भारत की पांच प्रमुख बड़ी नदियाँ | 5 Largest Rivers of India in hindi

5 Largest Rivers of India in hindi भारतीयों के जीवन में नदियों का एक महत्वपूर्ण योगदान है. जीवन के प्रत्येक कर्म से जुड़ी नदियाँ धर्म से लेकर सामाजिक क्रिया के रूप में जुड़ी है. हमारी सभ्यता के विकास का केन्द्र रही है नदियाँ, नदियाँ नहीं होती तो शायद आज हम भी न रहे होते, सभ्यता को बसाने में नदियों की भूमिका है.

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भारत की पांच प्रमुख बड़ी नदियाँ

5 Largest Rivers of India in hindi

नदियाँ को उद्गम स्रोत के अनुसार चार मुख्य भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है –

  1. हिमालय में उद्गम स्रोत
  2. दक्षिण तराई में उद्गम स्रोत
  3. कोस्टल नदियाँ
  4. इनलैंड से सृजित होने वाली नदियाँ

हिमालय की गोद से प्रवाहित होने वाली नदियाँ पहाड़ पर जमें हिमनद के पिघलने से बनी हैं.  इन नदियों से वर्ष भर अविरल प्रवाह बना रहता है. बारिश के समय हिमालय की तराई में अधिक वर्षा होने के कारण नदियों का आकार घटता बढ़ता है. भारत की पांच प्रमुख नदियाँ के बारे में नीचे दर्शाया गया है.

  1. सिन्धु नदी (Sindhu River or Indus River)
लंबाई 3,200 किमी.
निष्पत्ति 6,600 m³/s
स्रोत सेनगो जानबो, तिब्बत का पठार, गर नदी
मुहाने अरब सागर, नल सरोवर पक्षी अभारण्य
देश भारत, चीन, पाकिस्तान
शहर कराची, पेशावर, गिलगिट. रावलपिंडी, मिथानकोट, थट्टा, जमसोरो, अतोक
द्वीप बुक्कर

 सिन्धु या इन्डस नदी सिर्फ भारत की ही नहीं बल्कि एशिया की सबसे बड़ी नदी है. सिन्धु नदी को ऐताहासिकता के आधार पर सबसे पुरानी नदी माना जाता है. प्राचीन मानव सभ्यता का अर्विभाव इसी नदी के तट पर हुआ था. सिंधु घाटी की सभ्यता, जिसमें कि नगर सभ्यता भी शामिल थी, उसका विश्व के विकसित संस्कृति के रूप में इतिहास में उल्लेख किया जाता है. विश्‍व श्रृंखला की महान और बड़ी नदियों में से एक नदी सिन्धु नदी भी है, जोकि तिब्बत के पठारों से कैलास मानसरोवर के मनोरम और धार्मिक स्थल से प्रवाहित होती है और भारत से गुजरती हुई अन्य पड़ोसी देशों में भी जाती है. यह नदी पाकिस्तान और गुजरात के बीच से होकर अरब सागर में मिलती है. भारत में प्रवाहित होने वाली इसकी सहायक नदियों में प्रमुख है सतलज, व्यास, झेलम, चेनाब और रावी, ये नदियाँ पंजाब के आसपास के इलाकों को उर्वर बनाती है.

  1. गंगा नदी (Ganga River)
लम्बाई 2525 कि. मी.
स्रोत नंदाकोट, सतपंथ हिमनद, केदारनाथ, गंगोत्री हिमनद, गोमुख, कामेत
मुहाना  बंगाल की खाड़ी
शहर  वराणसी, हरिद्वारा, इलाहादाबाद, कोलकाता, कानपुर, पटना, गाजीपुर
पुल  महात्मा गाँधी सेतु, विद्यासागर पुल, राजेन्द्र पुल, हावड़ा ब्रिज

 गंगा भारत की सबसे प्रमुख नदी है. यह सिर्फ नदी ही नहीं बल्कि यहाँ के लोगों की अस्मिता है. आस्था के साथ जुड़ी ये नदी भारत के सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है. अलग अलग प्रदेश, इस नदी की आस्था के साथ जुड़कर समवेत भारत का निर्माण करते है. यह नदी गोमुख से निकलकर गंगोत्री में अपनी और भी सहायक धाराओं को साथ में लेकर बहते हुए हरिद्वार में समतल भूमि पर आती हैं और फिर यहाँ से प्रवाहित होते हुए उत्तर प्रदेश के विभिन्न प्रांतो से गुजरती है, और आखिर में बिहार से होते हुए बंगाल की खाड़ी में जा कर गिरती है.

गंगा की  सहायक नदियाँ – गंगा की कई सहायक और उपसहायक नदियाँ है जिनमें से प्रमुख हैं यमुना, रामगंगा, घाघरा, गंडक, कोसी, महानदी और सोन आदि. ये प्रमुख सहायक नदियाँ गंगा को पूरे उत्तरी और पूर्वी भारत में विस्तार देती है. उपसहायक नदियों में चंबल और बेतवा प्रमुख हैं. ये उपसहायक नदियाँ पहले यमुना में समा जाती हैं, और यमुना प्रयाग में आकर गंगा में मिल जाती है. बांग्लादेश में गंगा का नाम पद्मा है. गंगा नदी उत्तरी भारत की एक प्रमुख नदी है. ये विशाल मैदानों से होकर 2,525 किलोमीटर की यात्रा करती हुई उत्तर में हिमालय से प्रवाहित होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है. एक-चौथाई भूमि-क्षेत्र में प्रवाहित होते हुए गंगा भारत के प्रदेशों को उर्वर बनाती है, यह इस क्षेत्र के केन्द्रीय अंग है. भारतीय अर्थव्यवस्था में गंगा नदी का बहुत बड़ा योगदान है, यह अर्थव्यवस्था को जीवन प्रदान करती है. यहाँ प्राचीन काल में मगध साम्राज्य से लेकर मुगल बादशाह तक की तमाम संस्कृति पनपी हैं. गंगा नदी अपना सफर अधिकांश भारत में ही तय करती है, लेकिन गंगा का वृहद डेल्टा पूर्वी बंगाल में चला जाता है. डेल्टा के उल्टी तरफ होने के बावजूद गंगा भारतीयों की नदी हैं. यह हमारे संस्कार की नदी है. गंगा नदी का इतिहास व् महत्व यहाँ पढ़ें.

पवित्र नदी – प्राचीन धर्मग्रंथों में गंगा भारत की पावन नदी है, गंगा की जलधारा में स्नान या इसके जल की एक बूँद मात्र से पापों की मुक्ति या शुद्धि हो जाती है. धार्मिक ग्रंथों में गंगा बहुत पूज्यनीय है.  गंगा हिमाचल और उत्तराखण्ड के गंगोत्री गोमुख से सृजित होकर केन्द्रीय प्रदेश से होती हुई बंगाल को पार करते हुए गंगासागर में बंगाल की खाड़ी में अर्न्तध्यान हो जाती है. गंगा की नदी घाटी सभ्यता दुनिया की उपजाउ और उर्वर घाटियों में से एक है, और इसके अलावा कई नदियाँ यात्रा के दौरान इसमें समाहित हो जाती है. गंगा को भारतीय संस्कृति के अंग के रूप में ही समझना चाहिए. इसके तटों पर कई तरह की संस्कृति का विकास हुआ है, और सभी संस्कृतियाँ इसमें आकर एकीकृत हो जाती है. इन्ही योगदानों के कारण गंगा को पतितपाविनी नदियों में रखा गया है.

 स्रोत या उद्गम स्थल – लगभग 15000 फीट ऊपर स्थित गोमुख गंगा का स्रोत है, जो कि उत्तराखंड राज्य में अवस्थित है. गोमुख से लगभग 26 किमी दूर गंगोत्री में ग्लेशियर होने का अनुमान है, जो कि पृथ्वी से लगभग 17000 फीट होगा. गंगा नदी का प्रवाह मंदाकिनी और अलकनन्दा की धाराओं के संयोजन से वेगवती होता है, ये धाराएं हिमालय में कम वेगमीयी रहती है, और हरिद्वार के पास मैदानी इलाके में विस्तारित हो जाती है, और वर्षा ऋतु में भयंकर प्रवाह के साथ बहती है. गंगा नदी सिर्फ प्रकृति प्रदत्त संसाधन ही नहीं, बल्कि आम जनता की संवेदनात्मक आस्था का भी धारक है. सहायक नदी के साथ मिलकर विस्तृत भू-भाग का निर्माण करती है. कई नदियाँ इन क्षेत्रों में उपजाउ जमीनों के लिए वरदान है.

 सांस्कृतिक, सामाजिक और ऐताहिसक महत्त्व – इतिहास अगर आप देखें तो गंगा के मैदान से प्राचीन संस्कृति की शुरूआत होती है, और बाद में भी सारी सभ्यताओं के पोषण का केन्द्र गंगा ही रही है. सम्राट अशोक के 2 ई. पू. के शासन का केन्द्र मगध गंगा के तट पर ही बसा हुआ था. मध्यकालीन मुग़ल बादशाहों के शासन का केन्द्र दिल्ली एवं आगरा भी गंगा के किनारे अवस्थित था. सातवीं शताब्दी में भी हुणों, प्रतिहारों और कन्नोजियों के आक्रमण गंगा के मैदानी भागों में होता रहा है, इसका मूल कारण गंगा के किनारे बसा समृद्ध क्षेत्र होता था. वेदों में ही गंगा का उल्लेख मिलता है, हिन्दुओं के समस्त धार्मिक कर्मकांड और रीति रिवाज में गंगा का प्रमुख योगदान है. गंगा ने समस्त भारत के इतिहास को देखा है, पोषित किया है.

  1. ब्रह्मपुत्र नदी (Brahmaputra River)
लंबाई कुल 2900 किमी
निष्पत्ति 19900
स्रोत हिमालय के विभिन्न हिमनद या ग्लेशियर
मुहाना बंगाल की खाड़ी
देश भारत, चीन, बंगलादेश
शहर गुवाहटी
पुल   सराईघाट पुल, नारायणघाट पुल

ब्रह्मपुत्र तिब्बत के पठारों से निकलती है, इसका भी स्रोत हिमालय ही है. अरूणाचल में इस नदी को सांगणों कहा जाता है, और यह नदी सीमा के परे भी प्रवाहित होती है. इसका एक नाम दिहांग है और वहीं पर यह नदी देवांग और लोहित नदी के साथ सम्मिलित हो जाती है. यह नदी असम के सकरी घाटियों से गुजरती हुई बांग्लादेश में भी जाती है. यह पूर्वी भारत की प्रमुख नदी है. ब्रह्मपुत्र एशिया की भी एक महत्वर्पूण नदी है.  

सहायक नदियाँ – भारत में ब्रह्मपुत्र की कई सहायक नदियाँ है, तिस्ता के साथ मिलकर ब्रह्मपुत्र प्रवल वेगमयी हो जाती है. इन नदियों के कारण ही ब्रह्मपुत्र की दूरी भी बढ़ी है. मणिपुर की पहाड़ियों में मेघना के साथ मिलकर अलग स्वरूप में हो जाती है. इसकी कई महत्‍वपूर्ण सहायक नदियाँ हैं जो अलग अलग देशों में इस नदी के साथ जुड़ती है.

योगदान – ब्रह्मपुत्र पूर्वी भारत के लिए एक मुख्य नदी है. असम के निचले इलाके में उर्वरता की वजह भी ब्रह्मपुत्र ही है. जल जीवन में व्याप्त जीवों का संरक्षण स्थल ब्रह्मपुत्र ही है. खेती का एकमात्र साधन और मछली पालन के लिए भी ब्रह्मपुत्र, भारत की अन्य नदियों की तुलना में कम नहीं है. ब्रह्मपुत्र के तट पर जंगलों की भरमार है, जहां वन्य प्राणियों को शरण मिलती है.

  1. गोदावरी नदी (Godavari River)
लंबाई 1465 किमी
बेसिन क्षेत्र 32 हजार स्कावयर किमी
स्रोत ब्रह्मगिरी पर्वत
देश भारत
शहर राजामुंद्री
पुल गोदावरी ब्रिज

गंगा गोदावरी नदी पवित्र युग्म है और गंगा के अलावा यह भारत की प्रसिद्ध नदी है. हिमालय के  पश्चिमी घाट से लेकर पूर्वी घाट तक अनुप्रवाहित होती है. 900 मील बहने वाली ये नदी भारत की दूसरी बड़ी नदी है. यह नदी भारत के अलावा और किसी देश में प्रवाहित नहीं होती है. गोदावरी नासिक के प्रसिद्ध स्थल त्रयंबक गाँव के पास स्थित पहाड़ियों में से जलागार से प्रवाहित होती है. यह नदी दक्षिण से निकलती है और बंगाल की खाड़ी के पास आकर डेल्टा का निर्माण करती है. बलुई भित्ति के सहारे यह नदी संकरी तौर पर नासिक के पठारों से निकलती है. यह भारतीयों के लिए एक पवित्र नदी है.

इतिहास – इस नदी के साथ नासिक का इतिहास जुड़ा है. इस नदी के कई किनारे पर कई मंदिर स्थापित किये गये है, जोकि धार्मिक आस्था के केन्द्र के रूप में आज भी विख्यात है. हालंकि मुगल सम्राट औरगंजेब ने कई मंदिरों को तुड़वा दिया, फिर भी उनमें से कुछ आज भी नासिक और इस नदी के संबंध को दर्शा रहे है. गोदावरी का उल्लेख कई पैराणिक कथाओं में भी मिलता है. कई तरह की मिथकीय किंवदंतियाँ आज भी प्रचलित है. कुंभ का मेला भी गोदावरी के तट पर लगता है.

योगदान – गोदावरी पश्चिमी पठार की कृषि अर्थव्यवस्था को संभाले हुए देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करती है. पठार के अनुर्वर भूमि को सींचती ये नदी अन्य प्रांतो को भी जीवन देती है. कई मिनरल कारखाने या उत्खनन कार्य इस नदी के किनारे हैं. गोदावरी दक्षिण भारत की गंगा नदी भी कही जाती है.

  1. नर्मदा नदी (Narmada River)
लम्बाई 1312 किमी
शहर जबलपुर बडोदरा
मुहाना खंभात की खाड़ी
स्रोत अमरकंटक
पुल गोल्डेन ब्रिज

मध्य भारत में प्रवाहित होने वाली नदियों में नर्मदा नदी प्रमुख है. यह नदी गुजरात और मध्यप्रदेश के विभिन्न प्रांतों से बहती है. विध्यांचल पर्वत के कुछ भाग, जिसे महाकाल पर्वत कहते हैं, उसकी अमरकण्टक चोटी से नर्मदा नदी सृजित होती है. यह नदी कुल 1312 किलोमीटर लम्बी है. यह नदी गुजरात में जाकर भावनगर के पास खम्बात की खाड़ी में अर्न्ध्यान हो जाती है. जबलपुर इस नदी के किनारे बसा एक उल्लेखनीय शहर है. बड़ोदरा भी एक प्रमुख व्यवसायिक केन्द्र है जो कि इस नदी के किनार ही स्थित है. नर्मदा नदी की एक विशेषता और है कि खंभात की खाड़ी में गिरने से पूर्व इसका कोई डेल्टा नहीं बनता, और यह पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र है. इस नदी के किनारे कई तीर्थ स्थान है, जहाँ लोग दूर दूर से आकर अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं. दक्षिण और मध्यभारत की सीमारेखा भी इसी नदी को समझा जाता है.

नर्मदा का विस्तार – 3200 फीट की ऊँचाई पर स्थित अमरकंटक के शिखर से प्रवाहित होने वाली नदी, विंध्याचल के एक जलकुंड से निकलती है. जलकुंड को काफी पवित्र माना जाता है. यह नदी सतपुड़ा पहाड़ों के बीच से मध्यप्रदेश के विभिन्न अंचलों से प्रवाहित होती है. इस कुंड के चारों तरफ मंदिर बनाये गये हैं. यह रीवा जिले में प्रवेश करने के साथ ही 45 मील प्रवाहित होती है, और रामनगर की ओर चली जाती है. मंडला के बाद ये नदी एक संकीर्ण स्वरूप में ढल जाती है और जबलपुर की ओर प्रवाहित होती है. वहीं पर 32 फीट ऊँचे धुँआधार जलप्रपात पर गिरती है, और सम्मोहक दृश्य तैयार करती है. चारों ओर धुआं धुआं ही उठता सा नजर आता है. भेड़ाघाट से निकलते हुए यह नदी नर्मदा घाटी तैयार करती है. यह घाटी एक सम्मोहक परिदृश्य तैयार करती है, विंध्य और सतपूड़ा पहाड़ियों के मध्य में स्थित यह घाटी विश्वप्रसिद्ध है. इसी घाटी में स्थित मांडू प्रदेश की शान ओमकारेश्वर एवम् महेश्वर स्थित है. अंत में यह नदी भरुच से होते हुए भावनगर के पास खंभात की खाड़ी में गिरती है. नर्मदा जयंती का इतिहास और महत्व यहाँ पढ़ें.

इतिहास – हिंदु धर्म में नर्मदा का काफी महत्व है. इस नदी को मां भी कहते हैं. नर्मदा नदी के किनारे काफी उत्कृष्ट पर्यटक स्थल के रूप में प्रख्यात है. नर्मदा नदी के तटों पर बसा शहर काफी समृद्ध होता है. हिन्दु पैराणिक किस्सों में नर्मदा देवी के रूप में अवतरित है.

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