देशों में विविध प्रकार का परिवर्तन देखा जा रहा है. वैश्वीकरण से संवाद और विनिमय के तो कई अवसर बन रहे हैं,लेकिन कई नई चुनौतियां भी सामने आ रही हैं. असमानता और गरीबी से लगातार संघर्ष देशों की प्रगति को धीमा कर रहा है. इन समस्याओं के बहुत से कारणों में से एक असहिष्णुता भी एक हैं.

असहिष्णुता क्या है? ( Intolerance Definition, Meaning)

सहिष्णुता का विपरीत होता है “असहिष्णुता”. असहिष्णुता अर्थात सहने की शक्ति नहीं होना. भारत को संयमित, सहनशील राष्ट्र के रूप में देखा जाता है. परंतु आजकल यह देखने एवं सुनने में आ रहा है, भारत के लोग असहिष्णु होते जा रहे हैं. भारत की जनता किसी भी घटना पर तुरंत ही अपनी प्रतिक्रिया देने लग गयी है. देश में होने वाली छोटी सी भी घटना पर देश की जनता आक्रोशित होने लगी है एवं अपना संयम तथा सहनशीलता खोने लगी है. अपने विचारों को प्रकट करने में लोग छोटी छोटी बातों को तूल देते हुए बड़ा करने में लगे हैं. कई बार छोटी छोटी घटना से विवाद इतना बढ़ जाता है, कि लोगों की जान पर बन आती है. 

intolerance Tolerance Day

असहिष्णुता का इतिहास (History of International Day for Tolerance)

1993 में विधानसभा (रिजोल्यूशन 48/126) द्वारा उद्घोषणा किये जाने के बाद 1995 में यूनाइटेड नेशन ईयर फॉर टोलेरेंस के वर्ष में  एक्शन लिया गया था, जिसके अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस मनाने के प्रस्ताव के साथ आम-जन के लिए विविध गतिविधियाँ तय की गयी थी.  1995 से पहले हुई यूनेस्को की जनरल कांफ्रेंस में यूनाइटेड नेशन ईयर फॉर टोलेरेंस का वर्ष मनाने की घोषणा की गयी थी. 1996 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (यू एम जनरल एसेम्बली)  के सदस्य राज्यों को 16 नवंबर को सहिष्णुता के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाने के लिए आमंत्रित किया , जिसमें शैक्षणिक प्रतिष्ठानों और जनता (12 दिसंबर के रिजोल्यूशन 51/95)के लिए विभिन्न क्रियाविधियाँ निर्धारित की गई यूनेस्को के सदस्य देशों ने अगले वर्ष के लिए 16 नवंबर, 1995 को सहिष्णुता और इस सिद्धांत से सम्बंधित योजनाओं की घोषणा को स्वीकार किया. इसके बाद 2005 में हुआ विश्व शिखर सम्मेलन  मानव कल्याण, हर जगह स्वतंत्रता और प्रगति, सहिष्णुता, सम्मान, संवाद और विभिन्न संस्कृतियों, सभ्यताओं और लोगों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न राज्य सरकारों के प्रमुखों को प्रतिबद्ध करने के लिए जाना जाता हैं. इस कारण ही विश्व सहिष्णुता दिवस के संदर्भ में बात करने पर 2005 के विश्व शिखर सम्मेलन की बात करना भी जरूरी हो जाता हैं.

अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस क्यों मनाया जाता हैं?? (Why International Day for Tolerance celebrate)

पिछले कुछ वर्षों में आतंकवाद, हिंसा, रंगभेद जैसी कई गतिविधियाँ सामने आई हैं जिसके कारण कुछ देशों का, धर्म का, अल्पसंख्यकों का , शरणार्थीयों और प्रवासियों  के आधारभूत मानवाधिकारों का हनन होने लगा हैं. इन सबसे विश्व भर में लोकतंत्र, शान्ति और विकास की दिशा में कई बाधाएं आ रही हैं. इन परिस्थितियों में मानवता का अस्तित्व बचाने के लिए शांति और सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए वर्ष में एक ऐसा दिन मनाने की आवश्यकता हुई जब लोगों को सहिष्णुता के प्रति जागरूक किया जा सके और असहिष्णुता के कारण होने वाले खतरों के प्रति जागरूक किया जा सके.

  सहिष्णुता दिवस उद्देश्य (Objectives)

इस दिन को मनाने का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य विश्व भर में लोगों को सहिष्णुता का महत्व समझाना हैं. आज राजनीति के अंतर्गत विभिन्न राजनेताओं द्वारा  दिए जाने वाले विभाजन के भाषण आसानी से देखे जा सकते हैं, जिन पर प्रतिक्रिया में हिंसा का फैलना ही असहिष्णुता का उदाहरण हैं. किसी भी समाज में शक्तिशाली वर्ग का रूप यदि नकारात्मक हो और शोषण करने वाला हो, तो असहिष्णुता के लिए अच्छी जमीन तैयार हो जाती हैं. शोषित वर्ग को दबाना और उनके तर्क एवं पक्ष को खारिज करना ही असहिष्णुता की श्रेणी में आता हैं. सहिष्णुता का सम्बंध केवल इन दो वर्गों के मध्य ही नहीं हैं, जहां भी सोच का टकराव होता हो या जहां भी हितों की प्रतिस्पर्धा होती हो, वहाँ पर असहिष्णुता का उद्भव होता ही हैं. कई बार ये असहिष्णुता नफरत में परिणीत हो जाती हैं, जिसका परिणाम विनाशकारी सिद्ध हो सकता हैं.

असहिष्णुता की शुरुआत हमेशा छोटे-छोटे मुद्दों से होती हैं, जैसे किसी एक अपराधी के कारण पूरे वर्ग को दोषी मानकर उन्हें समाज में उचित स्थान और सम्मान ना देना, या फिर किसी देश विशेष में होने वाली कुछ नकारात्मक घटनाओं को ध्यान में रखते हुए विश्व समुदाय का उस देश को ही उसके अधिकारों से वंचित करना जैसी कई बातें हैं, जो वैश्विक स्तर पर असहिष्णुता में आती हैं. लेकिन मानवता एक ऐसा आधारभूत योजक हैं, जिसने सम्पूर्ण विश्व को आपस में जोड़ रखा हैं. इसके अलावा प्यार और सौहार्द से किसी भी तरह की नफरत की खाई को कम किया  जा सकता हैं. दुनिया में स्नेह और सौहार्द को फ़ैलाने के लिए ही सहिष्णुता दिवस मनाने की आवश्यकता महसूस हुई हैं. क्योंकि दुनिया में विभिन्न देशों की भले संस्कृतियां अलग-अलग हैं, लेकिन मानवता के तौर पर अपने मूल्यों की साझेदारी और अतीत एवं भविष्य को भुलाकर वर्तमान में सम्मानपूर्वक जीवन जीना और जीने देना ही है, वैश्विक स्तर पर सहिष्णुता दर्शाने का अच्छा तरीका  हैं.

यूनाइटेड स्टेट का उद्देश्य पूरे विश्व में सहिष्णुता,मानवता ,सौहार्द एवं स्नेह को बढावा देना हैं. आधुनिक युग में बढती नफरत और हिंसा को रोकने के लिए ये बहुत आवश्यक हैं, कि इस दिशा में यथायोग्य कदम उठाए जाए. क्योंकि प्रत्येक मानव को शान्ति-पूर्ण और सम्मान के साथ जीने का अधिकार हैं,और इस तरह के प्रयासों ही विश्व में सहिष्णुता एवं सौहार्द विकसित की जा सकती हैं.

यूनाइटेड नेशन में यूनेस्को का औचित्य ही मानवता के हित के लिए आवश्यक काम करना और इसको प्रोत्साहन देना ही हैं. सहिष्णुता के माध्यम से ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, विभिन संस्कृतियों और धर्मों को सम्मान और महिला सशक्तिकरण जैसे आवश्यक कार्य किये जा सकते हैं.

अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस प्रतीक  (Symbols)

यूनेस्को के चिन्ह (logo) में एक मन्दिर को दिखाया गया हैं, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन के बारे में बताने के लिए यूनेस्को के संक्षिप्त नाम (UNESCO) का उपयोग कियागया हैं. और इस मंदिर के नीचे “यूनाइटेड नेशन्स एजुकेशनल,साइंटिफिक एंड कल्चरल ओर्गनाइजेशन” शब्द लिखा गया हैं, जिसका हिंदी अर्थ “संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन” हैं. इस चिन्ह का उपयोग अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस के लिए ऑनलाइन या मुद्रित प्रचार सामग्री में किया जाता है.

यूनेस्को के पूरे नाम का उपयोग विभिन्न भाषाओँ में भी किया जाता है, लेकिन इसे समझने के लिए किसी निर्धारित भाषा के साथ ही इंग्लिश में पूरा नाम भी लिखा जाता हैं, जिससे संस्था के संक्षिप्त नाम (एक्रोनिम) को समझा जा सके. यूनेस्को की 6 आधिकारिक भाषाएं अरेबिक, चाइनीज, इंग्लिश, फ्रेंच, रशियन और स्पेनिश हैं. 1995 में ही यूनेस्को ने महात्मा गांधी के 125वीं वर्षगाँठ पर सहिष्णुता और अहिंसा को प्रोत्साहन देने और इसका प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से  मदनजीत सिंह पारितोषिक (प्राइज) देना भी तय किया था. ये पुरूस्कार हर 2 वर्ष में विज्ञान, कला, संस्कृति या कम्युनिकेशन में अच्छा प्रदर्शन करने वाली किसी संस्था या व्यक्ति को दिया जाता हैं.

अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस (International Day for Tolerance Date)

1

दिवस (Event Name)

अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस

2

मनाने की तारीक (Date Of Celebration)

16 नवंबर प्रति वर्ष

3

पहली बार कब मनाया गया (First Observed On)

1995

4

किसने शुरू किया (First Observed By)

युनेस्को द्वारा

5

कौन अनुसरण करता हैं ? (Followers)

अंतराष्ट्रीय स्तर

कैसे मनाया जाता हैं? ( How to celebrate)

इस दिन हर देश की सरकार आम-जन को सहिष्णुता के प्रति जागरूक होने के लिए प्रेरित करती हैं, इसके लिए कई प्रकार के आयोजन किये जाते हैं. इसके लिए स्कूल में कई तरह के कार्यक्रम किये जाते हैं, जिसमें पोस्टर बनाना, वाद-विवाद और कार्यशाला का आयोजन किया जाता हैं. बच्चों को न्याय, सहिष्णुता, नैतिकता जैसे मूलभूत  जानकारियों की शिक्षा दी जाती हैं. इस दिन मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता अभियान जाता हैं, कुछ संस्थाएं ऐसे आयोजन भी करती हैं, जिसमें मानवाधिकारों के साथ ही सहिष्णुता के मूद्दे पर भी चर्चा की जाती हैं. सोशल मीडिया पर भी इसका ट्रेंड रहता हैं, अपने आस-पास के मुद्दों पर लिखकर या फोटोज के माध्यम से दिखाकर भी लोग सहिष्णुता को समझने और समझाने का प्रयत्न करते हैं.

  विश्व सहिष्णुता दिवस (International Day for Tolerance 2023 date)

इस साल विश्व सहिष्णुता दिवस 16 नवंबर को मनाया जायेगा, जिसकी जानकारी अभी जारी नहीं की गई है.

प्रति वर्ष की भांति 2021 में भी यह अपने लिए नियत दिवस 16 नवंबर को ही मनाया जाएगा और इस बार ये 23वां वर्ष होगा, जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहिष्णुता दिवस का आयोजन किया जाएगा. यूएन का अंतर्राष्ट्रीय असहिष्णुता दिवस वैश्विक स्तर पर मनाया जाने वाला दिन हैं, लेकिन इस दिन अवकाश नहीं होता हैं.

2020 इवेंट्स (2020 events)

2020 में यूट्यूब के सहयोग से 16 नवंबर को  यूनाइटेड नेशन का short फिल्म की स्क्रीनिंग करने का आयोजन किया जाएगा. एजुकेशन आउट रिसर्च सेक्शन और मानवाधिकारों के यूनाइटेड नेशन हाई कमिश्नर  ऑफिस  से 4 प्रतिनिधियों और रचनाकार इस कार्यक्रम में दर्शकों और छात्रों के साथ  होने वाली चर्चा में भाग लेंगे. कार्यक्रम में 750 प्रतिभागी प्रेजेंटेशन देंगे जिनमें से चुने गये छात्र/छात्रा ही 4 प्रतिनिधियों के साथ होने वाले डिस्कशन में भाग ले सकेंगे.

वास्तव में सहिष्णुता शान्ति की दिशा में उठाया गया पहला कदम हैं. जिससे कई ऐसी नीतियां बनाई जा सकती हैं, जिससे विविधता को बढ़ावा मिले.  इससे समाज में व्याप्त स्त्री-पुरुष असमानता, क्षेत्रवाद, जातिवाद, रंगभेद जैसी कई विभेदनकरी नीतियों का उन्मूलन किया जा सकता हैं. और इन सबके कारण समाज में व्याप्त हुयी असमानता और नफरत को कम किया जा सकता हैं.

असहिष्णुता का विरोध ( Against Intolerance):

आजकल कई बार यह सुनने में आया कि कई महान हस्तियों द्वारा अपने पुरस्कार लौटा दिये गए, कुछ अभिनेता भारत में रहने में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. यह सब असहिष्णुता के कारण ही हो रहा है. दादरी में कुछ लोगों ने मिल कर एक युवक को सिर्फ इसलिए मार डाला, क्यूंकि उन्हें शक था की वो व्यक्ति गोमांस का उपयोग करता है. पूरी बात जाने बिना ही लोग अपना रोष प्रकट करने में लगे हैं. इसके बाद दादरी की इस घटना का विरोध करते हुए नयनतारा सहगल (भारतीय अँग्रेजी लेखिका) ने साहित्य अकादेमी पुरस्कार लौटा दिया. इस कड़ी में कई महानविभूतियों ने भी भारत में बढ़ रही असहिष्णुता के विरोध में अपने पुरस्कार लौटा दिये.

असहिष्णुता पर आमिर खान की टिप्पणी (Aamir Khan Intolerance issue in India):

भारत में बढ़ रहे असहिष्णुता के दौर में आमिर खान ने उनकी पत्नी किरण राव के विचार बताते हुए कहा, कि कई बार वे भारत में रहने में असुरक्षित महसूस करते हैं और इसलिए क्या उन्हे भारत छोड़ देना चाहिए? उनके इस कथन ने पूरे भारत को आहत किया. लोग यह सोचने पर मजबूर हो गए कि क्या वाकई भारत एक “असुरक्षित राष्ट्र” हो गया है, जहाँ लोगों की सुरक्षा का हमेशा डर रहता है.

असहिष्णुता पर अनमोल वचन [International day of tolerance quotes]

  • सहिष्णुता उसे कहते हैं जिसमें आप हर एक वो अधिकार दूसरे को देते हैं जिसे आप खुद के लिये मांगते हैं.
  • सहिष्णुता मतलब किसी तरह का विश्वास नहीं हैं, यह वह व्यवहार हैं जो आप उनके साथ करते हो जो आपकी बात से सहमत नहीं हैं.
  • सहिष्णु होना या किसी पर दया करना कमजोरी की निशानी नहीं, अपितु ताकत का प्रतीक हैं.
  • उचित शिक्षा का अधिकतम परिणाम सहिष्णुता के व्यवहार को दिखाता हैं.
  • असहिष्णुता की तरफ सहिष्णुता का भाव कायरता दिखाता हैं.
  • सहिष्णुता एक ऐसा व्यवहार हैं, जो आपको उन लोगो को माफ करने में मदद करता हैं जो बोलने से पहले एक बार भी नहीं सोचते.
  • सहिष्णुता को अपने जीवन में लाने के लिये, शत्रु ही सबसे अच्छा गुरु होता हैं. 

सहिष्णुता और असहिष्णुता के उदाहरण

आपको इस टेबल में सहिष्णुता और असहिष्णुता के उदाहरण बताने वाले हैं, यह दोनों ही घटना 2020 में हुई थी आप समझ सकते हैं इनकी वजह से हमारे देश को क्या-क्या झेलना पड़ा है. लेकिन दोनों में बहुत अंतर है जो आपको सहिष्णुता और असहिष्णुता को अच्छे से समझा पाएंगे.

सहिष्णुता असहिष्णुता
2020 में Covid 19 की वजह से सम्पूर्ण विश्व और भारत में लॉकडाउन लगा था. आम जन को घर से बाहर निकलने की भी परमिशन नहीं थी. उस वक्त जो भी हुआ वह सब हम कभी एक्स्पेट नहीं करते लेकिन हम सहिष्णु थे और ना चाहते हुए भी सरकार द्वारा दिए लिए गये फैसले का समर्थन कर रहे थे. जो समर्थन कर रहे थे वह सहिष्णुता को स्वीकार कर रहे थे. फायदा – देश में महामारी को रोकने का एक प्रयास सफल हुआ.   2020 Covid 19 के समय ही दिल्ली के शाहिंनबाग़ में कुछ लोगों ने असहिष्णुता के नाम पर सरकार का विरोध कर रहे थे. हालाँकि यह विरोध लॉकडाउन का नहीं था लेकिन देश की भलाई के लिए उन्हें यह विरोध रोकना चाहिए था लेकिन उन्होंने यह विरोध नहीं रोका. विश्वभर परेशान होने के कारण भी देश के बारें में ना सोचते हुए यह लोग जो विरोध कर रहे थे यही असहिष्णुता का उदाहरण है. नुकसान – महामारी के संपर्क में आये खुदका नुकसान भी हुआ और देश का भी.  

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Ankita
अंकिता दीपावली की डिजाईन, डेवलपमेंट और आर्टिकल के सर्च इंजन की विशेषग्य है| ये इस साईट की एडमिन है| इनको वेबसाइट ऑप्टिमाइज़ और कभी कभी आर्टिकल लिखना पसंद है|

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