गुड़ी पड़वा क्यूँ मनाया जाता है, जाने तिथि, शुभ मुहूर्त | Gudi Padwa Festival in hindi

गुड़ी पड़वा त्यौहार क्यों और कब मनाया जाता है (महत्त्व, पूजा विधि, कथा, हिंदू नव वर्ष) 2024 (Gudi Padwa Festival in hindi, Pooja Vidhi, katha Mahatva, Ugadi, Hindu New Year)

गुड़ी पड़वा एक ऐसा त्यौहार होता है, जिसे हर एक हिंदू बड़ी ही श्रद्धा से और धूमधाम तरीके से मनाता है. हिंदू धर्म के अनुसार गुड़ी पड़वा चेत्र माह के पहले दिन मनाया जाता है और यही हिंदुओं का नववर्ष का पहला दिन भी कहलाता है. वैसे तो लगभग हर एक व्यक्ति

चैत्र महीने के प्रथम दिन यानी कि गुड़ी पड़वा के दिन को वर्ष का प्रथम दिन होने का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है.

आज हम इस लेख के माध्यम से गुड़ी पड़वा क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है और इसके पीछे प्राकृतिक और आध्यात्मिक मान्यताएं क्या है यह सब कुछ जानने का प्रयास करेंगे. यदि आप भी इस हिंदू नव वर्ष से संबंधित जानकारी को हासिल करना चाहते हैं, तो हमारे इस लेखक को अंतिम तक अवश्य पढ़ें.

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बिंदु (Point)जानकारी (Information)
नाम (Name)गुडी पड़वा
विक्रम संवत (Vikram Sanvat)2078
कब हैं (Date in 2024)9 अप्रैल
वार (Day)मंगलवार
अन्य नाम (Other Name)संवत्सर पड्यो, युगादी, उगादी, चेटीचंड और नवरेह
प्रतिपदा तिथि आरम्भ (Pratipada Tithi Begins)23:50 से (8 अप्रैल)
प्रतिपदा तिथि समाप्त (ratipada Tithi Ends)

20:30 तक (9 अप्रैल )

गुड़ी पड़वा का त्यौहार क्या है ?

हिंदू धर्म का यह त्यौहार हर मास चैत्र महीने की शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है. चैत्र माह में हिंदू धर्म के कई पावन और धार्मिक त्यौहार, व्रत आदि अपना पदार्पण करते हैं. गुड़ी पड़वा जैसे पावन त्यौहार को महाराष्ट्रीयन समेत कई अन्य भारत के स्थानों में मनाने की प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है. हिंदू नव वर्ष का प्रारंभ भी इसी दिन से होता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है, कि ब्रह्मा जी ने इसी दिन सृष्टि समेत कई अन्य देवी-देवताओं, नर-मनुष्य और दैत्य, राक्षसों आदि का निर्माण किया था.

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गुड़ी पड़वा का क्या अर्थ होता है ?

जैसा, कि हम और आप जानते हैं,कि जब किसी हिंदू पर्व का नाम आता है, तो उस पर्व के नाम से जुड़ी कुछ महत्वता या अर्थ अवश्य होता है. वैसे ही गुड़ी पड़वा शब्द का भी अपना एक अलग अर्थ और महत्व है. गुड़ी पड़वा दो शब्दों के मिलन से बड़ा हुआ है. गुड़ी शब्द का अर्थ यदि हम जाने तो इससे हमें ‘विजय पताका’ का हिंदी अर्थ निकल के मिलता है और वहीं पर यदि हम पड़वा शब्द का हिंदी अर्थ समझे तो हमें ‘प्रतिपदा’ शब्द की प्राप्ति होती है.

गुड़ी पड़वा का पर्व कैसे मनाया जाता है –

इसी पावन दिन पर गुड़ी बनाकर उसे फहराया जाता है और इसकी पूजा-अर्चना आदि की जाती है. इस पावन पर्व को महाराष्ट्र एवं उससे जुड़े हुए कई अन्य राज्यों में भी मनाने की प्रथा आज भी प्राचीन काल से चली आ रही है. इस पावन दिवस के दिन लोग अपने घर के दरवाजों पर आम के पत्तों का बंदनवार बनाकर सजाते हैं और ऐसी मान्यता है, कि यह बंदनवार उनके घर में बनाकर लगाने से सुख, समृद्धि और खुशहाली लेकर आता है.

गुड़ी पड़वा पर्व का हिंदू महत्व क्या है, उससे जुडी कथा ?

इस पावन पर्व का हिंदू धर्म में बहुत ही अत्यधिक महत्व माना जाता है. हिंदू पुराणों के मुताबिक कहा जाता है, कि इस शुभ अवसर पर भगवान श्री राम और महाभारत के योद्धा युधिष्ठिर का राज्याभिषेक किया गया था.

यदि हम थोड़ा गौर करें, तो हमें पता चलता है, कि इसी पावन दिन के अवसर पर चैत्र नवरात्रि का भी शुभारंभ हिंदू धर्म में होता है. कुछ विद्वानों के अनुसार इसी शुभ दिन यानी कि गुड़ी पड़वा के दिन में सतयुग का शुभारंभ भी हुआ था. चैत्र नवरात्रि के बाद से ही दिन और रातों में फर्क समझ में आने लगता है अर्थात दिन बड़े और रातें छोटी हो जाती है.

कुछ ज्ञानी पंडितों एवं महा विद्वानों का मानना है, कि विष्णु पुराण के अनुसार भगवान श्री विष्णु जी ने अपने मत्स्य अवतार को भी इसी दिन धारण किया था. इन सभी धार्मिक और पौराणिक कथाओं के अनुसार ही इस दिन को बहुत ही शुभ और लाभकारी दिवस के रूप में देखा जाता है.

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गुड़ी पड़वा की पूजन विधि क्या है ?

  1. इस पावन दिन के अवसर पर लोग सुबह उठकर बेसन का उबटन और तेल लगाते हैं और इसके बाद वह प्रातः काल ही स्नान करते हैं.
  2. जिस स्थान पर लोग गुड़ी पड़वा की पूजा करते हैं, उस स्थान को बहुत ही अच्छी तरह से स्वच्छ एवं शुद्ध किया जाता है.
  3. इसके बाद लोग संकल्प लेते हैं और साथ किए गए स्थान के ऊपर एक स्वास्तिक का निर्माण करते हैं और इसके बाद बालों की विधि का भी निर्माण किया करते हैं.
  4. इतना करने के बाद सफेद रंग का कपड़ा बिछाकर हल्दी कुमकुम से उसे रंगते हैं और उसके बाद अष्टदल बनाकर ब्रह्मा जी की मूर्ति को भी स्थापित किया जाता है और फिर विधिवत रूप से पूजा अर्चना किया जाता है.
  5. आखिर में लोग गुड़ी यानी की एक झंडे का निर्माण करके उसको उस पूजन स्थल पर स्थापित करते हैं.


वर्ष 2024 में गुड़ी पड़वा की पूजा कब मनाई जाएगी

2024 में इस पावन त्यौहार को अप्रैल महीने के 9 तारीख को मनाया जाएगा.

हिंदू धर्म का कोई भी त्यौहार अपने आप में अपनी महत्वता को लेकर ही आता है और उसे बस लोगों को सही प्रकार से समझने की आवश्यकता होती है. हम कहीं ना कहीं पर अंग्रेजी सभ्यताओं के चक्कर में पड़कर अपने प्राचीन एवं पुरुषों की सभ्यताओं को भूलते जा रहे हैं. हमारे इस लेख को प्रस्तुत करने का उद्देश्य आप सभी लोगों को हमारे प्राचीन त्योहारों और पावन अवसरों से अवगत कराना था. हमें सदैव अपने हिंदू धर्म और अपने भारतीय सांस्कृतिक सभ्यताओं को भूलना नहीं चाहिए. यदि आप भी हमारे इस उद्देश्य से सहमत है, तो कृपया आप इस लेख को अपने मित्र जन एवं परिजन के साथ अवश्य से साझा करें. इस पावन त्योहार के अवसर पर यदि आप हमें कुछ अपने विचार प्रकट करना चाहते हैं, तो कमेंट में अवश्य साझा करें.

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FAQ

Q : गुड़ी पड़वा किसे कहते हैं?

Ans : हिन्दू धर्म का नववर्ष

Q : गुड़ी पड़वा कब होती है?

Ans : चैत्र महीने की शुक्ल प्रतिपदा को

Q : गुड़ी पड़वा 2024 में कब है?

Ans : 9 अप्रैल

Q : गुड़ी पड़वा कहां मनाया जाता है?

Ans : महाराष्ट्र में

Q : गुड़ी पड़वा के दिन किसकी पूजा की जाती है?

Ans : इस शुभ अवसर पर भगवान श्री राम और महाभारत के योद्धा युधिष्ठिर का राज्याभिषेक किया गया था.

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