दुनिया की 10 सबसे भुतहा जगहें | Haunted places in world in hindi

Top 10 Haunted places in World in hindi दुनिया के हर कोने में भटकती आत्माओं के बारे में बहुत सी भ्रांतियां हैं. कई लोगों ने इसको महसूस किया है तो कई लोगों ने खुद देखने का दावा भी किया हैं. भूत बनकर भटकती इन आत्माओं के अस्तित्व में कितनी सच्चाई है,  इसके बारे में लोगों की अलग-अलग राय है. बहरहाल भूतों का होना या न होना हमेशा से एक कौतूहल का विषय रहा है.  विज्ञान के इस युग में हमने उनके अस्तित्व को हमेशा नकारा है,  लेकिन ऐसे भी कई लोग हैं जिन्होंने इस डर का अनुभव किया है. वास्तविकता यह है कि असल जीवन में भी कई ऐसी जगहें हैं जहाँ भूत-प्रेत को लेकर बात होती रही है. ऐसी जगहें तो सैकड़ों की संख्या में हैं परंतु यहाँ हम आपको दुनिया की 10  ऐसी जगहों के बारे में बताएँगे जिसे पढ़कर आप रोमांचित तो होंगे ही, आपके रोंगटे भी खड़े हो सकते हैं.

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दुनिया की 10 सबसे भुतहा जगहें  Top 10 Haunted places in World in hindi

 

मोंटे क्रिस्टो रियासत, न्यू साउथ वेल्स, ऑस्ट्रेलिया (Monte Cristo Australia) –

ऐतिहासिक मोंटे क्रिस्टो रियासत ऑस्ट्रेलिया में न्यू साउथ वेल्स के जुनी इलाके में स्थित है. इस रियासत को ऑस्ट्रेलिया के सबसे अधिक भुतहा और डरावनी जगहों में शुमार किया गया है. इसकी वजह वर्ष 1885 में इसके निर्माण के बाद से ही यहाँ घटी कई दुखद घटनाएँ हैं. निर्माण के बाद मोंटे क्रिस्टो का मालिकाना हक क्रेवले परिवार के पास रहा और यह परिवार वर्ष 1948 तक यहाँ रहा. इस दौरान यहाँ कई अनहोनी घटनाएँ घटी, जिनमे से कईयों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था. एक बच्चे का सीढियों से गिरने पर हुई दुखद मौत, एक नौकरानी की घर के बालकनी से गिरने से हुई मृत्यु और अस्तबल में काम करने वाले एक लड़के की आग से जलने से हुई अस्वाभाविक मृत्यु जैसी कई घटनाएँ हैं, जिससे यह जगह मनहूस माना जाने लगा.

कहा यह भी जाता है कि मोंटे क्रिस्टो रियासत की रखवाली करने वाले व्यक्ति का एक बेटा था, जिसका नाम हेरोल्ड था. वह पागल था और कभी-कभी हिंसक हो जाता था. इसलिए उसे लगभग 40 वर्षों तक लोहे के चेन से बांधकर उसके घर में बंद रखा गया था. एक दिन लोगों ने देखा कि वह अपनी मर चुकी माँ के शव के साथ लिपटा पड़ा है. इस घटना के बाद उसे पागलखाने भेज दिया गया, जहां कुछ दिनों बाद ही उसकी मौत हो गई.

अंततः लगातार हो रही अनहोनी और डरावनी घटनाओं से विचलित होकर क्रेवले परिवार ने वर्ष 1948 में उस जगह को छोड़ दिया. इस परिवार के जाने के बाद भी यहां हो रही अस्वाभाविक मौतों का सिलसिला नहीं थमा. क्रेवले परिवार के जाने के बाद इसे किराए पर देने के लिए कुछ लोगों ने मिलकर मोंटे क्रिस्टो को खरीद लिया और वहीँ वे सभी रखवाले के लिए बने मकान में रहने लगे. परन्तु कुछ दिनों के अंदर ही उनमें से एक की वहां हत्या हो गई. इस हत्या के बाद बाकी बचे लोगों ने उस जगह को छोड़ दिया और तबसे मोंटे क्रिस्टो वीरान पड़ा हुआ है.

चंगी अस्पताल, सिंगापुर (Changi hospital Singapore) –

सिंगापुर में नार्थवन रोड के किनारे बसे चंगी गांव में वर्ष 1930 में एक अस्पताल का निर्माण कराया गया था. गांव के नाम पर इस अस्पताल का नाम चंगी अस्पताल रखा गया. शुरू के कई वर्षों तक यह अस्पताल आम अस्पतालों की तरह कार्यरत रहा. परन्तु दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान इस इलाके पर जापान का कब्ज़ा होने के बाद इसे मिलिट्री अस्पताल में तब्दील कर दिया गया. हाईवे के किनारे होने के कारण यहाँ युद्ध में घायल सैनिकों को लाना सुविधाजनक था. तब युद्ध के दौरान हजारों की संख्या में घायल जापानी सैनिकों को यहाँ लाया जाने लगा. हालाँकि डॉक्टर, नर्स और अन्य सुविधाओं की कमी के चलते गंभीर रूप से घायल अधिकांश सैनिकों की मौतें होने लगी और दिन-प्रतिदिन मौतों में इजाफा होने लगा. भारी संख्या में हो रही मौतों से अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई और अस्पताल एक भयंकर बीमारी की चपेट में आ गया.

अब अस्पताल में फैले इस बीमारी का शिकार सैनिकों के साथ-साथ डॉक्टर, नर्स और अन्य कर्मचारी भी होने लगे. फिर क्या था, अस्पताल भटकती आत्माओं का अड्डा बन गया. विश्वयुद्ध की समाप्ति होते-होते यह अस्पताल भी वीरान होने लगा और आसपास के लोग वहां जाने से कतराने लगे. अंततः अस्पताल खंडहर में तब्दील हो गया. आसपास के लोग कहते हैं कि उस समय से लेकर आज तक उन सैनिकों, डॉक्टरों, नर्सों और अस्पताल के अन्य कर्मियों की भटकती आत्माओं को खंडहर बन चुके अस्पताल परिसर में साफ़ महसूस किया जाता है. जब तक अस्पताल कार्यरत था, उस दौरान होने वाली अनहोनी की कई कहानियों की चर्चाएं वहां आज भी होती हैं. अस्पताल के खंडहर में आज भी वृद्ध व्यक्ति, नर्स, चौकीदार, डॉक्टर, सैनिक आदि को देखने का दावा कई लोग करते हैं.

गुड होप का किला, केप टाउन, दक्षिण अफ्रीका (Castle of good hope South Africa) –

दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन में स्थित गुड होप के किले का निर्माण 17वीं शताब्दी में डच ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा कराया गया था. इसे दक्षिण अफ्रीका का सबसे पुराना औपनिवेशिक काल का भवन माना जाता है. मुख्यतः डचों ने इस किले का निर्माण केप के समुद्री रास्ते से गुजरने वाले जहाजों को रसद और अन्य सामानों की आपूर्ति के लिए एक ठिकाने के तौर पर बनाया था.

गुड होप किले में सर्वप्रथम वर्ष 1915 में भूत को देखने का दावा किया गया. कहा जाता है कि कई लोगों ने एक लंबे कद के आदमी को किले के प्राचीर पर टहलते हुए देखा था. उसे देखे जाने का क्रम कई हफ़्तों तक चलता रहा. कभी उसे किले की दीवारों पर उछलते हुए देखा गया, तो कभी किले के एक बुर्ज से दूसरे बुर्ज पर छलांग लगाते हुए. वह उस दौरान कुछ दिनों तक तो दिखा, परन्तु उसके बाद वर्ष 1947 तक किसी ने उसे देखने का दावा नहीं किया. फिर इसके बाद आज तक लोग उसे कभी-कभी देखने का दावा करते रहे हैं.

इस किले का भुतहा होने का दावा करने वाले किले से जुड़ी एक और कहानी सुनाते हैं. 17वीं शताब्दी में ही गुड होप के एक गवर्नर थे, जिनका नाम पीटर गिस्बर्ट था. 23 अप्रैल 1728 को संदिग्ध अवस्था में उनकी मृत्यु हो गई थी. जिस दिन उनकी मृत्यु हुई थी, उसी दिन उन्होंने सात सैनिकों को सेना में विद्रोह करने का दोषी पाते हुए, उन्हें मृत्युदंड की सजा सुनाई थी. कहा जाता है कि उसमें से एक सैनिक ने गुस्से में पीटर गिस्बर्ट को श्राप दे दिया था. बाद में ठीक उसी दिन पीटर गिस्बर्ट को अपने कार्यालय में मृत पाया गया. मृत पीटर गिस्बर्ट की आँखों को देखकर दावा किया गया कि उनकी मृत्यु किसी खौफनाक दृश्य को देखने से हुई थी.

इतना ही नहीं, गुड होप के किले में अक्सर एक औरत को भी मुहं ढ़ककर और चिल्लाते हुए भागने का दावा लोग करते रहे हैं. इस घटना की पुष्टि तब हुई, जब हाल ही में वहां हुई खुदाई के दौरान एक औरत का कंकाल मिला. इसके बाद लोगों ने उस औरत को फिर कभी नहीं देखा है. इसके अलावा गुड होप के किले से संबंधित और भी कई डरावनी घटनाएँ जुड़ी हुई हैं. कहा जाता है कि 17वीं शताब्दी में ही किसी सैनिक ने किले के घंटाघर में घंटे की रस्सी से फांसी लगा लिया था. इस घटना के बाद उस घंटाघर को बंद कर दिया गया. परन्तु आज भी उस घंटाघर में लगा घंटा आए दिन जोर-जोर से अपने आप बजने लगता है और कुछ देर बाद फिर से शांति छा जाती है. यहां एक कुत्ते का भूत देखने की चर्चा भी जोरों पर है. कहा जाता है कि कभी-कभी एक काला कुत्ता लोगों को दीखता है और फिर हवा में गायब हो जाता है. इन सब घटनाओं को सुनने के बाद केप टाउन के गुड होप किले का भुतहा होने से कौन इंकार करेगा.

सुसाइड फॉरेस्ट, ओकिघारा, जापान (Suicide forest Aokigahara Japan) –

क्या आप विश्वास करेंगे कि दुनिया में एक ऐसी भी जगह है जहाँ जाने के बाद लोग ख़ुदकुशी करने के लिए प्रेरित होते हैं और ख़ुदकुशी करते भी हैं. आपको विश्वास हो या न हो, मगर एक ऐसी जगह है और वह है जापान में माउंट फुज़ी की तलहटी में बसा  ओकिघारा का जंगल.  दुनिया में सुसाइड फारेस्ट के नाम से फेमस इस जंगल में हर साल सैकड़ों की संख्या लोग आत्महत्या के लिए जाते हैं. हालाँकि अभी तक यह पता नहीं लगाया जा सका है कि यहाँ ख़ुदकुशी किए जाने की वजह क्या है. परन्तु यहाँ मरने वाले लोगों की तादाद इतनी अधिक हो जाती है कि लाशों को हटाने के लिए स्थानीय पुलिस को प्रतिवर्ष  अभियान चलाना पड़ता है. आतंक फैलने के डर से पुलिस यहाँ आकर मरने वालों के आंकड़े जारी करने से भी बचती है. अभी तक सिर्फ एक बार वर्ष 2004 में सुसाइड फारेस्ट में ख़ुदकुशी करने वालों का आंकड़ा सरकारी तौर पर घोषित किया गया था, जिसमें कहा गया था कि जंगल से 108 लाशें मिली हैं.

हालाँकि लोगों को ख़ुदकुशी करने से रोकने के लिए प्रशासन ने जंगल में जगह-जगह चेतावनी का बोर्ड लगा रखा है, जिसमें यहां आनेवाले लोगों से ख़ुदकुशी न करने की अपील की गई है. बहरहाल आम तौर पर लोगों का मानना है कि यहाँ ख़ुदकुशी करने वालों की आत्माएं भटक रही हैं और वही आत्माएं यहाँ आने वालों को ख़ुदकुशी करने के लिए प्रेरित करती हैं. इससे इत्तर ओकिघारा के जंगल में ख़ुदकुशी को एक पौराणिक कथा से भी जोड़ा जाता है. कहानी के अनुसार इस इलाके में एक बार भीषण अकाल पड़ा था. भूख से बिलखते लोग खाने की तलाश में ओकिघारा के जंगल में आ गए और यहीं वे सभी काल के ग्रास बन गए. कहा जाता है कि उन्हीं सबकी आत्माएं यहां भटक रही हैं और वे यहां आनेवालों को अपना शिकार बना रहे हैं. ये सब बातें सही हो या न हो, परन्तु ख़ुदकुशी की प्रेरणा देने वाले ओकिघारा के डरावने कृत्य एक शोध का विषय अवश्य है.

गुड़ियों का द्वीप, मेक्सिको (Doll Island Mexico) –

मेक्सिको में मेक्सिको सिटी से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर एक द्वीप है. मनोरम प्राकृतिक छटा से भरपूर यह जगह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होने के बावजूद लोग यहाँ जाने से डरते हैं. इसकी वजह है द्वीप के पेड़ों पर लटके गुड़ियों (डॉल्स) का झुंड. ये डॉल्स कोई साधारण डॉल्स नहीं हैं बल्कि सभी विकृत हैं और जो लोगों को खतरनाक अंदाज में घूरती नज़र आती हैं. इन गुड़ियों पर नज़र जाते ही लोग भय से कांपने लगते हैं.

इस द्वीप पर गुड़ियों का बसेरा होने के पीछे एक कहानी है. वर्षों पहले डॉन जूलियन संटाना बरेरा अपनी पत्नी सहित इस सुनसान द्वीप पर रहने के लिए आए थे. यहां उन्होंने अपना बसेरा बनाया. अचानक एक दिन उन्हें पास ही बह रहे नाले में एक बच्ची की लाश मिली. उन्होंने उस लाश को नाले से निकालकर उसे दफना दिया. इसके बाद वे अजीब हरकत करने लगे. उनके मन में डर बैठ गया कि उस बच्ची की आत्मा उनपर हावी हो गई है. तब वे आत्मा के प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए द्वीप के पेड़ों पर जगह-जगह गुड़ियों को लटकाने लगे. गुड़ियों को लटकाने का उनका यह क्रम तब तक चलता रहा, जब तक उनकी मृत्यु नहीं हो गई. आज जूलियन को मरे 14 वर्ष से ऊपर हो गए हैं परन्तु उन्होंने उस द्वीप का जो नज़ारा बना दिया, वह वहां भूतहा और डरावने माहौल का रोमांच पैदा कर रहा है.

नियाग्रा फॉल की चीखती गुफा, अमेरिका (Niagara falls haunted tunnel) –

16 फीट ऊंचे और 125 फीट लंबे इस गुफा को पानी के बहाव को खेतों की तरफ मोड़ने के लिए वर्ष 1900 में बनाया गया था. यह गुफा कनाडा के नियाग्रा फॉल के पास टोरंटो एवं न्यूयॉर्क को जोड़ने वाली रेलवे लाइन के नीचे बना है. यहां पर गुफा में या इसके आसपास आग जलाना वर्जित है. इसकी वजह यहाँ आग से हुए ज्ञात दो ऐसे हादसे हैं जिसके खौफ से आज भी यहां के लोगों की रूहें कांप उठती है.

इसे संयोग ही कहा जाएगा कि आग से हुई दोनों दुर्घटना की शिकार लड़कियां हुई थी. पहली घटना के बारे में कहा जाता है कि गुफा के दक्षिण द्वार के पास स्थित एक फार्म हाउस में एक बार आग लग गई थी. आग कैसे लगी, यह रहस्य ही बना रहा, परंतु इस भयानक आग की चपेट में फार्म हाउस में रह रही एक लड़की आ गई. आग में लपटों से घिरी वह लड़की मदद के लिए फार्म हाउस से बाहर भागी और पानी की उम्मीद में गुफा में कूद पड़ी. बदकिस्मती से गुफा उस समय सूखा हुआ था. आग से जलती हुई वह गुफा के सूखे जमीन पर तड़पती रही और उसने वहीँ दम तोड़ दिया. उसकी चीख-पुकार सुनकर वहां आसपास रहने वाले कई लोग इक्कठे तो हुए, परंतु मदद के लिए कोई आगे नहीं आया. इस घटना के बाद गुफा का दक्षिणी द्वार भुतहा माना जाने लगा क्योंकि अब तक जिस किसी ने वहां पर माचिस या आग जलाने का प्रयास किया है, उसकी मृत्यु हो गई है, ऐसा कहा जाता है.

इसके अलावा एक और दर्दनाक घटना से इस गुफा का इतिहास जुड़ा हुआ है. इस दूसरी घटना की शिकार भी एक लड़की ही थी. गुफा के आसपास रहने वाले लोग कहते हैं कि एक दिन एक लड़की के साथ कुछ वहशी दरिंदों ने गुफा में बलात्कार किया था. बलात्कार करने के बाद दरिंदों ने अपना गुनाह छिपाने के लिए उस लड़की पर तेल डालकर उसे आग के हवाले कर दिया. लड़की की चीख से आसपास का वातावरण गूंज उठा, परंतु डर की वजह से वहां कोई नहीं आया. लोगों ने समझा कि यह उस लड़की की चीख है, जिसकी पहले आग लगने से दर्दनाक मौत हो चुकी है. जब अगली सुबह लोग वहां पहुंचे तो सभी ने एक जली हुई लड़की को गुफा में पाया था. इस घटना के बाद गुफा का यह हिस्सा भी डरावनी जगहों में शामिल हो गया और लोग यहां आज भी जाने से कतराते हैं.

इस गुफा के आसपास रहने वाले लोग कहते हैं कि आज भी अगर कोई रात को वहां से गुजरता है तो उसे गुफा के अंदर से रोने और सिसकने के साथ शरीर के जलने की बदबू आती है. लोगों का मानना है कि इस गुफा में दोनों लड़कियों की आत्माएं निवास करती हैं और रौशनी या आग को देखते ही परेशान हो जाती हैं. इसलिए यहां आग जलाने या रौशनी करने को वर्जित कर दिया गया है.

भानगढ़, राजस्थान, भारत (Bhangarh fort India) –

खंडहर हो चुका प्राचीन भानगढ़ रियासत राजस्थान में दिल्ली-जयपुर हाईवे पर स्थित है. डरावनी और अनहोनी घटनाओं कि वजह से इस जगह को भारत के सबसे अधिक चर्चित भुतहा जगहों में एक माना जाता है. इस जगह के खौफ का अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि भारत सरकार के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन होने के बावजूद यहां पर पुरातत्व विभाग का कार्यालय नहीं है. वस्तुतः पुरातत्व विभाग का कार्यालय यहां से दूर स्थित है. रात में इस जगह से इंसान क्या परिंदे भी दूर रहते हैं. यहां के बारे में कहा जाता है कि रात में यहां जो भी जाता है वह लौटकर वापस नहीं आता.

भानगढ़ के खौफनाक अतीत से एक कहानी जुड़ा हुआ है. यह कहानी भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती और उसी रियासत के एक तांत्रिक सिन्धु सेवड़ा की है. कहा जाता है कि सिन्धु सेवड़ा राजकुमारी रत्नावती से एकतरफा प्रेम करता था. एक दिन बाज़ार में वह इत्र की दूकान पर राजकुमारी को सम्मोहित करने के लिए इत्र से काला जादू करने वाला था कि राजकुमारी को इसकी भनक लग गई. रत्नावती ने गुस्से में उस इत्र की बोतल को वहीँ पड़े एक बड़े पत्थर पर पटक कर फोड़ दिया. बोतल फूटने से इत्र पत्थर पर बिखर गया. दूसरी तरफ राजकुमारी के इस रौद्र रूप को देखकर सिन्धु सेवड़ा घबरा गया और अपना संतुलन खोते हुए, वहां से भागने लगा. आश्चर्यजनक तौर पर वह पत्थर भी तांत्रिक के पीछे दौड़ने लगा जिस पर इत्र बिखर गया था. तांत्रिक के पीछे भागते हुए उस पत्थर ने तांत्रिक को कुचल दिया और उसकी मृत्यु हो गई.

मरने से पहले तांत्रिक ने श्राप देते हुए कहा कि जल्दी ही यहां रहने वाले सभी लोग मारे जाएंगे और यहां लंबे समय तक उनकी आत्माएं भटकती रहेंगी. तांत्रिक की बात सच साबित हुई. कुछ ही दिनों बाद पड़ोसी रियासत अजबगढ़ ने भानगढ़ पर हमला कर दिया. भानगढ़ में भीषण कत्लेआम हुआ और सभी लोग मारे गए. इसके बाद से आज तक भानगढ़ आबाद नहीं हुआ और यह डरावनी और भूतहा दुनिया का एक हिस्सा बन गया. कहा जाता है कि उस कत्लेआम में मची चीखें आज भी वहां सुनी जाती हैं. रात के वक्त भटकती आत्माएं जागृत हो जाती हैं और प्रतिशोध लेने के लिए इंसान की तलाश करती है. इसी वजह से रात में वहां जाने को वर्जित कर दिया गया है.  

टावर ऑफ लंदन, लंदन, इंग्लैंड (Tower of London England) –

इंग्लैंड की राजधानी लंदन में स्थित 900 वर्ष पुराने टावर ऑफ लंदन का खूनी इतिहास रहा है. यही वजह है कि यह भटकती आत्माओं यानि भूतों का अड्डा बन गया है. आज यह जगह इंग्लैंड के सबसे अधिक चर्चित भुतहा जगहों में शुमार है. टावर ऑफ लंदन का निर्माण चक्रवर्ती राजा विलियम द्वारा वर्ष 1078 में कराया गया था. इसके बाद से यह जगह इंग्लैंड के सत्ता संघर्ष का गवाह बनता रहा. इन सत्ता संघर्ष के दौरान यहां कत्लेआम हुए और साजिशें भी रची गईं. माना जाता है कि इन कत्लेआम और साजिशों के शिकार हुए लोगों की आत्माएं आज भी यहां भटकती हैं.

टावर ऑफ लंदन में भूतों को देखे जाने का एक लंबा सिलसिला रहा है. इन भूतों में से सबसे अधिक चर्चित भूत ऐनी बोलीन का है जो सम्राट हेनरी अष्टम की पत्नी थीं. वर्ष 1536 में ऐनी बोलीन का सिर काटकर धड़ से अलग कर दिया गया था. कहा जाता है कि बिना सिर का उनका भूत आए दिन टावर के कॉरिडोर या फिर जहां उनकी हत्या हुई थी, वहां देखा जाता है. वर्ष 1957 में टावर के एक संतरी ने लेडी जेन ग्रे का भूत देखने का भी दावा किया था. यहीं पर एक सफेद औरत को बार-बार देखे जाने का दावा किया जाता है जो खिड़कियों पर खड़ी रहती है और हाथ में बच्चे को लेकर लहराती रहती है.

यहां घटने वाली कई भुतहा घटनाओं में से एक की चर्चा यहां अक्सर सुनी जाती है. यह दो बच्चों से जुड़ा हुआ है. ये दोनों बच्चे रात के कपड़े में और चेहरे पर खौफ लिए हुए किले के कमरे में अचानक उपस्थित होते हैं और थोड़ी ही देर में गायब भी हो जाते हैं. उन दोनों बच्चे के बारे में माना जाता है कि वे राजकुमार थे और उनका क़त्ल उनके चाचा ने करवा दिया था, जो ग्लौसेस्टर के डयूक थे. इसके अलावा टावर में कुछ अन्तराल पर कई कंकालों के देखे जाने का दावा भी किया जाता रहा है.

पोवेग्लिया द्वीप, इटली (Poveglia Island Italy) –

इटली में वेनिस और लीडो के बीच एक सुनसान द्वीप स्थित है, जिसे पोवेग्लिया के नाम से जाना जाता है. इटली में इस द्वीप का नाम लेने से ही लोग कांपने लगते है. इसकी वजह इसका खौफनाक इतिहास रहा है. माना जाता है कि इस द्वीप पर इंसानों का आगमन 421 ईस्वी में हुआ था. परंतु 14वीं शताब्दी आते-आते यह द्वीप वीरान हो गया. लोगों का यहां से भागने की क्या वजह थी इसका कोई प्रत्यक्ष प्रमाण उपलब्ध नहीं है. परंतु इसी शताब्दी में यूरोप में जब बूबोनिक प्लेग का कहर बरपा, तब वेनिस में इस बीमारी से प्रभावित लोगों को पकड़कर पोवेग्लिया द्वीप पर लाकर छोड़ दिया गया. फिर यहां प्लेग से प्रभावित लोग मरने लगे. इन संक्रमित लाशों को यहीं एक साथ इक्कठा कर जला दिया गया था. ऐसा ही एक बार फिर वर्ष 1630 में किया गया, जब वेनिस में काला ज्वर नामक बीमारी का खौफनाक मंजर पैदा हुआ था.

उपरोक्त घटनाओं के बाद पोवेग्लिया द्वीप वेनिस के लोगों के लिए अछूत बन गया था. आगे जाकर वर्षों बाद 1800 ईस्वी के दौरान वेनिस की सरकार ने यहां एक पागलखाने का निर्माण कराया था. परंतु लोग कहते हैं कि यह पागलखाना नहीं बल्कि इंसानों पर शोध किया जानेवाला एक अस्पताल था. बहरहाल, कहा जाता है कि वर्ष 1930 के दौरान एक डॉक्टर ने वहां बने घंटाघर से कूदकर ख़ुदकुशी कर ली थी. बाद के वर्षों में पोवेग्लिया द्वीप को वृद्धाश्रम के रूप में तब्दील कर दिया गया. परंतु यहां घटने वाली अनहोनी घटनाओं के कारण वर्ष 1975 में इटली सरकार ने वृद्धाश्रम को बंद कर दिया और तबसे यह द्वीप वीरान पड़ा हुआ है.

आज इस द्वीप के आसपास के द्वीपों पर रहने वाले लोग पोवेग्लिया द्वीप पर क्या, इसके आसपास भी जाने से कतराते हैं. मछुआरे भी इस द्वीप से दूर रहते हैं. लोगों का मानना है कि इस द्वीप पर यहां मरे बीमारों की आत्माएं राज करती हैं और वे सभी खूंखार हैं. द्वीप पर से चीखने-चिल्लाने की आवाजें भी आती रहती हैं. दिन के समय भी वहां पर काले साये को आसमान में उड़ते हुए देखे जाने का दावा किया जाता है. रात के समय में जो जहाज द्वीप के आसपास से गुजरता है, उसके नाविकों ने द्वीप पर रौशनी और लोगों के झुंड को भी देखे जाने का दावा किया है.

दी क्वीन मैरी होटल, कैलिफ़ोर्निया, अमेरिका (The queen mary hotel) –

यह समुद्र की सतह पर तैरता एक होटल है. 1930 के दशक से लेकर 1960 के दशक के दौरान यह एक समुद्री जहाज था, जो मुख्यतः उत्तरी अटलांटिक के समुद्र में विचरण करता था. वर्ष 1970 में इस जहाज को होटल में तब्दील कर दिया गया. यह अब कैलिफ़ोर्निया के लंबे समुद्र तट पर अपनी सेवाएं दे रहा है. इस होटल के साथ कई ऐसी अनहोनी घटनाएँ जुड़ी हुई हैं कि इसे अमेरिका के भुतहा होटलों में शुमार किया जाता है.

इस होटल में कई ऐसी जगहें हैं जिसे भूतों का बसेरा माना जाता है. इनमें सबसे मुख्य है प्रथम श्रेणी का स्विमिंग पूल का इलाका. कहा जाता है कि 1930 से 1960 के दौरान इस स्विमिंग पूल में दो महिलाओं की डूबने से मौत हो गई थी. अब उन दोनों के भूतों को इस इलाके में बार-बार देखे जाने का लोग दावा करते हैं. वहीँ होटल के कुईंस सैलून में एक सफेद औरत की आकृति को अक्सर देखा गया है. स्टोर रूम के पास दो बच्चों को देखने और फिर उसके अचानक गायब होने की घटनाएँ भी होती रही हैं. टूरिस्ट क्लास स्विमिंग पूल के आसपास एक आकर्षक महिला को घूमते हुए देखे जाने का दावा भी कई लोगों ने किया है. होटल का केबिन नंबर बी-340 भुतहा घटनाओं के लिए बदनाम हो चुका है. अंततः हारकर होटल प्रबंधन ने इस केबिन को किराए पर देना बंद कर दिया है. इन सबके बावजूद यह भी सच है कि  भुतहा होटल के तौर पर कुख्यात हो चुके क्वीन मैरी के प्रति लोगों का आकर्षण कम नहीं हुआ है.

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